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Saturday, 8 May 2021

बरगद !!!!

 


ज़िन्दगी की धूप  में



राही  बढ़ जाता है आगे

छाँव  की तलाश में

और

बरगद

अपनी बाहें फैलाये

रह जाता है

एक जगह

ठिठका सा .





20 comments:

  1. बरगद जहाँ है ठंडक वहीं रह गईं, आगे बढ़ जाने वाले मुसाफिर को पूरे रास्ते अहसास रहेगा.
    बेहतरीन कविता!

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  2. राही बेशक बढ़ जाये पर बरगद की छांव कहाँ भूल सकेगा। गहरी कविता।

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  3. ज़िन्दगी की धूप में
    राही बढ़ जाता है आगे
    छाँव की तलाश में
    और
    बरगद
    अपनी बाहें फैलाये
    व्वाहहह..
    सादर नमन

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  4. This comment has been removed by the author.

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  5. रास्ते और मंजिल की कथा कहती है ये व्यथा...
    बेहतरीन कविता

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  6. बेहद गहन भाव लिए शानदार अभिव्यक्ति ...

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  7. वाह बेहतरीन अभिव्यक्ति दी
    चंद शब्दों में गहरी बात।
    ----
    छाँव छोड़कर छाँव की तलाश में,
    राही उम्रभर तड़पता है अनजानी प्यास में।

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  8. आपकी सुंदर सारगर्भित कविता, वृक्षों की उपयोगिता,उनका साथ कितना आवश्यक है,कुछ ही शब्दों में बता गई ।आपको मेरा नमन ।

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  9. गागर में सागर जैसी गहन अभिव्यक्ति ।

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  10. गहन भाव कविता प्रतीकात्मक शैली

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  11. बहुत सुंदर सृजन।
    छोटे में बहुत कुछ कहती रचना ।

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  12. बरगद से माँ-बाप बाँह फैलाए खड़े हैं इंतजार में...और बच्चे अपनी मंजिल अपने जीवनसाथी की तलाश में निकल पड़ते हैं बरगद से माँ-बाप की छाँव छोड़...।
    क गहन अर्थ समेटे बहुत ही सारगर्भित एवं सार्थक कृति
    वाह!!!

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  13. बहुत खूब,बरगद की कोमल एहसास जैसे अपनो के विश्वास को तोड़कर आगे बढ जाते हैं

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  14. परोपकारी के पास बहुत बड़ा दिल होता है

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  15. वाह!सराहनीय दी।
    सादर

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  16. कहीं वो बरगद हम भी तो नहीं ...

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  17. Love to read it, Waiting For More new Update and I Already Read your Recent Post its Great Thanks.

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  18. Impressive writing. You have the power to keep the reader occupied with your quality content and style of writing. I encourage you to write more.

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