खलिश होती है तो यूँ ही बयां होती है , हर शेर जैसे सीप से निकला हुआ मोती है
ज़िन्दगी की धूप में
बरगद जहाँ है ठंडक वहीं रह गईं, आगे बढ़ जाने वाले मुसाफिर को पूरे रास्ते अहसास रहेगा.बेहतरीन कविता!
बढिया।
राही बेशक बढ़ जाये पर बरगद की छांव कहाँ भूल सकेगा। गहरी कविता।
ज़िन्दगी की धूप मेंराही बढ़ जाता है आगेछाँव की तलाश मेंऔरबरगदअपनी बाहें फैलायेव्वाहहह..सादर नमन
This comment has been removed by the author.
रास्ते और मंजिल की कथा कहती है ये व्यथा...बेहतरीन कविता
बेहद गहन भाव लिए शानदार अभिव्यक्ति ...
वाह बेहतरीन अभिव्यक्ति दीचंद शब्दों में गहरी बात।----छाँव छोड़कर छाँव की तलाश में,राही उम्रभर तड़पता है अनजानी प्यास में।
आपकी सुंदर सारगर्भित कविता, वृक्षों की उपयोगिता,उनका साथ कितना आवश्यक है,कुछ ही शब्दों में बता गई ।आपको मेरा नमन ।
गागर में सागर जैसी गहन अभिव्यक्ति ।
गहन भाव कविता प्रतीकात्मक शैली
बहुत सुंदर सृजन।छोटे में बहुत कुछ कहती रचना ।
बरगद से माँ-बाप बाँह फैलाए खड़े हैं इंतजार में...और बच्चे अपनी मंजिल अपने जीवनसाथी की तलाश में निकल पड़ते हैं बरगद से माँ-बाप की छाँव छोड़...।क गहन अर्थ समेटे बहुत ही सारगर्भित एवं सार्थक कृतिवाह!!!
अति सुंदर !!
बहुत खूब,बरगद की कोमल एहसास जैसे अपनो के विश्वास को तोड़कर आगे बढ जाते हैं
परोपकारी के पास बहुत बड़ा दिल होता है
वाह!सराहनीय दी।सादर
कहीं वो बरगद हम भी तो नहीं ...
Love to read it, Waiting For More new Update and I Already Read your Recent Post its Great Thanks.
Impressive writing. You have the power to keep the reader occupied with your quality content and style of writing. I encourage you to write more.
आपकी टिप्पणियां नयी उर्जा देती हैं....धन्यवाद
बरगद जहाँ है ठंडक वहीं रह गईं, आगे बढ़ जाने वाले मुसाफिर को पूरे रास्ते अहसास रहेगा.
ReplyDeleteबेहतरीन कविता!
बढिया।
ReplyDeleteराही बेशक बढ़ जाये पर बरगद की छांव कहाँ भूल सकेगा। गहरी कविता।
ReplyDeleteज़िन्दगी की धूप में
ReplyDeleteराही बढ़ जाता है आगे
छाँव की तलाश में
और
बरगद
अपनी बाहें फैलाये
व्वाहहह..
सादर नमन
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteरास्ते और मंजिल की कथा कहती है ये व्यथा...
ReplyDeleteबेहतरीन कविता
बेहद गहन भाव लिए शानदार अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteवाह बेहतरीन अभिव्यक्ति दी
ReplyDeleteचंद शब्दों में गहरी बात।
----
छाँव छोड़कर छाँव की तलाश में,
राही उम्रभर तड़पता है अनजानी प्यास में।
आपकी सुंदर सारगर्भित कविता, वृक्षों की उपयोगिता,उनका साथ कितना आवश्यक है,कुछ ही शब्दों में बता गई ।आपको मेरा नमन ।
ReplyDeleteगागर में सागर जैसी गहन अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteगहन भाव कविता प्रतीकात्मक शैली
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन।
ReplyDeleteछोटे में बहुत कुछ कहती रचना ।
बरगद से माँ-बाप बाँह फैलाए खड़े हैं इंतजार में...और बच्चे अपनी मंजिल अपने जीवनसाथी की तलाश में निकल पड़ते हैं बरगद से माँ-बाप की छाँव छोड़...।
ReplyDeleteक गहन अर्थ समेटे बहुत ही सारगर्भित एवं सार्थक कृति
वाह!!!
अति सुंदर !!
ReplyDeleteबहुत खूब,बरगद की कोमल एहसास जैसे अपनो के विश्वास को तोड़कर आगे बढ जाते हैं
ReplyDeleteपरोपकारी के पास बहुत बड़ा दिल होता है
ReplyDeleteवाह!सराहनीय दी।
ReplyDeleteसादर
कहीं वो बरगद हम भी तो नहीं ...
ReplyDeleteLove to read it, Waiting For More new Update and I Already Read your Recent Post its Great Thanks.
ReplyDeleteImpressive writing. You have the power to keep the reader occupied with your quality content and style of writing. I encourage you to write more.
ReplyDelete