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Friday 23 April 2021

रंगरेज़

 


इश्क़ तो 


खुद है रंगरेज़


रंग देता 


मन को 


जैसे हो केसर ,


रे मन !


कभी तो 


इस रंग के 


समंदर  में उतर । 





26 comments:

  1. उतर तो जाएँ ... फिर कहीं गहरे उतर गए तो बचाएगा कौन? डूबने का खतरा है रे ...

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    1. एक बार डूब जाओ तो बचने की कौन सोचता है 😄😄😄 ।
      और जो पहले बचने की सोचे वो तो शायद उतर ही नहीं सकता । 😆😆

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    2. जे बात 😊😊👌👌👌👌

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    5. मुदिता ,
      ये ... जे बात ... भी जबरदस्त बात है 😄😄😄

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  2. ये तो केसरिया रंग में रंग गयी भई ....😍😍😍 कम शब्दों में पूरा फ़लसफ़ा उतार दिया समर्पण का

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    1. फलसफा उतारना हो तो पूरा उतारो । खाली हाथ पैर मारने से क्या फायदा । डूबो तो ऐसे कि खुद का पता न रहे । 😆😆😆

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  3. समुंदर की
    गहराई नापने की
    उत्सुकता में
    एक बार छू लिया
    मचलते लहरों के सीने को
    तब से हूँ लापता
    विस्तृत समुंदर के
    पाश में आबद्ध :)
    ----
    बेहद खूबसूरत पंक्तियाँ दी।

    सादर।

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    1. प्रिय श्वेता ,

      गहराईयों को ,
      नापने की ख्वाहिश
      लापता कर देती है
      और
      बाँध देती है मन
      न जाने
      किस पाश में ।

      पसंद करने के लिए शुक्रिया । सस्नेह

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  4. जो उतरा इस समंदर में वो पार हुआ !

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    1. केसरिया रंग यूं चढ़ा जो तेरा
      मन खिलखिला यूं बोला मेरा
      डूबती जा इश्क ए समन्दर में
      आखिर यही तो है जहां तेरा

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    2. उषा जी ,
      या तो पर हुआ या डूब गया 😄😄 .

      शुक्रिया ,प्यारी टिप्पणी का ।

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  5. प्रिय संध्या,
    ओहो , क्या बात 👌👌
    मुझे तो लगता जैसे बिना डुबाये मानोगी नहीं 😆😆😆.

    प्यारी टिप्पणी के लिए शुक्रिया ।

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  6. बेहतरीन और लाजवाब भावाभिव्यक्ति । आपके ब्लॉग पर आ कर अभिभूत हो जाता है मन ।

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    1. मीना जी ,
      आप लोगों का स्नेह है । बहुत बहुत शुक्रिया ।

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  7. बहुत सुंदर पंक्तियां,इस समय अगर मन इस समंदर में उतर जाय तो क्या कहने ? और चाहिए क्या जीवन के लिए ।

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  8. शुक्रिया जिज्ञासा , बस उतरता ही तो नहीं इस रंग में 😄😄

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  9. मन इश्क के केसरी रंग के समन्दर में उतरे न उतरे
    हम आपके भावपूर्ण लेखन में उतरते जा रहे हैं
    वाह!!!
    लाजवाब।

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    1. शुक्रिया सुधा जी ,
      इश्क़ लेखन से भी हो सकता है । 😄😄😄

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  10. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, संगिता दी।

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  11. शुक्रिया पुरुषोत्तम जी ।

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  12. बहुत ही सुंदर सृजन।
    सादर

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  13. अति सुगंधित ....

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