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>> Sunday, 2 November 2008

बेचैनिया हद से गुज़र जाती हैं तो
खलिश बन जाती हैं
बेबसी जब बाँध लगाती है तो
चुभन बन जाती है
वक्त को कब कौन रोक पाया है
ऐ मेरे दोस्त
जब वक्त साथ न दे तो
बेवफाई बन जाती है .

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साहिल

>> Thursday, 23 October 2008

हर हंसीं पल में मेरे तू शामिल है ,
मेरे दिल का भी बस तू ही कातिल है ,
तू ही मेरे सीने में दिल बन के धड़कता है,
इन मौजे - लहरों का तू ही साहिल है.

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कश्ती

हद से गुज़र गए हैं लम्हें इंतज़ार के ,
आँखें भी थक गयीं हैं बिन दीदार के ,
ashkon को भी कब तक मैं बाँध कर रखूँ ,
कश्ती डूब रही है बिन पतवार के .

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कसक

>> Wednesday, 22 October 2008

दिल ने फिर तेरे दिल पर दस्तक दी है
तन्हाई ने फिर एक कसक दी है
चाहूँ तेरी बाहों में सिमट जाना
ख़्वाबों ने तेरी फिर कसक दी है ।

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साया

तेरी ही ख्वाहिश की है मैंने तुझे ही चाहा है ,
हर पल तुझको मैंने अपने करीब पाया है ,
बेबसी है अब भी कुछ यूँ मेरी ज़िन्दगी में ,
तू नहीं मेरे साथ सिर्फ तेरा साया है ।

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पैगाम

>> Friday, 17 October 2008

हर आह्ट पे लगता है कि आया है पैगाम,
मदहोश तेरे नशे में बिना पिए ही जाम ,
सूरत तेरी हटती नही मेरी नज़रों के सामने से,
हर बात से पहले आता है तेरा नाम।

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इम्तिहान

लम्हा दर लम्हा हम इम्तिहान देते रहे ,
तेरी दूरी का दर्द भी हम सहते रहे ,
हद से गुज़र गई है दर्दे गम की बरसात ,
हर पल में न जाने कितनी बार मरते रहे ।

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