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उदासी के जाले

>> Sunday, 28 August 2011




वक्त के हाथों 
पड़ गए थे 
आँखों में 
उदासी के जाले
आज उन्हें 
धो - धो कर 
निकाला है, 
चेहरे  की 
नमी को 
हकीकत की 
गर्मी से 
सुखाया है .

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अजनबी ...

>> Tuesday, 9 August 2011




तल्ख़ जुबां 
करती है असर 
जब होता है 
अपनापन 
कहीं न कहीं 
जब हो गए 
अजनबी 
तो सच ही 
तल्खी जाती रही ..

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चटख धूप

>> Tuesday, 2 August 2011




यादों की चादर में 
समेट लायी हूँ 
खुशियों की 
चटख धूप 
गम के 
बादलों की ओट से 
उग आया है 
एक सतरंगी 


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केसरिया चावल

>> Saturday, 9 July 2011


सोचा था 
मन की  हांड़ी में 
ज़िंदगी का केसरिया 
चावल पकाऊँगी  खास 
पर न केसरिया 
प्रेम मिला 
और न ही 
भावनाओं की मिठास .

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चवन्नियां ख्यालों की

>> Friday, 1 July 2011

    


पोटली में बंधी चवन्नियां 
खनखनाती  हैं ज्यों 
ख्याल भी मेरे मन में 
कुछ इसी तरह बजते हैं 
रही नहीं कीमत 
जैसे अब  उनकी 
मेरे ख्याल  भी 
धराशायी  हो गए हैं ..



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दंश ..

>> Tuesday, 24 May 2011




जब  भी 
मन के 
चूल्हे पर 
मैंने 
ख़्वाबों क़ी
रोटी  सेकी
तेरे 
दंश भरे 
अंगारों ने 
उसे जला डाला ...


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हरसिंगार से ख्वाब

>> Tuesday, 10 May 2011



हरसिंगार से 

मेरे ख्वाब 

महकते रहे 

सारी रात 

पर सुबह  के 

सूरज ने आ 

उन्हें मिट्टी में 

मिला दिया 

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