बहुत सुन्दर, वैसे सच्चाई यह है कि छतीस का जोड़ा अगर पीठ घुमाने लगे तो अंगरेजी का आठ नजर आता है, तभी तो बुढापे को भी बचपन की तरह देखा जाता है :) ,हाँ,समन्वय से बेहतर और क्या हो सकता है !
छत्तीस का तिरसठ होना , बात है नसीब की दुवाएं काम आती हैं , इसमें तो हबीब की. पाँच - सात - पाँच में जो ख्वाब हैं बुने हुए ताबीर ख्वाबों को मिले, दुवा है एक गरीब की.
हार्दिक शुभकामनायें...३६ सालों के लिए...३६ का ६३ बनना भी मुकम्मल है...क्योंकि तब तक दोनों एक-दूसरे को भली भाँति जान चुके होते हैं...वानप्रस्थ की राह भी सहज बन जाती है...आंकड़ों का बढ़िया खेल...हाइकु में..
हाइकु में आपने महारत हासिल कर ली है। कम शब्दों में मन की बातें किस खूबी से इस विधा में उतारी जा सकती है वह इन हाइकु में देखा जा सकता है। *** अगर मैं ग़लत नहीं हूं तो आज शुभ दिन है ... और मैं कह सकता हूं ... MANY HAPPY RETURNS OF THE DAY!
वैवाहिक प्रेम आपका घर कभी न छोड़े और खुशियां हमेशा वहां टिकी रहें ।
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बहुत बहुत धन्यवाद् की आप मेरे ब्लॉग पे पधारे और अपने विचारो से अवगत करवाया बस इसी तरह आते रहिये इस से मुझे उर्जा मिलती रहती है और अपनी कुछ गलतियों का बी पता चलता रहता है दिनेश पारीक मेरी नई रचना
कुछ अनकही बाते ? , व्यंग्य: माँ की वजह से ही है आपका वजूद: एक विधवा माँ ने अपने बेटे को बहुत मुसीबतें उठाकर पाला। दोनों एक-दूसरे को बहुत प्यार करते थे। बड़ा होने पर बेटा एक लड़की को दिल दे बैठा। लाख ...
Waqayee aisa ho sakta hai....?
ReplyDeleteबहुत सुंदर,अर्थपूर्ण हाइकु ,
ReplyDeleteummid par duniya tiki hai..jha chah whaa raah...sundar haaiku...
ReplyDeleteगहरा उतरता शब्दों का सीधापन..
ReplyDeleteहायकू के माध्यम में इतने कम शब्दों में भी आपने गंभीर विचारों को प्रेषित करने में सफलता पाई है. बहुत सुंदर प्रस्तुति. बधाई.
ReplyDeleteचाह अवश्य मुकम्मल हों...शुभकामनाएँ!!
ReplyDeleteसुंदर भावपूर्ण हाइकु!
बहुत सुन्दर, वैसे सच्चाई यह है कि छतीस का जोड़ा अगर पीठ घुमाने लगे तो अंगरेजी का आठ नजर आता है, तभी तो बुढापे को भी बचपन की तरह देखा जाता है :) ,हाँ,समन्वय से बेहतर और क्या हो सकता है !
ReplyDeleteआज वैवाहिक वर्षगांठ है या जन्मदिन या दोनों ?
ReplyDeleteबधाई और शुभकामनायें ।
वाह संगीता जी...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..
हायेकु में भावनाएं भरना आसान नहीं..
मगर आपके लिए क्या मुश्किल है...
३६ के आंकड़े को पाना भी नहीं :-)
शुभकामनाएँ
मुकम्मल हाइकु .अत्यंत सुन्दर ..
ReplyDeleteपुरे जीवन का सार कहकर आगामी जीवन की सुन्दर कल्पना भी कर दी है हाइकु में||अत्यंत सुन्दर हाइकु||
ReplyDeleteto aap yahan bhi baazi maar rahi hain
ReplyDeleteडा0 दराल
ReplyDeleteअब जन्मदिन तो हो नहीं सकता ...बाकी आप समझदार हैं ।
सभी पाठकों का आभार
वैवाहिक वर्षगांठ की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteकरते दुआ
तिरसठ की चाह
हो मुकम्मल
षष्ठी पूर्ति
मने सबके संग
हो आनन्द
हर्षित मन
रौशन नेह दीप
खिले बसंत
आपके हाइकू देख मन मे आया एक कोशिश की जाये और आपको इसी विधा मे शुभकामनायें दी जायें ……आज का यही उपहार है आपको मेरी तरफ़ से :))))
तिरसठ और छत्तीस .... उलट फेर है कुछ ...जो भी है उसकी बधाई ... और ये विधा तो आपके हाथों जैसे खिलौना ...
ReplyDeletebahut sundar 63 aur 36 ke samanvay kee haaikoo apane soch ko bahut achchhe se ujagar kar rahi hai. bahut sundar dhang se prastut kiya.
ReplyDeleteaabhar.
इस छत्तीस के लिए छत्तीस तरह की शुभकामनाएं स्वीकार करें।
ReplyDelete63 और 36 समय-समय की बात ,हम सबकी शुभ-कामना रहे दोंनो के ही साथ!
ReplyDeleteछत्तीस का तिरसठ होना , बात है नसीब की
ReplyDeleteदुवाएं काम आती हैं , इसमें तो हबीब की.
पाँच - सात - पाँच में जो ख्वाब हैं बुने हुए
ताबीर ख्वाबों को मिले, दुवा है एक गरीब की.
अर्थपूर्ण बेहतरीन हाईकू ! यह छत्तीस सदैव तिरसठ ही बना रहे और समन्वय का संतुलन कभी ना डगमगाए यही शुभकामना है ! बहुत सुन्दर !
ReplyDeletearth poorn haaiku
ReplyDeleteलगता है आज आपके विवाह की छत्तीसवीं वर्षगांठ है। बधाई हो। उक्त सुन्दर और सारगर्भित पंक्तियों के लिए भी।
ReplyDelete63 और 36 समय-समय की बात ,हम सबकी शुभ-कामना रहे दोंनो के ही साथ!बहुत सुंदर और सार्थक हाईकू...
ReplyDeleteCongratulation and many happy returns of the day Sangeeta ji !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर दी..
ReplyDelete:)
सोचती हूँ मैं
ReplyDeleteछत्तीस का आंकड़ा
फिराए पीठ |
arthpurn rachna badhai ho ....
bhut sari bdhaiyan....................
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें...३६ सालों के लिए...३६ का ६३ बनना भी मुकम्मल है...क्योंकि तब तक दोनों एक-दूसरे को भली भाँति जान चुके होते हैं...वानप्रस्थ की राह भी सहज बन जाती है...आंकड़ों का बढ़िया खेल...हाइकु में..
ReplyDeleteअसली ६३ और ३६ हिंदी गिनतियों में ही बनता है...
बीता समय
ReplyDeleteतिरसठ की चाह
मुक्कमल हो |
bhagwan se prarthana hai ye 63 ki chaah awashy puri ho.
MANY MANY HAPPY RETURNS OF THE DAY.
(SORRY FOR LATE)
हाइकु में आपने महारत हासिल कर ली है। कम शब्दों में मन की बातें किस खूबी से इस विधा में उतारी जा सकती है वह इन हाइकु में देखा जा सकता है।
ReplyDelete***
अगर मैं ग़लत नहीं हूं तो आज शुभ दिन है ... और मैं कह सकता हूं ...
MANY HAPPY RETURNS OF THE DAY!
वैवाहिक प्रेम आपका घर कभी न छोड़े और खुशियां हमेशा वहां टिकी रहें ।
गंभीर विचारों की बहुत सुंदर प्रस्तुति ,
ReplyDeleteNEW POST....
...काव्यान्जलि ...: बोतल का दूध...
...फुहार....: कितने हसीन है आप.....
बहुत सुन्दर ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ..
ReplyDelete(SORRY FOR LATE) "..... :( " MANY MANY HAPPY RETURNS OF THE DAY..... :):) " thode me bahut jyaadaa likh din aapne.... !!
ReplyDeleteAS alwyas Mam........wonderful
ReplyDeleteजब ३६ का आंकड़ा निकल ही गया तो ६३ भी जरुर आ ही जायेगा.:)
ReplyDeleteगज़ब लिखा है.
वसंत भी था
ReplyDeleteसमायोजन यह
पतझड़ भी!
बहुत सुंदर, हाइकु ....
ReplyDeletedi
ReplyDeleteaapko bahut bahut hi hardik badhai
ye jivan yun hi chalta rahe nirantar---
poonam
कोई भी काम नामुमकिन नहीं होता! चाहने से हर मुश्किल काम आसान हो जाता है! बहुत सुन्दर हाइकु!
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeleteतिरसठ और छत्तीस को लेकर सुंदर हाइकू बनाए,
ReplyDeleteविवाह की वर्षगांठ पर हार्दिक शुभ कामनाएं ।
वैवाहिक वर्षगाँठ की बहुत शुभकामनायें !
ReplyDeleteछत्तीस के आंकडें में भी छत्तीस का समन्वय बना रहता है !
एक सकारात्मक सोच को लेकर आगे बढते कदम |
ReplyDeleteसुन्दर रचना |
bahut hi sundar ...sundar drishyon ke sath apne mukammal mukam tk pahuchati rachana.....badhai Sangeeta ji.
ReplyDeleteदेर से आयी हूं, कारण बाहर थी। आपको विवाह की वर्षगांठ की ढेरों बधाई।
ReplyDeletemanoram hai ku .kamal hai ek shabd se itne sunder haiku
ReplyDeletebadhai
rachana
बहुत सुन्दर ...
ReplyDeleteछतीस साल
ReplyDeleteतिरसठ की चाह
माज़रा क्या ?
आगे का वक्त
ReplyDeleteसमन्वय करते
गुजारें हम |waah bdi achchi chah hai sangeeta jee bahut hi achchi bahut-bahut shubhkamna.
क्या बात है संगीता जी!!! कमाल हाइकू लिखती हैं आप!!!
ReplyDeleteआगे का वक्त
ReplyDeleteसमन्वय करते
गुजारें हम |
...बहुत सुन्दर हाईकू!...सभी बहत सुन्दर और अर्थपूर्ण है...बधाई!
भावभरे सुंदर हाइकू !
ReplyDeleteहाइकू आपके पहली बार पढ़े... बहुत सुन्दर लगे...
ReplyDeleteआपके विचार से प्रभावित हूँ...
ReplyDeleteबढ़िया हाईकु...आगे का वक्त गुजरेगा समन्वय में जी.
ReplyDeleteअति उत्तम,सराहनीय प्रस्तुति,
ReplyDeleteNEW POST काव्यान्जलि ...: चिंगारी...
Lmbi bimari ke baad aap sabko padhne ka avsar mila...Bahut khub likha hai...
ReplyDeletegagar me sagar...holi ke rango see bibidhata liye...sadar badhayee aaur holi kee dher sari shubkehkamnaon ke sath
ReplyDeleteSabhi Hyku Behtreen ,
ReplyDeleteबहुत सुंदर मर्मस्पर्शी हाईकू...
ReplyDeleteहार्दिक बधाई..
seedhi bhasha me gahri vicharabhivyakti...ati sundar
ReplyDeleteरिश्तों का परिचय खूबसूरती से दिया है आपने...होली की शुभकामनायें
ReplyDeletesabhi laazqaab
ReplyDelete.कमाल के हाइकू, स:परिवार होली की हार्दिक शुभकानाएं......
ReplyDeleteबहुत सुंदर हाइकू प्रस्तुति,
ReplyDeleteहोली की बहुत२ बधाई शुभकामनाए...संगीता जी
RECENT POST...काव्यान्जलि ...रंग रंगीली होली आई,
.
ReplyDeleteआपके हाइकु (हाईकू) ध्यान खींचने में सफल होते हैं
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♥ होली ऐसी खेलिए, प्रेम पाए विस्तार ! ♥
♥ मरुथल मन में बह उठे… मृदु शीतल जल-धार !! ♥
आपको सपरिवार
होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
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रंगपर्व पर आपको ढेरों शुभकामनाएं...
ReplyDeletemarmsparshi.....
ReplyDeleteholi ki shubhkamnayen.. di..:)
waah ... bahut khoob... aabhar
ReplyDeletekya baat hai.....
ReplyDeleteआदरणीया संगीता जी बहुत सुन्दर गागर में सागर भरना तो आप की प्रधानता है ...बहुत शुभ कामनाये सब कुछ सुन्दर बीत जाए ..३६ का आंकड़ा न रहे कभी
ReplyDeleteभ्रमर ५
आदरणीया संगीता जी बहुत सुन्दर गागर में सागर भरना तो आप की प्रधानता है ...बहुत शुभ कामनाये सब कुछ सुन्दर बीत जाए ..३६ का आंकड़ा न रहे कभी
ReplyDeleteभ्रमर ५
इस प्रस्तुति में एक भावुक लगाव है..... हाइकू के माध्यम से भावनाएं इज़हार करना का आभार.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर हाइकू और मतलब बहुत शानदार जानदार
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद् की आप मेरे ब्लॉग पे पधारे और अपने विचारो से अवगत करवाया बस इसी तरह आते रहिये इस से मुझे उर्जा मिलती रहती है और अपनी कुछ गलतियों का बी पता चलता रहता है
ReplyDeleteदिनेश पारीक
मेरी नई रचना
कुछ अनकही बाते ? , व्यंग्य: माँ की वजह से ही है आपका वजूद: एक विधवा माँ ने अपने बेटे को बहुत मुसीबतें उठाकर पाला। दोनों एक-दूसरे को बहुत प्यार करते थे। बड़ा होने पर बेटा एक लड़की को दिल दे बैठा। लाख ...
http://vangaydinesh.blogspot.com/2012/03/blog-post_15.html?spref=bl