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Saturday 28 January 2012

बसंत एक रंग अनेक ( हाईकू )




पीत वसन 
उल्लसित  है मन 
बसंत आया 

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श्रीहीन मुख 
गरीब का बसंत 
रोटी की चाह .

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फूली सरसों 
खेतों में हरियाली 
खिला  बसंत 

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भूखे किसान 
करते आत्महत्या 
बसंत कहाँ ? 

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आम आदमी 
रोज़ी-रोटी की फ़िक्र 
भूला  बसंत .

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66 comments:

  1. संगीता दी,
    वसंत का यह रूप आपने ही दिखाया
    हमने तो इस रूप से सदा जी चुराया!
    आपकी इन हाइकू में अद्भुत कंट्रास्ट है
    कहीं वसंत की खुनक है
    कहीं आम आदमी का त्रास है!

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  2. सुन्दर, आपको वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाये !

    भेद है इसमें गहरा अनंत,

    बलशाली,निर्बल का बसंत !

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  3. अमीरों का कैसा हो बसंत
    गरीबों का कैसा है बसंत

    हाइकु में इसपर सार्थक प्रकाश डाला है|
    बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  4. वाह ..बहुत बढिय़ा

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  5. बसंत की खट्टी -मिट्ठी बाते ,आपके ही बस की बात हैं दी.ऐसा सामंज्यस आपकी लेखनी ही दिखा सकती हैं ..बसंत-उत्सव की हार्दिक शुभकामनाए....

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  6. बसंत के कई रूप ...
    श्रीहीन मुख
    गरीब का बसंत
    रोटी की चाह .

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  7. बसंती पर्व की शुभकामनायें| सारगर्भित पोस्ट है इस पर क्या कहूँ , इतनी विभिन्नता और हमारी सोच ये हम कहाँ जा रहे हैं|मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है |

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  8. सुन्दर हाइकू, बसन्त की ताजगी वाले..

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  9. सभी हाइकु बहुत अच्छे लगे आंटी।


    बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।

    सादर

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  10. बंसतोत्‍सव की अनंत शुभकामनाऍं

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  11. बहुत सुन्दर।
    आज सरस्वती पूजा निराला जयन्ती
    और नज़ीर अकबारबादी का भी जन्मदिवस है।
    बसन्त पञ्चमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  12. सुन्दर सच कहूँ या आज का विद्रूप सच...?

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  13. कही बसंत कही दर्द.. सच दर्शाती रचना...

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  14. कहीं बसंत बहार , कहीं रोटी की गुहार ।
    बहुत सुन्दर हाइकु पेश किये हैं ।

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  15. बेहतरीन हाइकु... बसंत का स्वागत!

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  16. कुछ भी पूर्ण नहीं है यहाँ -वसंत भी !

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  17. बहुत बहुत बढ़िया संगीता जी..
    सच है कहीं वसंत है तो कही पतझड़ ही है..
    आप पर और आपकी लेखनी पर सदा माँ सरस्वती की कृपा बनी रहे.
    सादर.

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  18. अट्टालिकाओं से लेकर झोपड़ी तक व्याप्त है वसंत।
    बस चाह अलग है दोनों की।

    सुंदर भाव

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  19. क्या कहूँ ………गज़ब के हाइकू हैं निशब्द करते और मन को आन्दोलित भी करते।बसन्त पञ्चमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  20. बेहतरीन अभिव्यक्ति बहुत अच्छी रचना,..
    वाह!!!!सुंदर कंट्रास्ट ...बसंत का,..बहुत खूब
    --26 जनवरी आया है....

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  21. आग्रहों से दूर वास्तविक जमीन और अंतर्विरोधों के कई नमूने प्रस्तुत करता है।

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  22. समाज की विसंगतियों पर बिलकुल सही एंगिल से प्रकाश डाला है संगीता जी ! बहुत ही प्रभावशाली हाइकू हैं ! वसन्त पंचमी की शुभकामनायें स्वीकार करें !

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  23. बसंत कहाँ ?
    सच! ये वेदना कौन समझे!

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  24. सुन्दर.....!!बहुत खूब!!

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  25. बहुत मार्मिक ...आम आदमी
    रोज़ी-रोटी की फ़िक्र
    भूला बसंत .

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  26. आजकल हाइकू पर मेहरबान हैं दी !..जाहिर है लाजबाब होंगे.

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  27. वंसत है
    या कोई संत
    रहेगा यह अनंत

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  28. मुबारक हो
    बसंत पंचमी का
    शुभ दिवस.

    हर हाइकू
    पूनम सा सुंदर
    मावस भी है.

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  29. श्रीहीन मुख
    रोटी की चाह
    गरीब का कैसा वसंत !
    सबकी अपनी अपनी पीडाएं ...

    बेहतरीन अभिव्यक्ति !

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  30. प्यारे हाइकु
    बधाई वसंत की
    खूब लिखा है

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  31. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति
    आज चर्चा मंच पर देखी |
    बहुत बहुत बधाई ||

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  32. भूखे किसान
    करते आत्महत्या
    बसंत कहाँ ?

    हृदयस्पर्शी हाइकु.....सच उनके लिए कैसा बसंत ..?

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  33. वसंत के के दोरंग.... कहीं खिला तो कहीं मुरझाया...

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  34. सत्य वचन |
    गरीबो के लिए कैसा वसंत ?
    दो रूप स्पस्ट कर दिए है आपने
    वसंत के..
    बेहतरीन

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  35. खूबसूरत बसंती हाइकू ... आम आदमी के लिए क्या बसंत क्या सूखा ...

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  36. मन को छू जाने वाली रचना।
    बहुत सुंदर

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  37. हर तरफ
    हर व्यक्ति उमगे
    ऐसा हो अब की बसंत...

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  38. alag-alag roop men vasant......bahot khoobsurat.

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  39. बहोत अच्छे ।

    नया ब्लॉग

    http://hindidunia.wordpress.com/

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  40. vasant ke kitne rang....sab kisi na kisi rang me range hai...sochniy prastuti....

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  41. अब इसके बाद कुछ रहा नहीं बसंत के बारे में कहने को।

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  42. श्रीहीन मुख
    गरीब का बसंत
    रोटी की चाह .
    bahut khub ....

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  43. गहन अर्थ संजोये बहुत सुन्दर हाइकु...

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  44. basant aapke jeevan me barah mahine chaya rahe aisee hee mangal kamna hai .

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  45. zindgi ke kaee rup ek sath dikhaye aap ne, aabhaar....

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  46. naye blog par aap saadar aamntrit hai,aaiyega....

    गौ वंश रक्षा मंच
    gauvanshrakshamanch.blogspot.com

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  47. हर मोसुम सबके लिए एक सा नहीं होता ... इस बात को बहुत ही खूबसूरती से सजाया है आपने

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  48. इस सार्थक पोस्ट के लिए बधाई स्वीकार करें.

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  49. बहुत सुन्दर हाइकु लिखा है आपने ! चित्र भी बढ़िया लगा ! आज के हालत पर सटीक चित्रण !

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  50. बहुत सुन्दर हाईकू....

    देर से ही सही...
    वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाये !

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  51. फूली सरसों
    खेतों में हरियाली
    खिला बसंत

    बहुत खूब ...संगीता जी ....

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  52. आम आदमी
    रोज़ी-रोटी की फ़िक्र
    भूला बसंत .shi bat.

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  53. बहुत ही सुन्दर विचारों की..सुन्दर प्रस्तुति!....

    मेरा एक मनोरंजक पोस्ट देखिए....
    http://arunakapoor.blogspot.in/

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  54. वसंत का यह विरोधी स्वर आह !

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  55. सन् 2012 हाइकु से मेरी भेंट हुई थी..


    सुन्दर काव्य

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  56. १० साल पहले लिखे हाइकु आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, दिखने वाला और महसूस करने वाला । सच दो बसंत तो होता ही है । बहुत सुंदर हाइकु यथार्थ का दृश्य दिखा गए ।

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  57. वास्तविकता को दर्शाती बहुत ही बेहतरीन रचना

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  58. बेहतरीन हायकू !!
    वाह !!अंदाज ए बयाँ बेहद खूबसूरत । मेरी जानिब से बेशुमार दाद आओके लिए आदरणीय👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌

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