बड़े जतन से
छिपा रखी थी
एक पोटली
मन के किसी कोने में
खोल दी आज
गिरह लबों की
खुलते ही गाँठ
सारे शिकवे - शिकायतें
चाहे - अनचाहे
ख्वाब और ख्वाहिशें
बिखर गए सामने ।
उठा कर नज़र से
एक एक को
समेट ही तो लिया
तुमने बड़े करीने से ,
बस -
मन बासन्ती हो गया ।
संगीता स्वरुप
10 - 02- 21
अरसे बाद खूबसूरत ब्लॉग पर बसंती छटा बिखेरती कविता। जारी रखियेगा। मन का बसंत भी और ब्लॉग लिखना भी ।
ReplyDeleteअब तो पूरा बसन्त ही छा गया ।
Deleteक्या बात,क्या बात👌👌
Deleteबहुत ही खूबसूरत तरीके से वसंत पर मनोभावों का काव्य द्वारा भव्य चित्रण...💐💐👍👍💐💐
शुक्रिया अंजू , तुम्हारी टिप्पणी बहुत मायने रखती है ।
Deleteमन बासन्ती हो गया...बहुत खूब👌👌
ReplyDeleteबस जी लिखना सफल हो गया ।
Deleteवाह क्या कहने 👌👌
ReplyDeleteबसंत आया, आप आये, बस अब तो हर तरफ़ रौनक हो गई
स्नेहिल शुभकामनाएं 🙏🏼🙏🏼
सीमा , सच ही पुराने दिन याद तो आ रहे । इतनी प्यारी प्रतिक्रिया के लिए हृदय से शुक्रिया।
Deleteवाह , बहुत खूब
ReplyDeleteआभार। ,सतीश जी ।
Deleteबहुत बसंती गीत लिखा !
ReplyDelete- रेखा श्रीवास्तव
शुक्रिया रेखा जी ।
Deleteबहुत सुन्दर वासन्ती रचना।
ReplyDeleteआभार शास्त्री जी ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर ..वासंती भाव
ReplyDeleteशुक्रिया मोनिका
Deleteआनंद आ गया पढ़कर … ब्लाग पर लौटना पुरानी यादें ताज़ा कर रहा है।
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया प्रतुल जी
ReplyDeleteबासमती मन को बसंतागमन की ढेर सारी बधाई । ख्वाहिशों , ख्वाबों के ये बिखरे मोती, किसी नज़र से सिमटकर , जब प्रेम सूत्र में बंध जाते हैं ,तो जीवन का श्रंगार बन जाते हैं ।
ReplyDeleteहर लफ्ज़ को आत्मसात कर इतनी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए दिल से शुक्रिया ।
ReplyDeleteवाकई बहुत अच्छा लिखती हैं आप ।
Please read बासमती as बासंती 🙏
ReplyDeleteकितने दिन बीत गए ब्लॉग पर आपसे मुलाकात हुए....
ReplyDeleteसुस्वागतम् आदरणीया 🙏
शुक्रिया , डॉ0 वर्षा सिंह जी
ReplyDeleteआदरणीया संगीता स्वरुप ( गीत ) जी,
Deleteसुस्वागतम् 🙏
एक लम्बी अवधि के बाद ब्लॉग जगत में आपके पुनरा्गमन करने और मेरे ब्लॉग पर पधारने के लिए हार्दिक धन्यवाद 🙏
अपने ब्लॉग पर आपकी टिप्पणी के ज़रिए आपकी उपस्थिति को महसूस करना वाकई शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकने वाला अहसास है।
बस यही कहना चाहूंगी कि इसी तरह ब्लॉग जगत से सम्बद्ध रह कर हम सभी का मार्गदर्शन करती रहें।
मेरे दोहों को पसन्द करने के लिए हृदयतल की गहराइयों से आपके प्रति हार्दिक धन्यवाद 🙏
सादर,
शुभकामनाओं सहित,
डॉ. वर्षा सिंह
मेरा भी मन बासंती हो उठा
ReplyDeleteबस यही तो चाह रही थी रश्मि जी
ReplyDeleteवासंती रंग बिखर गया मन वासंती हो गया
ReplyDeleteस्वागत वसंत....
वाह , तुमको यहाँ देखा तो मन स्वयं वासंती हो गया । शुक्रिया संध्या ।
ReplyDeleteवाह..आपकी रचना से इतने मन बासंती हुए कि कोई बचा ही नहीं..सुन्दर मनमोहनी रचना.. बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें..
ReplyDeleteबहुत स्नेह जिज्ञासा । शुक्रिया यहाँ भी पहुँचने का ।
ReplyDeleteइसलिए तो सब खींचा चला आया ।
ReplyDeleteशुक्रिया अमृता जी ।
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