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Saturday, 20 February 2021

मन पलाश

 


बदला तो नहीं
कुछ भी ऐसा 
फिर - 
क्यों हो रहा 
भला ये बसन्त ? 
बस मैंने
भरे घट से 
उलीच दिए थे
दो अंजुर भर 
कसैले शब्द ,
और मन 
पलाश  हो गया ।




42 comments:

  1. ...और मन पलाश हो गया ...बहुत सुन्दर रचना👌👌

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  2. और अब तक दहक रहा - प्रेम,इंतज़ार,ख्वाबों के संग

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  3. आपके शब्द और रंग भर देते । आभार ।

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  4. सस्ते में मिल गया पलाश। भर लो अंजुरी। गहरी क्षणिका

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  5. यहाँ तो अंजुरी भर निकालने में लगे न जाने क्या क्या 😆😆 ।यहाँ तक आने का शुक्रिया ।

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  6. सुंदर रचना 🌹🙏🌹

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  7. आदरणीय/ प्रिय,
    कृपया निम्नलिखित लिंक का अवलोकन करने का कष्ट करें। मेरे आलेख में आपका संदर्भ भी शामिल है-
    मेरी पुस्तक ‘‘औरत तीन तस्वीरें’’ में मेरे ब्लाॅगर साथी | डाॅ शरद सिंह
    सादर,
    - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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  8. और मन पलाश हो गया ।
    वाह !! सुन्दर अभिव्यक्ति ।
    👌👌👌👌👌👌👌

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया पसंद करने के लिए ।

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  9. मन पलाश होने के लिए बस यही तो करना होता है फिर हर मन का हर मौसम वासंती - वासंती ...

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    1. शुक्रिया संध्या , मन वासंती करने के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़ते ।

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  10. वाह। सुन्दरम।

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    1. गिरीश जी आपका मेरे ब्लॉग तक आना पुरस्कार से कम नहीं ।आभार ।

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  11. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (22-02-2021) को "शीतल झरना झरे प्रीत का"   (चर्चा अंक- 3985)    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
     आप अन्य सामाजिक साइटों के अतिरिक्त दिल खोलकर दूसरों के ब्लॉगों पर भी अपनी टिप्पणी दीजिए। जिससे कि ब्लॉगों को जीवित रखा जा सके।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

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  12. सीखने की बात है ..कसैलापन गया और वसन्त आया , बहुत सुंदर

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    1. ऐसा करना भी कभी कभी ज़रूरी हो जाता है । बहुत शुक्रिया मोनिका ।

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  13. अति उत्तम , लाजवाब रचना, इसके भाव शब्द मन को छू रहे है, नमन संगीता जी बधाई हो

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    1. ज्योति , तहेदिल से शुक्रिया ।

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  14. वाह ! हृदय को खोल देने भर से ही तो प्रेम छलक जाता है

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    1. कितने ,अच्छे से आपने बात कह दी । आभार अनिता जी ।

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  15. बहुत सुंदर हृदयग्राही कविता

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  16. यही तो प्रत्यक्ष चमत्कार है । अति सुन्दर भाव ।

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    1. आपकी प्रतिक्रिया से हौसलाफजाई हुई ।आभार ।

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  17. बहुत सुंदर रचना

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  18. बस मैंने
    भरे घट से
    उलीच दिए थे
    दो अंजुर भर
    कसैले शब्द ,
    और मन
    पलाश हो गया ।
    मन का पलाश हो जाना ... अहा अप्रतिम ...

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    1. सीमा , तुम्हारी ये अहा बहुत कुछ कह गयी । शुक्रिया ।

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  19. भटकते हुए भावों को इन्हीं शब्दों की तलाश थी ..और आपकी अनुपम कृति से मेरा मन भी पलाश हो गया..

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    1. भावों को ठौर मिले, इससे बढ़िया क्या बात । शुक्रिया जिज्ञासा ।

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  20. बहुत बहुत सुन्दर

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