रिश्ते हैं यहाँ
अपेक्षाओं से भरे
दम तोड़ते
*************
भावुक मन
संवेदना से भरा
बरस गया ।
****************
रेत ही रेत
पलकों में समाई
खुश्क हैं आँखें
................
मौन उवाच
है ज्यादा कष्टकारी
कुछ कहो ना !
मौन उवाच
ReplyDeleteहै ज्यादा कष्टकारी
कुछ कहो ना ! waah sangeeta jee gagar men sagar......excellent expression.
मौन उवाच
ReplyDeleteहै ज्यादा कष्टकारी
कुछ कहो ना !
यही दूरी पाटनी मुमकिन नही हो पाती…………बहुत खूबसूरत हाइकू।
आपके सभी हाइकु बहुत भावपूर्ण हैं संगीता स्वरूप जी !
ReplyDeleteरेत ही रेत
ReplyDeleteपलकों में समाई
खुश्क हैं आँखें ......
खुश्क आँखों में रेत ही रेत .....इस पीड़ा को समझा जा सकता है....
सुंदर प्रस्तुति......
स: परिवार नवसंवत्सर २०६९ की हार्दिक शुभकामनाएँ|
भावुक मन
ReplyDeleteसंवेदना से भरा
बरस गया ।
****************
रेत ही रेत
पलकों में समाई
खुश्क हैं आँखें
................
शानदार भाव !
बेहद खूबसूरत
ReplyDeleteमौन उवाच
ReplyDeleteहै ज्यादा कष्टकारी
कुछ कहो ना
यही तो साडी समस्या होती है.
बेहद प्रेक्टिकल और सटीक हाइकू.
संवेदनशील हाइकु
ReplyDeleteजीवन को निचोड़ दिया आपने !
ReplyDeleteशुभकामनाएँ!
संवेदनाएं झलकाती हाईकुएं..
ReplyDeleteअभिव्यक्ति का ये पाकेट साईज वर्जन आपके कब्ज़े में है ऐसा प्रतीत होता है.
ReplyDeleteमौन उवाच
ReplyDeleteहै ज्यादा कष्टकारी
कुछ कहो ना !
मन में गहरे उतरते हाइकू संगीता जी ! बहुत ही खूबसूरत ! नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें !
तस्वीरों के साथ सुन्दर हाइकु --यानि हाइगा --बेहतरीन .
ReplyDeleteसभी बेहद खूबसूरत है संगीता जी ...
ReplyDeleteरिश्ते हैं यहाँ
ReplyDeleteअपेक्षाओं से भरे
दम तोड़ते
....जीवन के यथार्थ और पीड़ा को बहुत गहनता से उकेरा है...सभी हाइकु बहुत सुंदर और मर्मस्पर्शी...आभार
तीन पंक्तियाँ
ReplyDeleteबस सत्रह वर्ण
पूरी दुनिया
बहुत सुन्दर हाईकू हैं दी...
सादर.
नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएँ|
ReplyDeleteसंगीता जी!बहुत ही खूबसूरत संवेदनशील हाईकू हैं|
रेत ही रेत
ReplyDeleteपलकों में समाई
खुश्क हैं आँखें ......
खुश्क आँखों में रेत ही रेत .....इस पीड़ा को समझा जा सकता है....
सुंदर प्रस्तुति......
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,,......
नव वर्ष कि बहुत बहुत शुभकामनाएँ
my resent post
काव्यान्जलि ...: अभिनन्दन पत्र............ ५० वीं पोस्ट.
हाइकू बहुत पसंद आये....
ReplyDeleteजापानी काव्य के इस छंद में भावों को पिरोने का अभ्यास करने का मेरा भी मन है.
संवेदनशील हायकू
ReplyDeleteनव संवत की हार्दिक शुभकामनाएँ आंटी!
सादर
वाह ...बहुत खूब ... सभी एक से बढ़कर एक हैं ...
ReplyDeleteहर एक पंक्ति अपने आप मे एक गहन बात को दर्शा रही है बहुत ही बढ़िया हाइकू....
ReplyDeleteमौन उवाच
ReplyDeleteहै ज्यादा कष्टकारी
कुछ कहो ना !
बहुत अच्छे...सभी हाइकु सत्य के बेहद करीब|
Bahut sundar
ReplyDeleteसंवेदनशील और सीधे दिल में उतरती है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर हायकू... गहन भाव लिए हुए हैं हर एक शब्द...आभार संगीताजी
ReplyDeleteनव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें...
बहुत ही गहरे भाव लिए हुए... सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeletekuch kaho n ... haaiku me bhi dam hai
ReplyDeleteबहुत सुंदर संगीता जी.. आप के हाइकू, हाइकू विधा को पूरी तरह से सार्थक करते हैं... छोटा सा छंद अपने आप में पूरा का पूरा सारांश समेट लेता है. मौन के सन्दर्भ में ही मेरी कुछ पंक्तियाँ आप के साथ बांटना चाहती हूँ...
ReplyDeleteख़ामोशी में
दम घुटता है..
मुँह खोल दो कुछ बोल दो ...
कुछ नहीं तो, आरोप ही कोई मढो
पर कुछ तो कहो..
चुप मत रहो...
सादर
मंजु
gagar men sagar bhar di aapne to......
ReplyDeleteमौन उवाच
ReplyDeleteहै ज्यादा कष्टकारी
कुछ कहो ना !
Bahut Sunder...
मौन उवाच
ReplyDeleteहै ज्यादा कष्टकारी
कुछ कहो ना !
bahut sundar !!
मौन उवाच
ReplyDeleteहै ज्यादा कष्टकारी
कुछ कहो ना !
khuchh bhi n kaho......!!
दी,
ReplyDeleteक्या कहूँ मैं
दिल खुश हुआ
वाह भई वाह!!
दिल से निकली बातें, सीधे दिल तक पहुंची। मौन कैसे रहा जाए ....
ReplyDelete' कुछ कहो ना !'
ReplyDelete- बस यों ही कहती रहना ,चुप्पी मत ओढ़ लेना !
मौन का संवाद सर्वाधिक है..
ReplyDeleteनव संवत्सर का आरंभन सुख शांति समृद्धि का वाहक बने हार्दिक अभिनन्दन नव वर्ष की मंगल शुभकामनायें/ सुन्दर प्रेरक भाव में रचना बधाईयाँ जी /
ReplyDeleteवाह ...बहुत खूब ... सभी एक से बढ़कर एक हैं
ReplyDeleteअच्छे हाइकू लेखन के लिए बधाई।
ReplyDeleteGazab!
ReplyDeleteभावों की जादूगरी ही है कि कम शब्दों में भी मुखर हो उठती है . बाकी " मौन उवाच..."
ReplyDeletekam shabdon men sari bhavnaon ki mukharit hone ka bhav.
ReplyDeleteरिश्ते हैं यहाँ
ReplyDeleteअपेक्षाओं से भरे
दम तोड़ते
बहुत सुंदर हाइकु.
कुछ न कहो ...
ReplyDeleteनबहुत खूब ... इस सम्वेदंशील्यता को कितने कम शब्दों में लिख दिया ... बहुत सुन्दर हैं सभी हाइकू ...
मौन उवाच है ज्यादा कष्टकारी कुछ कहो न....
ReplyDeleteकम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया आपने।
अत्यंत भावपूर्ण हाइकू हैं सारे के सारे. बहुत शुभकामनायें इस सुंदर प्रस्तुति के लिये.
ReplyDeleteरिश्ते हैं यहाँ
ReplyDeleteअपेक्षाओं से भरे
दम तोड़ते.... उम्दा !!
poorn mansik dwand ko kam shabdo me udel dene ki apki is kala ko salaam.
ReplyDeleteरिश्ते हैं कहाँ
ReplyDeleteअपेक्षाओं में खरे
कौन उतरे.
*********
नादान मन
संवेदना में मरा
न रोई धरा.
*********
पलकें श्वेत
यहाँ रेत ही रेत
करे सचेत.
*********
मौन ही रहो
भावना में ना बहो
कुछ ना कहो
???????????
जीवन को निचोड़ने पर सम्वेदना ही शेष रह जाती है.मार्मिक रचनायें.
बहुत सुंदर रचना,बेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteMY RESENT POST...काव्यान्जलि... तुम्हारा चेहरा.
रिश्ते हैं यहाँ
ReplyDeleteअपेक्षाओं से भरे
दम तोड़ते बहुत पसंद आई ये पंक्तियाँ संगीता जी ...बहुत भावपूर्ण छंद हैं सारे
jiwan marm samjhati sateek huyku.. kam shabdon mein gahre arth sameti sudnar sarthak prastuti..
ReplyDeleteपलकों से झरे
ReplyDeleteशब्द शब्द सबने पढ़े
कैसे कहूँ हाइकू!
वाह जी, हाईकु भी बहुत सफाई से उम्दा कहे हैं....
ReplyDeleteन बोले तुम
ReplyDeleteन मैंने कुछ कहा
प्रेम ही तो था!
सभी हाइकू मन को छू गए.. सुन्दर रचना.
ReplyDeleteबांटने के लिए शुक्रिया.
सुन्दर हाइकू...चंद लव्जों में ब्यान करते दिल के अफ़साने....
ReplyDeleteखूबसूरत हायकू। बहुत दिन बाद कमैंट दिया है गुस्सा मत होना। आज व्रत भी है। बच्चों पर गुस्सा नही होते। कुछ अच्छा बना कर खिलाते हैं:)
ReplyDeleteहम भी मौन रह मन में आनंद लेंगे संगीता जी आप की इस कला के क्या कहने ... सुन्दर प्रस्तुति मन को छू गयी रचना ... बधाई हो
ReplyDeleteराम नवमी की हार्दिक शुभ कामनाएं इस जहां की सारी खुशियाँ आप को मिलें आप सौभाग्यशाली हों गुल और गुलशन खिला रहे मन मिला रहे प्यार बना रहे दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति होती रहे ...
सब मंगलमय हो --भ्रमर५
सुन्दर प्रस्तुति, सुन्दर भावाभिव्यक्ति, बधाई.
ReplyDeleteरिश्ते हैं यहाँ
ReplyDeleteअपेक्षाओं से भरे
दम तोड़ते
...सच ही तो है....बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
बहुत सुन्दर हाइगा, बधाई स्वीकारें.
ReplyDeleteमौन कष्ट देता है और कभी कभी बातें कडवी ।
ReplyDeleteरिश्ते कब खरे उतरे हैं अपेक्षाएं भंग होने के लिये ही हैं । सुंदर हाइकू ।
बहुत सुन्दर ....
ReplyDeleteमनोभावों को बेहद खूबसूरती से पिरोया है आपने....... हार्दिक बधाई.
ReplyDeletekash rishton me ye duriyan na hoti yahi to hai to hamesha chubhti rahti hai.
ReplyDeletesunder prastuti
rachana