सपनो के फूल सूर्य की किरणों से झुलसकर जमींदोज हुए , निराशा भरे क्षण कई बार मानव को अपने सपनों के बारे गंभीरता से सोचने को मजबूर करते है ताकि सपने कुम्भला ना सकें .
सुबह के सूरज के साथ सपनों का अंत होना तो अवश्यम्भावी है लेकिन इतने सुन्दर और सुरभित सपने हमारे दिन रात एवं जीवन को भी सुरभित कर दें तो अच्छा हो ! छोटी सी, मीठी सी, महकती सी रचना बहुत प्यारी रचना !
अरे संगीता जी ये क्या हो गया ..सूरज भी कितना बेदर्दी है न .. ख्वाब तो ऐसे ही होते है बनते हैं रचते हैं राज महल और फिर पल भर में तूफान आंधी खांई में गिरना .. बहुत खूब छोटी रचनाओ में आप की इतना दम हम तो खो ही जाते हैं
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी प्रस्तुति भी आज के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
sangeeta di bahut hi badhiya aur behatreen aapne to is chhoti si rachna ko itni gahrai se likha hai mano gagar me sagar hi pura samet liya. bahut bahut badhai hardik abhinandan poonam
वाह! बहुत खूब लिखा है आपने! ख़ूबसूरत फूल सूरज की किरणों से मुरझा गए!
ReplyDeleteछोटी कविता में सारा रचना संसार ,अभिव्यक्ति का अनुपम उदहारण ,संगीता जी बधाई
ReplyDeleteसपने तो टूटेंगे ही ....शुभकामनायें आपको !
ReplyDeleteसपनो के फूल सूर्य की किरणों से झुलसकर जमींदोज हुए , निराशा भरे क्षण कई बार मानव को अपने सपनों के बारे गंभीरता से सोचने को मजबूर करते है ताकि सपने कुम्भला ना सकें .
ReplyDeletebeautiful....
ReplyDeletekhababo ko harsingar bana diya..wah di..!!
ReplyDeletedi shikayat hai, aap mere blog pe aana bhul gayee ho..
per hersingaar hersingar hi raha ...khilta raha jhadta raha
ReplyDeleteसुबह के सूरज के साथ सपनों का अंत होना तो अवश्यम्भावी है लेकिन इतने सुन्दर और सुरभित सपने हमारे दिन रात एवं जीवन को भी सुरभित कर दें तो अच्छा हो ! छोटी सी, मीठी सी, महकती सी रचना बहुत प्यारी रचना !
ReplyDeleteआपने तो मिट्टी मे मिलाकर हमारा दिल तोड दिया………महकते रहने देना चाहिये था ना।
ReplyDeleteअरे संगीता जी ये क्या हो गया ..सूरज भी कितना बेदर्दी है न ..
ReplyDeleteख्वाब तो ऐसे ही होते है बनते हैं रचते हैं राज महल और फिर पल भर में तूफान आंधी खांई में गिरना ..
बहुत खूब छोटी रचनाओ में आप की इतना दम हम तो खो ही जाते हैं
शुक्ल भ्रमर ५
वाह ... बेहतरीन ।
ReplyDeletebig thing in small package!
ReplyDeleteyahi aapka kamaal he!
लाजवाब!!!चंद शब्द और गहरी व्यथा
ReplyDeleteहरसिंगार से ख्वाब सारी रात महकते रहे......... सुबह होते मिट्टी में मिल गए..इन्हें फिर से महकाकर सजा दीजिये ना....:(
ReplyDeleteकोई बात नहीं कल फिर खिलेंगे फूल, और महकेंगे.
ReplyDeleteकम पंक्तियों में सब कुछ कह देने की पुरानी और और खूबसूरत आदत है आपकी :)
बहुत ही गहरी रचना.
वाह संगीता जी !
ReplyDeleteअति सुन्दर भाव और उनकी खूबसूरत प्रस्तुति |
हरसिंगार महकते हैं .....टूट कर झरते हैं ..ख़्वाबों की तरह ..............वाह बहुत खूब !
ReplyDeleteउफ, यह सुबह।
ReplyDeleteसूरज ऐसा भी करता है, वाह.
ReplyDeleteलाजवाब
दुनाली पर पढ़ें-
कहानी हॉरर न्यूज़ चैनल्स की
ख्वाब
ReplyDeleteमहकते रहे
सारी रात --
यह भी एक उपलब्धि है ।
अति सुन्दर ।
बहुत खूब!
ReplyDeleteसुन्दर क्षणिका!
--
हरसिंगार के फूल से, बिखर याएँ जब ख्वाब।
आगत का स्वागत करो, थोड़े दिन की आब।।
वाह! बहुत सुंदर प्रयोग।
ReplyDeletebahut sundar likha hain aapne.
ReplyDeletesangeeta didi ek baat puchna chahungi aap se kya aap mujhse dosti karengi agar aap uchit samjhe to.
एक रात का महकता जीवन काफी नहीं है क्या...रोज ताजे ख्वाब...लम्बी बासी जिंदगी से तो ये छोटे-छोटे ख्वाब ही भले...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर !
ReplyDeletebhut hi kam panktiya per bhut bhut sunder jaise sab kuch khudh me sameteti hui rachna...
ReplyDeleteहरसिंगार से ख्वाब - रात महकती रही और सुबह होते आपके इर्द गिर्द , कुछ ऐसा ही लगा
ReplyDeleteयह सुरज भी तो नये सपनो की सुबह ले कर आया हे... बहुत सुंदर रचना, धन्यवाद
ReplyDeletehamesha si sundar!
ReplyDeleteअति उत्तम ! चित्रमयी तुलना...
ReplyDeletewaah waah waah....
ReplyDeleteयह जीवन का सत्य है ...इसे स्वीकारना चाहिए ..!
ReplyDeletebahut sundar hamesha ki tarah ..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ..... सपनों का टूटना भी दर्द तो देता ही है......
ReplyDeletemummaa....bahut bahut chhoti hai......:( aur aapki un kamaal chhutku nazmon ke barabar ki bhi nahin :(
ReplyDeletesorry mumma :( !!
बात कुछ अधूरी सी लगी।
ReplyDeletewaah
ReplyDeleteयह मत सोचना कि अवधि कितनी ?
ReplyDeleteउतनी ही जितनी पलको की हाँथों में थमे आँसू की उम्र !
फूल हमें यही तो सिखाते हैं , जितनी देर रहे खुशबू से भर दिया !
वाह क्या बात है ?सपनो में भी खुशबु भर दी ...
ReplyDeleteआप ने तो ‘गागर में सागर’ भर दिया । एहसास की सुन्दर अभिव्यक्ति है
ReplyDeleteरात के सपने होते ही ऐसे हैं कि सूरज निकलने के साथ ही ख़त्म हो जाते हैं . वे तो छलावा हैं लेकिन हरसिंगार सी महक उन्हें जेहन में हमेशामहकाए रहते हैं.
ReplyDeleteख्वाब की क्षणभंगुरता ! और जीवन भी ख्वाब सा ? है न माँ?
ReplyDelete...वाह बहुत खूब !
ReplyDeleteis sundar rachna ke saath matridivas ki bhi badhai .
ReplyDeleteEXCELLENT....
ReplyDeleteख्वाबों की दुनिया की बात ही निराली होती है..संगीता जी!...आप भी बात का बतंगड में ख्वाबों के रंगो क लुफ्त उठाएं!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना ..बधाई.
ReplyDelete_____________________________
पाखी की दुनिया : आकाशवाणी पर भी गूंजेगी पाखी की मासूम बातें
bahut khoob....aabhar
ReplyDeleteder se padhne ke liye kshma chahti hoon.ek sunder ahsaas sunder kshanika padhne ko mili.
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी आज के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
CHAND SHABDO ME SUNDAR PRASTUTI.
ReplyDeleteWAAH...
एक भावपूर्ण प्रस्तुति |
ReplyDeleteबधाई
आशा
khoobsoorat...
ReplyDeletechhoti kavita ..
badi baat...!!
sangeeta di
ReplyDeletebahut hi badhiya aur behatreen aapne to is chhoti si rachna ko itni gahrai se likha hai mano gagar me sagar hi pura samet liya.
bahut bahut badhai
hardik abhinandan
poonam
सुख और दुख तो एक दूसरे के पूरक है . ये तो लगा ही रहता है.
ReplyDeleteसुख और दुख तो एक दूसरे के पूरक है . ये तो लगा ही रहता है.
ReplyDeletePRIYANKA RATHORE has left a new comment on your post "हरसिंगार से ख्वाब":
ReplyDeletebahut khoob....aabhar
Akshita (Pakhi) has left a new comment on your post "हरसिंगार से ख्वाब":
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना ..बधाई.
_____________________________
पाखी की दुनिया : आकाशवाणी पर भी गूंजेगी पाखी की मासूम बातें
चार लाइनें और कई बार पढ़ी मैंनें, लाजवाब!
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
कुछ भी हो जाये हरसिंगार ने अपनी प्रकॄति नही बदली यही उसका सत्य है ....आभार !
ReplyDeleteबेहतरीन यथार्थमय बिम्ब
ReplyDeleteबहुत खूब
पर सुबह के
ReplyDeleteसूरज ने आ
उन्हें मिट्टी में
मिला दिया
aap bahut sundar likhti hai
sooraj ne chahe mitti men mila diya par kwabon ne rat to mehaka dee. Bahut sunder taje hawa ke zonke see kshanika.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.
ReplyDeleteऐसा ही होता है ... हकीकत का उजाला कई बार सपनो को तोड़ देता है ...
ReplyDeleteगजब.....
ReplyDeleteदुनिया में जो कुछ भी सुन्दर है वो क्षणभंगुर है.......बहुत सुन्दर पोस्ट.......प्रशंसनीय |
ReplyDeleteउन्हें मिट्टी में
ReplyDeleteमिला दिया
sahi hai pr fir mahkenge sapne
हरसिंगार से
मेरे ख्वाब
महकते रहे
harsingar se khvab sunder soch
yatharth chitran
sunder kavita
badhai
rachana
बढ़िया क्षणिका!
ReplyDeleteसुन्दर तथा गहरे भाव !
very nice... short and sweet
ReplyDeletekhubsurat rachna
ReplyDeleteबहुत सुंदर कल्पना!..काश कि रात कभी न ढलती!...धन्यवाद संगीताजी!
ReplyDeleteशाश्वत से द्वंद. सुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें ! एवं साधुवाद !
जितनी सुंदर रचना उतनी ही सुंदर प्रस्तुति.....
ReplyDeleteक्या बात है :)
ReplyDeleteखुबसूरत रचना |
बहुत सुन्दर रचना !
ReplyDeleteबहुत खूब। सुन्दर रचना,प्रेरणाप्रद भी।
ReplyDeleteछोटी सी नज्म ने बहुत कुछ कह दिया।
ReplyDeleteसुधा भार्गव
गहरी व्यथा,सुन्दर रचना
ReplyDeleteजन्माष्टमी की शुभ कामनाएँ।
ReplyDeleteकल 23/08/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
good expression .
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