sach main khushiyon ki kunkunidhup jab padti hain.man nai urja se bhar jaata hain,aur jeevan satrangi ho jaata hain.
Didi hum to yahi chahte hain ye khushiyon ki narm dhup sada aapke jeevan main rahe aur aapke hoton par sada muskaan thirakti rahe. didi kya aap mujhse dosti karengi. karke dekhiye main aapko bore nahi karungi...aage aapki marzi.:)
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संगीता जी आपकी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! आपके कहने के अनुसार मैंने आखरी पंक्ति में "कैसे" के जगह "क्या" कर दिया है अब बेहतर लग रहा है! इसी तरह आप सुझाव देते रहिएगा! छोटी सी प्यारी सी ख़ूबसूरत नज़्म ! बेहद सुन्दर और चित्र भी लाजवाब!
bahut sunder sangeeta ji aap jitni achchhi kavita likhti hain utni hi achchhi insan bhi hain me aapse mili nahi hoon pr patanahi kyu aesa lagta hai sabke liye sochti hai aap rachana
इन्द्रधनुषी रंगों से सजे मोतियों को पिरोती अत्यंत सुन्दर नज्म ....बिखरे मोती समेट कर सुन्दर भाव पूर्ण कब्यांजलि पिरोने के लिए कोटि कोटि अभिनन्दन ....शुभकामनायें !!!
यादें ही तो सहारा है जीने का सभी साथ छोड दें कभी हम यादों को किसी के भूलाना भी चाहें तो वो ज्यादा ही याद आते है बिल्कुल सतरंगी बनकर बहुत अच्छा लिखा है।
छोटी सी खूबसूरत नज़्म। बधाई आपको। कैसी हैं आप?
ReplyDeletebahut pyaari najm.may god keep showing this rainbow forever.
ReplyDeletesach main khushiyon ki kunkunidhup jab padti hain.man nai urja se bhar
ReplyDeletejaata hain,aur jeevan satrangi ho jaata hain.
Didi hum to yahi chahte hain ye khushiyon ki narm dhup sada aapke
jeevan main rahe aur aapke hoton par sada muskaan thirakti rahe.
didi kya aap mujhse dosti karengi.
karke dekhiye main aapko bore nahi
karungi...aage aapki marzi.:)
bahut khoob sangeeta ji...aabhar
ReplyDeletebadi hi achhi rachna
ReplyDeleteएक-एक शब्द भावपूर्ण ...
ReplyDeleteसंवेदनाओं से भरी बहुत सुन्दर कविता.
jitne hi kam shabd utni hi gahraayi....
ReplyDeleteबहुत खूब ।
ReplyDeleteसुन्दर अहसास........इन्द्रधनुष का नाम लेते हुए सिर्फ इशारा भर......
ReplyDeletebahut pyari hai ye satrangi......
ReplyDeleteBikhare moti ko samet liya hai ...aur hame bhent kiya hai...jee shukriya
ReplyDeleteखुशियों की धूप सी चटख बहुत सुन्दर रचना...आभार
ReplyDeleteछोटे छोटे शब्दों को आपने जिस तरह पिरो कर माला बनाई है। वाकई तारीफ के काबिल है।
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना
बहुत खूब ..बहुत सुन्दर
ReplyDeleteइन्द्रधनुषी आकाश मुबारक हो . मन प्रफुल्ल हुआ .
ReplyDeleteयह सतरंगी इन्द्रधनुष मन के कोने कोने को आल्हादित कर जाता है संगीता जी ! इसकी उपलब्धि के लिये हार्दिक बधाई !
ReplyDeleteये धनक....अपनी मुस्कान के साथ...यूँ ही सारे ग़मों को पार करके ....खुशियों की धुप को साथ लाये ..............सुन्दर रचना
ReplyDeleteचादर में धूप को समेट लाना अच्छा प्रयोग है .. बढ़िया कविता..
ReplyDeleteग़म के बादलों की ओट से सुन्दर इन्द्रधनुष ...
ReplyDeleteखूबसूरत !
सतरंगी इन्द्रधनुष सदा खिला रहे!
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत....।
ReplyDeleteगागर मे सागर भरने की कला मे आप माहिर हैं…………बहुत सुन्दर नज़्म्।
ReplyDeleteबहुत खूब !
ReplyDeleteहर बाद्ल के पीछे सतरंगी सूरज छुपा होता है, देर-सवेर वह बाहर आता ही है।
ReplyDeleteवाह ! बहुत ही सुन्दर लिखा है आप ने .अर्थपूर्ण..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर । आशावादी रचना ।
ReplyDeleteबहुत कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया....
ReplyDeleteभावनाओं से सजी हुई रचना....
ReplyDeleteWah! Wah! Wah!
ReplyDeleteअच्छी क्षणिका है!
ReplyDeleteउम्मीद बांधती ख़ूबसूरत क्षणिका है मम्मा
ReplyDeletesatrangi ke rango k bare me thoda aur bata deti to kya chala jata apka ?
ReplyDelete:):)
sunder kshanika.
गम के
ReplyDeleteबादलों की ओट से
उग आया है
एक सतरंगी
संगीता जी
चाँद शब्दों में बहुत कुछ,कह दिया , यह विधा सबको कहाँ आती है ,
बहुत सुन्दर पोस्ट और उतनी ही सुन्दर प्रस्तुति भी , आभार
ये इन्द्रधनुषी रंग आपके रचना-संसार को सजाते रहें !
ReplyDeleteबेहतरीन।
ReplyDeleteउल्लास ऐसे ही उगता रहे।
ReplyDeletesunder nazam ,sunder bhav.............
ReplyDeletekhoobsoorat
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत है यह सतरंगी .....और बहुत खूबसूरत है यह कविता संगीता जी, बिलकुल आपकी ही तरह ....
ReplyDeleteमेरी हार्दिक शुभकामनायें।
जीवन्त विचारों की बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteआठ लाइनों में सतरंगी छटा बिखेर दी आपने, संगीता दी!! यादें, गम, बादल और धूप.. कमाल के रंग भरे हैं आपने इस पेंटिंग में!!
ReplyDeleteA nice poem to fill the heart with happiness!
ReplyDeleteHi I really liked your blog.
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mumma, achhi hai kshanika..:)
ReplyDeleteसुंदर ..बहुत ही सुंदर
ReplyDeleteअति सुंदर, बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
संगीता जी आपकी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! आपके कहने के अनुसार मैंने आखरी पंक्ति में "कैसे" के जगह "क्या" कर दिया है अब बेहतर लग रहा है! इसी तरह आप सुझाव देते रहिएगा!
ReplyDeleteछोटी सी प्यारी सी ख़ूबसूरत नज़्म ! बेहद सुन्दर और चित्र भी लाजवाब!
धुंध पर जब धूप की किरणें पड़तीं हैं...तो इन्द्रधनुषी छटा छा ही जाती है...
ReplyDeleteआदरणीया संगीता जी -छोटी नज्मों की तो आप माहिर हैं एक एक शब्द इन्द्रधनुषी रंग बिखेर जाते हैं ..सुन्दर
ReplyDeleteभ्रमर ५
बेहद खूबसूरती से पिरोई दिल को छू जाने वाली रचना. आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
satrangi kya ?? :)
ReplyDeletewaah kya baat hai......bahut acche se mausam ke sawaroop ko darshaya hai aapne....
ReplyDeleteयह एक चमकदार कविता है.
ReplyDeleteसंगीता जी,
ReplyDeleteनमस्कार,
आपके इस ब्लॉग को भी "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगपोस्ट डाट काम"के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|
गागर में सागर.
ReplyDeleteलाजवाब ....!!
ReplyDeleteati sundar....
ReplyDeletekam shabdon meinbahut kutch keh diya aapne
ReplyDeletekam lafjon me behtreen prastuti...
ReplyDeleteकम शब्दों में गहरी बात....
ReplyDeletewaah, waah aur bas waah...
ReplyDeleteitni chhoti-si rachna ur itne bhaaw... itni khoobsoorati...
padhte-padhte aakhir mei yunhi muh se nikal aaya... INDRADHANUSH...
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं,आपकी कलम निरंतर सार्थक सृजन में लगी रहे .
ReplyDeleteएस .एन. शुक्ल
sunder khanika..
ReplyDeletebahut hi achchhi rachna dhoop chhanv lekar .
ReplyDeleteआपके ब्लॉग पर पहली बार आयी हूँ संगीता जी...बहुत अच्छा लग रहा है....
ReplyDeleteसुंदर रचनाएं
पढ़ने को मिलीं...
बधाई आपको...
bahut sunder sangeeta ji aap jitni achchhi kavita likhti hain utni hi achchhi insan bhi hain me aapse mili nahi hoon pr patanahi kyu aesa lagta hai sabke liye sochti hai aap
ReplyDeleterachana
k\ya aabhivyakti hai javab nahi..
ReplyDeleteकुछ शब्दों में गहरी बात ....
ReplyDeleteइन्द्रधनुषी रंगों से सजे मोतियों को पिरोती अत्यंत सुन्दर नज्म ....बिखरे मोती समेट कर
ReplyDeleteसुन्दर भाव पूर्ण कब्यांजलि पिरोने के लिए कोटि कोटि अभिनन्दन ....शुभकामनायें !!!
बारिश के बाद धूप निकले तो इंद्र धनुष के सतरंग खिल उठते हैं ।
ReplyDeleteयादें ही तो सहारा है
ReplyDeleteजीने का सभी
साथ छोड दें
कभी हम यादों
को किसी के भूलाना
भी चाहें तो
वो ज्यादा ही याद
आते है बिल्कुल
सतरंगी बनकर
बहुत अच्छा लिखा है।
इस सतरंगी के रंग बिखरे रहें जीवन में .यही दुआ है.
ReplyDeletebahut sundar..
ReplyDeletekam shabdo me sari bato ko kah deti hai aap
बहुत खूब
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