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Monday, 31 October 2011

नमकीन खीर



मेरे 
ज़ख्मों पर 
छिडकते  हो 
जब भी नमक ,
तो 
खाने  में 
झर जाता है 
नमक सारा
और 
नमकीन हो जाती है 
खीर भी .



72 comments:

  1. आपके हाथ की बनी तो नमकीन खीर भी कमाल होगी :)
    पर गज़ब का ख़याल है.४ पंक्तियों में ही पूरा भाव समेट लेती हो आप.

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  2. नमकीन खीर ! अदभुद विम्ब. आज ही आपकी पुस्तक समीक्षा पढ़ी है.. और अब यह नए तरह की क्षणिका... बहुत बढ़िया...

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  3. वाह ...बहुत खूब ..कहा है आपने ...।

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  4. ज़ख्मों पर छिड़का गया नमक गहरा असर छोड़ता है!
    खीर का नमकीन होना....
    आह!

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  5. मूड का असर तो पकवान पर पड़ता हे है... पर आपके हाथ की तो नमकीन खीर भी अच्छी लगेगी...जैसे ये रचना...सादर

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  6. आपकी कविता नमकीन होते हुए भी मिठास से भरी हुई हैं दी ...चार लाइनों का मोह छोड़ नहीं पाती हूँ मैं ---बहुत खुबसूरत ...

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  7. खीर का खारा पन मन के खारे पन को दर्शाता है और सारी भावनाएं व्यक्त हो जा रही हैं।

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  8. aap itne kam shabdon mei itna sab samet leti hain ki bas...
    waise, hamari Hindi teacher ne padhaya tha ki Hindi saahitya ko likhnewala wahi kahlata hai jo kam likhe, aur jiski ek baat se har koi apne tarah se jud sake...

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  9. मन के भाव का असर खीर पर...बहुत सुन्दर!

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  10. नमक तो कहीं न कहीं असर दिखायेगा ही.
    सुन्दर रचना और सुन्दर बिम्ब

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  11. bahut thode shabdon me badi baat.koi jakhmon par namak chidkega to tan aur man dono to jalenge hi.

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  12. बहुत खूबसूरत , आभार .

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  13. अप्रतयक्ष पीड़ा बयाँ करती ख़ूबसूरत पंक्तिया !

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  14. namkeen kheer k swad ka ehsaas lane ki koshish kar rahi hun.

    :)

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  15. मन के भाव भोजन में आ जाते हैं।

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  16. महिला तो खारे को भी मीठा बना देती है।

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  17. वाह दी... सुन्दर...
    सादर...

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  18. ना ना , खीर तो मीठी ही चलेगी , वैसे नमकीन खीर तो कई बार जीवन की सच्चाई बयां करती है .

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  19. अद्भुत रचना है संगीता जी ! अक्सर ज़ख्मों पे छिडका हुआ नमक जीवन को भी बेस्वाद और कटु बना जाता है ! बहुत सुन्दर रचना ! वाह !

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  20. कौन है जो जख्मों पर नमक छिड़क रहा है ? :)

    अब स्वाद तो आएगा ही । हलवा होता तो भी नमकीन होता ।

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  21. जिन्हें हम अपना समझते हैं...वो जब जख्मों पर जुबान से नमक छिड़कते हैं...तो आँखों से आंसू झर-झर के मीठी खीर को भी नमकीन कर देते हैं...बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति...

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  22. Chand alfaaz aur itnee badee baat! Kamaal kiya hai aapne!

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  23. बेहतरीन भावो से सजी सुंदर पंक्तियाँ.

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  24. वाह.

    .....और कविता भी
    हो जाती है नमकीन.

    पर अच्छी लगी.
    उत्कृष्ट लेखन.

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  25. संगीता जी,...मीठी खीर तो पहले खाई थी,नमकीन खीर आज खा रहा हूँ,....बहेतरीन पोस्ट...

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  26. संगीता जी,...मीठी खीर तो पहले खाई थी,नमकीन खीर आज खा रहा हूँ,....बहेतरीन पोस्ट...

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  27. बहुत खूब .नमक का कहीं तो असर होगा ही...

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  28. सुंदर ... मन में खारापन है तो भोजन में मिठास कहाँ आये .....

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  29. बहुत खूब खीर का नाम लेते ही मन में जिस स्वाद का
    लालच आता है वो नमकीन हो जाये तो फिर मज़ा ही
    खत्म... चंद पंक्तियों में बहुत कुछ है ..
    मेरी नई पोस्ट के लिए पधारे आपका स्वागत है

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  30. हृदय में हो पीर तो नमकीन लागे खीर
    नयनों से झरा है नीर,है ये प्रीत की तासीर.

    मन मर्माहत हो तो ऐसा ही होता है.अति मार्मिक अभिव्यक्ति.

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  31. नमकीन हो जाती है
    खीर भी.bhut gahan bhav chipa hai.

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  32. नमकीन खीर...
    अद्भुत रचना और सुन्दर बिम्ब...

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  33. जैसे अमन के भाव ..वैसा ही स्वाद भोजन में ...सुन्दर बिम्ब!

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  34. जख्मों पर छिड़का नमक स्वाद ही बदमजा कर देता है , इसलिए सब कुछ खरा ही लगेगा !

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  35. स्वाद ग्रहण करने वाला मन ही जब खट्टा हो तो कोई स्वाद आनंद कैसे देगा !

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  36. नमकीन खीर............सबसे पहले तो शीर्षक के लिए ही बधाई........और उस पर पोस्ट बहुत ही अच्छी लगी :-)

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  37. उफ़्………………गज़ब कर दिया…………कुछ कहने लायक ही नही छोडा।

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  38. मेरे
    ज़ख्मों पर
    छिडकते हो
    जब भी नमक ,
    तो
    खाने में
    झर जाता है
    नमक सारा
    और
    नमकीन हो जाती है
    खीर भी .

    बेहतरीन प्रस्‍तुति ......

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  39. नमक का जवाब मिर्ची से देना आना चाहिए लेकिन कम तीखी मिर्ची. यह लाभकारी हो सकती है :)

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  40. मेरे
    ज़ख्मों पर
    छिडकते हो
    जब भी नमक ,
    तो
    खाने में
    झर जाता है
    नमक सारा
    और
    नमकीन हो जाती है
    खीर भी .
    ati sundar...

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  41. संगीता दी त्यौहार के मौसम में तो खीर को मीठा ही रहने देतीं अच्छा रहता. वैसे नमकीन भी कुछ कम नहीं लगी सुन्दर भाव

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  42. जीवन के खट्टे मीठे अनुभव से खीर नमकीन या मीठी होती रहती है ... लाजवाब बिंब बुना है ..

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  43. बात कहने का सुंदर अंदाज़, कड़वा सच पर मिठास के साथ

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  44. कविता को जी भी लेते हैं...कभी-कभी !

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  45. ज़ख्मों पर
    छिडकते हो
    जब भी नमक ,
    नमकीन हो जाती है
    खीर भी .
    bahut gehre bhaav liye,jise mehsoos kiya ja skta hai,kaha nahi......

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  46. क्या कहूँ मैं जो कुछ भी कहना चाहती हूँ सभी ने लिख दिया है :-)
    मगर बात सही है चंद पंक्तियों में ही सारा सार लपेट लिया आपने बहुत खूब....

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  47. रिश्तों का तीखापन..भावनाओं से भरी सारगर्भित और सुन्दर रचना.

    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है..
    www.belovedlife-santosh.blogspot.com

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  48. मन के भाव
    इसी तरह कभी
    खीर के स्वाद में भी झलकने लगते हैं ...
    काव्य रूप प्रभावशाली है .

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  49. नमकीन खीर.
    अद्भुत .

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  50. बहुत सुन्दर | कटाक्ष करने में सफल रचना |

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  51. वाह! संगीता जी! बहुत खूब लिखा है आपने! छोटी सी सुन्दर क्षणिका के माध्यम से आपने सच्चाई बयान किया है!
    मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/

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  52. थोड़े शब्दों में बहुत कुछ कह दिया है आपने ! बहुत सुंदर !

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  53. bilkul sahi likha aapne,
    hamara man to bilkul kheer
    ke samaan hain..jisko khara
    saamne waale ki katu vachno
    ka namak namkeen bana dete
    hain...
    khane main pade adhik namak ko
    kam karne ke bahut se aasan nushke
    hain...par ye jo man khara ho jaaye to iski mithas ko fir se laane ke liye kathin pryaash karna padta hain...ya kaho ek tapashya karni padti hain.

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  54. सही है ....
    शुभकामनायें आपको !

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  55. मेरे नए पोस्ट "वजूद" में आपका स्वागत है..कृपया जरूर पधारे...

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  56. मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.com/

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  57. जख्मो पर छिड्का नमक खीर को भी नमकीन बना देता है .आह ! और वाह भी .

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  58. अदभुद क्षणिका....भावपूर्ण अभिव्यक्ति.

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  59. वाह:)...बेहतरीन!

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  60. छोटी सी नज़्म और दर्शन कितना है इसमें...अद्भुद...

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  61. di
    bas ,nihshabd hun. aapki post par
    hardik naman
    poonam

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  62. खीर का नमकीन होना ....
    वाह दीदी कमाल ही कर दिया अपने तो
    क्या बिम्ब है !
    प्रणाम !

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  63. behad khoobsoorat rekhankan ......badhai Sangeeta ji

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