आपकी पोस्ट पर टिपण्णी करना मेरे लिए असंभव है | सार्थकता तथा जीवन के अनछुए पहलू को उजागर करती हैं आपकी सभी रचनाएँ | टूटते-सितारों की उड़ान में भी आपकी रचनाएँ पढ़ीं बधाई आपको |
ज़िन्दगी का यथार्थ हैं ये दोनो हाइकू…………कम लफ़्ज़ों मे गहरी बात कह देना ही तो आपकी खासियत है फिर चाहे कविता हो या अब ये नयी विधा हाइकू………दोनो गज़ब हैं।
आदरणीया संगीता जी गणतंत्र दिवस की बधाई ...इ छोटी सी रचना कितना कुछ कह गयी देश का जिम्मा जिन पर है जो इतना हांकते हैं उन्हें तमाचा मार गयी जय हिंद भ्रमर ५
गहरे अर्थ समेटे हाइकू ।
ReplyDeleteसादर
लाजबाब ! थोड़े से शब्दों ने बहुत कुछ कह दिया
ReplyDeleteबदहाली के अध्याय कहती कुछ ही पंक्तियाँ
ReplyDeleteगागर में सागर सी अभिव्यक्ति|
ReplyDeleteबढियां है जी । चंद शब्दों में में बहुत कुछ कह दिया ।
ReplyDeletesateek hayikoo
ReplyDeleteघना कोहरा
ReplyDeleteधूप चांदनी लगे
ढूंढें तपिश
...nanhe kadam ,poora aakash
Bahut sundar...pahla haiku to gazab kaa hai!
ReplyDeletesatik abhivyakti , prashanshniy bhav .
ReplyDeleteगहन अभिवयक्ति........
ReplyDeleteबातें हाइकू की
ReplyDeleteगहरीं गयीं
जडें हिल गयीं...
गहरी बात...सादर
ReplyDeleteहाइकू में इतने कम शब्द होते हैं कि उसमें पूरी बात कह जाना बहुत स्किल का काम है..पर आपने बखूबी कर दिखाया.
ReplyDeleteजाये ये सर्दी
ReplyDeleteमिले ज़रा राहत
जिंदा लाशों को...
बहुत खूब.....................
सादर.
अच्छी प्रस्तुति,बहुत सुंदर हाइकू ,बेहतरीन पोस्ट....
ReplyDeletenew post...वाह रे मंहगाई...
koi jaayegaa
ReplyDeletekoi aayegaa
jagah bharee rahegee
आपकी पोस्ट पर टिपण्णी करना मेरे लिए असंभव है | सार्थकता तथा जीवन के अनछुए पहलू को उजागर करती हैं आपकी सभी रचनाएँ | टूटते-सितारों की उड़ान में भी आपकी रचनाएँ पढ़ीं बधाई आपको |
ReplyDeleteसुंदर अर्थपूर्ण हाइकु.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
सूचनार्थ!
har pangti khoobsurat hai......
ReplyDeleteअति सुंदर
ReplyDeleteसर्दी भी है गर्मी भी
सर्द मौसम.
कुछ ही पंक्तियाँ..कितना कुछ कहती हुई..
ReplyDeleteवाह ...अनुपम भाव संयोजन ।
ReplyDeleteबहुत कुछ कह दिया |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर !
ReplyDeleteआभार !
उत्तम रचनाएँ...उत्तम प्रस्तुति!
ReplyDeleteSard mausam ka maarmiktabhara sateek chitran..
ReplyDeleteसर्द रात में
ReplyDeleteफुटपाथ आबाद
जिंदा हैं लाशें .
.........हैट्स ऑफ इसके लिए|
Didi aapne bahut sundar likha hain.
ReplyDeletekam shabd main sab kuch keh jaana koi aasan kaam nahi.
बहुत कुछ कहती कुछ ही पंक्ति..गहरे भाव..
ReplyDeletedidi ki baat...ajab gajab:)
ReplyDelete"सर्द रात में
ReplyDeleteफुटपाथ आबाद
जिंदा हैं लाशें ."
इस हाइकू ने तो गहरे तक झिंझोड़ दिया।
बेहतरीन !
बस दो ही? और लिखिए। अच्छे हैं।
ReplyDeleteघना कोहरा
ReplyDeleteधूप चांदनी लगे
ढूंढें तपिश
सर्द रात में
फुटपाथ आबाद
जिंदा हैं लाशें
ज़िन्दगी का यथार्थ हैं ये दोनो हाइकू…………कम लफ़्ज़ों मे गहरी बात कह देना ही तो आपकी खासियत है फिर चाहे कविता हो या अब ये नयी विधा हाइकू………दोनो गज़ब हैं।
कम शब्दों में बड़ी मारक बातें कही है आपने।
ReplyDeletesundar haaiku...abhaar..
ReplyDeleteशानदार हाईकू दी...
ReplyDeleteसादर.
गहनाभिव्यक्ति !!
ReplyDeleteछोटी कविता बड़े भाव ..आपका ब्रांड बन चुका है...
ReplyDeleteबहुत खूब...
ReplyDeleteलाजबाब| थोड़े से शब्दों ने बहुत कुछ कह दिया|
ReplyDeleteधन्यवाद।
इन छोटे शब्दों में कितनी गहरी बात कह दी ... ये अंदाज़ है हाइकू कहने का ... बधाई ...
ReplyDeleteआप इतने कम शब्दों में कविता कि पूरी खूबसूरती रखते हुए कैसे पूरी बात कह लेती है :)
ReplyDeletethode shabdon me gahri bat..
ReplyDeleteअच्छे हाइकु
ReplyDeleteबधाई संगीता जी
मज़ा आ गया
बहुत खूब ! जारी रखें .
ReplyDeleteसुंदर सृजन.
ReplyDeleteदोनों हाइकु बहुत कमाल...
ReplyDeleteसर्द रात में
फुटपाथ आबाद
जिंदा हैं लाशें .
भावपूर्ण हाइकु के लिए बधाई संगीता जी. स्नेह और सहयोग के लिए ह्रदय से आभार.
गहरी बात
ReplyDeleteबहुत सुन्दर हाइकु लिखा है आपने! गहरे भाव और सुन्दर चित्र के साथ उम्दा प्रस्तुती!
ReplyDeletehaaiku kya hota hai pata nahin , par dhoondhein tapish ki baat sach hai ,
ReplyDeleteअच्छा है। हिंदी की प्रकृति और अपने शब्द-सामर्थ्य के हिसाब से,शब्दों का अनुपात नए सिरे से भी निर्धारित किया जा सकता है।
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावपूर्ण अच्छी रचना,..
ReplyDeleteWELCOME TO NEW POST --26 जनवरी आया है....
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए.....
वाकई धूप की बड़ी मांग है....
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !
आदरणीया संगीता जी गणतंत्र दिवस की बधाई ...इ छोटी सी रचना कितना कुछ कह गयी देश का जिम्मा जिन पर है जो इतना हांकते हैं उन्हें तमाचा मार गयी
ReplyDeleteजय हिंद
भ्रमर ५
vaah vaah.
ReplyDeletewah.......
ReplyDeletebahut badhiyaa prastuti.
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