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Thursday, 21 June 2012

दोस्ती की नींव पर ....... हाइकु रचनाएँ

तुम्हारे बोल
झुलसा ही तो गए
मन आँगन 


रोने वालों को
मिल जाते हैं कंधे
तभी रोते हैं


मन के छाले
रिसते रहे यूं ही
नासूर हुये 


आँखों की सुर्खी
झरते रहे आँसू
खुश्क हुयी मैं 

धुआँ  है उठा
सुलगता है मन
राख़ हुयी मैं 
इंतज़ार क्यों ?
तोड़ा है विश्वास
हतप्रभ मैं 

तुम्हारी राहें
अलग थलग थीं
सो ,मैं भटकी 

दुश्मनी कहाँ ?
दोस्ती की नींव पर
गहरा घाव 



58 comments:

  1. दुश्मनी कहाँ ?
    दोस्ती की नींव पर
    गहरा घाव
    वाह ... जबरदस्‍त हाइकु .. सभी एक से बढ़कर एक ... आभार

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  2. बहुत सुन्दर हाईकू
    सभी बेहतरीन ....
    :-)

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  3. भावों को ही परिलक्षित करते सटीक चित्र संलग्न किये हैं...
    सुन्दर प्रस्तुति!

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  4. बेहतरीन प्रस्तुति...

    कुँवर जी,

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  5. रोने वालों को
    मिल जाते हैं कंधे
    तभी रोते हैं


    सचमुच

    धुआँ है उठा
    सुलगता है मन
    राख़ हुयी मैं

    दबी हुई, जो कभी शोला भी हो सकती है

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  6. बहुत सुंदर
    खूबसूरत प्रस्तुति

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  7. प्यारे हायेकु दी,,,,
    थोड़े से शब्द और ढेर सारी भावनाएँ....

    और सुन्दर फोटो भी.........

    सादर.

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  8. लाज़वाब हाइकु -- हाइगा बन गए .
    लेकिन आपके स्वभव के प्रतिकूल !

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  9. गज़ब के सटीक भाव हैं ..आपके हाइकू मुझे हमेशा अचंभित करते हैं.
    दूसरा और सातवाँ हाइकू खास पसंद आया.
    और फोटो के साथ तो कहर ढा रहे हैं.

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  10. रोने वालों को
    मिल जाते हैं कंधे
    तभी रोते हैं..........वाह:वाह..... क्या बात है..एक से बढ़ कर एक मोती हाईकुके रुप में....

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  11. रोने वालों को
    मिल जाते हैं कंधे
    तभी रोते हैं... सच है

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  12. गहन भावनायें समेटे ...बहुत सुंदर ...हाइकू ...!!

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  13. दुश्मनी कहाँ ?
    दोस्ती की नींव पर
    गहरा घाव !

    प्रभावशाली और चुटीली ३ पंक्तियाँ ...
    आभार आपका !

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  14. जबरजस्त..अत्यन्त प्रभावी..

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  15. बहुत सुन्दर और मर्मस्पर्शी हाइकु....

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  16. आपकी हाइकु रचनाएं जबर्दस्त होती हैं। छोटी किंतु सशक्त।
    चित्रों ने इनके इफ़ेक्ट को और भी बढ़ा दिया है।

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  17. अब दोस्ती के मायने बदल गये हैं..बहुत सुंदर हाइकू ...

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  18. बहुत सुंदर हाइकू ... भाव के अनुरूप चित्र बहुत अच्छे लग रहे हैं

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  19. गागर में सागर ,
    चित्रों से हो उठे और उजागर !

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  20. धुआँ है उठा
    सुलगता है मन
    राख़ हुयी मैं

    सभी एक से बढ़ कर एक हाइकू हैं संगीता जी ! क्या कहने ! बहुत ही सुन्दर !

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  21. सुंदर सटीक भाव लिये लाजबाब हाइकू,,,बधाई


    RECENT POST ,,,,फुहार....: न जाने क्यों,

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  22. गागर में सागर, हमेशा की तरह.

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  23. मन के छाले
    रिसते रहे यूं ही
    नासूर हुये

    मन का दर्द लिए हाइकु .....

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  24. जापानी सुमो से ज्यादा प्रभावशाली है उनकी हायकू . और आप एकदम सिद्धहस्त इसके प्रयोग में .

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    खूबसूरत हाईकू

    सूचनार्थ


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  26. दुश्मनी कहाँ , मन के छालों का रिसना मारक है ...

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  27. दुश्मनी कहाँ ?
    दोस्ती की नींव पर
    गहरा घाव .....वाह ! रिश्ते हुए धावो को एक हलकी सी मोहक मरहम ....

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  28. आँखों की सुर्खी
    झरते रहे आँसू
    खुश्क हुयी मैं

    लाजवाब हाइकू………बहुत दर्द भरा है। आप तो हाइकू स्पैशलिस्ट हो गयी हैं।

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  29. दुश्मनी कहाँ दोस्ती की नीव पर घरा घाव ...क्या कहने बहुत ही बढ़िया सटीक बात को कहती बहुत ही दमदार ,लाजवाब भाव अभिव्यक्ति...

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  30. कांधा नहीं तो रोने का सबब क्या?
    बहुत खूबसूरत हायकू सभी के सभी

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  31. sabhi haiku bahut acche hain
    aaj-kal dosti par sach me bharosa nahi kiya jaa sakta.

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  32. रोने वालों को
    मिल जाते हैं कंधे
    तभी रोते हैं...

    अर्थपूर्ण और सटीक सभी हाइकु बहुत अच्छे...

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  33. एक से बढ़कर एक हाइकू

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  34. धुआँ है उठा
    सुलगता है मन
    राख़ हुयी मैं

    बहुत मर्मस्पर्शी हायकूज़.....

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  35. माय ममा ईज़ ग्रेट... ममा...जो भी लिखतीं हैं.. बहुत ही सुंदर भाव के होते हैं.. यह हायकूज़ तो बहुत ही ख़ूबसूरत हैं..

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  36. तुम्हारी राहें
    अलग थलग थीं
    सो ,मैं भटकी ....
    अपने किसी प्रिय को समर्पित करने के लिए आपसे उधर लेता हूँ ये पंक्तियाँ....
    तुम्हारी राहें
    अलग थलग थीं
    सो ,मैं भटका

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  37. मन के छाले
    रिसते रहे यूं ही
    नासूर हुये

    मार्मिक प्रस्तुति. सारे के सारे हाईकू दिलको अंदर तक छू रहे है. बधाई संगीता जी इन नए प्रयोगों के लिये.

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  38. धुआँ है उठा
    सुलगता है मन
    राख़ हुयी मैं

    बेहत खूबसूरत !

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  39. बहुत ही हृदयस्पर्षि रचनाएं, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  40. रोने वालों को
    मिल जाते हैं कंधे
    तभी रोते हैं....
    मन को उद्विग्न और शांत करती हाइकु रचनाएं...

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  41. तुम्हारी राहें
    अलग थलग थीं
    सो ,मैं भटकी

    रोने वालों को
    मिल जाते हैं कंधे
    तभी रोते हैं....
    आदरणीया संगीता जी बहुत सुन्दर हाइकु ...एक से बढ़कर एक
    भ्रमर ५
    भ्रमर का दर्द और दर्पण

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  42. Sabhi haiku man ko sparsh kar gaye..

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  43. इतना सहा
    बिछड़े फिर भी ज्यों
    मिले ही न थे

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  44. ek se badhkar ek hain..bahut hee shandaar

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  45. वाह ....हाइकू रचना तो कमाल की संगीता जी ....ओर सभी बहुत गहरे भाव से ओत प्रोत ....गैर हाजिरी का खामियाजा ये की इतनी महत्वपूर्ण रचनाओं से वंचित रही .....

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  46. इतने बढ़िया हाइकू ,कैसे छूटे हमसे

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  47. दुश्मनी कहाँ ?
    दोस्ती की नींव पर
    गहरा घाव

    सही कहा । सभी हाइकू सुंदर ।

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  48. संगीता जी.....अति सुन्दर |
    ख्वाबों के आँचल ...जंगली बेल...की तरह....वाह | बहुत उम्दा...

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  49. एक से बढ़कर एक हायकू |
    गागर में सागर की तरह...अर्थपूर्ण व् सटीक |
    वाह.......बहुत सुन्दर...संगीता जी...

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  50. आज 14/08/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!

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  51. जिंदगी पे आधारित ...खूबसूरत हाइकू

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  52. दुश्मनी कहाँ ?
    दोस्ती की नींव पर
    गहरा घाव ............

    wah ! kya likha hai...bahut khoob

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  53. मन के छाले
    रिसते रहे यूं ही
    नासूर हुये ..............बहुत सुन्दर...

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  54. बहुत सुंदर और बेहतरीन

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आपकी टिप्पणियां नयी उर्जा देती हैं....धन्यवाद