बहुत उत्कृष्ट प्रस्तुति है संगीता जी ! ख़्वाबों के जो आँचल जंगली बेल की तरह होते हैं वो अधिक स्थाई और टिकाऊ होते हैं क्योंकि उन्हें बढ़ने के लिए कृत्रिम उपादानों की ज़रूरत नहीं होती ! बहुत सुन्दर रचना !
ख्वाब तो हमेशा ही अच्छे लगते हैं ... ख्वाब जो होते हैं ... कुछ पल आते हैं चले जाते हैं ... खुशी या दुःख देते हैं तो भी चले जाने के बाद राहत ही देते हैं ...
और खुशनसीब हैं वो जिन्हें मिलता है ऐसे आँचल का सहारा...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर दी....
सादर
ख़्वाबों का आँचल ...
ReplyDeleteनींद हमारी , ख्वाब भी हमारे ...क्या करेंगे गुल या खार बेचारे !
शायद यूँ ही ज़िन्दगी खुशगवार होती है .... अपनी इच्छा से सीमाएं बना लेती है
ReplyDelete@ ख़्वाबों के आँचल
ReplyDeleteभटकते तो हैं गुलों में
लेकिन अटकते नहीं.
ख़्वाबों के आँचल
बचते जरूर हैं काँटों से
लेकिन उलझते नहीं.
ख़्वाबों के आँचल
पलकों के बंद होते ही
लहराते हैं.
तनाव भरी ज़िन्दगी को
कुछ खुशगवार बना जाते हैं.
एक शायर के अनुसार ज़िन्दगी अगर ख़्वाब है, तो इस खाब में कांटे होने से ज़िन्दगी के बेहतर बनने का चान्स बना रहता है।
ReplyDeleteबहुत उत्कृष्ट प्रस्तुति है संगीता जी ! ख़्वाबों के जो आँचल जंगली बेल की तरह होते हैं वो अधिक स्थाई और टिकाऊ होते हैं क्योंकि उन्हें बढ़ने के लिए कृत्रिम उपादानों की ज़रूरत नहीं होती ! बहुत सुन्दर रचना !
ReplyDeleteख़्वाबों के आँचल और जंगली बेल का तादात्म्य अद्भुत काव्यसौंदर्य समेटे हुए है.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना.....
वाह ... बेहतरीन भाव संयोजन
ReplyDeleteख़्वाबों का ये सुन्दर आँचल सब को मिले..सुन्दर भाव...
ReplyDeletesochne par majboor karti behtareen prastuti.
ReplyDeleteजिन्हें ना गुल
ReplyDeleteऔर ना ही
कांटे की
दरकार होती है..
बस
बढते हैं
जंगली बेल की तरह
बहुत sundar , kwaab भी kabhee kabhar टॉनिक का कम करते है !
'इनसे भी
ReplyDeleteजिंदगी खुशगवार
होती है'
सुन्दर!
आम जीवन की हकीकत के बहुत करीब है ये
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
बेह्द उम्दा और गहन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteकुछ होते हैं
ReplyDeleteख़्वाबों के आँचल
ऐसे भी
जिन्हें ना गुल
और ना ही
कांटे की
दरकार होती है..
बस
बढते हैं
जंगली बेल की तरह
इनसे भी
जिंदगी खुशगवार
होती है .
ज़िन्दगी की हकीकत को बयाँ करती सशक्त अभिव्यक्ति दिल मे उतर गयी…………बडी गहरी बात कह गयीं।
शायद सपने भी इंसान की तरह अपना दायरा बना लेते हैं इसलिए इन्हे भी यूं ही ज़िंदगी खुशगवार लगती है। हमेशा की तरह बहतरीन प्रस्तुति...
ReplyDeleteअपने में ही आनन्दित..
ReplyDeleteबहुत उम्दा गहन अभिव्यक्ति,,,सुंदर रचना,,,,
ReplyDeleteMY RECENT POST...:चाय....
काश कि ऐसा ही होता..
ReplyDeleteसोचने पर मजबूर कर दिया आपने.
अद्भुत और सटीक शब्द रचना.
ReplyDeleteरामराम.
सुन्दर अभिव्यक्ति...बेहद सटीक
ReplyDelete....इनसे ही जिन्दगी खुशगवार होती है.
शुभकामनायें.
काश! ऐसे ख्वाबों का आँचल आसमान तक फ़ैल जाए..
ReplyDeleteइनसे भीही
ReplyDeleteजिंदगी खुशगवार
होती है .... :)
बहुत सुंदर , ख़्वाबों के आँचल में छिप कर ही तो मंजिलों को पाया जाता है. और फिर ऐसा आँचल हो तो फिर और क्या चाहिए.
ReplyDeleteज़िन्दगी यूँ भी खुशगवार होती है ! बहुत सुन्दर आभार
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ..ख्वाब यूँ भी होते हैं ..
ReplyDeleteख्वाब हैं अमरबेल, इन्हें कब ख़ार और गुल की परवाह होने लगी
ReplyDeleteवाह ...समय पर जो खुशी दे सके ....ऐसा ख्वाबों का आंचल ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर खयाल ...!!
ख्वाबों के आँचल में जिंदगी गुजर पाए तो क्या बात हो पर हकीकत कुछ और ही नज़ारे की कोशिश करती है..
ReplyDeleteसुंदर मनोभावों को खूबसूरती से पेश किया है इस कविता में.
खुशगवार --ख्वाबों के आँचल ! बहुत खूब .
ReplyDeleteजिन्हें न गुल न काटे-------- बहुत खूब सूरत कबिता , बहुत-बहुत धन्यवाद.
ReplyDeleteपुष्प - कण्टक विहीन ही तो होती है अमरबेल . सुख -दुःख में एक समान, अनुभवजन्य रचना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गहरे भाव लिए अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteअति उत्तम रचना...
:-)
अति सुंदर ....
ReplyDeleteअनायास उगी जंगली बेल खाद-पानी माँगे बिना जो रिक्तियों की पूर्ति करती है उसका अपना महत्व है !
ReplyDeleteसंगीता जी सच है न आस न चाह ..अपना कर्म ..जीवन का सन्देश पद्धति खुशियाँ बरसाती सुन्दर रचना ....
ReplyDeleteभ्रमर ५
वाह..
ReplyDeleteवाह !! न फूल न काँटे...निःसन्देह ख्वाबौं का यह आँचल अतुलनीय होगा...बहुत राहत और सुकून होगा यहाँ|
ReplyDeleteख्वाबों का यह आंचल जो छांव सा लंबा होगा कितना सुकून भरा होगा ।
ReplyDeleteसुंदर ।
एक बार फिर टिप्पणी देने का मन हुआ ...कितने कम शब्दों मे आपने कितना गहन लिख दिया है ...
ReplyDeleteसुकून देती ...सीख देती ...बहुत सुंदर रचना ...!!
ख्वाब ऐसे ही होते है। अच्छा चिंतन।
ReplyDeleteकम शब्दों में काफी कुछ कह गयी आप
ReplyDeleteसुंदर रचना !
साभार !!
सही कहा।सुन्दर।
ReplyDeleteसही कहा।सुन्दर।
ReplyDeleteबेहतरीन भाव ... बहुत सुंदर रचना प्रभावशाली प्रस्तुति
ReplyDeleteज़िन्दगी, कभी गुल तो कभी खार होती है ...सच है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना...
ReplyDeleteख्वाब तो हमेशा ही अच्छे लगते हैं ... ख्वाब जो होते हैं ... कुछ पल आते हैं चले जाते हैं ... खुशी या दुःख देते हैं तो भी चले जाने के बाद राहत ही देते हैं ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना... बहुत मनभावन प्रस्तुति. :-).
ReplyDeleteआज का आगरा
sari rachnayen acchi hain sangeeta jee ...
ReplyDeletenakaar di jaane waali baaton ki khaas kahaani ....aakhir unkaa bhi to kuch wazood hai
ReplyDeletebahut sundar
शायद आपके आँचल की तरह .....:))
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सृजन, सुन्दर भाव, बधाई.
ReplyDeleteकृपया मेरी नवीनतम पोस्ट पर पधारकर अपना शुभाशीष प्रदान करें , आभारी होऊंगा .
जिनको परवाह नहीं होती किसी रुकावट की तो वो ख़्वाब भी जीने का सबब बन जाते हैं बहुत सुन्दर संगीता जी वाह
ReplyDeleteकुछ ऐसे जंगली बेर भरे होते हैं जीवन की मिठास से ... सुन्दर रचना है आपकी ...
ReplyDeleteसंगीता जी.....अति सुन्दर |
ReplyDeleteख्वाबों के आँचल ...जंगली बेल...की तरह....वाह | बहुत उम्दा...
हर ख़्वाब हो पूरा
ReplyDeleteकांटे भी गुल लगें
bahut badhiya........
ReplyDeleteबहुत सुंदर बधाई हो इतनी सुंदर रचना के लिये💐👌💐👌
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