अब नम नहीं होतीं
मेरी आँखें
ज़िंदगी की तपिश ने
कर दिया है
खुश्क उनको
अब तो जब भी
झपकती हूँ पलक
तो होता है बस
एक एहसास
चुभन का ।
( आँखों में कुछ दिनों से जलन का एहसास हो रहा था , आज डॉक्टर को दिखाईं तो उन्होने बताया कि नमी सूख गयी है इसीलिए इरिटेशन होता है )
अब तो जब भी
ReplyDeleteझपकती हूँ पलक
तो होता है बस
एक एहसास
चुभन का ।
सच मे कुछ चुभ सा गया अन्तस मे ………
कभी-कभी खुश्क आँखों को यह चुभन ही गीला कर जाती है ! यह गीलापन सिर्फ दर्द का अहसास लिए होता है क्योंकि तब तक भावनाएं भी खुश्क हो चुकी होती हैं ! बहुत सुन्दर रचना !
ReplyDeleteआँखों की नमी भी कितनी ज़रूरी है , संवेदित होने का आभास तो रहता है !
ReplyDeleteज़िंदगी की तपिश ने
ReplyDeleteकर दिया है
खुश्क उनको
अब तो जब भी
झपकती हूँ पलक
तो होता है बस
एक एहसास
चुभन का ।
बिल्कुल सच ... कहा ...
कितना गहन और कितना सुंदर लिखा है ...!नमी जीवन के लिये कितनी ज़रूरी है ...!!
ReplyDeleteपानी ना हो तो जीवन ही नहीं ...!!
सार्थक रचना ...!!
वाह बहुत सुन्दर .आँखों की नमी सी ..बेहतरीन रचना
ReplyDeleteजाने कितना रोई
ReplyDeleteकब सिसकियाँ जब्त हुईं सीने में
अब तो बड़े से बड़े हादसे
आँखों की कोरों पे जम जाते हैं
और लोग मुझे उदासीन समझते हैं !!!
aapko maha shivratri kee bahut bahut shubhkamnayen .nice presentation समझें हम.
ReplyDeleteपता नहीं कितना क्या कह देती है आप हौले से , किरचों की चुभन तो सुनी लेकिन खुश्की वाली तो बेदम कर गई
ReplyDeleteहकीकत से रुबरु कराती
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
समय की गर्द सोख लेती है हर नमी ... बाकी रह जाती है चुभन ... उम्दा भाव ...
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखी हैं आंटी
ReplyDeleteसादर
ह्रदय की चुभन नम करती थी जिन्हें
ReplyDeleteखुश्क होकर भी चुभती हैं ये आँखे...
बहुत कुछ कह जाते हैं आपके ये थोड़े से शब्द...
ज़रा सी मेडिकल प्रॉब्लम को ज़िन्दगी की तपिश का नाम मत दीजिए...चाहने वालों को इतना संजीदा इलज़ाम मत दीजिए:-)
ReplyDeleteरचना के तौर पर पढूं...तो बहुत सुन्दर.
सादर
अनु
इस एहसास का चुभन तो गहराई तक चला गया..बहुत सुन्दर..संगीता जी.
ReplyDeleteaankhen nam karti kavita
ReplyDeleteखुश्क आँखों में मगरमच्छ के आँसूं बड़े काम आते हैं . :)
ReplyDeleteकोई बात नहीं .रोज सुबह शाम हमारे प्रेम और एहसास के गुलाब जल मिले ठन्डे पानी के छींटे खुश्क आँखों पर मारिये देखिये फिर से प्राकृतिक नमी आ जायेगी आँखों में :).
ReplyDeleteवैस आपने कौन सा बिम्ब छोड़ा है.अब मेडिकल भी ??
बहुत-बहुत सुन्दर रचना
ReplyDelete:-)
आपकी इस छोटी रचना में कुछ ऐसा है जिसे भावना की कठिन अवस्था में हो रहे मन की दशा की अभिव्यक्ति कह सकते हैं। इसे पढ़कर एक बड़े शायर के एक गीत (फ़िल्मी) की चंद पंक्तियां कोट करने का मन बन गया है --
ReplyDelete‘दिन ख़ाली-ख़ाली बोतल है,
और रात है जैसे अंधा कुंआ,
आंसू की जगह इन आंखों से
बहता है सिर्फ़ काला धुंआ।
आंसुओं से शिकवे तो करते हैं हम पर उनकी नमी की कमी भी गवारा नहीं बहुत गहरे जज्बाती शब्द
ReplyDeleteआँखों में नमी बेहद जरुरी है ....
ReplyDeleteकाफी कुछ तो ये नमी ही बयाँ कर देती हैं बिना बोले ...
सुंदर ...
सादर !!
संगीता जी ,'रिफ़्रेश टियर्स' का प्रयोग करें -दिन में दो बार .चैन पड़ेगा!
ReplyDeleteचुभन का अहसास का कराती हुई. ..कौन सा यथार्थ है यह..?
ReplyDeleteराही मनवा दुख की चिंता क्यों सताती है
ReplyDeleteदुख तो अपना साथी है,,,,,,
RECENT POST ...: आई देश में आंधियाँ....
क्या कहने ..
ReplyDeleteएक नजर समग्र गत्यात्मक ज्योतिष पर भी डालें
रचना कहूँ तो सुंदर...पर आप ठीक तो हैं न !!
ReplyDeleteआँखों की नमी जीवन को भी नम बना कर रखती है...
सुंदर अति मनभावन
ReplyDeleteसार्थक रचना ..
ReplyDeleteman ki gaanthe chubhan ban kar aankho me aa basen to yahi hota hai.
ReplyDeleteehsaso ka yatharth chitran.
आंखो में नमी सूख जाए तो रोशनी के लिए कठिनाई होती है। दुनिया को देखने और समझने के लिए इसलिए ही संवेदना रूपी नमी की आवश्यकता होती है।
ReplyDeleteapni pareshani ko aapne kavita me dhal diya.:) kya baat hai di:)
ReplyDeleteget well soon!!
चुभन रचना में साफ़ झलक रही है. अपनी भावनाओं और पीडा को शब्द दे देना ही तो कवित्व है. बहुत सुंदर.
ReplyDeleteआप शीघ्र स्वस्थ हों यही शुभकामनाएं.
रामराम.
बहुत ही भावपूर्ण लिखा हैं ...अब नाम नही होती आँखे ...होती हैं बस चुभन सुंदर
ReplyDeleteक्रोध की तपन आँसू गिरने के पहले ही सुखा देती है..
ReplyDeleteवैसे शायद सबके साथ ऐसा होता है, किसी की नमी की वजह से और किसी की किसी और वजह से ।
ReplyDeleteक्या कहें आप इतने गहन भाव भी इतने कम शब्दों मे खूबसूरती के साथ लिख देती हैं कि मुझे तो शब्द ही नहीं मिलते कभी-कभी... :) सार्थक रचना।
ReplyDeleteसंगीता,
ReplyDeleteरचना तो बहुत गहन भाव लिए है और अंतर तक उतर गयी लेकिन अब एक सलाह - अधिक समय तक लैपटॉप या कंप्यूटर पर काम करने करने से भी ये समस्या सामने आ सकती है अतः उस तरह भी गंभीरता से ध्यान दें.
खुश्क आँखों का राज तो काफी गंभीर निकला. डॉक्टर को आंखे जरा जोर से दिखाइए जिससे आँखों की नमी बरकरार रहे.
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति. धन्यबाद.
आज के सन्दर्भ में तो यह कविता बिल्कुल सही है।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
बेकार।
ReplyDeletechubhan ke ehssas ko mukhar kar diya....
ReplyDeletelajawaab! Atyant hi prabhavshaali! shadhuwaad!
ReplyDeleteगहरे भाव
ReplyDeletegood one!!
ReplyDeletesookhti ankhon ki chubhan… wah!
ReplyDeletedi
ReplyDeleteitne chhote -chote vakyon me kitni gambhir baat aap kitn sarlta se kah jaati hain jo seedhe dil me utar jaati hain---------
aapke swasthya ke liye shubh -kamnayen---
poonam
स्नेह की नमी ना हो तो चुभन का अहसास ही बाकी रह जाता है । सुंदर अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteहाँ संगीता जी सब कुछ बदलता जा रहा है आँखें कितना संजोयें मोतियों को जब बहते ही रहे हों तो ...बहुत गहन भाव लिए प्यारी रचना
ReplyDeleteभ्रमर ५
यहाँ यू. एस. में यह आम समस्या है समाधान भी सीधा सा है टीयर ड्रोप्स/एंटी -एलर्जी ड्रोप्स ,एक और पोस्ट "अच्छी आँखों के लिए खान पान" जल्दी प्रकाशित करूंगा .अच्छी प्रस्तुति है आपकी .
ReplyDeleteबहुत खूब .. ये मेरे साथ भी हुआ था रिफ्रेश टिअर्स दुःख का काम कर गए :) .. आपकी आखे जल्दी ठीकहो यही कामना !
ReplyDeleteबहुत मर्मस्पर्शी रचना..आशा है आपकी आँखें ज़ल्द ठीक हो जायेंगी..
ReplyDeleteगहन अनुभूतियों की सुन्दर रचना....
ReplyDeleteGahn abhivyakti...
ReplyDeleteआँख का अच्छे डाक्टर से इलाज करा लीजिये,ठीक हो जायेगी.कविता इस पर अच्छी रच डाली आपने.
ReplyDeletebahut sundar ....
ReplyDeleteसार्थक रचना
ReplyDeleteडाक्टर को बताना पड़ेगा कि आप कितने समय कम्प्युटर पर बैठती हैं।:)यदि डाक्टर सलाह न दे ब्लॉगिंग कम कर दीजिए।
ReplyDelete.
ReplyDeleteआदरणीया संगीता जी,
सादर प्रणाम !
कविता हमेशा की तरह अच्छी है …
अब स्वास्थ्य कैसा है ?
मेरी दीदी की आंखों में भी आंसू बनना बंद हो जाने से पिछले दिनों तक़लीफ़ थी ।
आप योग्य डॉक्टर से इलाज़ कराएं … शीघ्र पूर्णतः स्वस्थ हों … तब तक ब्लॉगिंग कम करदें …
शुभकामनाओं सहित…
बहुत गहन!
ReplyDeleteकभी-२ अश्कों से भी चुभन होती है...
ReplyDeleteश्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ
ReplyDelete--- शायद आपको पसंद आये ---
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सूखी आँखों मं चुभन होती है
ReplyDeleteदर्द होता है जलन होती है !
प्यार बूंदों सि भरीं आँखों में
दर्द होता न जलन होती है
भुक्त भोगी
सूखी आँखों में चुभन होती है
ReplyDeleteपीर होती है जलन होती है !
डॉक्टर कहते हैं कि आँखों में " प्राक्रतिक अश्रु बूँदें डालें जलन चुभन छूमंतर"
कृष्ण प्रेम से तरल आँखों में कैसी पीड़ा , कैसी जलन ?
भुक्त-भोगी
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं..
ReplyDeleteप्रणाम!
ReplyDeleteजिस तरह आपने 'बिखरे मोती' पिरोये हैं, ज़ाहिर है भाव की नमी आँखों में बढ़ ही रही है.... जहां तक मेडिकल परेशानी है, कामना है जल्द ठीक हो जाएगी!
चरण स्पर्श!
आशीष
--
द टूरिस्ट!!!
बेहद खूबसूरत..ख़ास कर आखिर में लिखे शब्द..(आज डॉक्टर को दिखाईं तो उन्होने बताया कि नमी सूख गयी है इसीलिए इरिटेशन होता है )
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