झरते पत्ते
देते यह संदेश
जाना तो है ही ।
ये मेरा मन
झर झर जाता है
पीले पत्तों सा ।
ऋतु दबंग
हर लेती है पत्ते
सूनी शाखाएँ ।
पत्रविहीन
कर रहा प्रतीक्षा
नए पत्तों की ।
उदास मन
टूटता है नि:शब्द
पतझर सा ।
बेखौफ पत्ते
छोड़ गए शाखाएँ
पल्लव आयें
सूखे जो पत्ते
टपक ही तो गए
शाख से नीचे ।
पतझर में
पीली हुयी धरती
ज़र्द पत्तों सी ।
उदास मन
ReplyDeleteटूटता है नि:शब्द
पतझर सा ।
बहुत ही उत्कृष्ट प्रस्तुति।
बहुत ही उम्दा प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर! आपके मोती मुझे हमेशा अच्छे लगते हैं :)
ReplyDeleteगहन भाव लिए उत्कृष्ट अभिव्यक्ति
ReplyDeleteपतझर में
ReplyDeleteपीली हुयी धरती
ज़र्द पत्तों सी । ......bahut sundar likhti hain aap sangeeta ji ....
पतझर का सत्य यही है..सुन्दर अभिव्यक्ति .
ReplyDeleteपत्रविहीन
ReplyDeleteकर रहा प्रतीक्षा
नए पत्तों की
गहन भाव,बहुत सुन्दर!
जाने कैसे इतने से शब्दों में सब कुछ कह देती हो..
ReplyDeleteऔर चित्र के साथ शब्द गज़ब ढा रहे हैं.
बेखौफ पत्ते
ReplyDeleteछोड़ गए शाखाएँ
पल्लव आयें ....bahut badhiya ...vaise sare hi acche hain ...
पतझड़ जहां एक ओर हरियाली विहीन होने का भाव दिखाता है वहीं दूसरी फिर से नए सृजन का संकेत भी देता है। दोनों ही खूबियों को आपने इन हाइकु में बखूबी समेटा है।
ReplyDelete'पतझर' पर आपने इतने खूबसूरत, कोमल और हरे पत्ते बिखेर दिए कि उन्हें उठाकर किताबों के बीच रख लेने को जी चाह रहा है, दीदी!!
ReplyDeleteकाश मुझे भी हाइकू लिखना आता!! :(
एक एक हाइकु सीप का मोती ....
ReplyDeleteबहुत सुंदर भाव हैं दी ....
बहुत ही सुंदर ...
bahut sargarbhit......
ReplyDeleteगहन भाव लिए बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteवाह|||
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन हाइकु
बहुत बढियाँ...
:-) :-)
उदास मन
ReplyDeleteटूटता है नि:शब्द
पतझर सा ।
नि:शब्द करते उत्कृष्ट हाइकू ,,,,
RECENT POST : गीत,
उत्कृष्ट हाइकु
ReplyDeleteनन्हीं-नन्हीं बूँदें जैसे रोशनी को बिंबित कर जायें ,
ReplyDeleteऐसे ही ये लघु छंद!
पात पात में सुन्दर बात !
ReplyDeleteहायकू विधा की बेहतरीन प्रस्तुति .
सुन्दर चित्र पंक्तियों की खूबसूरती को बढ़ाते हैं !
सुन्दर!!
ReplyDeleteउदास मन
टूटता है नि:शब्द
पतझर सा ।
छोटे छोटे पत्तों जैसे हाईकू..
ReplyDeleteगज़ब के भाव भरे हाइकू ………आप तो हाइकू क्वीन बन गयी हैं :)
ReplyDeleteउदास मन
ReplyDeleteटूटता है नि:शब्द
पतझर सा ।
बहुत ही सुन्दर हाईकू संगीता जी मन को व्याकुल सा करते ! इसे भी देखिये -
झरते पत्ते
जैसे झरते आँसू
गुमसुम शाखें !
क्या बात है? पत्ते शाखें और उससे जुड़े कितने सारे दर्शन को समेटे ये हाइकू? बहुत कुछ कह गए हें.
ReplyDeleteझरते पीले पात कितनी सारी बातें कह गए... बहुत सुन्दर हायकू... आभार
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सचित्र हाइकु -- हाइगा .
ReplyDeleteये मेरा मन
ReplyDeleteझर झर जाता है
पीले पत्तों सा ।
...बहुत खूब! हरेक हाइकु गहन अर्थ छुपाये और दिल को छू गये..आभार
प्रकृति सम
ReplyDeleteपतझड़-पल्लव
आ खेलें हम
बहुत ही सारगर्भित हाइकू हैं बधाई।
ReplyDeleteवाह संगीताजी ....इतने उम्दा हाइकू बहुत कम मिलते हैं पढने को ...मज़ा आ गया ....साभार !
ReplyDeleteदीदी सारे हाइकु मन-भावन है
ReplyDeleteउदास मन
टूटता है नि:शब्द
पतझर सा ।
इसने तो मन मोह लिया ..प्रणाम !
सभी हाइकु बहुत अच्छे हैं
ReplyDeleteसादर
पतझर में
ReplyDeleteपीली हुयी धरती
ज़र्द पत्तों सी ।...:)
jabab nahi di..
chhoti chhoti rachnaon me kitna dam hota hai..
is sab ke baad shayad ab kuchh nahi bachta patjhad par kahne ke liye.
ReplyDeletebahut sunder haiku.
bahut sundar hayeku hain dee....
ReplyDeletedil se jhar ke seedhe kaagaz par tapake hon maano....
saadar
anu
जीवन का यह भी एक रंग दिखातीं आपकी सुंदर हाइकू ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर हाइकु ,मनमोहक प्रस्तुति
ReplyDeleteहाइकु...पूरा जीवन दर्शन लिए हुए...
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteक्या कहने
जब भी समय मिले, मेरे नए ब्लाग पर जरूर आएं..
http://tvstationlive.blogspot.in/2012/09/blog-post.html?spref=fb
उत्कृष्ट हाइकु.
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा .
ReplyDeleteसुंदर हाइकू
उत्कृष्ट अभिव्यक्ति .........
ReplyDeleteपतझर है
ReplyDeleteइसका मतलब
बसंत होगा |
झरते पात
खामोश हर वृक्ष
जीवंत होगा |
उठते हाथ
दुवाओं का असर
तुरंत होगा |
प्रश्न दहका
पतझरी हाइकू
ज्वलंत होगा |
इधर आँसू
तो उधर आनंद
अनंत होगा |
उत्कृष्ट पतझरी हाइकू की प्रेरणा से जो बने, शायद हाइकू हो सकते हैं. आभार......
जीवन के हर पल को सिखा देती है यह पत्तो की कहानी ..!!
ReplyDeleteसभी हाइकु पतझड़ पर एक से एक सन्देश परक .हाँ वृक्ष ये तो सन्देश देते ही हैं जब कोपलें फूट आती है शाख पर तब भी -और जब निर्वसना जर्जर हो जाते हैं पतझड़ में तब भी -
ReplyDeleteजीवन जीने का नाम है .सर्दी गर्मी बरसात में सम भाव लिए प्रकृति के साथ तादात्मय बनाए चलो .हँसते हुए आना है हँसते हुए जाना है छटा अपने रूप रंग की स्वभाव की आसपास बिखराना है .
बेखौफ पत्ते
छोड़ गए शाखाएँ
पल्लव आयें
खाली हाथ आ ,
मत घबरा जी ले ,
खाली हाथ जा !
सुन्दर प्रस्तुति |
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति |
ReplyDeleteअसर छोड़ने में कामयाब हैं, आपके हायकू
ReplyDeleteबधाई !
पतझड़ में भी बहारो की सुखद अनुभूति प्रदान करने में सक्षम प्रत्येक हाईकू और चित्र, शब्दों एवं चित्रों का बेहतरीन तालमेल...... सुंदर प्रस्तुति......
ReplyDeleteखूबसूरत हाईकू हैं..
ReplyDeleteपतझड़ और जीवन की अच्छा तुलना..
ye to haiga bhi hai kamal ka snyojan hai bahut bahut badhai
ReplyDeleterachana
बहुत सुन्दर हाइकू हैं संगीता जी।। जब भी आपके हाइकू पढ़ती हूँ बस एक ही विचार आता है मन में, इसे कहते हैं सशक्त हाइकू . कहीं भी नियमों का पालन करने के लिए शब्दों का जोड़-तोड़ किया गया हो ऐसा ढूंढें से भी नहीं मिलता ... एक-एक शब्द अपने अर्थ और भाव को सार्थक करता हुआ एकदम सटीक ...
ReplyDeleteबढ़िया हाइकू।
ReplyDeleteमुझे भी फोटू खीचने के बाद हाइकू लिखने का मन हो रहा है, इसे पढ़कर।
ये मेरा मन
ReplyDeleteझर झर जाता है
पीले पत्तों सा ।
vakai badhiya ...