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Tuesday, 14 May 2013

तल्ख स्मृतियाँ ( हाइकु )



कड़वी यादें 
  चीर देती हैं  सीना 
     मैं हुयी मौन  ।

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पीड़ित यादें 
  झटक ही तो दीं थीं
    पीले पत्ते सी । 

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विष से बुझा 
  याद है  व्यंग्य  बाण
     मरा मेरा   'मैं' ।

*****************

तल्ख स्मृतियाँ 
   जेहन में घूमतीं 
      चैन न आए । 

*****************

खुद से जंग 
  जंगरहित यादें 
     निज़ात नहीं .... 

***************


41 comments:

  1. स्मृतियों पर सुन्दर हाइकु।

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  2. ...सभी हाइकू सुन्दर और अर्थपूर्ण!

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  3. sabhi acche hain .....arthpurn ....

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  4. सार्थक सृजन संगीता जी ! सभी एक से बढ़ कर एक ! बहुत सुंदर !

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  5. विष से बुझा
    याद है व्यंग्य बाण
    मरा मेरा 'मैं' ।
    सुपर्ब ..
    ये तल्ख़ यादें चैन कहाँ लेने देती हैं.कचोटती रहती हैं हर दम.

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  6. बहुत अर्थपूर्ण एवं मर्मस्पर्शी हाइकू .

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  7. बहुत ही बेहतरीन सार्थक सृजन,आभार.

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  8. व्याकुल हाइकु
    दिल को छूती
    सादर

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  9. तल्ख स्मृतियाँ
    जेहन में घूमतीं
    चैन न आए ।

    बहुत सटीक और मन को छूने वाले हाइकु

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  10. खुद से जंग
    जंगरहित यादें
    निज़ात नहीं .... कभी नहीं मिलती निजात -

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  11. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (15-05-2013) के "आपके् लिंक आपके शब्द..." (चर्चा मंच-1245) पर भी होगी!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  12. बहुत सुन्दर!!!
    चंद शब्दों में हाले दिल बयां हुआ....

    सादर
    अनु

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  13. मन की व्यथा को बहुत ही सटीकता से प्रकट करते हाइकू.

    रामराम.

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  14. स्मृतियों का सुन्दर जंजाल....

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  15. खुद से जंग ..जंग रहित यादें ...
    मुमकिन नहीं !
    बहुत खूब सारी की सारी !

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  16. यह हाइकु की कला आपसे सीखनी पड़ेगी। मेरे पास भी एक आर्डर आया है लेकिन उसे मैं पूरा नहीं कर पा रही हूं।

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  17. उफ़ एक से बढकर एक हाइकू गागर मे सागर भरते

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  18. तल्ख़ स्मृतियों को शमित करना आवश्यक है वर्ना अशांति के सिवा कुछ नहीं. भावपूर्ण हायकू निहित संदेश देने में सक्षम.

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  19. दीदी प्रणाम। आज आप के ब्लौग्स का आनंद लिया। मन प्रसन्न हुआ। इस विलक्षण हाइकु के लिए आप को सादर प्रणाम

    खुद से जंग
    जंगरहित यादें
    निज़ात नहीं ....

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  20. बहुत सुन्दर...सभी हाइकु दिल को छू जाते हैं...

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  21. बिखरे मोती
    मन की गगरिया
    कौन समेटे.

    "मैं" मृतप्राय
    अनंत अंतरिक्ष
    नन्हा सा नीड़.

    हीरे की कनी
    जगमग स्मृतियाँ
    रक्त-रंजित.

    एक प्रयास
    सफल - असफल
    कौन विचारे.

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  22. तल्ख स्मृतियाँ
    जेहन में घूमतीं
    चैन न आए ।
    स्‍मृतियाँ तल्‍ख हों तो चैन नहीं आता ... सच
    मन को छूते भाव
    सादर

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  23. संगीता दी मेरा कमेन्ट गायब हो चूका है लगता.

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  24. सच है ऐसी ही तो होती है हर जीवन की कुछ कड़वी स्मृतियाँ...

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  25. बहुत गहन, अर्थपूर्ण, भावपूर्ण हाइकु दीदी!
    ~सादर!!!

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  26. विष से बुझा
    याद है व्यंग्य बाण
    मरा मेरा 'मैं' ...

    बहुत गहरी ...
    कर हाइकू स्मृति के कुछ नए दृष्टिकोण को ले के लिखा है ... लाजवाब ...

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  27. bahut acchi...sabhi haiku dil ko chuti hui.

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  28. सभी हाइकू सुन्दर ....

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  29. उफ़।।।
    पर सुन्दर।।

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  30. सुन्दर हाइकू

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  31. बेहतरीन हाइकु, बधाई.

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  32. प्यारे प्यारे हाइकू
    बिखरे मोती से
    चमकते सितारे ।

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  33. हर हाईकू तल्ख़ स्मृतियाँ लिए हुए
    सादर !

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  34. गहन अनुभूति
    उत्कृष्ट प्रस्तुति
    सादर

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  35. बहुत अर्थपूर्ण हाइकू

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  36. स्मृतियों के केंद्र में सुंदर हाइकू
    सुंदर अनुभूति
    बेहतरीन प्रस्तुति
    सादर

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  37. तल्ख स्मृतियाँ
    जेहन में घूमतीं
    चैन न आए ।


    hmmmmm..........haan di...sch..smritoun se pichaa shudaana bilkul vaisa he jaise hwaaa kokhud se alag krna...hum chahe na chahe...wo hmeshaa ird girf ghumti rehati hain.......aur jab unka zor bdhtaa he...jhtkaa jaati hain hume...............sabhii haiku...pdeh..mzaa aa gya..bahut achee hain sab

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