त्रिनेत्रधारी
त्रिनेत्र बंद करो
राहत मिले
नाथों के नाथ
क्यों प्रलय मचाई
मूक बन के ।
त्राहि त्राहि है
हैरान परेशान
हैं तीर्थ यात्री
आपदा में भी
सक्रिय हैं लुटेरे
जन हैरान ।
खामोश नेता
रोटियाँ सेंकते हैं
ढेर लाशों के ।
वीर जवान
लगा दें सारी जान
उन्हें नमन
हवाई दौरा
कर्तव्य की इतिश्री
नेता अभ्यस्त ।
भगवान ने
दिखा दिया भक्तों को
अपना दर्द ।
भोले भण्डारी
किया तांडव नृत्य
तबाही मची ।
मानव बुद्धि
अब तो कर शुद्धि
विचार कर ।
सच संगीता जी ... अब तो बस भोले भंडारी दया करें .... बहुत हो गया क्रोध, बहुत हो गया विनाश का तांडव ....
ReplyDeleteसादर
मंजु
क्रोध किसका, व्यक्त किस पर,
ReplyDeleteक्षोभ जग का, कुपित ईश्वर।
bahut sarthak shabdon me apni baat kahi hai aapne .har haaiku sarthak sandesh preshit kar raha hai .aabhar
ReplyDeleteधर्म की राजनीति चमकाने का वक्त नहीं है ये !
हर बात को धर्म से क्यों जोड़ देते हैं ZEAL जैसे लोग?
शिव अपनी तीसरी आँख खोल प्रलय तो चुके अब कुछ शांति बयार भी बहा दें तो कुछ राहत मिल सके.
ReplyDeleteसामायिक हायकू.
भूल तो बहुत हुई प्रभु,माफ़ करो ....
ReplyDeleteसच्चाई को शब्दों में बखूबी उतारा है आभार गरजकर ऐसे आदिल ने ,हमें गुस्सा दिखाया है . आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
ReplyDeleteसार्थक और सामयिक!
ReplyDeleteसटीक व सामयिक हाइकू, पर्यावरण विनाश और मानसिक कुंठा के शिकार लोग ही इसके लिये जिम्मेदार हैं.
ReplyDeleteरामराम.
नमस्कार
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (24-06-2013) के :चर्चा मंच 1285 पर ,अपनी प्रतिक्रिया के लिए पधारें
बे-मिसाल हाइकू
ReplyDeleteसार्थक सामयिक अभिव्यक्ति
मानव बुद्धि
ReplyDeleteअब तो कर शुद्धि
विचार कर ।
बहुत सार्थक हाइकु दी ...
शिव की तीसरी आँख का
ReplyDeleteप्रकोप देख लिया
फिर भी ना
मानव के मन से
लोभ का मूल गया
लाशों पर भी सौदा कर रहा है
पानी का भी मोल लगा रहा है
देखो कैसे जमीर बिक गया है
इन हालातों पर भी
धरती का भगवान खुद को समझ रहा है ……धिक्कार है
सच में यह प्रकृति का क्रोध ही है
ReplyDeleteसादर !
मानव बुद्धि
ReplyDeleteअब तो कर शुद्धि
विचार कर ।
इस पूरी त्रसदी में यही बचाव का एक रास्ता है।
सार्थक हाइकु।
लाजबाब कटाक्ष !
ReplyDeleteपंचभूतों से उठा जो आज हाहाकार,
मनुज के अतिचार का परिणाम. ,
दे रहा चेतावनी यह कौन -
'पाप का पहले करो प्रतिकार' !
अब तो कर विचार मानव !
ReplyDeleteत्रासदी से संवेदित भावनापूर्ण हायकू !
अब तो चेतें हम ....
ReplyDelete
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सार्थक और सामयिक प्रस्तुति !
latest post जिज्ञासा ! जिज्ञासा !! जिज्ञासा !!!
धरती का भगवान खुद को समझ रहा है …
ReplyDeleteउसी का प्रतिफल तो आज भुगत रहा है |
अपराध और पाप देखकर भी चुप हैं जो-
उनके अपराध को भी वो समझ रहा है |
प्रकृति ने चेतावनी की जगह सजा देना शुरू कर दिया है... अब भी न संभले तो अंत निश्चित है
ReplyDeleteदी ! इन छोटे छोटे हाइकू से आपने पूरी रिपोर्ट दे दी है.
ReplyDeleteपूरा खाका खींच दिया हालातों का.
ताजा हालात पर सटीक प्रस्तुती
ReplyDeleteसभी हाइकू बढ़िया ...
ना जाने कब समझेंगे और संभलेगे हम...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया,सुंदर हाइकू ,,,
ReplyDeleteRecent post: एक हमसफर चाहिए.
सबकी रक्षा करो !सबकी रक्षा करो !
ReplyDeleteमानव मन की सम्वेदना के मार्मिक चित्र...
ReplyDeleteइन हाइकू के माध्यम से इस त्रासदी को हूबहू बयाँ कर दिया ... सच में अब प्रभू को तीसरा नेत्र बंद करना चाहिए ... सामयिक लिखा है ...
ReplyDeleteभगवान और भक्त, मानव और दानव सबकी करनी पर रोशनी डालते बहुत सुंदर हाईकू संगीता जी ! भोलेनाथ अपना यह रौद्र रूप दिखा कर और डराना बंद करें तब ही कुछ राहत मिल सकेगी !
ReplyDelete
ReplyDeleteशुक्रिया आपकी टिप्पणियों का .ॐ शान्ति .
दर्शन और अध्यात्म पिरोये बेहतरीन हाइकु .तीसरा नेत्र हम बच्चों (ब्रह्मा के बच्चों का ज्ञान सुनके खुलता है ब्रह्मा कमल मुख से ).कर्म की छाया है हमारे साथ .शिव सदा कल्याण कारी हैं . दुःख हरता हैं लेकिन अपने कर्म से अर्जित सुख दुःख भोग तो आत्मा भोगती ही है शरीर में प्रवेश के साथ साथ .ॐ शान्ति .
shiv ka prakop hamen kuchh sikha raha hai lekin ham seekh len to theek hai nahin to aise hi nirdosh kaal kavalit hote rahenge kyonki prakriti ka dohan karne valon ke paas to vahan jaane kee phursat nahin hoti .
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ReplyDeleteआज की हालात पे बे हद सशक्त हाइकु .त्रिनेत्र धारी हम हैं बा -शर्ते हमारा बुद्धि का तीसरा नेत्र अब भी खुल जाए अपने पारितंत्रों और पर्यावरण के प्रति हम एक मानवीय दृष्टि अपनाएं रखें .ॐ शान्ति .
भगवान ने
ReplyDeleteदिखा दिया भक्तों को
अपना दर्द ।
आज के हालात पे बे हद सशक्त हाइकु
...........
त्रासदी के मार्फ़त लिखी गई उम्दा हाइकु .शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का .
ReplyDeleteमानव बुद्धि
ReplyDeleteअब तो कर शुद्धि
बिल्कुल सहि, और ज़रूरी, इस अपदा के वक़्त में।
शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का .
ReplyDeleteसभी हाइकु तबाही का मंज़र दिखाते हुए ......
ReplyDeleteशुक्रिया आपकी निरंतर टिप्पणियों का .ॐ शान्ति
ReplyDeleteत्रासदी पर यथार्थपरक रचना....
ReplyDeletekatu sacchai ka marmik paksh ..kaun karega bharpaai ...
ReplyDeleteमानव बुद्धि
ReplyDeleteअब तो कर शुद्धि
विचार कर । ...... wahi to nahi karta insaan !!
मानव बुद्धि
ReplyDeleteअब तो कर शुद्धि
विचार कर । ... wahi to nahin karta insaan !!