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Sunday, 23 June 2013

प्रकोप शिव का ....


त्रिनेत्रधारी 
त्रिनेत्र  बंद करो 
राहत मिले 


नाथों के नाथ 
क्यों प्रलय मचाई 
मूक बन के ।
 

त्राहि त्राहि है 
हैरान परेशान 
हैं तीर्थ यात्री

Uttarakhand: pilgrims trekking to safety being looted en route

आपदा में भी 
सक्रिय हैं लुटेरे 
जन हैरान । 

Uttarakhand: 'Will we be evacuated after we die?' ask those stranded

खामोश नेता 
रोटियाँ सेंकते हैं 
ढेर लाशों के । 


वीर जवान 
लगा दें सारी जान 
उन्हें नमन 

Uttarakhand: 550 people dead, 14,000 still missing

हवाई दौरा 
कर्तव्य की इतिश्री 
नेता अभ्यस्त  । 


भगवान ने 
दिखा दिया भक्तों को 
अपना दर्द ।

kedarnath-21.wmv_000020534.jpg

भोले भण्डारी 
किया तांडव नृत्य 
तबाही मची । 


मानव बुद्धि 
अब तो  कर  शुद्धि 
विचार कर । 

42 comments:

  1. सच संगीता जी ... अब तो बस भोले भंडारी दया करें .... बहुत हो गया क्रोध, बहुत हो गया विनाश का तांडव ....

    सादर
    मंजु

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  2. क्रोध किसका, व्यक्त किस पर,
    क्षोभ जग का, कुपित ईश्वर।

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  3. bahut sarthak shabdon me apni baat kahi hai aapne .har haaiku sarthak sandesh preshit kar raha hai .aabhar

    धर्म की राजनीति चमकाने का वक्त नहीं है ये !

    हर बात को धर्म से क्यों जोड़ देते हैं ZEAL जैसे लोग?

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  4. शिव अपनी तीसरी आँख खोल प्रलय तो चुके अब कुछ शांति बयार भी बहा दें तो कुछ राहत मिल सके.

    सामायिक हायकू.

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  5. भूल तो बहुत हुई प्रभु,माफ़ करो ....

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  6. सच्चाई को शब्दों में बखूबी उतारा है आभार गरजकर ऐसे आदिल ने ,हमें गुस्सा दिखाया है . आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN

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  7. सटीक व सामयिक हाइकू, पर्यावरण विनाश और मानसिक कुंठा के शिकार लोग ही इसके लिये जिम्मेदार हैं.

    रामराम.

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  8. नमस्कार
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (24-06-2013) के :चर्चा मंच 1285 पर ,अपनी प्रतिक्रिया के लिए पधारें

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  9. बे-मिसाल हाइकू
    सार्थक सामयिक अभिव्यक्ति

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  10. मानव बुद्धि
    अब तो कर शुद्धि
    विचार कर ।
    बहुत सार्थक हाइकु दी ...

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  11. शिव की तीसरी आँख का
    प्रकोप देख लिया
    फिर भी ना
    मानव के मन से
    लोभ का मूल गया
    लाशों पर भी सौदा कर रहा है
    पानी का भी मोल लगा रहा है
    देखो कैसे जमीर बिक गया है
    इन हालातों पर भी
    धरती का भगवान खुद को समझ रहा है ……धिक्कार है

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  12. सच में यह प्रकृति का क्रोध ही है
    सादर !

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  13. मानव बुद्धि
    अब तो कर शुद्धि
    विचार कर ।


    इस पूरी त्रसदी में यही बचाव का एक रास्ता है।
    सार्थक हाइकु।

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  14. पंचभूतों से उठा जो आज हाहाकार,
    मनुज के अतिचार का परिणाम. ,
    दे रहा चेतावनी यह कौन -
    'पाप का पहले करो प्रतिकार' !




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  15. अब तो कर विचार मानव !

    त्रासदी से संवेदित भावनापूर्ण हायकू !

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  16. बहुत सुन्दर सार्थक और सामयिक प्रस्तुति !
    latest post जिज्ञासा ! जिज्ञासा !! जिज्ञासा !!!

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  17. धरती का भगवान खुद को समझ रहा है …
    उसी का प्रतिफल तो आज भुगत रहा है |
    अपराध और पाप देखकर भी चुप हैं जो-
    उनके अपराध को भी वो समझ रहा है |

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  18. प्रकृति ने चेतावनी की जगह सजा देना शुरू कर दिया है... अब भी न संभले तो अंत निश्चित है

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  19. दी ! इन छोटे छोटे हाइकू से आपने पूरी रिपोर्ट दे दी है.
    पूरा खाका खींच दिया हालातों का.

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  20. ताजा हालात पर सटीक प्रस्तुती
    सभी हाइकू बढ़िया ...

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  21. ना जाने कब समझेंगे और संभलेगे हम...

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  22. सबकी रक्षा करो !सबकी रक्षा करो !

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  23. मानव मन की सम्वेदना के मार्मिक चित्र...

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  24. इन हाइकू के माध्यम से इस त्रासदी को हूबहू बयाँ कर दिया ... सच में अब प्रभू को तीसरा नेत्र बंद करना चाहिए ... सामयिक लिखा है ...

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  25. भगवान और भक्त, मानव और दानव सबकी करनी पर रोशनी डालते बहुत सुंदर हाईकू संगीता जी ! भोलेनाथ अपना यह रौद्र रूप दिखा कर और डराना बंद करें तब ही कुछ राहत मिल सकेगी !

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  26. शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का .ॐ शान्ति .

    दर्शन और अध्यात्म पिरोये बेहतरीन हाइकु .तीसरा नेत्र हम बच्चों (ब्रह्मा के बच्चों का ज्ञान सुनके खुलता है ब्रह्मा कमल मुख से ).कर्म की छाया है हमारे साथ .शिव सदा कल्याण कारी हैं . दुःख हरता हैं लेकिन अपने कर्म से अर्जित सुख दुःख भोग तो आत्मा भोगती ही है शरीर में प्रवेश के साथ साथ .ॐ शान्ति .

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  27. shiv ka prakop hamen kuchh sikha raha hai lekin ham seekh len to theek hai nahin to aise hi nirdosh kaal kavalit hote rahenge kyonki prakriti ka dohan karne valon ke paas to vahan jaane kee phursat nahin hoti .

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  28. आज की हालात पे बे हद सशक्त हाइकु .त्रिनेत्र धारी हम हैं बा -शर्ते हमारा बुद्धि का तीसरा नेत्र अब भी खुल जाए अपने पारितंत्रों और पर्यावरण के प्रति हम एक मानवीय दृष्टि अपनाएं रखें .ॐ शान्ति .

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  29. भगवान ने
    दिखा दिया भक्तों को
    अपना दर्द ।
    आज के हालात पे बे हद सशक्त हाइकु
    ...........

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  30. त्रासदी के मार्फ़त लिखी गई उम्दा हाइकु .शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का .

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  31. मानव बुद्धि
    अब तो कर शुद्धि
    बिल्कुल सहि, और ज़रूरी, इस अपदा के वक़्त में।

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  32. शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का .

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  33. सभी हाइकु तबाही का मंज़र दिखाते हुए ......

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  34. शुक्रिया आपकी निरंतर टिप्पणियों का .ॐ शान्ति

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  35. त्रासदी पर यथार्थपरक रचना....

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  36. katu sacchai ka marmik paksh ..kaun karega bharpaai ...

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  37. मानव बुद्धि
    अब तो कर शुद्धि
    विचार कर । ...... wahi to nahi karta insaan !!

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  38. मानव बुद्धि
    अब तो कर शुद्धि
    विचार कर । ... wahi to nahin karta insaan !!

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आपकी टिप्पणियां नयी उर्जा देती हैं....धन्यवाद