आहार नाम
हार गया जीवन
कैसी है नीति ?
बालक शव
ममता का चीत्कार
है राजनीति ।
कैसी है शिक्षा
नहीं लौटेगा लाल
मारा तृष्णा ने ।
मौन हैं नेता
विपक्ष पर वार
स्वयं हैं पाक ।
शर्मिंदगी से
सिर झुकाये सभी
आंखे सजल ।
वाकई बहुत दुखद , लगता नहीं कि हम लोग २१वीं सदी में रह रहे है !
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी.....
ReplyDeleteपढ़ती गयी नम आँखों से.
सादर
अनु
सबको शिक्षा मिले, इसलिये खाना। इस गत न जाये यह।
ReplyDeleteछपरा की पीडा को आपने हाइकू के रूप में सशक्त शब्द दे दिये, बहुत ही दुखद घटना.
ReplyDeleteरामराम.
हृदयस्पर्शी,बहुत ही सार्थक प्रस्तुति.,,आभार
ReplyDeleteबहुत दुखद है यह सरकार के लापरवाही का नतीजा है मर्म स्पर्शी प्रस्तुति------!
ReplyDeleteबहुत दुखद.... :(
ReplyDeleteसादर!!!
क्या कहा जाए. मर्मस्पर्शी पंक्तियाँ है और मन क्षुब्द्ध है.
ReplyDeletekya kahun bahut hi dukhki baat hai kash ke ab bhi aankhen khunlen
ReplyDeleterachana
विकल मन
ReplyDeleteउजड़ा मधुबन
हारा जीवन !
बहुत ही हृदयस्पर्शी हाईकू संगीता जी ! इस घटना ने झकझोर दिया है !
आपकी यह रचना आज शुक्रवार (19-07-2013) को निर्झर टाइम्स पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
ReplyDeleteपता नहीं किस मिट्टी के बन रहे हैं आज इंसान...दुखद :(
ReplyDeletedardnaak ghatna
ReplyDeletehaiku me bhi utar gayee...
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(20-7-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
ReplyDeleteसूचनार्थ!
बहुत सचित्र सुन्दर हाइकू मर्म स्पर्श किया
ReplyDeletelatest post क्या अर्पण करूँ !
और ह्रदय क्षत-विक्षत..
ReplyDeleteबड़ी हृदय-विदारक घटना है और साथ-साथ शर्मनाक भी; इतनी बड़ी लापरवाही कोई नई बात नहीं है; आज ना तो किसी को अपने कर्त्तव्य का बोध है और ना किसी के जीवन का कोई मूल्य है! जिन अबोध बच्चों को भोजन के नाम पर विष खाकर मृत्यु मिली , उनके जीवन को लौटाने की ज़िम्मेदारी कौन लेगा??
ReplyDeleteआज उन अबोध बच्चों के बारे में सोचकर इन्सान होने पर भी शर्म आती है....
.अत्यंत दुखद।
ReplyDeleteमार्मिक हाइकु।
दुखद, क्या कहूं
ReplyDeleteमेरी कोशिश होती है कि टीवी की दुनिया की असल तस्वीर आपके सामने रहे। मेरे ब्लाग TV स्टेशन पर जरूर पढिए।
MEDIA : अब तो हद हो गई !
http://tvstationlive.blogspot.in/2013/07/media.html#comment-form
कैसी भूख?
ReplyDeleteनिरीह लड़कपन की बलि चढ़ा-चढ़ा कर
जीभ लपलपा रही दानवी तृष्णा शान्त न होती !
सच में निशब्द हैं हम ..... दुखद और अफसोसजनक
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी ....असीम वेदना ....गर्त मे गिरता इंसान ....क्या कहा जाये ...!!
ReplyDeletesad....
ReplyDeleteसुन्दर हाइकू
ReplyDeleteइस दिल को हिला देने वाली घटना को शब्दों में उतर दिया अपने ... निःशब्द कर देती हैं ऐसी घटनाएँ ...
ReplyDeleteaapne haiku ke jariye ...sacchai ko bahut sashakt tarike se prastut kiya hain.
ReplyDeleteशर्मिंदगी से
ReplyDeleteसिर झुकाये सभी
आंखे सजल ।
एक सच जिससे मन इन हालातो पे दुखी हो जाता है ...
बहुत मार्मिक...
ReplyDeleteNice post )
ReplyDeletehttp://yefehqhnf.com my blog
सच बयां करते हाइकू मिड डे मील पर ।
ReplyDeleteआहार नाम
ReplyDeleteहार गया जीवन
कैसी है नीति ?
सभी सार्थक हाइकू है मिड डे मील पर !
मार दिया पापड़ वाले को हाइकु ने।
ReplyDeletesach me...bahut hi sharmnaak ghtnaa he ye................pr hum kucch nhi kr skte ..siwaaye..kuch kehne yaa likhne ke............kaash unje kanaon me kabhi to junn renge
ReplyDeleteबहुत दुखद !
ReplyDeleteॐ शान्ति
ReplyDeleteप्रासंगिक धारदार व्यंग्य हाइकु
ReplyDeleteह्रदय स्पर्शी हाइकु ...!!
ReplyDeleteइस घटना का मर्मस्पर्शी वर्णन करते हाइकू । राजनीति क्या क्या निर्मम खेल दिखाती है ।
ReplyDeleteआहार नाम
हार गया जीवन
कैसी है नीति ?
मार्मिक हाइकु हैं आदरणीया संगीता स्वरूप जी
❣मंगलकामनाओं सहित...❣
♥ रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं ! ♥
-राजेन्द्र स्वर्णकार
dil bhar aaya ..har jagah awavastha ka bolbala hai ...
ReplyDeleteफिर ताज़ा लगे ये हाइकु -जैसे इन्द्रियों के आहार हैं -आँख का रूप ,कान का संगीत ,जीभ का स्वाद वैसे ही नेताओं के आहार है भ्रष्टाचार।
ReplyDeletevery sad moment indeed....worst part is no know can say that it will not occur again...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...नमस्ते दीदी
ReplyDeletemarmsparshi
ReplyDeletepata nahin kab honge ye sharmsaar !
ReplyDeleteanumpama ji ki baaton se main bhi sahmat hoon ,satya katu satya
ReplyDeleteGagar men saagar.
ReplyDeleteArchive, Plaza & Rakuten profile