स्वतंत्र भारत की नीव में उस समय के नेताओं ने अपनी महत्त्वाकांक्षाओं के रख दिये थे भ्रष्ट आचार फिर देश से कैसे खत्म हो भ्रष्टाचार ? बहुत सही कहा आपने... आदरणीया संगीता जी ! ...और उसके बाद भी निरंतर अवसरवादियों के कुशासन ने राष्ट्र के हित में नकारात्मक ही किया... बहुत कुछ है इस लघुकविता में... आभार ! मंगलकामनाओं सहित... -राजेन्द्र स्वर्णकार
आप के उत्तम, दिव्य विचारो से अब महान,सनातन देश व भारत माँ, शीघ्र ही विश्व की असुर, भ्रस्ट, पाशविक, जेहादी, राजनैतिक शक्तिओं के विनाश मुक्त होगी - शुभ कामनायों सहित,एक प्रसंसक
नाम वही, काम वही लेकिन हमारा पता बदल गया है। आदरणीय ब्लॉगर आपने अपने ब्लॉग पर iBlogger का सूची प्रदर्शक लगाया हुआ है कृपया उसे यहां दिए गये लिंक पर जाकर नया कोड लगा लें ताकि आप हमारे साथ जुड़ें रहे। इस लिंक पर जाएं ::::: http://www.iblogger.prachidigital.in/p/best-hindi-poem-blogs.html
बहुत सुंदर ढंग से ब्यक्त किया अपने विचार ------! जितनी प्रसंशा की जय कम है-----।
ReplyDeleteधन्यबाद
हमारा पहला कदम ही निश्चित करता है कि हमारा मार्ग किधर जाएगा। अच्छी रचना।
ReplyDeleteरोचक परिभाषा..
ReplyDeleteबढ़िया परिभाषा
ReplyDeleteसही है भ्रष्टाचार की नींव पर ईमारत भी उसी की बनेगी … सटीक
ReplyDeleteisi mahatkansha ne sab gadbad kar diya .....aajadi hasil ho gai par ...ramrajya ka sapna adhura rah gaya .....
ReplyDeleteविरासत में मिला भ्रष्टाचार .....
ReplyDeleteसही बात है ...तभी तो हो गई राजनीति मसालेदार :)
ReplyDeleteकम शब्दों में सटीक बात...... बहुत बढ़िया
ReplyDeleteविरासत को सुधारना हमारा कर्तव्य है ....
ReplyDeleteबहुत उम्दा सटीक अभिव्यक्ति ,,,!
RECENT POST -: हमने कितना प्यार किया था.
अब जो रखा है उसे ढोना है या धोना है
ReplyDeleteसही कहा दी......
ReplyDeleteभुगत रहे हैं सब अब तक...
सादर
अनु
महत्वाकांक्षा और भ्रष्टाचार का गठबंधन बहुत पुराना है ,,,,
ReplyDeleteसादर!
एकदम सही कहा संगीता जी……. जब नींव में ही खोट हो तो इमारत तो कमजोर होगी ही ……
ReplyDeleteManju Mishra
कड़वी सच्चाई
ReplyDeleteबोया पेड़ बबूल का
ReplyDeleteआम कहाँ से होय !
गागर में सागर भर बहुत गहन बात कह दी संगीता जी ! जो कहा वह सौ फीसदी सच है ! बहुत खूब !
बहुत ही सुंदर रचना
ReplyDeleteबढ़िया अचार हुआ आचार का :)
ReplyDeleteहाँ! अब एक और स्वतंत्रता की लड़ाई होनी चाहिए अपने इन माननीय नेताओं के विरुद्ध ..तब शायद..
ReplyDeletekam shabdon me bahut gahri bat kah di
ReplyDeleteकुछ ही पंक्तियाँ पर कितना स्पष्ट, सामयिक ओर सटीक ... सच है की अगर सन ४७ में देश को सही दिशा दी गई होती तो आज हालात कुछ ओर होए ...
ReplyDeleteजो फ़सल बोयी थी वही कट रही है.
ReplyDeleteरामराम.
Neenv ka patthar hi galat lag gaya to imaarat to aisi honi hi thi...
ReplyDeleteBhut khoob!!
बहुत सटीक अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteबहुत खूब सौ सुनार की एक लुहार की क्या मारा है सेकुलर तंत्र को निचोड़के कोड़ा मेडम जी ने। बधाई !
ReplyDeleteस्वतंत्र भारत की नीव में
उस समय के नेताओं ने
अपनी महत्त्वाकांक्षाओं के
रख दिये थे भ्रष्ट आचार
फिर देश से कैसे
खत्म हो भ्रष्टाचार ?
दीपावली के पावन पर्व की बधाई ओर शुभकामनायें ...
ReplyDeleteकुछ नया लिखो कुछ नया करो। प्रतीक्षित आपकी रचनाएं हैं।
ReplyDeleteसच तो यही है...सटीक।
ReplyDeleteबहुत खूब कहा है।
ReplyDeleteकम शब्द ...गहरे भाव
ReplyDelete☆★☆★☆
स्वतंत्र भारत की नीव में
उस समय के नेताओं ने
अपनी महत्त्वाकांक्षाओं के
रख दिये थे भ्रष्ट आचार
फिर देश से कैसे
खत्म हो भ्रष्टाचार ?
बहुत सही कहा आपने...
आदरणीया संगीता जी !
...और उसके बाद भी निरंतर अवसरवादियों के कुशासन ने राष्ट्र के हित में नकारात्मक ही किया...
बहुत कुछ है इस लघुकविता में...
आभार !
मंगलकामनाओं सहित...
-राजेन्द्र स्वर्णकार
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन: कोई दूर से आवाज़ दे चले आओ मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteएक कटु सत्य को उजागर कर दिया
ReplyDeleteये आचार अब कभी न बदले :)
ReplyDeleteसच है महत्वकांक्षाओं के कारण नींव ही कमजोर पड़ी तो अब... बहुत बढ़िया.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया..
ReplyDeletebahut sahi kaha aapne
ReplyDeleterachana
आपकी बात मेँ दम हैँ।
ReplyDeleteआपना ब्लॉग , सफर आपका ब्लॉग ऍग्रीगेटर पर लगाकर अधिक लौगो ता पँहुचाऐ
सटीक।
ReplyDeleteबहुत खूब। अच्छी रचना।
ReplyDeleteआप के उत्तम, दिव्य विचारो से अब महान,सनातन देश व भारत माँ, शीघ्र ही विश्व की असुर, भ्रस्ट, पाशविक, जेहादी, राजनैतिक शक्तिओं के विनाश मुक्त होगी - शुभ कामनायों सहित,एक प्रसंसक
ReplyDeleteHello Sangeeta Ji
ReplyDeleteWe listed your Blog Here Best Hindi Blogs after analysis your blog.
- Team
www.iBlogger.in
नींव मजबूत नहीं तो ढहना है उसे एक दिन ..
ReplyDeleteजैसा बोया वैसे ही अनाज ..
बढ़िया !
ReplyDeleteनाम वही, काम वही लेकिन हमारा पता बदल गया है। आदरणीय ब्लॉगर आपने अपने ब्लॉग पर iBlogger का सूची प्रदर्शक लगाया हुआ है कृपया उसे यहां दिए गये लिंक पर जाकर नया कोड लगा लें ताकि आप हमारे साथ जुड़ें रहे।
ReplyDeleteइस लिंक पर जाएं :::::
http://www.iblogger.prachidigital.in/p/best-hindi-poem-blogs.html
बहुत सुन्दर लिखा है .
ReplyDeleteधन्यवाद
Gagar men saagar.
ReplyDeleteShayad ye bhi aapko pasand aayen- Albert Einstein Quotes , Love Quotes for Him
apke satvichaaro ko shat shat naman
ReplyDeleteYou may like - Receive Amazon US Affiliate Payment through Payoneer