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और - बसन्त मुरझा गया

>> Friday, 26 February 2021



सर ए राह 

मुड़ गए थे कदम 
पुराने गलियारों में 
अचानक ही 
मिल गयीं थीं 
पुरानी उदासियाँ 
पूछा उन्होंने 
कैसी हो ? क्या हाल है ? 
मुस्कुरा कर 
कहा मैंने 
मस्तम - मस्त 
बसन्त छाया है ।
सुनते ही इतना 
जमा लिया कब्ज़ा 
उन्होंने मेरे ऊपर 
और -
बसन्त मुरझा गया । 





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नमकीन खीर

>> Monday, 31 October 2011



मेरे 
ज़ख्मों पर 
छिडकते  हो 
जब भी नमक ,
तो 
खाने  में 
झर जाता है 
नमक सारा
और 
नमकीन हो जाती है 
खीर भी .



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कल्पना का इन्द्रधनुष

>> Wednesday, 24 March 2010


कल्पना के



इन्द्रधनुष को


किसी क्षितिज की


दरकार नहीं


ये तो


उग आते हैं


मन के


आँगन के


किसी कोने में ....


http://blog4varta.blogspot.com/2010/03/4_25.html

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