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Sunday, 28 August 2011

उदासी के जाले




वक्त के हाथों 
पड़ गए थे 
आँखों में 
उदासी के जाले
आज उन्हें 
धो - धो कर 
निकाला है, 
चेहरे  की 
नमी को 
हकीकत की 
गर्मी से 
सुखाया है .

83 comments:

  1. बहुत खूब ।
    धोने का नुस्खा पूरा नहीं बताया जी ।

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  2. बहुत गहरी पंक्तियाँ।
    ------
    कल 29/08/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  3. उफ़ !!! ये उदासी भी....

    www.kumarkashish.blogspot.com

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  4. aksar inmein uljh jate hai hum..jaise aaj bhawnayen uljhi si hain...khoobsurat!

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  5. कविता में प्रयुक्त प्रतीक और बिम्ब प्रभावित करते हैं

    चेहरे की
    नमी को
    हकीकत की
    गर्मी से
    सुखाया है .

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  6. कविता में प्रयुक्त प्रतीक और बिम्ब प्रभावित करते हैं

    चेहरे की
    नमी को
    हकीकत की
    गर्मी से
    सुखाया है .

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  7. हकीकत में रहना हमेशा ही उचित होता है ... नमी नहीं आने देता वक्त के साथ ... गहरी अभिव्यक्ति ...

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  8. Didi bahut accha likha aapne.
    main to aapke khat ka intezaar karti rahi, chaliye fir se apna email id de rahi hun sheetal.maheshwari1@gmail.com.
    to kab likh rahi hain aap khat.:)

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  9. हकीकत को आईना दिखाती एक बेहतरीन रचना………बधाई।

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  10. आपका दृष्टि-कोण बहुत सही है ,
    सरहनीय !

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  11. choti panktiyo me bhut hi gahri baat..bhut sunder....:)

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  12. उदासी के इन जालों को आँखों में जगह ना बनाने दीजिए ! जिंदगी की खुशियाँ धुँधला कर फीकी पड़ जाती हैं ! बहुत प्यारा सा ख़याल और निराला सा अंदाज़ ! बहुत सुन्दर !

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  13. उदासी का जाले और हकीक़त की गर्मी...निराला सा अंदाज़... गहन अभिव्यक्ति .......

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  14. बहुत गहन बात कही आपने, शुभकामनाएं.

    रामराम

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  15. उदासी के जाले ना लगने पाए , आइये इनमे झाड़ू लगाये .
    मकड़ जाल सी जिंदगी में , खुशियों के मार्ग प्रशस्त कर जाएँ

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  16. हकीकत की
    गर्मी से
    सुखाया है .
    kitna sunder ehsas.....

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  17. बहुत ही सुन्दर रचना....

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  18. chand paktiyon me jajbaton ka dariya bha diya aapne...sundar...

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  19. आपकी मनोभूमि पर तो हर बार ही संवेदना और भावों की बारिश होती है...
    हमारी मनोभूमि पर आजकल गद्य के कैक्टस उगने लगे हैं... क्या करूँ...
    किन मन्त्रों से इंद्र-देव को प्रसन्न करूँ.... या किन शब्दों में भैरव राग रचूँ...समझ नहीं पड़ता.

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  20. बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !

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  21. संगीता जी....हकीकत सब सुखा देती है...बिलकुल सही कहा ,आपने.हाँ ,फिर भी यह अवश्य चाहोंगी कि उदासी आपके जीवन में और न आये ,न रहे,अब ..

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  22. बहुत सुन्दर लिखा है आपने ! गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ ज़बरदस्त प्रस्तुती!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  23. बहुत खूब लिखा है ...आपने ।

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  24. चेहरे की
    नमी को
    हकीकत की
    गर्मी से
    सुखाया है .

    संवेदना की अद्वितीय अभिव्यक्ति...‘हकीकत की
    गर्मी से‘ से सुखाने का भाव मन में गहरे उतर गया.

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  25. वाह.......चेहरे की नमी को हकीक़त की गर्मी से सुखाया है..वाह....शानदार .....खुबसूरत|

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  26. चेहरे की
    नमी को
    हकीकत की
    गर्मी से
    सुखाया है .....

    vaan kya baat hai sangeeta ji !

    .

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  27. बहुत गहरी पंक्तियाँ...

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  28. आंसुओं को आपके शब्दों ने एक नया रूप दिया ...
    नवीन बिम्ब !

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  29. चेहरे की
    नमी को
    हकीकत की
    गर्मी से
    सुखाया है .... भाव मन में गहरे उतर गया..

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  30. blog ke baare me kuch jaankari chahiye sangeeta ji,aapka blog bhut sunder hai.kya aap help krengi...i want to connect with you through mail also for details of blog maintenance.hope u do...pl. reply E mail: anjoob@gmail.com

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  31. बढ़िया बिम्बों से नवाज़ा है आपने इस कविता को.

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  32. बहुत अच्छी नज्म हैं। इससे निराश दिल में आशा का दीपक जलता है।सत्य से मुलाकात होती है ।

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  33. sangeeta di
    bahut khoob! chhoti chhtoi panktiyon me gahre arth bahre ko badi saflta ke saath kahna ye aapki lekhni ka hi kamaal hai .
    bahut bahut hi behtreen abhivykti
    sadar naman
    poonam

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  34. और इन आँखों ने चहरे को जी भर निहारा है. ... बहुत सुन्दर.

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  35. आँखों में उदासी के जाले..बहुत खूब.... बहुत गंभीर

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  36. बहुत गहन बात कही है आपने ... गागर में सागर !

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  37. अंतर्मन को झकझोरती हुई शब्दों की सर्द आँधी.

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  38. चेहरे की
    नमी को
    हकीकत की
    गर्मी से
    सुखाया है .
    sunder bhav samvednaon se bhari panktiya
    rachana

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  39. चेहरे की
    नमी, हकीकत की गर्मी

    Behad sunder bhawabhiwyakti.

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  40. श्री गणेश उत्सव पर्व पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं...

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  41. बहुत सुन्दर....गणेश उत्सव पर्व पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं...

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  42. संवेदनाओं से परिपूर्ण 'गागर में सागर' को साकार करती कविता . आभार. श्री गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं

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  43. बहुत खूब, ये गागर में सागर भर कर कहाँ से लाती हैं? कहीं से भी सही हमें तो मिल ही जाता है.

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  44. bahut khub likha hai di....

    di yaha bhi aayen..
    http://rajninayyarmalhotra.blogspot.com/2011/09/blog-post.html#links

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  45. आपके उपमेय और उपमान अनुपमेय होते है.जो अंतस को छू-छू जाते हैं.

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  46. चेहरे की नमी और
    एहसासों की गीलापन
    कुछ ऐसे ही सुखाया है...!
    कभी वक़्त ने
    तो कभी किसी शख्स ने...!!

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  47. बहुत भावपूर्ण नज्म |
    बहुत अच्छी लगी |
    आशा

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  48. आपको एवं आपके परिवार को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  49. बहुत गहरी,अच्छी लगी

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  50. जाले तो कहीं भी अच्छे नहीं होते, बेह्तर है उन्हें साफ़ करते रहना चाहिये.

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  51. माफ़ी चाहती हूँ आने में देर हो गयी थोडा व्यस्त थी
    सच ही तो है जाले तो थोड़े थोड़े दिनों में निकलते रहने चाहिए नहीं तो वक्त बेवक्त न उलझने वाली बाते भी उलझ जाती हैं

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  52. बेहद खूबसूरत....
    .अच्छा लगा..

    अपने ब्लाग् को जोड़े यहां से 1 ब्लॉग सबका

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  53. hakeekat itanee garm q hoti hai Aunty???
    aapkee rachna se yahee sawaal aaya to poochh liya... :)

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  54. लाजवाब। बहुत ही वास्तविक अंतर्मन के भाव हैं। मुग्ध हो गया मैं तो।

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  55. बहुत ही भावमय करते बेहतरीन प्रस्‍तुति

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  56. बहुत तकलीफ देता है इस तरह जले छुटाना पर जरुरी है.
    बेहद गहन भाव.

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  57. अंतर्मन के भाव भरे हुए है आपकी इस कविता में ......... सुंदर प्रस्तुति.
    पुरवईया : आपन देश के बयार

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  58. अच्छे-बुरे दौर हम सब की ज़िंदगी का हिस्सा हैं। अनुभव से ही हम सुख-दुख दोनों में संतुलित रह सकते हैं।

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  59. बेहद गहन भाव....बेहतरीन प्रस्‍तुति !

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  60. गहन भावों की प्रभावी अभिव्यक्ति

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  61. jajbaat jaga diye

    harare blog pe apka swagat hai

    tanhaayaadein.blogspot.com

    aiyega jaroor......intazaar rahega

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  62. हकीकत की गर्मी से सुखाना !कैसी कचोट उठती है इन कविताओं में संगीता जी ! काश मुझे भी ऐसे व्यक्त करना आ जाता ! आभार !

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  63. आदरणीय संगीता जी ..गंभीर भाव बहुत कुछ कह गए .खुबसूरत क्षणिका ...लाजबाब ..होता है

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  64. उम्दा बिम्ब-बेहतरीन रचना.

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  65. aaderniya sangeeta ji...waqt ho akhir waqt hai..aadmi ko hausla nahi chodna chahiye...aapki rachnaon ke shabd dimag me ghumte rahte hain..aapki kavitayein apne uddeshy ko sarthak karti hain.sadar pranam ke sath

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  66. गहरे अर्थ लिए खूबसूरत एहसास....

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  67. बहुत ही सुन्दर रचना....

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