Didi bahut accha likha aapne. main to aapke khat ka intezaar karti rahi, chaliye fir se apna email id de rahi hun sheetal.maheshwari1@gmail.com. to kab likh rahi hain aap khat.:)
उदासी के इन जालों को आँखों में जगह ना बनाने दीजिए ! जिंदगी की खुशियाँ धुँधला कर फीकी पड़ जाती हैं ! बहुत प्यारा सा ख़याल और निराला सा अंदाज़ ! बहुत सुन्दर !
आपकी मनोभूमि पर तो हर बार ही संवेदना और भावों की बारिश होती है... हमारी मनोभूमि पर आजकल गद्य के कैक्टस उगने लगे हैं... क्या करूँ... किन मन्त्रों से इंद्र-देव को प्रसन्न करूँ.... या किन शब्दों में भैरव राग रचूँ...समझ नहीं पड़ता.
बहुत सुन्दर लिखा है आपने ! गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ ज़बरदस्त प्रस्तुती! मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है- http://seawave-babli.blogspot.com/ http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
blog ke baare me kuch jaankari chahiye sangeeta ji,aapka blog bhut sunder hai.kya aap help krengi...i want to connect with you through mail also for details of blog maintenance.hope u do...pl. reply E mail: anjoob@gmail.com
sangeeta di bahut khoob! chhoti chhtoi panktiyon me gahre arth bahre ko badi saflta ke saath kahna ye aapki lekhni ka hi kamaal hai . bahut bahut hi behtreen abhivykti sadar naman poonam
आपको एवं आपके परिवार को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें! मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है- http://seawave-babli.blogspot.com/ http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
माफ़ी चाहती हूँ आने में देर हो गयी थोडा व्यस्त थी सच ही तो है जाले तो थोड़े थोड़े दिनों में निकलते रहने चाहिए नहीं तो वक्त बेवक्त न उलझने वाली बाते भी उलझ जाती हैं
aaderniya sangeeta ji...waqt ho akhir waqt hai..aadmi ko hausla nahi chodna chahiye...aapki rachnaon ke shabd dimag me ghumte rahte hain..aapki kavitayein apne uddeshy ko sarthak karti hain.sadar pranam ke sath
गहन।
ReplyDeleteबहुत खूब ।
ReplyDeleteधोने का नुस्खा पूरा नहीं बताया जी ।
dua hai ab udaasi n ho phir kabhi...
ReplyDeleteबहुत गहरी पंक्तियाँ।
ReplyDelete------
कल 29/08/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
उफ़ !!! ये उदासी भी....
ReplyDeletewww.kumarkashish.blogspot.com
aksar inmein uljh jate hai hum..jaise aaj bhawnayen uljhi si hain...khoobsurat!
ReplyDeleteकविता में प्रयुक्त प्रतीक और बिम्ब प्रभावित करते हैं
ReplyDeleteचेहरे की
नमी को
हकीकत की
गर्मी से
सुखाया है .
कविता में प्रयुक्त प्रतीक और बिम्ब प्रभावित करते हैं
ReplyDeleteचेहरे की
नमी को
हकीकत की
गर्मी से
सुखाया है .
हकीकत में रहना हमेशा ही उचित होता है ... नमी नहीं आने देता वक्त के साथ ... गहरी अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteDidi bahut accha likha aapne.
ReplyDeletemain to aapke khat ka intezaar karti rahi, chaliye fir se apna email id de rahi hun sheetal.maheshwari1@gmail.com.
to kab likh rahi hain aap khat.:)
bahut khoobsurat ahsas....aabhar
ReplyDeleteहकीकत को आईना दिखाती एक बेहतरीन रचना………बधाई।
ReplyDeleteआपका दृष्टि-कोण बहुत सही है ,
ReplyDeleteसरहनीय !
choti panktiyo me bhut hi gahri baat..bhut sunder....:)
ReplyDeleteगहरी अभिव्यक्ति .......
ReplyDeleteउदासी के इन जालों को आँखों में जगह ना बनाने दीजिए ! जिंदगी की खुशियाँ धुँधला कर फीकी पड़ जाती हैं ! बहुत प्यारा सा ख़याल और निराला सा अंदाज़ ! बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteउदासी का जाले और हकीक़त की गर्मी...निराला सा अंदाज़... गहन अभिव्यक्ति .......
ReplyDeleteबहुत गहन बात कही आपने, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम
उदासी के जाले ना लगने पाए , आइये इनमे झाड़ू लगाये .
ReplyDeleteमकड़ जाल सी जिंदगी में , खुशियों के मार्ग प्रशस्त कर जाएँ
हकीकत की
ReplyDeleteगर्मी से
सुखाया है .
kitna sunder ehsas.....
बहुत ही सुन्दर रचना....
ReplyDeleteMARMIK
ReplyDeletechand paktiyon me jajbaton ka dariya bha diya aapne...sundar...
ReplyDeleteआपकी मनोभूमि पर तो हर बार ही संवेदना और भावों की बारिश होती है...
ReplyDeleteहमारी मनोभूमि पर आजकल गद्य के कैक्टस उगने लगे हैं... क्या करूँ...
किन मन्त्रों से इंद्र-देव को प्रसन्न करूँ.... या किन शब्दों में भैरव राग रचूँ...समझ नहीं पड़ता.
बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
ReplyDeletevicharniy poem.aabhar
ReplyDeletesunder abhivykti .
ReplyDeleteसंगीता जी....हकीकत सब सुखा देती है...बिलकुल सही कहा ,आपने.हाँ ,फिर भी यह अवश्य चाहोंगी कि उदासी आपके जीवन में और न आये ,न रहे,अब ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा है आपने ! गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ ज़बरदस्त प्रस्तुती!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
बहुत खूब लिखा है ...आपने ।
ReplyDeletelajwaab ....
ReplyDeleteचेहरे की
ReplyDeleteनमी को
हकीकत की
गर्मी से
सुखाया है .
संवेदना की अद्वितीय अभिव्यक्ति...‘हकीकत की
गर्मी से‘ से सुखाने का भाव मन में गहरे उतर गया.
वाह.......चेहरे की नमी को हकीक़त की गर्मी से सुखाया है..वाह....शानदार .....खुबसूरत|
ReplyDeleteचेहरे की
ReplyDeleteनमी को
हकीकत की
गर्मी से
सुखाया है .....
vaan kya baat hai sangeeta ji !
.
बहुत गहरी पंक्तियाँ...
ReplyDeleteआंसुओं को आपके शब्दों ने एक नया रूप दिया ...
ReplyDeleteनवीन बिम्ब !
चेहरे की
ReplyDeleteनमी को
हकीकत की
गर्मी से
सुखाया है .... भाव मन में गहरे उतर गया..
blog ke baare me kuch jaankari chahiye sangeeta ji,aapka blog bhut sunder hai.kya aap help krengi...i want to connect with you through mail also for details of blog maintenance.hope u do...pl. reply E mail: anjoob@gmail.com
ReplyDeleteबढ़िया बिम्बों से नवाज़ा है आपने इस कविता को.
ReplyDeleteबहुत अच्छी नज्म हैं। इससे निराश दिल में आशा का दीपक जलता है।सत्य से मुलाकात होती है ।
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeletesangeeta di
ReplyDeletebahut khoob! chhoti chhtoi panktiyon me gahre arth bahre ko badi saflta ke saath kahna ye aapki lekhni ka hi kamaal hai .
bahut bahut hi behtreen abhivykti
sadar naman
poonam
और इन आँखों ने चहरे को जी भर निहारा है. ... बहुत सुन्दर.
ReplyDeleteआँखों में उदासी के जाले..बहुत खूब.... बहुत गंभीर
ReplyDeleteबहुत गहन बात कही है आपने ... गागर में सागर !
ReplyDeleteअंतर्मन को झकझोरती हुई शब्दों की सर्द आँधी.
ReplyDeleteचेहरे की
ReplyDeleteनमी को
हकीकत की
गर्मी से
सुखाया है .
sunder bhav samvednaon se bhari panktiya
rachana
चेहरे की
ReplyDeleteनमी, हकीकत की गर्मी
Behad sunder bhawabhiwyakti.
श्री गणेश उत्सव पर्व पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर....गणेश उत्सव पर्व पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं...
ReplyDeleteसंवेदनाओं से परिपूर्ण 'गागर में सागर' को साकार करती कविता . आभार. श्री गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteबहुत खूब, ये गागर में सागर भर कर कहाँ से लाती हैं? कहीं से भी सही हमें तो मिल ही जाता है.
ReplyDeleteBahut gahan chintan...
ReplyDeletekafi dino se nahi aa payi blog par khed hai di...
ReplyDeletebahut khub likha hai di....
ReplyDeletedi yaha bhi aayen..
http://rajninayyarmalhotra.blogspot.com/2011/09/blog-post.html#links
आपके उपमेय और उपमान अनुपमेय होते है.जो अंतस को छू-छू जाते हैं.
ReplyDeleteचेहरे की नमी और
ReplyDeleteएहसासों की गीलापन
कुछ ऐसे ही सुखाया है...!
कभी वक़्त ने
तो कभी किसी शख्स ने...!!
बहुत भावपूर्ण नज्म |
ReplyDeleteबहुत अच्छी लगी |
आशा
आपको एवं आपके परिवार को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
बहुत गहरी,अच्छी लगी
ReplyDeleteजाले तो कहीं भी अच्छे नहीं होते, बेह्तर है उन्हें साफ़ करते रहना चाहिये.
ReplyDeleteचर्चा में आज नई पुरानी हलचल
ReplyDeleteआपकी चर्चा
माफ़ी चाहती हूँ आने में देर हो गयी थोडा व्यस्त थी
ReplyDeleteसच ही तो है जाले तो थोड़े थोड़े दिनों में निकलते रहने चाहिए नहीं तो वक्त बेवक्त न उलझने वाली बाते भी उलझ जाती हैं
बेहद खूबसूरत....
ReplyDelete.अच्छा लगा..
अपने ब्लाग् को जोड़े यहां से 1 ब्लॉग सबका
hakeekat itanee garm q hoti hai Aunty???
ReplyDeleteaapkee rachna se yahee sawaal aaya to poochh liya... :)
क्या कहने,
ReplyDeleteबहुत सुंदर
बहुत सुंदर
ReplyDeleteलाजवाब। बहुत ही वास्तविक अंतर्मन के भाव हैं। मुग्ध हो गया मैं तो।
ReplyDeletevery nice
ReplyDeletevery nice
ReplyDeleteबहुत ही भावमय करते बेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत तकलीफ देता है इस तरह जले छुटाना पर जरुरी है.
ReplyDeleteबेहद गहन भाव.
अंतर्मन के भाव भरे हुए है आपकी इस कविता में ......... सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeleteपुरवईया : आपन देश के बयार
अच्छे-बुरे दौर हम सब की ज़िंदगी का हिस्सा हैं। अनुभव से ही हम सुख-दुख दोनों में संतुलित रह सकते हैं।
ReplyDeleteबेहद गहन भाव....बेहतरीन प्रस्तुति !
ReplyDeleteगहन भावों की प्रभावी अभिव्यक्ति
ReplyDeletejajbaat jaga diye
ReplyDeleteharare blog pe apka swagat hai
tanhaayaadein.blogspot.com
aiyega jaroor......intazaar rahega
हकीकत की गर्मी से सुखाना !कैसी कचोट उठती है इन कविताओं में संगीता जी ! काश मुझे भी ऐसे व्यक्त करना आ जाता ! आभार !
ReplyDeleteआदरणीय संगीता जी ..गंभीर भाव बहुत कुछ कह गए .खुबसूरत क्षणिका ...लाजबाब ..होता है
ReplyDeleteउम्दा बिम्ब-बेहतरीन रचना.
ReplyDeleteaaderniya sangeeta ji...waqt ho akhir waqt hai..aadmi ko hausla nahi chodna chahiye...aapki rachnaon ke shabd dimag me ghumte rahte hain..aapki kavitayein apne uddeshy ko sarthak karti hain.sadar pranam ke sath
ReplyDeleteगहरे अर्थ लिए खूबसूरत एहसास....
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना....
ReplyDelete