copyright. Powered by Blogger.

उदासी के जाले

>> Sunday, 28 August 2011




वक्त के हाथों 
पड़ गए थे 
आँखों में 
उदासी के जाले
आज उन्हें 
धो - धो कर 
निकाला है, 
चेहरे  की 
नमी को 
हकीकत की 
गर्मी से 
सुखाया है .

83 comments:

डॉ टी एस दराल Sun Aug 28, 09:36:00 am  

बहुत खूब ।
धोने का नुस्खा पूरा नहीं बताया जी ।

Yashwant R. B. Mathur Sun Aug 28, 11:30:00 am  

बहुत गहरी पंक्तियाँ।
------
कल 29/08/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

Arvind kumar Sun Aug 28, 12:23:00 pm  

उफ़ !!! ये उदासी भी....

www.kumarkashish.blogspot.com

Parul kanani Sun Aug 28, 12:39:00 pm  

aksar inmein uljh jate hai hum..jaise aaj bhawnayen uljhi si hain...khoobsurat!

मनोज कुमार Sun Aug 28, 12:48:00 pm  

कविता में प्रयुक्त प्रतीक और बिम्ब प्रभावित करते हैं

चेहरे की
नमी को
हकीकत की
गर्मी से
सुखाया है .

मनोज कुमार Sun Aug 28, 12:48:00 pm  

कविता में प्रयुक्त प्रतीक और बिम्ब प्रभावित करते हैं

चेहरे की
नमी को
हकीकत की
गर्मी से
सुखाया है .

दिगम्बर नासवा Sun Aug 28, 12:59:00 pm  

हकीकत में रहना हमेशा ही उचित होता है ... नमी नहीं आने देता वक्त के साथ ... गहरी अभिव्यक्ति ...

sheetal Sun Aug 28, 01:05:00 pm  

Didi bahut accha likha aapne.
main to aapke khat ka intezaar karti rahi, chaliye fir se apna email id de rahi hun sheetal.maheshwari1@gmail.com.
to kab likh rahi hain aap khat.:)

PRIYANKA RATHORE Sun Aug 28, 01:22:00 pm  

bahut khoobsurat ahsas....aabhar

vandana gupta Sun Aug 28, 01:36:00 pm  

हकीकत को आईना दिखाती एक बेहतरीन रचना………बधाई।

प्रतिभा सक्सेना Sun Aug 28, 01:45:00 pm  

आपका दृष्टि-कोण बहुत सही है ,
सरहनीय !

Er. सत्यम शिवम Sun Aug 28, 02:14:00 pm  

choti panktiyo me bhut hi gahri baat..bhut sunder....:)

Sadhana Vaid Sun Aug 28, 03:10:00 pm  

उदासी के इन जालों को आँखों में जगह ना बनाने दीजिए ! जिंदगी की खुशियाँ धुँधला कर फीकी पड़ जाती हैं ! बहुत प्यारा सा ख़याल और निराला सा अंदाज़ ! बहुत सुन्दर !

संध्या शर्मा Sun Aug 28, 03:57:00 pm  

उदासी का जाले और हकीक़त की गर्मी...निराला सा अंदाज़... गहन अभिव्यक्ति .......

ताऊ रामपुरिया Sun Aug 28, 04:49:00 pm  

बहुत गहन बात कही आपने, शुभकामनाएं.

रामराम

ashish Sun Aug 28, 05:04:00 pm  

उदासी के जाले ना लगने पाए , आइये इनमे झाड़ू लगाये .
मकड़ जाल सी जिंदगी में , खुशियों के मार्ग प्रशस्त कर जाएँ

mridula pradhan Sun Aug 28, 07:08:00 pm  

हकीकत की
गर्मी से
सुखाया है .
kitna sunder ehsas.....

विभूति" Sun Aug 28, 08:46:00 pm  

बहुत ही सुन्दर रचना....

सु-मन (Suman Kapoor) Sun Aug 28, 10:38:00 pm  

chand paktiyon me jajbaton ka dariya bha diya aapne...sundar...

प्रतुल वशिष्ठ Sun Aug 28, 10:52:00 pm  

आपकी मनोभूमि पर तो हर बार ही संवेदना और भावों की बारिश होती है...
हमारी मनोभूमि पर आजकल गद्य के कैक्टस उगने लगे हैं... क्या करूँ...
किन मन्त्रों से इंद्र-देव को प्रसन्न करूँ.... या किन शब्दों में भैरव राग रचूँ...समझ नहीं पड़ता.

Dr Varsha Singh Mon Aug 29, 12:19:00 am  

बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !

Nidhi Mon Aug 29, 08:07:00 am  

संगीता जी....हकीकत सब सुखा देती है...बिलकुल सही कहा ,आपने.हाँ ,फिर भी यह अवश्य चाहोंगी कि उदासी आपके जीवन में और न आये ,न रहे,अब ..

Urmi Mon Aug 29, 08:11:00 am  

बहुत सुन्दर लिखा है आपने ! गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ ज़बरदस्त प्रस्तुती!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

सदा Mon Aug 29, 10:05:00 am  

बहुत खूब लिखा है ...आपने ।

Dr (Miss) Sharad Singh Mon Aug 29, 01:24:00 pm  

चेहरे की
नमी को
हकीकत की
गर्मी से
सुखाया है .

संवेदना की अद्वितीय अभिव्यक्ति...‘हकीकत की
गर्मी से‘ से सुखाने का भाव मन में गहरे उतर गया.

Anonymous Mon Aug 29, 03:43:00 pm  

वाह.......चेहरे की नमी को हकीक़त की गर्मी से सुखाया है..वाह....शानदार .....खुबसूरत|

ZEAL Mon Aug 29, 03:46:00 pm  

चेहरे की
नमी को
हकीकत की
गर्मी से
सुखाया है .....

vaan kya baat hai sangeeta ji !

.

डॉ. मोनिका शर्मा Tue Aug 30, 12:19:00 am  

बहुत गहरी पंक्तियाँ...

वाणी गीत Tue Aug 30, 06:49:00 am  

आंसुओं को आपके शब्दों ने एक नया रूप दिया ...
नवीन बिम्ब !

Anju Tue Aug 30, 08:11:00 am  

चेहरे की
नमी को
हकीकत की
गर्मी से
सुखाया है .... भाव मन में गहरे उतर गया..

Anju Tue Aug 30, 08:18:00 am  

blog ke baare me kuch jaankari chahiye sangeeta ji,aapka blog bhut sunder hai.kya aap help krengi...i want to connect with you through mail also for details of blog maintenance.hope u do...pl. reply E mail: anjoob@gmail.com

Kunwar Kusumesh Tue Aug 30, 09:15:00 am  

बढ़िया बिम्बों से नवाज़ा है आपने इस कविता को.

सुधाकल्प Tue Aug 30, 09:43:00 am  

बहुत अच्छी नज्म हैं। इससे निराश दिल में आशा का दीपक जलता है।सत्य से मुलाकात होती है ।

पूनम श्रीवास्तव Tue Aug 30, 01:41:00 pm  

sangeeta di
bahut khoob! chhoti chhtoi panktiyon me gahre arth bahre ko badi saflta ke saath kahna ye aapki lekhni ka hi kamaal hai .
bahut bahut hi behtreen abhivykti
sadar naman
poonam

Amrita Tanmay Tue Aug 30, 02:08:00 pm  

और इन आँखों ने चहरे को जी भर निहारा है. ... बहुत सुन्दर.

अरुण चन्द्र रॉय Tue Aug 30, 03:33:00 pm  

आँखों में उदासी के जाले..बहुत खूब.... बहुत गंभीर

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" Tue Aug 30, 07:29:00 pm  

बहुत गहन बात कही है आपने ... गागर में सागर !

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) Tue Aug 30, 08:51:00 pm  

अंतर्मन को झकझोरती हुई शब्दों की सर्द आँधी.

Rachana Wed Aug 31, 02:59:00 am  

चेहरे की
नमी को
हकीकत की
गर्मी से
सुखाया है .
sunder bhav samvednaon se bhari panktiya
rachana

Asha Joglekar Wed Aug 31, 05:04:00 am  

चेहरे की
नमी, हकीकत की गर्मी

Behad sunder bhawabhiwyakti.

समय चक्र Thu Sept 01, 11:28:00 am  

श्री गणेश उत्सव पर्व पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं...

Maheshwari kaneri Thu Sept 01, 11:51:00 am  

बहुत सुन्दर....गणेश उत्सव पर्व पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं...

Swarajya karun Thu Sept 01, 03:52:00 pm  

संवेदनाओं से परिपूर्ण 'गागर में सागर' को साकार करती कविता . आभार. श्री गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं

रेखा श्रीवास्तव Thu Sept 01, 03:59:00 pm  

बहुत खूब, ये गागर में सागर भर कर कहाँ से लाती हैं? कहीं से भी सही हमें तो मिल ही जाता है.

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) Fri Sept 02, 12:29:00 pm  

bahut khub likha hai di....

di yaha bhi aayen..
http://rajninayyarmalhotra.blogspot.com/2011/09/blog-post.html#links

Sapna Nigam ( mitanigoth.blogspot.com ) Fri Sept 02, 10:58:00 pm  

आपके उपमेय और उपमान अनुपमेय होते है.जो अंतस को छू-छू जाते हैं.

***Punam*** Fri Sept 02, 11:17:00 pm  

चेहरे की नमी और
एहसासों की गीलापन
कुछ ऐसे ही सुखाया है...!
कभी वक़्त ने
तो कभी किसी शख्स ने...!!

Asha Lata Saxena Sat Sept 03, 06:53:00 am  

बहुत भावपूर्ण नज्म |
बहुत अच्छी लगी |
आशा

Urmi Sat Sept 03, 08:20:00 am  

आपको एवं आपके परिवार को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

Unknown Sat Sept 03, 05:06:00 pm  

बहुत गहरी,अच्छी लगी

अनामिका की सदायें ...... Sat Sept 03, 05:16:00 pm  

जाले तो कहीं भी अच्छे नहीं होते, बेह्तर है उन्हें साफ़ करते रहना चाहिये.

रचना दीक्षित Mon Sept 05, 01:18:00 pm  

माफ़ी चाहती हूँ आने में देर हो गयी थोडा व्यस्त थी
सच ही तो है जाले तो थोड़े थोड़े दिनों में निकलते रहने चाहिए नहीं तो वक्त बेवक्त न उलझने वाली बाते भी उलझ जाती हैं

smshindi By Sonu Wed Sept 07, 03:35:00 pm  

बेहद खूबसूरत....
.अच्छा लगा..

अपने ब्लाग् को जोड़े यहां से 1 ब्लॉग सबका

POOJA... Wed Sept 07, 09:10:00 pm  

hakeekat itanee garm q hoti hai Aunty???
aapkee rachna se yahee sawaal aaya to poochh liya... :)

Ankit pandey Mon Sept 12, 10:29:00 pm  

लाजवाब। बहुत ही वास्तविक अंतर्मन के भाव हैं। मुग्ध हो गया मैं तो।

वीरेन्द्र नारायण सिन्हा Thu Sept 15, 01:55:00 pm  

बहुत ही भावमय करते बेहतरीन प्रस्‍तुति

shikha varshney Thu Sept 15, 09:30:00 pm  

बहुत तकलीफ देता है इस तरह जले छुटाना पर जरुरी है.
बेहद गहन भाव.

उपेन्द्र नाथ Thu Sept 15, 09:54:00 pm  

अंतर्मन के भाव भरे हुए है आपकी इस कविता में ......... सुंदर प्रस्तुति.
पुरवईया : आपन देश के बयार

कुमार राधारमण Fri Sept 16, 01:06:00 pm  

अच्छे-बुरे दौर हम सब की ज़िंदगी का हिस्सा हैं। अनुभव से ही हम सुख-दुख दोनों में संतुलित रह सकते हैं।

त्रिवेणी Mon Sept 19, 03:30:00 am  

बेहद गहन भाव....बेहतरीन प्रस्‍तुति !

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " Mon Sept 19, 01:13:00 pm  

गहन भावों की प्रभावी अभिव्यक्ति

Vineet Mishra Tue Sept 20, 06:18:00 pm  

jajbaat jaga diye

harare blog pe apka swagat hai

tanhaayaadein.blogspot.com

aiyega jaroor......intazaar rahega

Anonymous Thu Sept 22, 12:37:00 pm  

हकीकत की गर्मी से सुखाना !कैसी कचोट उठती है इन कविताओं में संगीता जी ! काश मुझे भी ऐसे व्यक्त करना आ जाता ! आभार !

Surendra shukla" Bhramar"5 Sat Oct 01, 10:15:00 pm  

आदरणीय संगीता जी ..गंभीर भाव बहुत कुछ कह गए .खुबसूरत क्षणिका ...लाजबाब ..होता है

Udan Tashtari Mon Oct 03, 02:16:00 am  

उम्दा बिम्ब-बेहतरीन रचना.

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" Thu Oct 06, 09:30:00 pm  

aaderniya sangeeta ji...waqt ho akhir waqt hai..aadmi ko hausla nahi chodna chahiye...aapki rachnaon ke shabd dimag me ghumte rahte hain..aapki kavitayein apne uddeshy ko sarthak karti hain.sadar pranam ke sath

Pallavi saxena Fri Oct 14, 04:22:00 pm  

गहरे अर्थ लिए खूबसूरत एहसास....

मेरा मन पंछी सा Tue Nov 08, 10:18:00 pm  

बहुत ही सुन्दर रचना....

रफ़्तार

About This Blog

Labels

Lorem Ipsum

ब्लॉग प्रहरी

ब्लॉग परिवार

Blog parivaar

हमारी वाणी

www.hamarivani.com

लालित्य

  © Free Blogger Templates Wild Birds by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP