आँखों में बसाया है तुमको मैंने एक ख्वाब की तरह
दिल में छुपाया है तुमको मैंने एक चिराग की तरह
नज़र ना लग जाये मेरी मुहब्बत को ज़माने की
मेरे आसमां में चमको तुम बन के महताब की तरह .
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ऑंखें
>> Monday 14 December 2009
बिना काजल के हैं कजरारी आँखें
पैनी धार सी हैं ये कटारी आँखें
वार तो नहीं किया तूने मुझ पर
क़त्ल कर गयीं ये तेरी प्यारी आँखें
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ख़ामोशी
>> Sunday 13 December 2009
खामोश रह कर भी तुझसे बात करते हैं
आवाज़ नहीं आती पर लब हिलते हैं
ज़रा ध्यान से सुन कान लगा कर ज़रा
चुप रह कर भी हम बहुत कुछ कहते हैं.
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आदत
>> Sunday 29 November 2009
दर्द में भी मुस्कुराने की आदत है
अश्कों को भी सबसे छुपाने की आदत है
लोग समझते हैं कि गम नहीं है ज़माने में कोई मुझे
क्यों कि गम को भी पी जाने की मुझे आदत है
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अजीज़
>> Thursday 8 January 2009
बेरूखी भी तेरी मुझे अजीज़ है
क्यूँ कि वो भी तेरी दी हुई चीज़ है
तू लाख मुंह फेरे मुझसे ओ जाने - जाना
फ़िर भी तू मेरे दिल के करीब है ।
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गुनहगार
हर बार अपनी चाहत के हम गुनहगार हुए जाते हैं
कही - अनकही हर बात पर वो यूँ ही तोहमत लगाते हैं
सुनते हैं हर बात उनकी दिल औ जान से हम
फिर भी वो हैं कि हमसे खफा हुए जाते हैं ।
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रौनक -ऐ - ज़िन्दगी
>> Monday 5 January 2009
बेनूर सी आंखों में , ख़्वाबों की चमक दी है
एहसास -ऐ - अकेलेपन को , चाहत की कसक दी है
लगता है कि तेरे बिन ये साँसे , चलती भी नही हैं
इस कदर मेरी ज़िन्दगी को तूने रौनक दी है.
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