दीप बन कर देखो .... / हाइकु
>> Monday, 12 November 2012
मन का दीप
रोशन कर देखो
खुशी ही खुशी
माटी का दिया
एक रात की उम्र
ज्योति से भरा ।
आम आदमी
लगा रहा हिसाब
कैसे हो पर्व ?
लगाएँ बाज़ी
परंपरा के नाम
पत्तों का खेल ।
बम - पटाखे
क्षण भर की खुशी
धुआँ ही धुआँ ।
दीयों की बाती
उजियारा फैलाती
स्वयं जलती ।
दीपावली की सभी को हार्दिक शुभकामनायें ।