यादों की पोटली
>> Tuesday, 19 January 2010
यादों की पोटली
जब सिरहाने रखी
तो विस्मृत सी बातें
निकल आयीं उसमें से,
और नींद आँखों से
कोसों दूर हो गयी.
ठिठोली
>> Saturday, 16 January 2010
तन्हाई में आज
चाँद, चांदनी संग
ठिठोली कर रहा था
सितारे सब
तेरे आंचल में
शर्मा कर छुप गए . Read more...
चमक
>> Friday, 15 January 2010
हथेलियों ने
सहला दिया था
आँखों को
और समेट लिए थे
सारे मोती
वापस आ गयी है
आँखों में
फिर से वो चमक
जिसकी रोशनी में
तुम नहाया करते थे Read more...
गुनाह
>> Saturday, 9 January 2010
गुनाह किया जो मैंने
उसकी न कोई माफ़ी है
तेरी आँख से गिरी
टप से वो बूंद
यही सजा
मेरे लिए काफी है.
Read more...
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छोटी कविता
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