चटख धूप
>> Tuesday 2 August 2011
यादों की चादर में
समेट लायी हूँ
खुशियों की
चटख धूप
गम के
बादलों की ओट से
उग आया है
एक सतरंगी
खलिश होती है तो यूँ ही बयां होती है , हर शेर जैसे सीप से निकला हुआ मोती है
© Free Blogger Templates Wild Birds by Ourblogtemplates.com 2008
Back to TOP
74 comments:
छोटी सी खूबसूरत नज़्म। बधाई आपको। कैसी हैं आप?
bahut pyaari najm.may god keep showing this rainbow forever.
sach main khushiyon ki kunkunidhup jab padti hain.man nai urja se bhar
jaata hain,aur jeevan satrangi ho jaata hain.
Didi hum to yahi chahte hain ye khushiyon ki narm dhup sada aapke
jeevan main rahe aur aapke hoton par sada muskaan thirakti rahe.
didi kya aap mujhse dosti karengi.
karke dekhiye main aapko bore nahi
karungi...aage aapki marzi.:)
bahut khoob sangeeta ji...aabhar
badi hi achhi rachna
एक-एक शब्द भावपूर्ण ...
संवेदनाओं से भरी बहुत सुन्दर कविता.
jitne hi kam shabd utni hi gahraayi....
बहुत खूब ।
सुन्दर अहसास........इन्द्रधनुष का नाम लेते हुए सिर्फ इशारा भर......
bahut pyari hai ye satrangi......
Bikhare moti ko samet liya hai ...aur hame bhent kiya hai...jee shukriya
खुशियों की धूप सी चटख बहुत सुन्दर रचना...आभार
छोटे छोटे शब्दों को आपने जिस तरह पिरो कर माला बनाई है। वाकई तारीफ के काबिल है।
बहुत अच्छी रचना
बहुत खूब ..बहुत सुन्दर
इन्द्रधनुषी आकाश मुबारक हो . मन प्रफुल्ल हुआ .
यह सतरंगी इन्द्रधनुष मन के कोने कोने को आल्हादित कर जाता है संगीता जी ! इसकी उपलब्धि के लिये हार्दिक बधाई !
ये धनक....अपनी मुस्कान के साथ...यूँ ही सारे ग़मों को पार करके ....खुशियों की धुप को साथ लाये ..............सुन्दर रचना
चादर में धूप को समेट लाना अच्छा प्रयोग है .. बढ़िया कविता..
ग़म के बादलों की ओट से सुन्दर इन्द्रधनुष ...
खूबसूरत !
सतरंगी इन्द्रधनुष सदा खिला रहे!
बहुत ही खुबसूरत....।
गागर मे सागर भरने की कला मे आप माहिर हैं…………बहुत सुन्दर नज़्म्।
बहुत खूब !
हर बाद्ल के पीछे सतरंगी सूरज छुपा होता है, देर-सवेर वह बाहर आता ही है।
वाह ! बहुत ही सुन्दर लिखा है आप ने .अर्थपूर्ण..
बहुत सुन्दर । आशावादी रचना ।
बहुत कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया....
भावनाओं से सजी हुई रचना....
Wah! Wah! Wah!
अच्छी क्षणिका है!
उम्मीद बांधती ख़ूबसूरत क्षणिका है मम्मा
satrangi ke rango k bare me thoda aur bata deti to kya chala jata apka ?
:):)
sunder kshanika.
गम के
बादलों की ओट से
उग आया है
एक सतरंगी
संगीता जी
चाँद शब्दों में बहुत कुछ,कह दिया , यह विधा सबको कहाँ आती है ,
बहुत सुन्दर पोस्ट और उतनी ही सुन्दर प्रस्तुति भी , आभार
ये इन्द्रधनुषी रंग आपके रचना-संसार को सजाते रहें !
बेहतरीन।
उल्लास ऐसे ही उगता रहे।
sunder nazam ,sunder bhav.............
khoobsoorat
बहुत खूबसूरत है यह सतरंगी .....और बहुत खूबसूरत है यह कविता संगीता जी, बिलकुल आपकी ही तरह ....
मेरी हार्दिक शुभकामनायें।
जीवन्त विचारों की बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !हार्दिक बधाई।
आठ लाइनों में सतरंगी छटा बिखेर दी आपने, संगीता दी!! यादें, गम, बादल और धूप.. कमाल के रंग भरे हैं आपने इस पेंटिंग में!!
A nice poem to fill the heart with happiness!
Hi I really liked your blog.
I own a website. Which is a global platform for all the artists, whether they are poets, writers, or painters etc.
We publish the best Content, under the writers name.
I really liked the quality of your content. and we would love to publish your content as well. All of your content would be published under your name, so
that you can get all the credit for the content. For better understanding,
You can Check the Hindi Corner of our website and the content shared by different writers and poets.
http://www.catchmypost.com
and kindly reply on ojaswi_kaushal@catchmypost.com
mumma, achhi hai kshanika..:)
सुंदर ..बहुत ही सुंदर
अति सुंदर, बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
संगीता जी आपकी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! आपके कहने के अनुसार मैंने आखरी पंक्ति में "कैसे" के जगह "क्या" कर दिया है अब बेहतर लग रहा है! इसी तरह आप सुझाव देते रहिएगा!
छोटी सी प्यारी सी ख़ूबसूरत नज़्म ! बेहद सुन्दर और चित्र भी लाजवाब!
धुंध पर जब धूप की किरणें पड़तीं हैं...तो इन्द्रधनुषी छटा छा ही जाती है...
आदरणीया संगीता जी -छोटी नज्मों की तो आप माहिर हैं एक एक शब्द इन्द्रधनुषी रंग बिखेर जाते हैं ..सुन्दर
भ्रमर ५
बेहद खूबसूरती से पिरोई दिल को छू जाने वाली रचना. आभार.
सादर,
डोरोथी.
satrangi kya ?? :)
waah kya baat hai......bahut acche se mausam ke sawaroop ko darshaya hai aapne....
यह एक चमकदार कविता है.
संगीता जी,
नमस्कार,
आपके इस ब्लॉग को भी "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगपोस्ट डाट काम"के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|
गागर में सागर.
लाजवाब ....!!
ati sundar....
kam shabdon meinbahut kutch keh diya aapne
kam lafjon me behtreen prastuti...
कम शब्दों में गहरी बात....
waah, waah aur bas waah...
itni chhoti-si rachna ur itne bhaaw... itni khoobsoorati...
padhte-padhte aakhir mei yunhi muh se nikal aaya... INDRADHANUSH...
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं,आपकी कलम निरंतर सार्थक सृजन में लगी रहे .
एस .एन. शुक्ल
sunder khanika..
bahut hi achchhi rachna dhoop chhanv lekar .
आपके ब्लॉग पर पहली बार आयी हूँ संगीता जी...बहुत अच्छा लग रहा है....
सुंदर रचनाएं
पढ़ने को मिलीं...
बधाई आपको...
bahut sunder sangeeta ji aap jitni achchhi kavita likhti hain utni hi achchhi insan bhi hain me aapse mili nahi hoon pr patanahi kyu aesa lagta hai sabke liye sochti hai aap
rachana
k\ya aabhivyakti hai javab nahi..
कुछ शब्दों में गहरी बात ....
इन्द्रधनुषी रंगों से सजे मोतियों को पिरोती अत्यंत सुन्दर नज्म ....बिखरे मोती समेट कर
सुन्दर भाव पूर्ण कब्यांजलि पिरोने के लिए कोटि कोटि अभिनन्दन ....शुभकामनायें !!!
बारिश के बाद धूप निकले तो इंद्र धनुष के सतरंग खिल उठते हैं ।
यादें ही तो सहारा है
जीने का सभी
साथ छोड दें
कभी हम यादों
को किसी के भूलाना
भी चाहें तो
वो ज्यादा ही याद
आते है बिल्कुल
सतरंगी बनकर
बहुत अच्छा लिखा है।
इस सतरंगी के रंग बिखरे रहें जीवन में .यही दुआ है.
bahut sundar..
kam shabdo me sari bato ko kah deti hai aap
बहुत खूब
Post a Comment