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संवेदनाएं / हाइकु

>> Friday 23 March 2012


 

रिश्ते हैं यहाँ 
अपेक्षाओं से भरे 
दम तोड़ते

*************
 

भावुक मन 
संवेदना से भरा 
बरस गया ।

****************
 

रेत ही रेत 
पलकों  में समाई 
खुश्क हैं आँखें 
................

 

मौन उवाच 
है ज्यादा कष्टकारी 
कुछ कहो ना ! 

67 comments:

Dr.NISHA MAHARANA Fri Mar 23, 01:11:00 pm  

मौन उवाच
है ज्यादा कष्टकारी
कुछ कहो ना ! waah sangeeta jee gagar men sagar......excellent expression.

vandana gupta Fri Mar 23, 01:14:00 pm  

मौन उवाच
है ज्यादा कष्टकारी
कुछ कहो ना !

यही दूरी पाटनी मुमकिन नही हो पाती…………बहुत खूबसूरत हाइकू।

सहज साहित्य Fri Mar 23, 01:19:00 pm  

आपके सभी हाइकु बहुत भावपूर्ण हैं संगीता स्वरूप जी !

पी.एस .भाकुनी Fri Mar 23, 01:25:00 pm  

रेत ही रेत
पलकों में समाई
खुश्क हैं आँखें ......
खुश्क आँखों में रेत ही रेत .....इस पीड़ा को समझा जा सकता है....
सुंदर प्रस्तुति......
स: परिवार नवसंवत्सर २०६९ की हार्दिक शुभकामनाएँ|

पी.सी.गोदियाल "परचेत" Fri Mar 23, 01:37:00 pm  

भावुक मन
संवेदना से भरा
बरस गया ।


****************



रेत ही रेत
पलकों में समाई
खुश्क हैं आँखें
................

शानदार भाव !

shikha varshney Fri Mar 23, 01:50:00 pm  

मौन उवाच
है ज्यादा कष्टकारी
कुछ कहो ना
यही तो साडी समस्या होती है.
बेहद प्रेक्टिकल और सटीक हाइकू.

अशोक सलूजा Fri Mar 23, 02:21:00 pm  

जीवन को निचोड़ दिया आपने !
शुभकामनाएँ!

Pratik Maheshwari Fri Mar 23, 02:30:00 pm  

संवेदनाएं झलकाती हाईकुएं..

ashish Fri Mar 23, 02:33:00 pm  

अभिव्यक्ति का ये पाकेट साईज वर्जन आपके कब्ज़े में है ऐसा प्रतीत होता है.

Sadhana Vaid Fri Mar 23, 02:53:00 pm  

मौन उवाच
है ज्यादा कष्टकारी
कुछ कहो ना !

मन में गहरे उतरते हाइकू संगीता जी ! बहुत ही खूबसूरत ! नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें !

डॉ टी एस दराल Fri Mar 23, 02:53:00 pm  

तस्वीरों के साथ सुन्दर हाइकु --यानि हाइगा --बेहतरीन .

Maheshwari kaneri Fri Mar 23, 03:01:00 pm  

सभी बेहद खूबसूरत है संगीता जी ...

Kailash Sharma Fri Mar 23, 03:19:00 pm  

रिश्ते हैं यहाँ
अपेक्षाओं से भरे
दम तोड़ते

....जीवन के यथार्थ और पीड़ा को बहुत गहनता से उकेरा है...सभी हाइकु बहुत सुंदर और मर्मस्पर्शी...आभार

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') Fri Mar 23, 03:22:00 pm  

तीन पंक्तियाँ
बस सत्रह वर्ण
पूरी दुनिया


बहुत सुन्दर हाईकू हैं दी...
सादर.

Dr Varsha Singh Fri Mar 23, 03:32:00 pm  

नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएँ|

संगीता जी!बहुत ही खूबसूरत संवेदनशील हाईकू हैं|

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया Fri Mar 23, 04:34:00 pm  

रेत ही रेत
पलकों में समाई
खुश्क हैं आँखें ......
खुश्क आँखों में रेत ही रेत .....इस पीड़ा को समझा जा सकता है....
सुंदर प्रस्तुति......

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,,......
नव वर्ष कि बहुत बहुत शुभकामनाएँ
my resent post


काव्यान्जलि ...: अभिनन्दन पत्र............ ५० वीं पोस्ट.

प्रतुल वशिष्ठ Fri Mar 23, 04:54:00 pm  

हाइकू बहुत पसंद आये....

जापानी काव्य के इस छंद में भावों को पिरोने का अभ्यास करने का मेरा भी मन है.

Yashwant R. B. Mathur Fri Mar 23, 05:04:00 pm  

संवेदनशील हायकू

नव संवत की हार्दिक शुभकामनाएँ आंटी!

सादर

सदा Fri Mar 23, 05:10:00 pm  

वाह ...बहुत खूब ... सभी एक से बढ़कर एक हैं ...

Pallavi saxena Fri Mar 23, 06:30:00 pm  

हर एक पंक्ति अपने आप मे एक गहन बात को दर्शा रही है बहुत ही बढ़िया हाइकू....

ऋता शेखर 'मधु' Fri Mar 23, 06:52:00 pm  

मौन उवाच
है ज्यादा कष्टकारी
कुछ कहो ना !

बहुत अच्छे...सभी हाइकु सत्य के बेहद करीब|

M VERMA Fri Mar 23, 07:30:00 pm  

संवेदनशील और सीधे दिल में उतरती है

संध्या शर्मा Fri Mar 23, 07:54:00 pm  

बहुत सुन्दर हायकू... गहन भाव लिए हुए हैं हर एक शब्द...आभार संगीताजी
नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें...

उपेन्द्र नाथ Fri Mar 23, 07:55:00 pm  

बहुत ही गहरे भाव लिए हुए... सुंदर प्रस्तुति.

Anonymous Fri Mar 23, 09:24:00 pm  

बहुत सुंदर संगीता जी.. आप के हाइकू, हाइकू विधा को पूरी तरह से सार्थक करते हैं... छोटा सा छंद अपने आप में पूरा का पूरा सारांश समेट लेता है. मौन के सन्दर्भ में ही मेरी कुछ पंक्तियाँ आप के साथ बांटना चाहती हूँ...

ख़ामोशी में
दम घुटता है..
मुँह खोल दो कुछ बोल दो ...
कुछ नहीं तो, आरोप ही कोई मढो
पर कुछ तो कहो..
चुप मत रहो...

सादर
मंजु

mridula pradhan Fri Mar 23, 10:44:00 pm  

gagar men sagar bhar di aapne to......

डॉ. मोनिका शर्मा Fri Mar 23, 10:53:00 pm  

मौन उवाच
है ज्यादा कष्टकारी
कुछ कहो ना !

Bahut Sunder...

इस्मत ज़ैदी Fri Mar 23, 11:53:00 pm  

मौन उवाच
है ज्यादा कष्टकारी
कुछ कहो ना !

bahut sundar !!

***Punam*** Sat Mar 24, 12:14:00 am  

मौन उवाच
है ज्यादा कष्टकारी
कुछ कहो ना !

khuchh bhi n kaho......!!

चला बिहारी ब्लॉगर बनने Sat Mar 24, 12:15:00 am  

दी,
क्या कहूँ मैं
दिल खुश हुआ
वाह भई वाह!!

मनोज कुमार Sat Mar 24, 01:02:00 am  

दिल से निकली बातें, सीधे दिल तक पहुंची। मौन कैसे रहा जाए ....

प्रतिभा सक्सेना Sat Mar 24, 01:40:00 am  

' कुछ कहो ना !'
- बस यों ही कहती रहना ,चुप्पी मत ओढ़ लेना !

प्रवीण पाण्डेय Sat Mar 24, 07:32:00 am  

मौन का संवाद सर्वाधिक है..

udaya veer singh Sat Mar 24, 07:57:00 am  

नव संवत्सर का आरंभन सुख शांति समृद्धि का वाहक बने हार्दिक अभिनन्दन नव वर्ष की मंगल शुभकामनायें/ सुन्दर प्रेरक भाव में रचना बधाईयाँ जी /

Mithilesh dubey Sat Mar 24, 09:40:00 am  

वाह ...बहुत खूब ... सभी एक से बढ़कर एक हैं

अजित गुप्ता का कोना Sat Mar 24, 10:24:00 am  

अच्‍छे हाइकू लेखन के लिए बधाई।

Amrita Tanmay Sat Mar 24, 10:51:00 am  

भावों की जादूगरी ही है कि कम शब्दों में भी मुखर हो उठती है . बाकी " मौन उवाच..."

sangita Sat Mar 24, 12:36:00 pm  

kam shabdon men sari bhavnaon ki mukharit hone ka bhav.

Bharat Bhushan Sat Mar 24, 10:27:00 pm  

रिश्ते हैं यहाँ
अपेक्षाओं से भरे
दम तोड़ते

बहुत सुंदर हाइकु.

दिगम्बर नासवा Sun Mar 25, 01:39:00 pm  

कुछ न कहो ...
नबहुत खूब ... इस सम्वेदंशील्यता को कितने कम शब्दों में लिख दिया ... बहुत सुन्दर हैं सभी हाइकू ...

लोकेन्द्र सिंह Sun Mar 25, 04:08:00 pm  

मौन उवाच है ज्यादा कष्टकारी कुछ कहो न....
कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया आपने।

रचना दीक्षित Sun Mar 25, 08:15:00 pm  

अत्यंत भावपूर्ण हाइकू हैं सारे के सारे. बहुत शुभकामनायें इस सुंदर प्रस्तुति के लिये.

Dr Xitija Singh Sun Mar 25, 08:43:00 pm  

रिश्ते हैं यहाँ
अपेक्षाओं से भरे
दम तोड़ते.... उम्दा !!

अनामिका की सदायें ...... Mon Mar 26, 07:40:00 pm  

poorn mansik dwand ko kam shabdo me udel dene ki apki is kala ko salaam.

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) Tue Mar 27, 06:41:00 am  

रिश्ते हैं कहाँ
अपेक्षाओं में खरे
कौन उतरे.
*********
नादान मन
संवेदना में मरा
न रोई धरा.
*********
पलकें श्वेत
यहाँ रेत ही रेत
करे सचेत.
*********
मौन ही रहो
भावना में ना बहो
कुछ ना कहो
???????????

जीवन को निचोड़ने पर सम्वेदना ही शेष रह जाती है.मार्मिक रचनायें.

RADHIKA Wed Mar 28, 01:52:00 pm  

रिश्ते हैं यहाँ
अपेक्षाओं से भरे
दम तोड़ते बहुत पसंद आई ये पंक्तियाँ संगीता जी ...बहुत भावपूर्ण छंद हैं सारे

Kavita Rawat Wed Mar 28, 07:08:00 pm  

jiwan marm samjhati sateek huyku.. kam shabdon mein gahre arth sameti sudnar sarthak prastuti..

देवेन्द्र पाण्डेय Wed Mar 28, 07:21:00 pm  

पलकों से झरे
शब्द शब्द सबने पढ़े
कैसे कहूँ हाइकू!

Udan Tashtari Thu Mar 29, 05:50:00 am  

वाह जी, हाईकु भी बहुत सफाई से उम्दा कहे हैं....

कुमार राधारमण Thu Mar 29, 10:53:00 am  

न बोले तुम
न मैंने कुछ कहा
प्रेम ही तो था!

Santosh Kumar Fri Mar 30, 12:24:00 pm  

सभी हाइकू मन को छू गए.. सुन्दर रचना.

बांटने के लिए शुक्रिया.

स्वाति Sat Mar 31, 09:45:00 am  

सुन्दर हाइकू...चंद लव्जों में ब्यान करते दिल के अफ़साने....

सुनीता शानू Sat Mar 31, 03:41:00 pm  

खूबसूरत हायकू। बहुत दिन बाद कमैंट दिया है गुस्सा मत होना। आज व्रत भी है। बच्चों पर गुस्सा नही होते। कुछ अच्छा बना कर खिलाते हैं:)

Surendra shukla" Bhramar"5 Sat Mar 31, 09:42:00 pm  

हम भी मौन रह मन में आनंद लेंगे संगीता जी आप की इस कला के क्या कहने ... सुन्दर प्रस्तुति मन को छू गयी रचना ... बधाई हो
राम नवमी की हार्दिक शुभ कामनाएं इस जहां की सारी खुशियाँ आप को मिलें आप सौभाग्यशाली हों गुल और गुलशन खिला रहे मन मिला रहे प्यार बना रहे दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति होती रहे ...
सब मंगलमय हो --भ्रमर५

S.N SHUKLA Sun Apr 01, 04:58:00 pm  

सुन्दर प्रस्तुति, सुन्दर भावाभिव्यक्ति, बधाई.

Aruna Kapoor Mon Apr 02, 02:09:00 pm  

रिश्ते हैं यहाँ
अपेक्षाओं से भरे
दम तोड़ते

...सच ही तो है....बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

डॉ. जेन्नी शबनम Tue Apr 03, 12:11:00 am  

बहुत सुन्दर हाइगा, बधाई स्वीकारें.

Asha Joglekar Tue Apr 03, 08:11:00 pm  

मौन कष्ट देता है और कभी कभी बातें कडवी ।
रिश्ते कब खरे उतरे हैं अपेक्षाएं भंग होने के लिये ही हैं । सुंदर हाइकू ।

अंजना Sat Apr 07, 10:09:00 pm  

बहुत सुन्दर ....

Dr (Miss) Sharad Singh Mon Apr 09, 12:03:00 pm  

मनोभावों को बेहद खूबसूरती से पिरोया है आपने....... हार्दिक बधाई.

Rachana Tue Apr 10, 06:30:00 pm  

kash rishton me ye duriyan na hoti yahi to hai to hamesha chubhti rahti hai.
sunder prastuti
rachana

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