copyright. Powered by Blogger.

बर्फ ......

>> Thursday 26 April 2012



एक
उदास शाम को
मन की झील में
डूबते - उतरते
नज़रें गीली
हो गयीं थीं
और
झील पर
जमी बर्फ 
पिघलने 
लगी थी .....


56 comments:

Vaanbhatt Thu Apr 26, 07:41:00 am  

ऊपर से सख्त हो कर भी बर्फ तो पानी ही है...बहुत खूब...

रचना दीक्षित Thu Apr 26, 07:45:00 am  

यादों का समंदर मन की भावनाओं में उथल पुथल मचाने में सक्षम है और उसकी गर्मी जमी बर्फ भी.

भावना प्रधान क्षणिका. आभार संगीता दी.

Amrita Tanmay Thu Apr 26, 08:56:00 am  

जिसमें सबकुछ बह सा जाता है..हम भी...

Shah Nawaz Thu Apr 26, 09:07:00 am  

कम शब्दों में बड़ी बात! बहुत खूब!

Nidhi Thu Apr 26, 09:09:00 am  

स्नेह का ताप ..सब कुछ पिघलाने की सामर्थ्य रखता है...यह तो केवल बर्फ थी.

प्रवीण पाण्डेय Thu Apr 26, 09:52:00 am  

मन को भारीपन ऐसे ही बह जाता है, सुन्दर कविता।

Anonymous Thu Apr 26, 09:54:00 am  

नज़रें गीली
हो गयीं थीं
और
झील पर
जमी बर्फ
पिघलने
लगी थी ...

वाह !.. नज़रों का गीला होना और झील पर जमी बर्फ़ का पिघलना... भावोँ का बहुत सुंदर समन्वय ...

रश्मि प्रभा... Thu Apr 26, 09:54:00 am  

बहते हुए खोये रास्ते मिल जाते हैं ...

मनोज कुमार Thu Apr 26, 10:44:00 am  

यह उदास शाम जब पिघलकर मन में समा जाती है तो सुनामी उठ जाती है।

ANULATA RAJ NAIR Thu Apr 26, 11:03:00 am  

प्यार की गर्मी पत्थर पिघला देती है फिर ये तो बर्फ है...............

सुंदर भाव दी...
सादर.

Maheshwari kaneri Thu Apr 26, 11:32:00 am  

bhavpradhan sundar abhivayati....

डॉ टी एस दराल Thu Apr 26, 11:40:00 am  

झील पर जमी बर्फ स्थायी नहीं होती .
संयम रखें तो एक दिन सब ठीक हो जाता है .

सदा Thu Apr 26, 11:46:00 am  

अनुपम भाव संयोजित करती हुई अभिव्‍यक्ति ।

sheetal Thu Apr 26, 11:48:00 am  

Didi namaste
man ki udaas jhil ko pighal
jaane dijiye.
sundar abhivyakti.

vandana gupta Thu Apr 26, 12:23:00 pm  

और
झील पर
जमी बर्फ
पिघलने
लगी थी .....बस बर्फ़ का पिघलना जरूरी है …………बेहद उम्दा भावाव्यक्ति।

vandana gupta Thu Apr 26, 12:23:00 pm  

और
झील पर
जमी बर्फ
पिघलने
लगी थी .....बस बर्फ़ का पिघलना जरूरी है …………बेहद उम्दा भावाव्यक्ति।

shikha varshney Thu Apr 26, 12:31:00 pm  

नजरों के पानी से मन पर जमी बर्फ पिघल ही जाता करती है.
गहरे भाव
सुन्दर शब्द
खूबसूरत रचना.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया Thu Apr 26, 01:12:00 pm  

वाह!!!!बहुत सुंदर प्रस्तुति,..कम शब्दों अपना प्रभाव छोडती खुबशुरत रचना,..

MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: गजल.....

***Punam*** Thu Apr 26, 03:43:00 pm  

बर्फ है तो पिघलनी ही है.....बस उसके अनुरूप ताप मिले और कोई प्यार से मुट्ठी में बंद कर ले तो भी पिघल जाती है ये बर्फ......!!

Yashwant R. B. Mathur Thu Apr 26, 04:27:00 pm  

बहुत खूब आंटी!


सादर

Yashwant R. B. Mathur Thu Apr 26, 04:27:00 pm  

कल 27/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

Asha Joglekar Thu Apr 26, 06:05:00 pm  

भावों की ऊष्मा किसी भी कठोर-मन बर्फ को पिघलाने में सक्षम है । सुंदर ।

अनामिका की सदायें ...... Thu Apr 26, 08:14:00 pm  

geeli nazre to kitna kuchh pighla deti hain...ye to sirf apki hi jami barf thi.
sunder prastuti.

M VERMA Thu Apr 26, 08:14:00 pm  

बर्फ इतना बर्फीला भी तो नहीं होता ... पिघलेगा ही भावनाओं की गर्मी से

Surendra shukla" Bhramar"5 Thu Apr 26, 08:37:00 pm  

आदरणीया संगीता जी सुन्दर भाव ..भावनाएं और जज्बात पिघला ही देते हैं पत्थर से कठोर को भी ...
जय श्री राधे
भ्रमर ५

प्रतिभा सक्सेना Thu Apr 26, 09:43:00 pm  

जितनी छोटी, उतनी पैनी !

ऋता शेखर 'मधु' Thu Apr 26, 10:29:00 pm  

भावपूर्ण अभिव्यक्ति!!

डॉ. मोनिका शर्मा Fri Apr 27, 12:20:00 am  

वाह ...प्रभावित करते भाव

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) Fri Apr 27, 09:25:00 am  

बहुत गहरे भावों में अनुभव की भाप
बर्फ को पिघला रहा, शायद संताप

Dr Xitija Singh Fri Apr 27, 06:56:00 pm  

वाह !! क्या बात है ... बहुत खूब !!

Kailash Sharma Fri Apr 27, 07:59:00 pm  

बहुत सुंदर संवेदनशील रचना...आभार

Dr (Miss) Sharad Singh Fri Apr 27, 09:54:00 pm  

भावनाओं का बहुत सुंदर चित्रण . ...बधाई.

वाणी गीत Sat Apr 28, 06:09:00 am  

तुम्हारा प्यार मेरे भीतर है जमी बर्फ- सा !
पिघल गया तुम्हारा एहसास पाकर ही नदी- सा !
सर्द -गर्म से ये एहसास ही जीवन की धरोहर है !

अजित गुप्ता का कोना Sat Apr 28, 09:12:00 am  

बर्फ का पिघलना ही बेहतर है।

ashish Sat Apr 28, 04:28:00 pm  

अब जब पिघल गई बर्फ तो कविता तो बहनी ही थी . हम देर से आये मगर दुरुस्त और सुँदर पढने को मिला .

sushila Sat Apr 28, 06:22:00 pm  

"नज़रें गीली
हो गयीं थीं
और
झील पर
जमी बर्फ
पिघलने
लगी थी ....."
वाह ! आँसुओं की गर्मी से यह बर्फ़ पिघली और भाव शब्द रुप में बह पड़े!
बहुत सुंदर ! बधाई !

virendra sharma Sun Apr 29, 12:41:00 pm  

'बर्फ' और 'निजत्व से विश्व्त्व की' और दोनों रचनाये उच्च स्तरीय रहीं . मन तो अब झील क्या ग्लेशियर हो चला है जो अश्रु जल की गुनगुनाहट से लगातार पिघल रहा है .

Pallavi saxena Sun Apr 29, 02:43:00 pm  

kam shabdon men gaharee baat....

Anonymous Mon Apr 30, 10:59:00 am  

बर्फ आँसू की गर्मी से पिघलनी ही थी

virendra sharma Tue May 01, 03:21:00 pm  

मन की उदासी कर दी शाम के नाम ,हो गया जीने का कुछ इंतजाम .शाम का मानवीकरण है आपकी इस रचना में .बधाई .

कृपया यहाँ भी पधारें -
डिमैन्शा : राष्ट्रीय परिदृश्य ,एक विहंगावलोकन

http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
सोमवार, 30 अप्रैल 2012

जल्दी तैयार हो सकती मोटापे और एनेरेक्सिया के इलाज़ में सहायक दवा

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" Tue May 01, 07:48:00 pm  

behtareen rachna ...aapki har rachna mujhe naye chintan kee ed disha deti hai..aapka protsahan bhee mujeh satat prerit karta hai..sadar pranam ke sath

Kunwar Kusumesh Wed May 02, 01:37:00 pm  

गर्मी के मौसम में बर्फ पर कविता कुछ राहत दे गई.

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) Thu May 03, 02:12:00 pm  

Shayad dono me pani hone k karan nigahon ki nami barf pe asar kar gayi........sundar rachna didi.....

समय साल Thu May 03, 05:10:00 pm  
This comment has been removed by the author.
कुमार राधारमण Thu May 03, 05:14:00 pm  

मानो,प्रकृति ने भी विस्तार दिया आपकी करूणा को।

मेरा मन पंछी सा Fri May 04, 10:48:00 pm  

बेहतरीन भाव संयोजन
गहन अर्थ लिए बेहतरीन अभिव्यक्ति...

दिगम्बर नासवा Sat May 05, 12:55:00 pm  

निःशब्द ... कुश शब्दों में गहरी बात ...

पूनम श्रीवास्तव Sun May 06, 08:19:00 pm  

di
kam shabdon me apni baatoon ko vitaar dena aapki lekhni ka hi kamaal ho sakta hai .
sadar naman ke saath
poonam

Minakshi Pant Mon May 07, 05:28:00 pm  

कम शब्दों में सुन्दर भाव लेकर अपनी बात बयाँ करती खूबसूरत रचना |

Satish Saxena Tue May 08, 01:29:00 pm  

गागर में सागर .....
शुभकामनायें आपको !

Anju Sat Jun 30, 11:29:00 pm  

झील पर जमी बर्फ पिघलने लगी ....अह्हह्ह !!!!!!!!

Anju Sat Jun 30, 11:35:00 pm  

नज़रें गीली
हो गयीं थीं
और
झील पर
जमी बर्फ
पिघलने
लगी थी .....
अह्हह्ह ....!!!!

रफ़्तार

About This Blog

Labels

Lorem Ipsum

ब्लॉग प्रहरी

ब्लॉग परिवार

Blog parivaar

हमारी वाणी

www.hamarivani.com

लालित्य

  © Free Blogger Templates Wild Birds by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP