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आदत

>> Sunday, 29 November 2009

दर्द में भी मुस्कुराने की आदत है
अश्कों को भी सबसे छुपाने की आदत है
लोग समझते हैं कि गम नहीं है ज़माने में कोई मुझे
क्यों कि गम को भी पी जाने की मुझे आदत है

8 comments:

Apanatva Mon Nov 30, 12:37:00 pm  

bahut sunder .is blog par mai kabhee aai nahee chaliye koi baat nahee .der aae durast aae .

Dr. Ashok Kumar Mishra Tue Dec 01, 12:28:00 am  

बहुत अच्छी कविता लिखी है आपने । छोटी सी रचना गहरा प्रभाव छोडऩे में समर्थ हैं ।

मैने अपने ब्लाग पर एक कविता लिखी है-रूप जगाए इच्छाएं । समय हो तो पढ़ें और कमेंट भी दें-
http://drashokpriyaranjan.blogspot.com

daanish Tue Dec 08, 05:53:00 pm  

bahut km lafzoN meiN
itni gehre ehsaas ka izhaar kr paana bahut dushvaar hotaa hai
lekin
aapki qalam ko salaam !

अबयज़ ख़ान Fri Dec 11, 05:45:00 pm  

ऐ ग़मे यार बता कैसे जिया करते हैं...
जिनकी तकदीर बिगड़ जाती है क्या किया करते हैं..

कम लफ्ज़ो में ग़म को बयान कर दिया..

अजय कुमार Sun Dec 13, 11:03:00 am  

अच्छी लाइनें

एक शेर याद आ रहा है -
बाहर जो देखते हैं वो समझेंगे किस तरह
कितने गमों की भीड़ है एक आदमी के साथ

अनामिका की सदायें ...... Mon Dec 14, 12:34:00 pm  

dard chhupa kar kaha.n le jaoge
bojh badh jayega na fir chal paoge
behtar hai ashko ko bhi baha do yahi
logo ka kya hai kuchh bhi kehte hai vo
meri maano ye aadat badal dalo abhi.

निर्झर'नीर Tue Dec 29, 04:12:00 pm  

wahhhhhhhhhh ji wahhhhhhhhh

bahut khoob

exceelent

Yashwant R. B. Mathur Wed Jan 11, 03:36:00 pm  

वाह आंटी।


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