कुछ विशेष नहीं है जो कुछ अपने बारे में बताऊँ...
मन के भावों को
कैसे सब तक पहुँचाऊँ
कुछ लिखूं या
फिर कुछ गाऊँ
।
चिंतन हो
जब किसी बात पर
और मन में
मंथन चलता हो
उन भावों को
लिख कर मैं
शब्दों में
तिरोहित कर जाऊं ।
सोच - विचारों की शक्ति
जब कुछ
उथल -पुथल सा
करती हो
उन भावों को
गढ़ कर मैं
अपनी बात
सुना जाऊँ
जो दिखता है
आस - पास
मन उससे
उद्वेलित होता है
उन भावों को
साक्ष्य रूप दे
मैं कविता सी
कह जाऊं.
dard chhupa kar kaha.n le jaoge bojh badh jayega na fir chal paoge behtar hai ashko ko bhi baha do yahi logo ka kya hai kuchh bhi kehte hai vo meri maano ye aadat badal dalo abhi.
8 comments:
bahut sunder .is blog par mai kabhee aai nahee chaliye koi baat nahee .der aae durast aae .
बहुत अच्छी कविता लिखी है आपने । छोटी सी रचना गहरा प्रभाव छोडऩे में समर्थ हैं ।
मैने अपने ब्लाग पर एक कविता लिखी है-रूप जगाए इच्छाएं । समय हो तो पढ़ें और कमेंट भी दें-
http://drashokpriyaranjan.blogspot.com
bahut km lafzoN meiN
itni gehre ehsaas ka izhaar kr paana bahut dushvaar hotaa hai
lekin
aapki qalam ko salaam !
ऐ ग़मे यार बता कैसे जिया करते हैं...
जिनकी तकदीर बिगड़ जाती है क्या किया करते हैं..
कम लफ्ज़ो में ग़म को बयान कर दिया..
अच्छी लाइनें
एक शेर याद आ रहा है -
बाहर जो देखते हैं वो समझेंगे किस तरह
कितने गमों की भीड़ है एक आदमी के साथ
dard chhupa kar kaha.n le jaoge
bojh badh jayega na fir chal paoge
behtar hai ashko ko bhi baha do yahi
logo ka kya hai kuchh bhi kehte hai vo
meri maano ye aadat badal dalo abhi.
wahhhhhhhhhh ji wahhhhhhhhh
bahut khoob
exceelent
वाह आंटी।
सादर
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