copyright. Powered by Blogger.

अजीज़

>> Thursday 8 January 2009

बेरूखी भी तेरी मुझे अजीज़ है
क्यूँ कि वो भी तेरी दी हुई चीज़ है
तू लाख मुंह फेरे मुझसे ओ जाने - जाना
फ़िर भी तू मेरे दिल के करीब है ।

Read more...

गुनहगार

हर बार अपनी चाहत के हम गुनहगार हुए जाते हैं

कही - अनकही हर बात पर वो यूँ ही तोहमत लगाते हैं

सुनते हैं हर बात उनकी दिल औ जान से हम

फिर भी वो हैं कि हमसे खफा हुए जाते हैं ।

Read more...

रौनक -ऐ - ज़िन्दगी

>> Monday 5 January 2009

बेनूर सी आंखों में , ख़्वाबों की चमक दी है

एहसास -ऐ - अकेलेपन को , चाहत की कसक दी है

लगता है कि तेरे बिन ये साँसे , चलती भी नही हैं

इस कदर मेरी ज़िन्दगी को तूने रौनक दी है.

Read more...
रफ़्तार

About This Blog

Labels

Lorem Ipsum

ब्लॉग प्रहरी

ब्लॉग परिवार

Blog parivaar

हमारी वाणी

www.hamarivani.com

लालित्य

  © Free Blogger Templates Wild Birds by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP