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महताब

>> Saturday 19 December 2009

आँखों में बसाया है तुमको मैंने एक ख्वाब की तरह
दिल में छुपाया है तुमको मैंने एक चिराग की तरह
नज़र ना लग जाये मेरी मुहब्बत को ज़माने की
मेरे आसमां में चमको तुम बन के महताब की तरह .

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ऑंखें

>> Monday 14 December 2009

बिना काजल के हैं कजरारी आँखें

पैनी धार सी हैं ये कटारी आँखें

वार तो नहीं किया तूने मुझ पर

क़त्ल कर गयीं ये तेरी प्यारी आँखें

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ख़ामोशी

>> Sunday 13 December 2009

खामोश रह कर भी तुझसे बात करते हैं

आवाज़ नहीं आती पर लब हिलते हैं

ज़रा ध्यान से सुन कान लगा कर ज़रा

चुप रह कर भी हम बहुत कुछ कहते हैं.

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गुल

अश्कों को छुपा कर जो तुम मुस्कुराये
शबनम में भीगे कुछ गुल याद आए .

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रफ़्तार

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