copyright. Powered by Blogger.

तू मेरा , बाकी तेरा

>> Wednesday 28 April 2010





खुदा  मेरे ,
तूने  इस कायनात को 
बड़े करीने से 
बनाया है ,
ज़मीन पर 
खींच दी हैं  लकीरें 
इंसान ने ,
और फ़लक  
तेरे हिस्से आया है ,
चल आ  बाँट लें 
इस कायनात को आज ,
ये मेरे 
मन में आया है ,
बस तू रहे मेरा 
बाकी हो सब तेरा ,
वर्ना तो 
मोह जाल में 
हर इंसान 
यूँ ही भरमाया है ....




http://charchamanch.blogspot.com/2010/04/136.html

Read more...

हकीकत की आंधी

>> Thursday 22 April 2010





उदासी की गलियां तो

जानी पहचानी थीं

फिर भी इमामबाड़े की

भूलभुलैयाँ की तरह

भटक गया है मन

थक हार कर आखिर

जा बैठा है

ख्वाहिशों के दरख्त के नीचे

जहाँ चाहतों के पत्ते

झड़ झड़ कर

गिर रहे हैं.

और

उड़ते जा रहे हैं

निरंतर दिशाहीन से

हकीक़त की आंधी के साथ  






Read more...

गमकता जिस्म

>> Saturday 17 April 2010




जिस्म  ,

खामोश था

पथराया हुआ

रूह ने

कुछ फूल

चढ़ा दिए

अश्कों के

उस शिला पर

जिस्म भीग कर

गमकने लगा था  








Read more...

जिस्म और रूह

>> Monday 12 April 2010





जिस्म की
खरोंचों को तो 
सहला लिया 
चाँद की
मीठी सी 
परछाईं  ने..


पर रूह का क्या 
जो जख्म पा 
रोती रही 
बंद आँखों से 
शब् भर ...



.

Read more...

खारे ख्वाब

>> Thursday 8 April 2010





आँख  से  टपका

एक  ख्वाब  

रुखसार  पर 

ढुलक   गया 
 
और  

जज़्ब  हो गया 

लबों में 

आज जाना 

कि   ख्वाब  

खारे  क्यों  होते हैं  ?  






Read more...

बेवफाई

>> Sunday 4 April 2010


बेचैनियाँ जब हद से गुज़र जाती हैं
तो खलिश बन जाती हैं ,
बेबसी जब बाँध लगाती है
तो चुभन बन जाती है ,
वक्त को कब कौन रोक   पाया है
मेरे दोस्त ,
जब वक्त साथ दे तो
बेवफाई  बन   जाती है.



Read more...
रफ़्तार

About This Blog

Labels

Lorem Ipsum

ब्लॉग प्रहरी

ब्लॉग परिवार

Blog parivaar

हमारी वाणी

www.hamarivani.com

लालित्य

  © Free Blogger Templates Wild Birds by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP