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समंदर रेत का

>> Wednesday 13 April 2011


पलकों को 
निचोड़ कर 
जब मैंने 
खोलीं थीं 
आँखें 
रेत का 
समंदर उनमें 
नज़र आया था 


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तेरे होने का एहसास

>> Wednesday 6 April 2011






निशा का 
अंतिम प्रहर हो 
अम्बर मेघ से 
आच्छादित 
मेरे मन की 
धरती पर 
छाई हो 
गहन धुंध 
ऐसे में -
मात्र तेरे 
होने का एहसास 
सूरज की 
किरण बन 
भर देता है 
मेरे मन में उजास ..


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