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खुश्क आँखें

>> Tuesday 17 July 2012






अब नम नहीं होतीं 
मेरी आँखें 
ज़िंदगी की तपिश ने 
कर दिया है 
खुश्क उनको 
अब तो जब भी 
झपकती हूँ पलक 
तो होता है बस 
एक एहसास 
चुभन का । 


( आँखों में कुछ दिनों से जलन का एहसास हो रहा था  , आज डॉक्टर  को दिखाईं तो उन्होने बताया कि नमी सूख गयी है इसीलिए इरिटेशन होता है )


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ख्वाबों के आँचल

>> Thursday 5 July 2012





कुछ होते हैं
ख़्वाबों के आँचल 
ऐसे भी 
जिन्हें ना गुल 
और ना ही 
कांटे की 
दरकार होती है..
बस 
बढते हैं 
जंगली बेल की तरह 
इनसे भी 
जिंदगी खुशगवार 
होती है  . 









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