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साहिल

>> Thursday 23 October 2008

हर हंसीं पल में मेरे तू शामिल है ,
मेरे दिल का भी बस तू ही कातिल है ,
तू ही मेरे सीने में दिल बन के धड़कता है,
इन मौजे - लहरों का तू ही साहिल है.

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कश्ती

हद से गुज़र गए हैं लम्हें इंतज़ार के ,
आँखें भी थक गयीं हैं बिन दीदार के ,
ashkon को भी कब तक मैं बाँध कर रखूँ ,
कश्ती डूब रही है बिन पतवार के .

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कसक

>> Wednesday 22 October 2008

दिल ने फिर तेरे दिल पर दस्तक दी है
तन्हाई ने फिर एक कसक दी है
चाहूँ तेरी बाहों में सिमट जाना
ख़्वाबों ने तेरी फिर कसक दी है ।

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साया

तेरी ही ख्वाहिश की है मैंने तुझे ही चाहा है ,
हर पल तुझको मैंने अपने करीब पाया है ,
बेबसी है अब भी कुछ यूँ मेरी ज़िन्दगी में ,
तू नहीं मेरे साथ सिर्फ तेरा साया है ।

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पैगाम

>> Friday 17 October 2008

हर आह्ट पे लगता है कि आया है पैगाम,
मदहोश तेरे नशे में बिना पिए ही जाम ,
सूरत तेरी हटती नही मेरी नज़रों के सामने से,
हर बात से पहले आता है तेरा नाम।

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इम्तिहान

लम्हा दर लम्हा हम इम्तिहान देते रहे ,
तेरी दूरी का दर्द भी हम सहते रहे ,
हद से गुज़र गई है दर्दे गम की बरसात ,
हर पल में न जाने कितनी बार मरते रहे ।

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ताउम्र

बूंद - बूंद अश्कों को हम पीते रहे ,
जुबान पे तेरा नाम ले कर जीते रहे ,
गुज़र गया हर लम्हा बस तेरी उम्मीद पे ,
मिला जो ज़ख्म उसे ताउम्र बस सीते रहे।

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ज़रूरत

जब मैंने कहा था कि मुझे तेरी ज़रूरत नही,
न ही तेरी आरजू है और तेरी चाहत भी नही ,
तेरे अश्कों की कतारों ने मुझे यूँ भिगो डाला ,
आज तू मेरी ज़रूरत है पर तू मेरे साथ नही।

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हर्जाना

तुने तो फकत चाह कर मुझे दीवाना बना दिया ,
मैंने भी तुझे अपनी चाहत का प्यारा सा नजराना दिया ,
पर तुझे चाहने वालों की कभी कोई कमी तो नही रही ,
मैंने ही मुहब्बत के लिए तुझे अपनी ज़िन्दगी का हर्जाना दिया ।

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आघात

>> Thursday 16 October 2008

जिसने भी तुम पर यूँ आघात किया होगा ,
वो भी न जाने कितनी मौत मरा होगा,
अगर सजा दिए थे उसने प्यार,विश्वास और अपनेपन के फूल,
तो यकीं मानो दोस्त, वो भी रातों में उठ कर रोया होगा।

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इल्जाम

सीने मैं दर्द को दफ़न हम यूँ कर रहे हैं,
कि जहाँ के साथ हम भी हंस रहे हैं,
इस आशियाने मैं पतंगे की माफिक जल रहे हैं,
और इल्जाम हम पर ही कि हम क्यों मर रहे हैं।

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ज़ख्म

वक्त ने बेरहमी से ज़ुल्म ढाया है
फिर भी हमने अपना प्यार निभाया है
तंज़ नही दे रहे है हम किसी को
दिल के हाथों ये ज़ख्म मैंने खाया है
.

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तन्हाई

तन्हाई में तुझसे बात किया करते हैं
हर पल तेरे साथ रहा करते हैं
वक्त जब कटता नही किसी भी तरह
तेरी याद में मोती लुटा दिया करते हैं ।

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दस्तक

दिल ने फिर तेरे दिल पर दस्तक दी है
तन्हाई ने फिर मुझे एक कसक दी है
चाहूँ मैं तेरी बाहों में सिमट जाना
ख़्वाबों ने मुझे तेरी कशिश दी है

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लम्हा

कोई लम्हा नही गुज़रता जो तुझे याद न किया हो ,
कोई सोच ऐसी नही कि जिसमे तुझे शामिल न किया हो ,
आंख बंद करते हैं जब भी हम अपनी ,
कोई ख्वाब ऐसा नही जिसमें तुझे देखा न किया हो।

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प्याले गम -ऐ -दर्द के

जब तन्हाई होती है तो ख़ुद से मिला करते हैं
किसी की ज़रूरत नही होती ख़ुद से बात किया करते हैं
ज़िन्दगी बन जाए रेगिस्तान तो फिर पानी की चाह भी क्यों हो ?
छलकाते नही गम-ऐ - दर्द के प्याले बस हम उन्हें पी लिया करते हैं।

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तबाहियां

मेरी ज़िन्दगी की तबाहियां मत देख मेरे दोस्त,

कि चिराग गुल कर दो कुछ ऐसी मेरी ज़िन्दगी है,

कितना करोगे रोशन मेरे अंधेरे सायों को

,कि हर लौ मेरी अब बुझ चली है...........

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अंधेरे

अंधेरे मेरी ज़िन्दगी में जो इतने हैं,

कि अब किसी रोशनी से दिल घबराता है,

मुझे मेरे साये से लिपटे रहने दो,

किसी के होने के अहसास से दिल घबराता है।

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अश्क

पलकों पे जो ये अश्क चले आते हैं,

ये कितने बेदर्द हो कर चले आते हैं,

जब छोड़ देता है साथ ज़माना मेरा

तो ये भी मेरा साथ छोड़ कर चले आते हैं।

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