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दीप बन कर देखो .... / हाइकु

>> Monday 12 November 2012






मन का दीप 
रोशन कर देखो 
खुशी ही खुशी 



माटी का दिया 
एक रात की उम्र 
ज्योति से भरा ।


आम आदमी 
लगा रहा हिसाब 
कैसे हो पर्व ? 


लगाएँ बाज़ी 
परंपरा के नाम 
पत्तों का खेल । 


बम - पटाखे 
क्षण भर की खुशी 
धुआँ ही धुआँ ।


दीयों की बाती 
उजियारा  फैलाती 
स्वयं  जलती । 

दीपावली की  सभी को हार्दिक शुभकामनायें ।

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आस्था और चाँद / हाइकु

>> Friday 2 November 2012



चौथ का चाँद 
आँखों में  उतरता 
प्रेम दर्शाये । 





देखा जो चाँद 
धरती के चाँद ने 
मन हर्षाया । 





उठी निगाहें 
चाँद की प्रतीक्षा में 
करें अर्चना । 






नेह बंधन 
स्वीकारें  मन से 
चाँद है साक्षी । 





बिना प्रेम के 
परंपरा के लिए 
न करो व्रत । 




मन की आस्था 
चाँद  में निहारती 
उम्र पति की .






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