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पतझर / हाइकु

>> Thursday, 27 September 2012




झरते पत्ते 
देते यह संदेश 
जाना तो है ही । 






ये मेरा मन 
झर झर जाता है 
पीले पत्तों सा । 






ऋतु दबंग 
हर लेती है पत्ते 
सूनी  शाखाएँ । 





पत्रविहीन 
कर रहा प्रतीक्षा 
नए पत्तों की । 






उदास मन 
टूटता है नि:शब्द 
पतझर सा । 






बेखौफ पत्ते 
छोड़ गए शाखाएँ 
पल्लव  आयें 





सूखे जो पत्ते 
टपक ही तो गए 
शाख से नीचे । 






पतझर में 
पीली हुयी धरती 
ज़र्द पत्तों सी । 

54 comments:

सदा Thu Sept 27, 04:09:00 pm  

उदास मन
टूटता है नि:शब्द
पतझर सा ।

बहुत ही उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति।

अरुन अनन्त Thu Sept 27, 04:11:00 pm  

बहुत ही उम्दा प्रस्तुति

mukti Thu Sept 27, 04:51:00 pm  

बहुत सुन्दर! आपके मोती मुझे हमेशा अच्छे लगते हैं :)

रश्मि प्रभा... Thu Sept 27, 05:03:00 pm  

गहन भाव लिए उत्‍कृष्‍ट अभिव्‍यक्ति

रंजू भाटिया Thu Sept 27, 05:18:00 pm  

पतझर में
पीली हुयी धरती
ज़र्द पत्तों सी । ......bahut sundar likhti hain aap sangeeta ji ....

Amrita Tanmay Thu Sept 27, 05:37:00 pm  

पतझर का सत्य यही है..सुन्दर अभिव्यक्ति .

पी.सी.गोदियाल "परचेत" Thu Sept 27, 06:16:00 pm  

पत्रविहीन
कर रहा प्रतीक्षा
नए पत्तों की
गहन भाव,बहुत सुन्दर!

shikha varshney Thu Sept 27, 06:26:00 pm  

जाने कैसे इतने से शब्दों में सब कुछ कह देती हो..
और चित्र के साथ शब्द गज़ब ढा रहे हैं.

Dr.NISHA MAHARANA Thu Sept 27, 07:05:00 pm  

बेखौफ पत्ते
छोड़ गए शाखाएँ
पल्लव आयें ....bahut badhiya ...vaise sare hi acche hain ...

मनोज कुमार Thu Sept 27, 07:52:00 pm  

पतझड़ जहां एक ओर हरियाली विहीन होने का भाव दिखाता है वहीं दूसरी फिर से नए सृजन का संकेत भी देता है। दोनों ही खूबियों को आपने इन हाइकु में बखूबी समेटा है।

चला बिहारी ब्लॉगर बनने Thu Sept 27, 07:54:00 pm  

'पतझर' पर आपने इतने खूबसूरत, कोमल और हरे पत्ते बिखेर दिए कि उन्हें उठाकर किताबों के बीच रख लेने को जी चाह रहा है, दीदी!!
काश मुझे भी हाइकू लिखना आता!! :(

Anupama Tripathi Thu Sept 27, 08:45:00 pm  

एक एक हाइकु सीप का मोती ....
बहुत सुंदर भाव हैं दी ....
बहुत ही सुंदर ...

Maheshwari kaneri Thu Sept 27, 09:58:00 pm  

गहन भाव लिए बहुत सुन्दर प्रस्तुति...

मेरा मन पंछी सा Thu Sept 27, 10:41:00 pm  

वाह|||
बहुत ही बेहतरीन हाइकु
बहुत बढियाँ...
:-) :-)

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया Thu Sept 27, 10:58:00 pm  

उदास मन
टूटता है नि:शब्द
पतझर सा ।

नि:शब्द करते उत्कृष्ट हाइकू ,,,,

RECENT POST : गीत,

प्रतिभा सक्सेना Fri Sept 28, 02:21:00 am  

नन्हीं-नन्हीं बूँदें जैसे रोशनी को बिंबित कर जायें ,
ऐसे ही ये लघु छंद!

वाणी गीत Fri Sept 28, 05:55:00 am  

पात पात में सुन्दर बात !
हायकू विधा की बेहतरीन प्रस्तुति .
सुन्दर चित्र पंक्तियों की खूबसूरती को बढ़ाते हैं !

Nidhi Fri Sept 28, 07:59:00 am  

सुन्दर!!
उदास मन
टूटता है नि:शब्द
पतझर सा ।

प्रवीण पाण्डेय Fri Sept 28, 09:19:00 am  

छोटे छोटे पत्तों जैसे हाईकू..

vandana gupta Fri Sept 28, 10:12:00 am  

गज़ब के भाव भरे हाइकू ………आप तो हाइकू क्वीन बन गयी हैं :)

Sadhana Vaid Fri Sept 28, 12:02:00 pm  

उदास मन
टूटता है नि:शब्द
पतझर सा ।

बहुत ही सुन्दर हाईकू संगीता जी मन को व्याकुल सा करते ! इसे भी देखिये -
झरते पत्ते
जैसे झरते आँसू
गुमसुम शाखें !

रेखा श्रीवास्तव Fri Sept 28, 01:32:00 pm  

क्या बात है? पत्ते शाखें और उससे जुड़े कितने सारे दर्शन को समेटे ये हाइकू? बहुत कुछ कह गए हें.

संध्या शर्मा Fri Sept 28, 02:53:00 pm  

झरते पीले पात कितनी सारी बातें कह गए... बहुत सुन्दर हायकू... आभार

डॉ टी एस दराल Fri Sept 28, 06:40:00 pm  

बहुत सुन्दर सचित्र हाइकु -- हाइगा .

Kailash Sharma Fri Sept 28, 08:47:00 pm  

ये मेरा मन
झर झर जाता है
पीले पत्तों सा ।

...बहुत खूब! हरेक हाइकु गहन अर्थ छुपाये और दिल को छू गये..आभार

कुमार राधारमण Sat Sept 29, 12:07:00 am  

प्रकृति सम
पतझड़-पल्लव
आ खेलें हम

अजित गुप्ता का कोना Sat Sept 29, 09:31:00 am  

बहुत ही सारगर्भित हाइकू हैं बधाई।

Saras Sat Sept 29, 10:44:00 am  

वाह संगीताजी ....इतने उम्दा हाइकू बहुत कम मिलते हैं पढने को ...मज़ा आ गया ....साभार !

आनंद Sat Sept 29, 12:07:00 pm  

दीदी सारे हाइकु मन-भावन है

उदास मन
टूटता है नि:शब्द
पतझर सा ।

इसने तो मन मोह लिया ..प्रणाम !

Yashwant R. B. Mathur Sat Sept 29, 12:16:00 pm  

सभी हाइकु बहुत अच्छे हैं


सादर

मुकेश कुमार सिन्हा Sat Sept 29, 02:30:00 pm  

पतझर में
पीली हुयी धरती
ज़र्द पत्तों सी ।...:)
jabab nahi di..
chhoti chhoti rachnaon me kitna dam hota hai..

अनामिका की सदायें ...... Sat Sept 29, 05:34:00 pm  

is sab ke baad shayad ab kuchh nahi bachta patjhad par kahne ke liye.

bahut sunder haiku.

ANULATA RAJ NAIR Sat Sept 29, 07:10:00 pm  

bahut sundar hayeku hain dee....

dil se jhar ke seedhe kaagaz par tapake hon maano....

saadar

anu

Asha Joglekar Sat Sept 29, 08:09:00 pm  

जीवन का यह भी एक रंग दिखातीं आपकी सुंदर हाइकू ।

Aditi Poonam Mon Oct 01, 10:12:00 pm  

बहुत सुंदर हाइकु ,मनमोहक प्रस्तुति

Vaanbhatt Mon Oct 01, 10:51:00 pm  

हाइकु...पूरा जीवन दर्शन लिए हुए...

महेन्द्र श्रीवास्तव Tue Oct 02, 06:08:00 pm  

बहुत सुंदर रचना
क्या कहने




जब भी समय मिले, मेरे नए ब्लाग पर जरूर आएं..
http://tvstationlive.blogspot.in/2012/09/blog-post.html?spref=fb

Kunwar Kusumesh Thu Oct 04, 08:23:00 am  

उत्कृष्ट हाइकु.

Rajput Sun Oct 07, 10:47:00 am  

बहुत ही उम्दा .
सुंदर हाइकू

Dr Varsha Singh Sun Oct 07, 11:35:00 am  

उत्‍कृष्‍ट अभिव्‍यक्ति .........

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) Sun Oct 07, 10:48:00 pm  

पतझर है
इसका मतलब
बसंत होगा |

झरते पात
खामोश हर वृक्ष
जीवंत होगा |

उठते हाथ
दुवाओं का असर
तुरंत होगा |

प्रश्न दहका
पतझरी हाइकू
ज्वलंत होगा |

इधर आँसू
तो उधर आनंद
अनंत होगा |


उत्कृष्ट पतझरी हाइकू की प्रेरणा से जो बने, शायद हाइकू हो सकते हैं. आभार......

आशा बिष्ट Mon Oct 08, 06:05:00 pm  

जीवन के हर पल को सिखा देती है यह पत्तो की कहानी ..!!

virendra sharma Mon Oct 08, 07:01:00 pm  

सभी हाइकु पतझड़ पर एक से एक सन्देश परक .हाँ वृक्ष ये तो सन्देश देते ही हैं जब कोपलें फूट आती है शाख पर तब भी -और जब निर्वसना जर्जर हो जाते हैं पतझड़ में तब भी -

जीवन जीने का नाम है .सर्दी गर्मी बरसात में सम भाव लिए प्रकृति के साथ तादात्मय बनाए चलो .हँसते हुए आना है हँसते हुए जाना है छटा अपने रूप रंग की स्वभाव की आसपास बिखराना है .


बेखौफ पत्ते
छोड़ गए शाखाएँ
पल्लव आयें

खाली हाथ आ ,

मत घबरा जी ले ,

खाली हाथ जा !

Minakshi Pant Wed Oct 10, 04:13:00 pm  

सुन्दर प्रस्तुति |

Minakshi Pant Wed Oct 10, 04:13:00 pm  

सुन्दर प्रस्तुति |

Satish Saxena Thu Oct 11, 09:35:00 am  

असर छोड़ने में कामयाब हैं, आपके हायकू

बधाई !

पी.एस .भाकुनी Thu Oct 11, 12:21:00 pm  

पतझड़ में भी बहारो की सुखद अनुभूति प्रदान करने में सक्षम प्रत्येक हाईकू और चित्र, शब्दों एवं चित्रों का बेहतरीन तालमेल...... सुंदर प्रस्तुति......

Pratik Maheshwari Thu Oct 11, 04:24:00 pm  

खूबसूरत हाईकू हैं..
पतझड़ और जीवन की अच्छा तुलना..

Rachana Thu Oct 11, 08:45:00 pm  

ye to haiga bhi hai kamal ka snyojan hai bahut bahut badhai
rachana

Anonymous Sun Oct 14, 10:08:00 am  

बहुत सुन्दर हाइकू हैं संगीता जी।। जब भी आपके हाइकू पढ़ती हूँ बस एक ही विचार आता है मन में, इसे कहते हैं सशक्त हाइकू . कहीं भी नियमों का पालन करने के लिए शब्दों का जोड़-तोड़ किया गया हो ऐसा ढूंढें से भी नहीं मिलता ... एक-एक शब्द अपने अर्थ और भाव को सार्थक करता हुआ एकदम सटीक ...

देवेन्द्र पाण्डेय Tue Oct 23, 11:35:00 am  

बढ़िया हाइकू।

मुझे भी फोटू खीचने के बाद हाइकू लिखने का मन हो रहा है, इसे पढ़कर।

Suman Fri Oct 26, 06:35:00 am  

ये मेरा मन
झर झर जाता है
पीले पत्तों सा ।
vakai badhiya ...

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