खलिश होती है तो यूँ ही बयां होती है , हर शेर जैसे सीप से निकला हुआ मोती है
हर बार अपनी चाहत के हम गुनहगार हुए जाते हैं
कही - अनकही हर बात पर वो यूँ ही तोहमत लगाते हैं
सुनते हैं हर बात उनकी दिल औ जान से हम
फिर भी वो हैं कि हमसे खफा हुए जाते हैं ।
© Free Blogger Templates Wild Birds by Ourblogtemplates.com 2008
Back to TOP
5 comments:
हर बार अपनी चाहत के हम गुनहगार हुए जाते हैं
कही - अनकही हर बात पर वो यूँ ही तोहमत लगाते हैं
सुनते हैं हर बात उनकी दिल औ जान से हम
फिर भी वो हैं कि हमसे खफा हुए जाते हैं ।
Sun kar har baat ko
vo ander hi ghut jate hai..
zuba se bolte nahi,
sanso k kaarva magar
sab ankahi keh jate hai..
khafa koi kaise ho payega
apni saanso se,
pyar bhi jataaye magar
khud ko hi gunehgaar sa paatee hai..!!
दर्द की अनुभूति करा रही है आप.....
waah masi..
pics bhi saari bahut shaandar lagai hain
Bahut sahi.Unhe is kadar kadra hi nahi hamaare.
bahut accha likhatee hai aap . ati sunder .
Post a Comment