copyright. Powered by Blogger.

गुनहगार

>> Thursday, 8 January 2009

हर बार अपनी चाहत के हम गुनहगार हुए जाते हैं

कही - अनकही हर बात पर वो यूँ ही तोहमत लगाते हैं

सुनते हैं हर बात उनकी दिल औ जान से हम

फिर भी वो हैं कि हमसे खफा हुए जाते हैं ।

5 comments:

taanya Fri Jan 09, 09:39:00 am  

हर बार अपनी चाहत के हम गुनहगार हुए जाते हैं
कही - अनकही हर बात पर वो यूँ ही तोहमत लगाते हैं
सुनते हैं हर बात उनकी दिल औ जान से हम
फिर भी वो हैं कि हमसे खफा हुए जाते हैं ।

Sun kar har baat ko
vo ander hi ghut jate hai..
zuba se bolte nahi,
sanso k kaarva magar
sab ankahi keh jate hai..
khafa koi kaise ho payega
apni saanso se,
pyar bhi jataaye magar
khud ko hi gunehgaar sa paatee hai..!!

लोकेन्द्र विक्रम सिंह Sun Aug 09, 06:54:00 pm  

दर्द की अनुभूति करा रही है आप.....

दिपाली "आब" Mon Sept 14, 04:17:00 pm  

waah masi..

pics bhi saari bahut shaandar lagai hain

Anonymous Thu Oct 29, 10:50:00 am  

Bahut sahi.Unhe is kadar kadra hi nahi hamaare.

Apanatva Mon Nov 30, 12:40:00 pm  

bahut accha likhatee hai aap . ati sunder .

रफ़्तार

About This Blog

Labels

Lorem Ipsum

ब्लॉग प्रहरी

ब्लॉग परिवार

Blog parivaar

हमारी वाणी

www.hamarivani.com

लालित्य

  © Free Blogger Templates Wild Birds by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP