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निर्मल धारा

>> Wednesday, 22 December 2010


मन की अगन को
बढा देती हैं
काम , क्रोध,
मोह , लोभ
की आहुतियाँ .

बढ़ाना है
गर इसको
तो
बहानी होगी
प्रेम की निर्मल धारा .


बढाने के दो अर्थ हैं --
१--- अधिक करना
२-- बुझाना

75 comments:

Er. सत्यम शिवम Wed Dec 22, 11:36:00 pm  

sachai ka bodh karati....bhut hi sundar rachna.....

kshama Wed Dec 22, 11:53:00 pm  

Wah! Bahut hee sundar rachana!

shikha varshney Thu Dec 23, 12:00:00 am  

वाह क्या बात है... यमक अलंकार का उत्तम प्रयोगकर डाला आज तो.

nilesh mathur Thu Dec 23, 12:22:00 am  

वाह! क्या बात है, बहुत सुन्दर!

राज भाटिय़ा Thu Dec 23, 12:44:00 am  

बहुत सुंदर संदेश दिया आप ने अपनी इस सुंदर कविता मे धन्यवाद

Anonymous Thu Dec 23, 06:47:00 am  

यह क्षणिका तो बहुत बढ़िया रही!

मनोज कुमार Thu Dec 23, 07:12:00 am  

संदेश देती सुंदर रचना। प्रेरक।

ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηι Thu Dec 23, 08:43:00 am  

बढाना है गर इसको ' तो बहानी होगी प्रेम की निर्मल धारा ।
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति।

डॉ टी एस दराल Thu Dec 23, 08:48:00 am  

अति सुन्दर । बढ़ाना का अर्थ बुझाना पहली बार जाना ।

रश्मि प्रभा... Thu Dec 23, 09:47:00 am  

hum sare bloggers yahi to ker rahe hain ...

Suman Sinha Thu Dec 23, 09:58:00 am  

zindagi ko aasaan karna hai to nirmal dhaara ko awiral bahne do... bahut achhe vichaar

पी.सी.गोदियाल "परचेत" Thu Dec 23, 10:35:00 am  

बेहतरीन प्रस्तुति चंद लफ्जों में संगीता जी !

इस्मत ज़ैदी Thu Dec 23, 10:46:00 am  

संगीता जी कोशिश तो यही है कि ये निर्मल धारा सदा हमारे मन मस्तिष्क में बहती रहे ,कोई व्यवधान न आने पाए
सुंदर आह्वान !

अरुण चन्द्र रॉय Thu Dec 23, 10:52:00 am  

चंद शब्द जीवन का मार्गदर्शन कर रही हैं.. सुन्दर प्रेरक क्षणिका..

प्रवीण पाण्डेय Thu Dec 23, 11:16:00 am  

यदि हृदय बचाना है,
इन पर विजय पाना है।

अजित गुप्ता का कोना Thu Dec 23, 11:42:00 am  

सद-विचार जैसी कविता।

ManPreet Kaur Thu Dec 23, 11:47:00 am  

bahut hi umda likha hai aapne..
Please visit my blog..
Lyrics Mantra

vandana gupta Thu Dec 23, 11:59:00 am  

थोड़े शब्दों में गहन अभिव्यक्ति बहुत कुछ कह गयी............अति सुन्दर .

राजकुमार सोनी Thu Dec 23, 12:04:00 pm  

आपकी बात से सहमत हूं
प्रभावशाली बात.

मंजुला Thu Dec 23, 12:30:00 pm  

achhi n sachhi baat.....badai.....

कडुवासच Thu Dec 23, 01:15:00 pm  

... bahut sundar ... laajawaab !!!

rashmi ravija Thu Dec 23, 01:58:00 pm  

सुन्दर सन्देश के साथ सार्थक रचना

ZEAL Thu Dec 23, 02:27:00 pm  

निश्चय ही प्रेम धारा मन को कोमल बना देती है ।

सदा Thu Dec 23, 02:51:00 pm  

बहुत ही सुन्‍दर शब्‍द ...बहानी होगी ...प्रेम की निर्मल धारा ।

Aruna Kapoor Thu Dec 23, 02:52:00 pm  

प्रेम की निर्मल धारा .


isi ki to enmiyat sab se jyaada hai!...suMdar rachana, badhaai!

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" Thu Dec 23, 02:56:00 pm  

सुन्दर सन्देश देती रचना !

Dr (Miss) Sharad Singh Thu Dec 23, 04:30:00 pm  

बहुत सुन्दर, भावपूर्ण कविता। बधाई।

रंजू भाटिया Thu Dec 23, 05:32:00 pm  

बहुत सुन्दर संगीता जी आपका लिखा बहुत प्रभावित करता है शुक्रिया तहे दिल से आपका

उपेन्द्र नाथ Thu Dec 23, 06:34:00 pm  

संगीता जी , काबिले तारीफ. इन चंदद शब्दों में आपने बहुत ही गहरी बात कह दी....
सृजन शिखर पर -- इंतजार

sheetal Thu Dec 23, 07:38:00 pm  

sahi likha aapne,
kaam,krodh,moh,ki agan se hamara yeh man hamesha jalta rehta hain.
jisse na hi hamara fayda hain na hi is samaj ka.
hame apna jeevan aur apne aas-paas ke mahol ko khubsurat banana hain to.prem dhara main apne aap ko bahana hoga.
behad sundar bhav.

चला बिहारी ब्लॉगर बनने Thu Dec 23, 07:39:00 pm  

मन की अनियंत्रित अग्नि का शमन करने का उत्कृष्ट उपाय!!
कम शब्दों में अनोखी सीख!!

Amrita Tanmay Thu Dec 23, 07:47:00 pm  

खास भाव लिए हुए ....अच्छी रचना ,अच्छा सन्देश ...अच्छा प्रभाव ...हाँ! निर्मल धारा...बहना ही चाहिए ...

kunwarji's Thu Dec 23, 08:30:00 pm  

nyuntam shabdo me adhiktam maarak baat....
bahut sundar...

kunwar ji,

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' Thu Dec 23, 08:44:00 pm  

मन के पवित्र भाव से ही जीवन बदलता है...
बहुत अच्छा संदेश दिया है आपने.

रचना दीक्षित Thu Dec 23, 09:00:00 pm  

वाह! क्या बात है, बहुत सुन्दर निर्मल धारा

पूनम श्रीवास्तव Thu Dec 23, 09:03:00 pm  

sangeeta di
aapne to gagar me sagar hi bhar diya.
behad sarthak avam ek prabhav purnsandesh deti hai aapki yah kavita .
bahut bahut badhai
poonam

Sadhana Vaid Thu Dec 23, 09:46:00 pm  

सुन्दर भाव, सुन्दर अभिव्यक्ति और सबसे सुन्दर शब्द चयन ! इतनी प्यारी क्षणिका के लिये आपको बहुत बहुत बधाई एवं आभार !

प्रतिभा सक्सेना Thu Dec 23, 11:57:00 pm  

सार-गर्भित एवं सुन्दर !

सूबेदार Fri Dec 24, 12:18:00 am  

देखन में छोटन लगत घाव करे गंभीर----बहुत सारगर्भित आध्यात्मिकता से ओत-प्रोत .

लोकेन्द्र सिंह Fri Dec 24, 12:57:00 am  

बहुत सुन्दर रचना....
प्रेम की गंगा बहते चलो..... जय हो...

Suman Fri Dec 24, 10:56:00 am  

sahi hai. sunder rachna hamesha ki taraha...........

Anonymous Fri Dec 24, 11:31:00 am  

संगीता जी,

कम शब्दों में एक बेहतरीन पोस्ट है आपकी......अच्छा हुआ आपने निचे बढ़ाना के दो अर्थ बता दिए......

JAGDISH BALI Fri Dec 24, 04:05:00 pm  

छोटी, मगर दमदार !

स्वप्निल तिवारी Fri Dec 24, 08:01:00 pm  

pahle to mujhe samjh men hi nahi aayi nazm ...do baar padhne ke baad fir neeche likha note padha tab ja kar aayi dimag men .... achhi chhutku hai ....

Anonymous Fri Dec 24, 09:20:00 pm  

निर्मल संदेश देती यह सुंदर क्षणिका ! आभार !

Rahul Singh Fri Dec 24, 09:48:00 pm  

काम, क्रोध, मोह, लोभ को बहा कर ले जाएगी यह निर्मल धारा.

mukta mandla Sat Dec 25, 07:12:00 am  

जबाब नहीं निसंदेह ।
यह एक प्रसंशनीय प्रस्तुति है ।

mridula pradhan Sat Dec 25, 12:59:00 pm  

kitni achchi baat likhi hain aap.wah.

कुमार राधारमण Sat Dec 25, 03:08:00 pm  

एक दूसरा पक्ष यह है कि काम,क्रोध,मोह,लोभ आदि चरम पर पहुंच जाएं तो प्रेम की धारा बिना किसी कोशिश के,स्वतः प्रवाहित होने लगती है।

Patali-The-Village Sun Dec 26, 02:01:00 pm  

बहुत सुंदर संदेश दिया आप ने अपनी इस सुंदर कविता मे धन्यवाद|

सुशीला पुरी Sun Dec 26, 03:05:00 pm  

संगीता जी कृपया अपना मेल पता दें !

Akshitaa (Pakhi) Mon Dec 27, 12:40:00 pm  

छोटी सी पर प्यारी सी कविता.

RADHIKA Mon Dec 27, 01:03:00 pm  

Wah wah wah wah char panktiyon me sara darshn

Meenu Khare Mon Dec 27, 04:35:00 pm  

रोचक लेखन।खूबसूरत प्रस्तुति.रचना सुंदर रही।

Meenu Khare Mon Dec 27, 04:43:00 pm  

प्यारी सी कविता. हार्दिक शुभकामनाएं...

दिनेश शर्मा Mon Dec 27, 08:12:00 pm  

वाह!क्या बात है?

Alpana Verma Thu Dec 30, 04:14:00 pm  

बहुत सुन्दर लिखा है.
नववर्ष की अनेकानेक शुभकामनाएँ.

smshindi By Sonu Thu Dec 30, 04:27:00 pm  

बहुत ही अच्छा संदेश दिया है।

Shabad shabad Fri Dec 31, 03:11:00 am  

सुन्दर कविता!
नव वर्ष(2011) की शुभकामनाएँ !

Suman Fri Dec 31, 11:40:00 am  

naya varsh mangalmai ho...........

रेखा श्रीवास्तव Fri Dec 31, 07:47:00 pm  

der se pahunchi, bahut sundar bat kahi hai. bas isako jeevan men utarane ki der hai.

Anjana Dayal de Prewitt (Gudia) Mon Jan 10, 07:00:00 am  

Prem ki nirmal dhara sada baha kare, yehi dua hai

amrendra "amar" Thu Jan 20, 02:34:00 pm  

Good work
http://amrendra-shukla.blogspot.com

निर्मला कपिला Sat Mar 05, 09:24:00 am  

सुन्दर सन्देश। धन्यवाद।

-सर्जना शर्मा- Fri Mar 11, 10:52:00 pm  

संगीता जी रसबतिया पर आने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद , आपकी पुस्तक के विमोचन और आपको सर्वश्रेष्ठ टिप्पणीकार चुने जाने के लिए बधाई । आप अपना स्नेह ऐसे ही बनाए रखिएगा

Anjana Dayal de Prewitt (Gudia) Sun Mar 13, 07:25:00 am  

bahut sunder seekh! :-) ekdam sahi kaha hai itni thodi si panktiyon mein

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