निर्मल धारा
>> Wednesday, 22 December 2010
मन की अगन को
बढा देती हैं
काम , क्रोध,
मोह , लोभ
की आहुतियाँ .
बढ़ाना है
गर इसको
तो
बहानी होगी
प्रेम की निर्मल धारा .
बढाने के दो अर्थ हैं --
१--- अधिक करना
२-- बुझाना
खलिश होती है तो यूँ ही बयां होती है , हर शेर जैसे सीप से निकला हुआ मोती है
मन की अगन को
बढा देती हैं
काम , क्रोध,
मोह , लोभ
की आहुतियाँ .
बढ़ाना है
गर इसको
तो
बहानी होगी
प्रेम की निर्मल धारा .
बढाने के दो अर्थ हैं --
१--- अधिक करना
२-- बुझाना
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75 comments:
sachai ka bodh karati....bhut hi sundar rachna.....
sunder sandesh deti kshanika.
Wah! Bahut hee sundar rachana!
वाह क्या बात है... यमक अलंकार का उत्तम प्रयोगकर डाला आज तो.
वाह! क्या बात है, बहुत सुन्दर!
बहुत सुंदर संदेश दिया आप ने अपनी इस सुंदर कविता मे धन्यवाद
यह क्षणिका तो बहुत बढ़िया रही!
संदेश देती सुंदर रचना। प्रेरक।
बढाना है गर इसको ' तो बहानी होगी प्रेम की निर्मल धारा ।
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति।
अति सुन्दर । बढ़ाना का अर्थ बुझाना पहली बार जाना ।
sandeshaatmak rachna
hum sare bloggers yahi to ker rahe hain ...
zindagi ko aasaan karna hai to nirmal dhaara ko awiral bahne do... bahut achhe vichaar
बेहतरीन प्रस्तुति चंद लफ्जों में संगीता जी !
संगीता जी कोशिश तो यही है कि ये निर्मल धारा सदा हमारे मन मस्तिष्क में बहती रहे ,कोई व्यवधान न आने पाए
सुंदर आह्वान !
चंद शब्द जीवन का मार्गदर्शन कर रही हैं.. सुन्दर प्रेरक क्षणिका..
यदि हृदय बचाना है,
इन पर विजय पाना है।
सद-विचार जैसी कविता।
bahut hi umda likha hai aapne..
Please visit my blog..
Lyrics Mantra
sach kaha masi jaan. :)
थोड़े शब्दों में गहन अभिव्यक्ति बहुत कुछ कह गयी............अति सुन्दर .
आपकी बात से सहमत हूं
प्रभावशाली बात.
achhi n sachhi baat.....badai.....
... bahut sundar ... laajawaab !!!
सुन्दर सन्देश के साथ सार्थक रचना
निश्चय ही प्रेम धारा मन को कोमल बना देती है ।
बहुत ही सुन्दर शब्द ...बहानी होगी ...प्रेम की निर्मल धारा ।
प्रेम की निर्मल धारा .
isi ki to enmiyat sab se jyaada hai!...suMdar rachana, badhaai!
सुन्दर सन्देश देती रचना !
बहुत सुन्दर, भावपूर्ण कविता। बधाई।
बहुत सुन्दर संगीता जी आपका लिखा बहुत प्रभावित करता है शुक्रिया तहे दिल से आपका
सुन्दर सन्देश!
संगीता जी , काबिले तारीफ. इन चंदद शब्दों में आपने बहुत ही गहरी बात कह दी....
सृजन शिखर पर -- इंतजार
sahi likha aapne,
kaam,krodh,moh,ki agan se hamara yeh man hamesha jalta rehta hain.
jisse na hi hamara fayda hain na hi is samaj ka.
hame apna jeevan aur apne aas-paas ke mahol ko khubsurat banana hain to.prem dhara main apne aap ko bahana hoga.
behad sundar bhav.
मन की अनियंत्रित अग्नि का शमन करने का उत्कृष्ट उपाय!!
कम शब्दों में अनोखी सीख!!
खास भाव लिए हुए ....अच्छी रचना ,अच्छा सन्देश ...अच्छा प्रभाव ...हाँ! निर्मल धारा...बहना ही चाहिए ...
nyuntam shabdo me adhiktam maarak baat....
bahut sundar...
kunwar ji,
मन के पवित्र भाव से ही जीवन बदलता है...
बहुत अच्छा संदेश दिया है आपने.
वाह! क्या बात है, बहुत सुन्दर निर्मल धारा
sangeeta di
aapne to gagar me sagar hi bhar diya.
behad sarthak avam ek prabhav purnsandesh deti hai aapki yah kavita .
bahut bahut badhai
poonam
सुन्दर भाव, सुन्दर अभिव्यक्ति और सबसे सुन्दर शब्द चयन ! इतनी प्यारी क्षणिका के लिये आपको बहुत बहुत बधाई एवं आभार !
सार-गर्भित एवं सुन्दर !
देखन में छोटन लगत घाव करे गंभीर----बहुत सारगर्भित आध्यात्मिकता से ओत-प्रोत .
बहुत सुन्दर रचना....
प्रेम की गंगा बहते चलो..... जय हो...
sahi hai. sunder rachna hamesha ki taraha...........
संगीता जी,
कम शब्दों में एक बेहतरीन पोस्ट है आपकी......अच्छा हुआ आपने निचे बढ़ाना के दो अर्थ बता दिए......
छोटी, मगर दमदार !
pahle to mujhe samjh men hi nahi aayi nazm ...do baar padhne ke baad fir neeche likha note padha tab ja kar aayi dimag men .... achhi chhutku hai ....
निर्मल संदेश देती यह सुंदर क्षणिका ! आभार !
काम, क्रोध, मोह, लोभ को बहा कर ले जाएगी यह निर्मल धारा.
जबाब नहीं निसंदेह ।
यह एक प्रसंशनीय प्रस्तुति है ।
kitni achchi baat likhi hain aap.wah.
एक दूसरा पक्ष यह है कि काम,क्रोध,मोह,लोभ आदि चरम पर पहुंच जाएं तो प्रेम की धारा बिना किसी कोशिश के,स्वतः प्रवाहित होने लगती है।
Bahut Sundar.
बहुत सुंदर संदेश दिया आप ने अपनी इस सुंदर कविता मे धन्यवाद|
संगीता जी कृपया अपना मेल पता दें !
छोटी सी पर प्यारी सी कविता.
Wah wah wah wah char panktiyon me sara darshn
रोचक लेखन।खूबसूरत प्रस्तुति.रचना सुंदर रही।
प्यारी सी कविता. हार्दिक शुभकामनाएं...
वाह!क्या बात है?
bahut sundar vachan!
बहुत सुन्दर लिखा है.
नववर्ष की अनेकानेक शुभकामनाएँ.
बहुत ही अच्छा संदेश दिया है।
सुन्दर कविता!
नव वर्ष(2011) की शुभकामनाएँ !
naya varsh mangalmai ho...........
sarthk kavyanjli .
sarthk kavyanjli .
der se pahunchi, bahut sundar bat kahi hai. bas isako jeevan men utarane ki der hai.
Prem ki nirmal dhara sada baha kare, yehi dua hai
Nice post .
Good work
http://amrendra-shukla.blogspot.com
सुन्दर सन्देश। धन्यवाद।
संगीता जी रसबतिया पर आने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद , आपकी पुस्तक के विमोचन और आपको सर्वश्रेष्ठ टिप्पणीकार चुने जाने के लिए बधाई । आप अपना स्नेह ऐसे ही बनाए रखिएगा
bahut sunder seekh! :-) ekdam sahi kaha hai itni thodi si panktiyon mein
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