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रेतीले ख्वाब

>> Friday 23 September 2011


Seashore : sea seaside to spain.

ख्यालों के समंदर से 
निकली एक लहर 
भिगो देती है 
मेरे ज़िंदगी के साहिल को 
और मैं 
नम हुयी रेत से 
बनाती हूँ 
ख़्वाबों के घरौंदे                                                              
जिन्हें 
हकीकती आफताब 
सुखा देता है आकर 
और वो फिर 
बिखर जाते हैं 
सूखी रेत से ....


83 comments:

Bharat Bhushan Fri Sept 23, 03:35:00 pm  

ख़्वाब देखना अधिक ज़रूरी है. वे बिखरते हैं तो क्या और बन जाते हैं न.

vandana gupta Fri Sept 23, 03:36:00 pm  

उफ़ …………यही फ़र्क होता है ख्वाब मे और हकीकत मे …………हकीकत की मिट्टी नम नही होती।

सदा Fri Sept 23, 03:47:00 pm  

नम हुयी रेत से
बनाती हूँ
ख़्वाबों के घरौंदे
यह ख्‍वाबों के घरौंदे और हम .... बहुत ही अच्‍छी रचना ।

Pratik Maheshwari Fri Sept 23, 03:47:00 pm  

यानी ख्वाब रात के और समंदर के पास के कभी भी सच नहीं होते हैं..
पर उन्हें देखना तो किसी ने छोड़ा नहीं है.. देखेंगे और पूरी करने की कोशिश भी रहेगी...

आभार
तेरे-मेरे बीच पर आपके विचारों का इंतज़ार है

kshama Fri Sept 23, 03:51:00 pm  

ख्यालों के समंदर से
निकली एक लहर
भिगो देती है
मेरे ज़िंदगी के साहिल को
Kitna pyara,khoobsoorat khayal hai!

Sadhana Vaid Fri Sept 23, 03:54:00 pm  

शायद यही नियति है इन ख़्वाबों की कि हकीकत का आफताब आकर इन्हें सुखा जाये फिर से बिखर जाने के लिये ! बहुत ही उम्दा अभिव्यक्ति संगीता जी ! मन को गहराई तक मथ गयी ! आभार एवं शुभकामनायें !

प्रवीण पाण्डेय Fri Sept 23, 04:10:00 pm  

लहरों का खेल है, घरौदों को समझना होगा।

Yashwant R. B. Mathur Fri Sept 23, 04:27:00 pm  

यही तो ख्वाबों की जिंदगी है।

सादर

ashish Fri Sept 23, 04:47:00 pm  

लहरें तो आएगी जाएगी , हम रेत के घरोदे बनाते जायेंगे. हम प्यार में जीते प्यार में मरते जायेंगे .

shikha varshney Fri Sept 23, 05:01:00 pm  

उठ कर गिरना , गिर कर उठाना जीवन की रीत पुरानी है.
इन सच्चाइयों को समझना होगा
बहुत भावपूर्ण लिखा है दी.!हम सपने देखना कैसे छोड़ें :)

रश्मि प्रभा... Fri Sept 23, 05:58:00 pm  

नम हुई रेत और ख्वाब ...माशाल्लाह , यह हर कोई नहीं बना सकता . और हकीकती आफताब भले ही सूखा डालें उनको , ख्वाब मरते नहीं

डॉ टी एस दराल Fri Sept 23, 06:17:00 pm  

ख़्वाबों के घरौंदे, हकीकती आफताब से हमेशा ढह ही जाते हैं ।
बढ़िया अभिव्यक्ति ।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" Fri Sept 23, 06:59:00 pm  

ख़्वाबों के घरौंदे
जिन्हें
हकीकती आफताब
सुखा देता है आकर
और वो फिर
बिखर जाते हैं
सूखी रेत से ....
Wah !

अजित गुप्ता का कोना Fri Sept 23, 07:53:00 pm  

ख्‍वाब देखना तो व्‍यक्ति की फितरत है, देखेगा तभी तो दुनिया में कुछ नया कर पायेगा।

Dr.NISHA MAHARANA Fri Sept 23, 08:31:00 pm  

यही तो जिन्दगी की सच्चाई है।

अनामिका की सदायें ...... Fri Sept 23, 09:07:00 pm  

arey to kya aaftab pakka na kare aapke ghronde ko.

vo use yatharth ki tapish me pakana chaahta hai....jis se kuchh kacchhe khaabo ki rait bikhar jhad jati hai.

gehen soch .

प्रतिभा सक्सेना Fri Sept 23, 09:11:00 pm  

वाह, सुन्दर अभिव्यक्ति !

ताऊ रामपुरिया Fri Sept 23, 09:44:00 pm  

बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति.

रामराम.

मनोज कुमार Fri Sept 23, 10:47:00 pm  

यह कणिका ... सॉरी क्षणिका जीवन के द्वन्द्वात्मक स्थिति का बहुत ही सूक्षमता से अभिव्यक्त करती है। इसमें जो बिम्ब उकेरे गये हैं हैं वो दीर्घावधि तक मन पर आसर करेंगे।

***Punam*** Fri Sept 23, 11:23:00 pm  

कोई बात नहीं...
ख्वाब फिर से बुने जा सकते हैं और
रेत पर घरौंदे बार-बार बनाए जा सकते हैं.....

khoobsoorat.....

सम्वेदना के स्वर Fri Sept 23, 11:38:00 pm  

संगीता दी!
ऐसा ही होता है जब कोई रिश्तों की लहर प्रेम और दोस्ती के घरौंदे बनाकर चली जाती है हमारे जीवन में.. मगर इन रिश्तों की वास्तविक परीक्षा तो धूप में ही होती है... जो बिखर गया वो नकली था, जो ठहर गया वही सच्चा और मज़बूत रिश्ता है!!
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति!!

Vaanbhatt Fri Sept 23, 11:39:00 pm  

पूरी ज़िन्दगी का सार है...रेत का किला...

Nidhi Sat Sept 24, 01:58:00 am  

khwaab sajaate rahiye...........zindagii ka falsafaa

वाणी गीत Sat Sept 24, 07:02:00 am  

ख्वाबों के घरौंदे और हकीकी आफताब ...
खूबसूरत नज़्म!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' Sat Sept 24, 08:48:00 am  

आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।

ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηι Sat Sept 24, 08:54:00 am  

बेहतरीन अभिव्यक्ति ,हर शब्द और हर पंक्ति एक ऊंचाई का अहसास करा रहे हैं।

Anonymous Sat Sept 24, 09:42:00 am  

बहुत ही सुन्दर भाव भर दिए हैं पोस्ट में........शानदार|

mridula pradhan Sat Sept 24, 10:07:00 am  

gazab ki upmaayen hain......wah.

Unknown Sat Sept 24, 03:35:00 pm  

अति सुन्दर.

POOJA... Sat Sept 24, 04:15:00 pm  

waah... hamesha ki hi tarah ati-sundar...
khwaab to hote hi banane aur bigadne ke liye... jab tak ek khwaab tiitega nahi to doosre ke nirmaan kee or kam badhenge hi nahi...

Maheshwari kaneri Sat Sept 24, 06:53:00 pm  

ख्वाब तो ख्वाब होते है....खूबसूरत अभिव्यक्ति ,

Asha Joglekar Sat Sept 24, 11:39:00 pm  

भिगो देती है
मेरे ज़िंदगी के साहिल को
और मैं
नम हुयी रेत से
बनाती हूँ
ख़्वाबों के घरौंदे
ये ख्वाबों के घरोंदे ही हमारे जीने का संबल है चाहे हकीकत के सूरज इन्हें बार बार सुखाते रहें । बहुत ही सुंदर ।

प्रेम सरोवर Sun Sept 25, 08:11:00 am  

भावनाओं के घरौदें एवं मन की अभिव्यक्ति का स्वरूप बहुत ही अच्छा लगा । धन्यवाद ।

रचना दीक्षित Sun Sept 25, 09:24:00 am  

ख्यालों के समंदर से
निकली एक लहर
भिगो देती है.

ख्वाबों को ख्वाब ही रहने दो. बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति!!

Urmi Sun Sept 25, 11:05:00 am  

बहुत ख़ूबसूरत रचना! हर एक पंक्तियाँ दिल को छू गई!

कुमार राधारमण Sun Sept 25, 11:31:00 am  

लगभग हम सब इन परिस्थितियों से गुज़रे हैं. अनुभव कारगर होते हैं ख्वाब के टूटने और हकीक़त को स्वीकारने में .

Dr Varsha Singh Sun Sept 25, 01:11:00 pm  

मैं
नम हुयी रेत से
बनाती हूँ
ख़्वाबों के घरौंदे
जिन्हें
हकीकती आफताब
सुखा देता है आकर
और वो फिर
बिखर जाते हैं
सूखी रेत से ....

खूबसूरत और भावमयी प्रस्तुति....

THANTHANPAL Sun Sept 25, 01:30:00 pm  

भग्न स्वप्नांच्या तुकड्यांना कवटाळुन बसण्यासाठी मनुष्य जन्माला आलेला नाही. मानवाचं मन केवळ भूतकाळाच्या साखळदंडांनी करकचुन बांधुन ठेवता येत नाही. त्याला भविष्याच्या गरुडपंखांच वरदानही लाभलं आहे. एखादं स्वप्न पहाणं, ते फुलविणं, ते सत्यसृष्टीत उतरावं म्हणुन धडपडणं, त्या धडपडीतला आनंद लुटणं आणि दुर्दैवानं ते स्वप्न भंग पावलं तरी त्याच्या तुकड्यावरुन रक्ताळलेल्या पायांनी दुस-या स्वप्नामागनं धावणं हा मानवी मनाचा धर्म आहे. मनुष्याच्या जीवनाला अर्थ येतो तो यामुळं!! "
- दादा
वि.स. खांडेकर (अमृतवेल)

Dr (Miss) Sharad Singh Sun Sept 25, 03:03:00 pm  

और मैं
नम हुयी रेत से
बनाती हूँ
ख़्वाबों के घरौंदे

दिल से निकली दिल को छूने वाली बहुत सुन्दर रचना...

संध्या शर्मा Mon Sept 26, 03:20:00 pm  

ख्यालों के समंदर से
निकली एक लहर
भिगो देती है.

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...

सु-मन (Suman Kapoor) Tue Sept 27, 11:28:00 pm  

bahut sundar..kuchh ankahe alfajon ko shabd de diye aapne...

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार Wed Sept 28, 07:41:00 am  





आपको सपरिवार
नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !

-राजेन्द्र स्वर्णकार

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार Wed Sept 28, 07:42:00 am  

कविता हमेशा की तरह बहुत ख़ूबसूरत है !

साधुवाद और बधाई !

ZEAL Wed Sept 28, 08:12:00 am  

हकीकती आफताब
सुखा देता है आकर
और वो फिर
बिखर जाते हैं
सूखी रेत से ..

अक्सर ऐसा ही होता है संगीता जी।

.

Kunwar Kusumesh Wed Sept 28, 08:48:00 am  

सुन्दर अभिव्यक्ति.
आपको नवरात्रि की ढेरों शुभकामनायें.

Amrita Tanmay Wed Sept 28, 05:21:00 pm  

शक्ति-स्वरूपा माँ आपमें स्वयं अवस्थित हों .शुभकामनाएं.

KANTI PRASAD Wed Sept 28, 08:03:00 pm  

नवरात्रि पर्व की शुभकामनाएं.

VIJAY KUMAR VERMA Wed Sept 28, 09:17:00 pm  

बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति

Urmi Thu Sept 29, 08:37:00 am  

आपको एवं आपके परिवार को नवरात्रि पर्व की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !

पी.एस .भाकुनी Thu Sept 29, 02:09:00 pm  

ख्यालों के समंदर से
निकली एक लहर
भिगो देती है
मेरे ज़िंदगी के साहिल को ......
सुन्दर अभिव्यक्ति...
आजकल कुछ निजी व्यस्तताओं के कारन ब्लॉग जगत में पर्याप्त समय नहीं दे पा रहा हूँ जिसका मुझे खेद है, बावजूद इसके आपको स:परिवार नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करता हूँ ,
जय माता दी ...........

कविता रावत Thu Sept 29, 03:34:00 pm  

आपको एवं आपके परिवार को नवरात्रि पर्व की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !

Rajesh Kumari Fri Sept 30, 10:48:00 am  

bahut khoobsurat kavita achchi bhaavon ki abhivyakti.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया Sat Oct 01, 07:48:00 pm  

सोचता बहुत हूँ लिखने की पर आपको क्या लिखू
मै इस काबिल नहीं की आपको कमेन्ट कर सकूं
आमंत्रण है ब्लॉग में आपको टिप्पणियों के लिए,
शायद फिर आपको लिखने की हिम्मत कर सकू


नवरात्री की शुभकामनाये,बधाई

पूनम श्रीवास्तव Sat Oct 01, 09:40:00 pm  

sangeeta di
aapki koi bhi post padh kar main ye sochne par majbuur ho jaati hun ki aapko kya comments dun?
aapki rachna me mai kho si jaati hun.bas yahi likhungi ki aap yun hi gahnta ke saath likhti rahen
aapse bahut kuchh seekhna hai mujhe.
kripya apna sneh yun hi banaaye rahen.
hardik naman
poonam

Surendra shukla" Bhramar"5 Sat Oct 01, 10:14:00 pm  

आदरणीय संगीता जी ...खुबसूरत क्षणिका ...लाजबाब ..होता है अक्सर लेकिन काश ये ख्वाबों का घरोंदा ...असलियत में उतर आये खुबसूरत बन जाए ...सुन्दर भाव प्यारी रचना गजब का रंग दिया मन को छू गयी ...ये ढेर सारी हार्दिक शुभ कामनाएं .....जय माता दी आप सपरिवार को ढेर सारी शुभ कामनाएं नवरात्रि पर -माँ दुर्गा असीम सुख शांति प्रदान करें
थोडा व्यस्तता वश कम मिल पा रहे है सबसे क्षमा करना
भ्रमर ५

#vpsinghrajput Sun Oct 02, 08:22:00 pm  

बहुत ही बढ़िया।

Udan Tashtari Mon Oct 03, 02:15:00 am  

भावपूर्ण रचना...

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " Mon Oct 03, 01:23:00 pm  

इस ब्लॉग में पोस्ट होनेवाली आपकी हर रचना एक सूक्ति की तरह होती है ....
कुछ शब्दों पूरे जीवन का दर्शन समेटे हुए ...

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" Tue Oct 04, 12:16:00 pm  

बहुत सुन्दर कविता !

मेरा साहित्य Wed Oct 05, 07:54:00 pm  

बिखर जाते हैं
सूखी रेत से ...
ji shayad sapne vstikta se takra kar aese hi tutte hain
bahut hi sunder
rachana

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" Thu Oct 06, 09:34:00 pm  

jab tak saanse hain gharonda to banaya hi jaayega...aisa na ho to jindagi ke khel me kya maja rah jayega...lajabab rachna..sadar pranam ke sath

Amrita Tanmay Fri Oct 07, 10:03:00 am  

ख्वाब हकीकत होकर भी रेत में ही तब्दील हो जाता है.

वन्दना महतो ! (Bandana Mahto) Sun Oct 09, 03:05:00 am  

संगीता जी,

अभी यूँ ही ब्लॉग अपडेट्स देख रही थी कि यह खबर मिली. बस आप सब जल्दी से ठीक हो जाईये, यही दुआ करुँगी. बुरा स्वप्न जैसा ही ये मुश्किल पल बस यूँ गायब हो जाये कि फिर कभी याद भी न रहे, यही कामना करती हूँ. बस आप जल्द से जल्द स्वस्थ हो जाईये.

Aruna Kapoor Sun Oct 09, 03:51:00 pm  

ख़्वाब और हकीकत में फर्क होता ही है!...अति सुन्दर प्रस्तुति!

Dr Varsha Singh Sun Oct 09, 11:17:00 pm  

प्रिय संगीता स्वरूप जी,
नयी पुरानी हलचल में आज आपके एवं भाई साहव जी के दुर्घटना मे घायल होने का समाचार मिला.....जान कर अत्यंत दुख हुआ...आप दोनों सहित आपके वाहन चालक के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना है।

Dr (Miss) Sharad Singh Sun Oct 09, 11:25:00 pm  

संगीता स्वरूप जी,
नयी पुरानी हलचल .....दुर्घटना में घायल होने का समाचार पा कर स्तब्ध रह गई....
आपके, भाई साहब के तथा वाहन चालक के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की ईश्वर से प्रार्थना है !

M VERMA Mon Oct 10, 07:51:00 pm  

घरौन्दे तो टूटते ही रहते हैं .. पर बनाने वाले भला कब मानते हैं फिर से बनाने में जुट जाते हैं

Anju Thu Oct 13, 01:42:00 pm  

बहुत सुन्दर रचना..
ये भी कहा जा सकता है ..
दो घरोंदे
दोनों बालू के ....
एक बह गया
तेज़ बरसात में....
एक
बिखर गया
धूप की
तपिश से.....

Pallavi saxena Fri Oct 14, 04:21:00 pm  

बेहद सुंदर भावपूर्ण रचना ... सपने ही तो आपने होते है।

अनुपमा पाठक Fri Oct 14, 07:24:00 pm  

सुन्दर!
कुछ भी स्थायी नहीं...
बिखर ही तो जाता है सब.. रेत की तरह!

PRIYANKA RATHORE Sat Oct 15, 08:42:00 am  

bahut khoobsurati se vyakh ahsas...aabhar

शकुन्‍तला शर्मा Sat Oct 15, 03:55:00 pm  

प्रभावशाली प्रस्तुति

Ankur Jain Wed Oct 19, 02:57:00 pm  

wah..wah..wah..kya gajab kalpnasheelta hai...aakarshak prastuti....

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया Wed Oct 19, 08:42:00 pm  

काफी दिन से हो गए नए पोस्ट के इन्जार में....

amrendra "amar" Thu Oct 20, 09:41:00 am  

बेहद सुंदर भावपूर्ण रचना ..

मेरा मन पंछी सा Tue Nov 08, 10:17:00 pm  

सुन्दर अभिव्यक्ति !

Mamta Bajpai Tue Nov 15, 04:56:00 pm  

और वो फिर बिखर जाते है
सुखी रेत से ...बहत सम्वेदनशील रचना

रफ़्तार

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