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खुश्क आँखें

>> Tuesday, 17 July 2012






अब नम नहीं होतीं 
मेरी आँखें 
ज़िंदगी की तपिश ने 
कर दिया है 
खुश्क उनको 
अब तो जब भी 
झपकती हूँ पलक 
तो होता है बस 
एक एहसास 
चुभन का । 


( आँखों में कुछ दिनों से जलन का एहसास हो रहा था  , आज डॉक्टर  को दिखाईं तो उन्होने बताया कि नमी सूख गयी है इसीलिए इरिटेशन होता है )


67 comments:

vandana gupta Tue Jul 17, 03:35:00 pm  

अब तो जब भी
झपकती हूँ पलक
तो होता है बस
एक एहसास
चुभन का ।

सच मे कुछ चुभ सा गया अन्तस मे ………

Sadhana Vaid Tue Jul 17, 03:42:00 pm  

कभी-कभी खुश्क आँखों को यह चुभन ही गीला कर जाती है ! यह गीलापन सिर्फ दर्द का अहसास लिए होता है क्योंकि तब तक भावनाएं भी खुश्क हो चुकी होती हैं ! बहुत सुन्दर रचना !

वाणी गीत Tue Jul 17, 03:44:00 pm  

आँखों की नमी भी कितनी ज़रूरी है , संवेदित होने का आभास तो रहता है !

सदा Tue Jul 17, 03:51:00 pm  

ज़िंदगी की तपिश ने
कर दिया है
खुश्क उनको
अब तो जब भी
झपकती हूँ पलक
तो होता है बस
एक एहसास
चुभन का ।
बिल्‍कुल सच ... कहा ...

Anupama Tripathi Tue Jul 17, 03:56:00 pm  

कितना गहन और कितना सुंदर लिखा है ...!नमी जीवन के लिये कितनी ज़रूरी है ...!!
पानी ना हो तो जीवन ही नहीं ...!!
सार्थक रचना ...!!

रंजू भाटिया Tue Jul 17, 04:07:00 pm  

वाह बहुत सुन्दर .आँखों की नमी सी ..बेहतरीन रचना

रश्मि प्रभा... Tue Jul 17, 04:18:00 pm  

जाने कितना रोई
कब सिसकियाँ जब्त हुईं सीने में
अब तो बड़े से बड़े हादसे
आँखों की कोरों पे जम जाते हैं
और लोग मुझे उदासीन समझते हैं !!!

Shalini kaushik Tue Jul 17, 04:25:00 pm  

aapko maha shivratri kee bahut bahut shubhkamnayen .nice presentation समझें हम.

ashish Tue Jul 17, 04:30:00 pm  

पता नहीं कितना क्या कह देती है आप हौले से , किरचों की चुभन तो सुनी लेकिन खुश्की वाली तो बेदम कर गई

महेन्द्र श्रीवास्तव Tue Jul 17, 04:39:00 pm  

हकीकत से रुबरु कराती
बहुत सुंदर रचना

दिगम्बर नासवा Tue Jul 17, 05:26:00 pm  

समय की गर्द सोख लेती है हर नमी ... बाकी रह जाती है चुभन ... उम्दा भाव ...

Yashwant R. B. Mathur Tue Jul 17, 06:11:00 pm  

बहुत अच्छा लिखी हैं आंटी

सादर

संध्या शर्मा Tue Jul 17, 06:25:00 pm  

ह्रदय की चुभन नम करती थी जिन्हें
खुश्क होकर भी चुभती हैं ये आँखे...
बहुत कुछ कह जाते हैं आपके ये थोड़े से शब्द...

ANULATA RAJ NAIR Tue Jul 17, 06:30:00 pm  

ज़रा सी मेडिकल प्रॉब्लम को ज़िन्दगी की तपिश का नाम मत दीजिए...चाहने वालों को इतना संजीदा इलज़ाम मत दीजिए:-)

रचना के तौर पर पढूं...तो बहुत सुन्दर.

सादर
अनु

Maheshwari kaneri Tue Jul 17, 06:49:00 pm  

इस एहसास का चुभन तो गहराई तक चला गया..बहुत सुन्दर..संगीता जी.

डॉ टी एस दराल Tue Jul 17, 07:07:00 pm  

खुश्क आँखों में मगरमच्छ के आँसूं बड़े काम आते हैं . :)

shikha varshney Tue Jul 17, 07:25:00 pm  

कोई बात नहीं .रोज सुबह शाम हमारे प्रेम और एहसास के गुलाब जल मिले ठन्डे पानी के छींटे खुश्क आँखों पर मारिये देखिये फिर से प्राकृतिक नमी आ जायेगी आँखों में :).
वैस आपने कौन सा बिम्ब छोड़ा है.अब मेडिकल भी ??

मेरा मन पंछी सा Tue Jul 17, 07:32:00 pm  

बहुत-बहुत सुन्दर रचना
:-)

मनोज कुमार Tue Jul 17, 07:45:00 pm  

आपकी इस छोटी रचना में कुछ ऐसा है जिसे भावना की कठिन अवस्था में हो रहे मन की दशा की अभिव्यक्ति कह सकते हैं। इसे पढ़कर एक बड़े शायर के एक गीत (फ़िल्मी) की चंद पंक्तियां कोट करने का मन बन गया है --
‘दिन ख़ाली-ख़ाली बोतल है,
और रात है जैसे अंधा कुंआ,
आंसू की जगह इन आंखों से
बहता है सिर्फ़ काला धुंआ।

Rajesh Kumari Tue Jul 17, 08:32:00 pm  

आंसुओं से शिकवे तो करते हैं हम पर उनकी नमी की कमी भी गवारा नहीं बहुत गहरे जज्बाती शब्द

शिवनाथ कुमार Tue Jul 17, 08:38:00 pm  

आँखों में नमी बेहद जरुरी है ....
काफी कुछ तो ये नमी ही बयाँ कर देती हैं बिना बोले ...
सुंदर ...
सादर !!

प्रतिभा सक्सेना Tue Jul 17, 09:08:00 pm  

संगीता जी ,'रिफ़्रेश टियर्स' का प्रयोग करें -दिन में दो बार .चैन पड़ेगा!

Amrita Tanmay Tue Jul 17, 09:15:00 pm  

चुभन का अहसास का कराती हुई. ..कौन सा यथार्थ है यह..?

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया Tue Jul 17, 09:17:00 pm  

राही मनवा दुख की चिंता क्यों सताती है
दुख तो अपना साथी है,,,,,,

RECENT POST ...: आई देश में आंधियाँ....

ऋता शेखर 'मधु' Wed Jul 18, 12:08:00 am  

रचना कहूँ तो सुंदर...पर आप ठीक तो हैं न !!
आँखों की नमी जीवन को भी नम बना कर रखती है...

Vinay Wed Jul 18, 12:50:00 am  

सुंदर अति मनभावन

अनामिका की सदायें ...... Wed Jul 18, 08:53:00 am  

man ki gaanthe chubhan ban kar aankho me aa basen to yahi hota hai.

ehsaso ka yatharth chitran.

अजित गुप्ता का कोना Wed Jul 18, 10:00:00 am  

आंखो में नमी सूख जाए तो रोशनी के लिए कठिनाई होती है। दुनिया को देखने और समझने के लिए इसलिए ही संवेदना रूपी नमी की आवश्‍यकता होती है।

मुकेश कुमार सिन्हा Wed Jul 18, 10:41:00 am  

apni pareshani ko aapne kavita me dhal diya.:) kya baat hai di:)
get well soon!!

ताऊ रामपुरिया Wed Jul 18, 11:12:00 am  

चुभन रचना में साफ़ झलक रही है. अपनी भावनाओं और पीडा को शब्द दे देना ही तो कवित्व है. बहुत सुंदर.

आप शीघ्र स्वस्थ हों यही शुभकामनाएं.

रामराम.

RADHIKA Wed Jul 18, 11:45:00 am  

बहुत ही भावपूर्ण लिखा हैं ...अब नाम नही होती आँखे ...होती हैं बस चुभन सुंदर

प्रवीण पाण्डेय Wed Jul 18, 11:51:00 am  

क्रोध की तपन आँसू गिरने के पहले ही सुखा देती है..

विवेक रस्तोगी Wed Jul 18, 01:34:00 pm  

वैसे शायद सबके साथ ऐसा होता है, किसी की नमी की वजह से और किसी की किसी और वजह से ।

Pallavi saxena Wed Jul 18, 01:38:00 pm  

क्या कहें आप इतने गहन भाव भी इतने कम शब्दों मे खूबसूरती के साथ लिख देती हैं कि मुझे तो शब्द ही नहीं मिलते कभी-कभी... :) सार्थक रचना।

रेखा श्रीवास्तव Wed Jul 18, 02:49:00 pm  

संगीता,

रचना तो बहुत गहन भाव लिए है और अंतर तक उतर गयी लेकिन अब एक सलाह - अधिक समय तक लैपटॉप या कंप्यूटर पर काम करने करने से भी ये समस्या सामने आ सकती है अतः उस तरह भी गंभीरता से ध्यान दें.

रचना दीक्षित Wed Jul 18, 07:04:00 pm  

खुश्क आँखों का राज तो काफी गंभीर निकला. डॉक्टर को आंखे जरा जोर से दिखाइए जिससे आँखों की नमी बरकरार रहे.

सुंदर प्रस्तुति. धन्यबाद.

ghughutibasuti Wed Jul 18, 07:05:00 pm  

आज के सन्दर्भ में तो यह कविता बिल्कुल सही है।
घुघूती बासूती

mridula pradhan Thu Jul 19, 11:46:00 am  

chubhan ke ehssas ko mukhar kar diya....

बेईमान शायर Thu Jul 19, 10:53:00 pm  

lajawaab! Atyant hi prabhavshaali! shadhuwaad!

पूनम श्रीवास्तव Sun Jul 22, 07:08:00 pm  

di
itne chhote -chote vakyon me kitni gambhir baat aap kitn sarlta se kah jaati hain jo seedhe dil me utar jaati hain---------
aapke swasthya ke liye shubh -kamnayen---
poonam

Asha Joglekar Mon Jul 23, 03:12:00 am  

स्नेह की नमी ना हो तो चुभन का अहसास ही बाकी रह जाता है । सुंदर अभिव्यक्ति ।

Surendra shukla" Bhramar"5 Wed Jul 25, 06:40:00 pm  

हाँ संगीता जी सब कुछ बदलता जा रहा है आँखें कितना संजोयें मोतियों को जब बहते ही रहे हों तो ...बहुत गहन भाव लिए प्यारी रचना
भ्रमर ५

virendra sharma Wed Jul 25, 09:25:00 pm  

यहाँ यू. एस. में यह आम समस्या है समाधान भी सीधा सा है टीयर ड्रोप्स/एंटी -एलर्जी ड्रोप्स ,एक और पोस्ट "अच्छी आँखों के लिए खान पान" जल्दी प्रकाशित करूंगा .अच्छी प्रस्तुति है आपकी .

Coral Fri Jul 27, 10:02:00 am  

बहुत खूब .. ये मेरे साथ भी हुआ था रिफ्रेश टिअर्स दुःख का काम कर गए :) .. आपकी आखे जल्दी ठीकहो यही कामना !

Kailash Sharma Fri Jul 27, 03:04:00 pm  

बहुत मर्मस्पर्शी रचना..आशा है आपकी आँखें ज़ल्द ठीक हो जायेंगी..

Dr (Miss) Sharad Singh Sat Jul 28, 11:55:00 am  

गहन अनुभूतियों की सुन्दर रचना....

Kunwar Kusumesh Tue Jul 31, 11:47:00 am  

आँख का अच्छे डाक्टर से इलाज करा लीजिये,ठीक हो जायेगी.कविता इस पर अच्छी रच डाली आपने.

Dr Varsha Singh Wed Aug 01, 03:28:00 pm  

सार्थक रचना

देवेन्द्र पाण्डेय Fri Aug 03, 09:41:00 pm  

डाक्टर को बताना पड़ेगा कि आप कितने समय कम्प्युटर पर बैठती हैं।:)यदि डाक्टर सलाह न दे ब्लॉगिंग कम कर दीजिए।

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार Sat Aug 04, 04:01:00 am  

.

आदरणीया संगीता जी,
सादर प्रणाम !

कविता हमेशा की तरह अच्छी है …

अब स्वास्थ्य कैसा है ?
मेरी दीदी की आंखों में भी आंसू बनना बंद हो जाने से पिछले दिनों तक़लीफ़ थी ।

आप योग्य डॉक्टर से इलाज़ कराएं … शीघ्र पूर्णतः स्वस्थ हों … तब तक ब्लॉगिंग कम करदें …

शुभकामनाओं सहित…

डा. गायत्री गुप्ता 'गुंजन' Wed Aug 08, 06:11:00 pm  

कभी-२ अश्कों से भी चुभन होती है...

Vinay Fri Aug 10, 11:23:00 pm  

श्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ

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Bhola-Krishna Mon Aug 13, 02:45:00 am  

सूखी आँखों मं चुभन होती है
दर्द होता है जलन होती है !


प्यार बूंदों सि भरीं आँखों में
दर्द होता न जलन होती है

भुक्त भोगी

Bhola-Krishna Mon Aug 13, 03:17:00 am  

सूखी आँखों में चुभन होती है
पीर होती है जलन होती है !

डॉक्टर कहते हैं कि आँखों में " प्राक्रतिक अश्रु बूँदें डालें जलन चुभन छूमंतर"

कृष्ण प्रेम से तरल आँखों में कैसी पीड़ा , कैसी जलन ?

भुक्त-भोगी

Dr Varsha Singh Wed Aug 15, 01:17:00 am  

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं..

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ Mon Aug 20, 07:04:00 am  

प्रणाम!
जिस तरह आपने 'बिखरे मोती' पिरोये हैं, ज़ाहिर है भाव की नमी आँखों में बढ़ ही रही है.... जहां तक मेडिकल परेशानी है, कामना है जल्द ठीक हो जाएगी!
चरण स्पर्श!
आशीष
--
द टूरिस्ट!!!

priyankaabhilaashi Thu Aug 30, 08:13:00 pm  

बेहद खूबसूरत..ख़ास कर आखिर में लिखे शब्द..(आज डॉक्टर को दिखाईं तो उन्होने बताया कि नमी सूख गयी है इसीलिए इरिटेशन होता है )

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