खुश्क आँखें
>> Tuesday, 17 July 2012
अब नम नहीं होतीं
मेरी आँखें
ज़िंदगी की तपिश ने
कर दिया है
खुश्क उनको
अब तो जब भी
झपकती हूँ पलक
तो होता है बस
एक एहसास
चुभन का ।
( आँखों में कुछ दिनों से जलन का एहसास हो रहा था , आज डॉक्टर को दिखाईं तो उन्होने बताया कि नमी सूख गयी है इसीलिए इरिटेशन होता है )
67 comments:
अब तो जब भी
झपकती हूँ पलक
तो होता है बस
एक एहसास
चुभन का ।
सच मे कुछ चुभ सा गया अन्तस मे ………
कभी-कभी खुश्क आँखों को यह चुभन ही गीला कर जाती है ! यह गीलापन सिर्फ दर्द का अहसास लिए होता है क्योंकि तब तक भावनाएं भी खुश्क हो चुकी होती हैं ! बहुत सुन्दर रचना !
आँखों की नमी भी कितनी ज़रूरी है , संवेदित होने का आभास तो रहता है !
ज़िंदगी की तपिश ने
कर दिया है
खुश्क उनको
अब तो जब भी
झपकती हूँ पलक
तो होता है बस
एक एहसास
चुभन का ।
बिल्कुल सच ... कहा ...
कितना गहन और कितना सुंदर लिखा है ...!नमी जीवन के लिये कितनी ज़रूरी है ...!!
पानी ना हो तो जीवन ही नहीं ...!!
सार्थक रचना ...!!
वाह बहुत सुन्दर .आँखों की नमी सी ..बेहतरीन रचना
जाने कितना रोई
कब सिसकियाँ जब्त हुईं सीने में
अब तो बड़े से बड़े हादसे
आँखों की कोरों पे जम जाते हैं
और लोग मुझे उदासीन समझते हैं !!!
aapko maha shivratri kee bahut bahut shubhkamnayen .nice presentation समझें हम.
पता नहीं कितना क्या कह देती है आप हौले से , किरचों की चुभन तो सुनी लेकिन खुश्की वाली तो बेदम कर गई
हकीकत से रुबरु कराती
बहुत सुंदर रचना
समय की गर्द सोख लेती है हर नमी ... बाकी रह जाती है चुभन ... उम्दा भाव ...
बहुत अच्छा लिखी हैं आंटी
सादर
ह्रदय की चुभन नम करती थी जिन्हें
खुश्क होकर भी चुभती हैं ये आँखे...
बहुत कुछ कह जाते हैं आपके ये थोड़े से शब्द...
ज़रा सी मेडिकल प्रॉब्लम को ज़िन्दगी की तपिश का नाम मत दीजिए...चाहने वालों को इतना संजीदा इलज़ाम मत दीजिए:-)
रचना के तौर पर पढूं...तो बहुत सुन्दर.
सादर
अनु
इस एहसास का चुभन तो गहराई तक चला गया..बहुत सुन्दर..संगीता जी.
aankhen nam karti kavita
खुश्क आँखों में मगरमच्छ के आँसूं बड़े काम आते हैं . :)
कोई बात नहीं .रोज सुबह शाम हमारे प्रेम और एहसास के गुलाब जल मिले ठन्डे पानी के छींटे खुश्क आँखों पर मारिये देखिये फिर से प्राकृतिक नमी आ जायेगी आँखों में :).
वैस आपने कौन सा बिम्ब छोड़ा है.अब मेडिकल भी ??
बहुत-बहुत सुन्दर रचना
:-)
आपकी इस छोटी रचना में कुछ ऐसा है जिसे भावना की कठिन अवस्था में हो रहे मन की दशा की अभिव्यक्ति कह सकते हैं। इसे पढ़कर एक बड़े शायर के एक गीत (फ़िल्मी) की चंद पंक्तियां कोट करने का मन बन गया है --
‘दिन ख़ाली-ख़ाली बोतल है,
और रात है जैसे अंधा कुंआ,
आंसू की जगह इन आंखों से
बहता है सिर्फ़ काला धुंआ।
आंसुओं से शिकवे तो करते हैं हम पर उनकी नमी की कमी भी गवारा नहीं बहुत गहरे जज्बाती शब्द
आँखों में नमी बेहद जरुरी है ....
काफी कुछ तो ये नमी ही बयाँ कर देती हैं बिना बोले ...
सुंदर ...
सादर !!
संगीता जी ,'रिफ़्रेश टियर्स' का प्रयोग करें -दिन में दो बार .चैन पड़ेगा!
चुभन का अहसास का कराती हुई. ..कौन सा यथार्थ है यह..?
राही मनवा दुख की चिंता क्यों सताती है
दुख तो अपना साथी है,,,,,,
RECENT POST ...: आई देश में आंधियाँ....
क्या कहने ..
एक नजर समग्र गत्यात्मक ज्योतिष पर भी डालें
रचना कहूँ तो सुंदर...पर आप ठीक तो हैं न !!
आँखों की नमी जीवन को भी नम बना कर रखती है...
सुंदर अति मनभावन
सार्थक रचना ..
man ki gaanthe chubhan ban kar aankho me aa basen to yahi hota hai.
ehsaso ka yatharth chitran.
आंखो में नमी सूख जाए तो रोशनी के लिए कठिनाई होती है। दुनिया को देखने और समझने के लिए इसलिए ही संवेदना रूपी नमी की आवश्यकता होती है।
apni pareshani ko aapne kavita me dhal diya.:) kya baat hai di:)
get well soon!!
चुभन रचना में साफ़ झलक रही है. अपनी भावनाओं और पीडा को शब्द दे देना ही तो कवित्व है. बहुत सुंदर.
आप शीघ्र स्वस्थ हों यही शुभकामनाएं.
रामराम.
बहुत ही भावपूर्ण लिखा हैं ...अब नाम नही होती आँखे ...होती हैं बस चुभन सुंदर
क्रोध की तपन आँसू गिरने के पहले ही सुखा देती है..
वैसे शायद सबके साथ ऐसा होता है, किसी की नमी की वजह से और किसी की किसी और वजह से ।
क्या कहें आप इतने गहन भाव भी इतने कम शब्दों मे खूबसूरती के साथ लिख देती हैं कि मुझे तो शब्द ही नहीं मिलते कभी-कभी... :) सार्थक रचना।
संगीता,
रचना तो बहुत गहन भाव लिए है और अंतर तक उतर गयी लेकिन अब एक सलाह - अधिक समय तक लैपटॉप या कंप्यूटर पर काम करने करने से भी ये समस्या सामने आ सकती है अतः उस तरह भी गंभीरता से ध्यान दें.
खुश्क आँखों का राज तो काफी गंभीर निकला. डॉक्टर को आंखे जरा जोर से दिखाइए जिससे आँखों की नमी बरकरार रहे.
सुंदर प्रस्तुति. धन्यबाद.
आज के सन्दर्भ में तो यह कविता बिल्कुल सही है।
घुघूती बासूती
बेकार।
chubhan ke ehssas ko mukhar kar diya....
lajawaab! Atyant hi prabhavshaali! shadhuwaad!
गहरे भाव
good one!!
sookhti ankhon ki chubhan… wah!
di
itne chhote -chote vakyon me kitni gambhir baat aap kitn sarlta se kah jaati hain jo seedhe dil me utar jaati hain---------
aapke swasthya ke liye shubh -kamnayen---
poonam
स्नेह की नमी ना हो तो चुभन का अहसास ही बाकी रह जाता है । सुंदर अभिव्यक्ति ।
हाँ संगीता जी सब कुछ बदलता जा रहा है आँखें कितना संजोयें मोतियों को जब बहते ही रहे हों तो ...बहुत गहन भाव लिए प्यारी रचना
भ्रमर ५
यहाँ यू. एस. में यह आम समस्या है समाधान भी सीधा सा है टीयर ड्रोप्स/एंटी -एलर्जी ड्रोप्स ,एक और पोस्ट "अच्छी आँखों के लिए खान पान" जल्दी प्रकाशित करूंगा .अच्छी प्रस्तुति है आपकी .
बहुत खूब .. ये मेरे साथ भी हुआ था रिफ्रेश टिअर्स दुःख का काम कर गए :) .. आपकी आखे जल्दी ठीकहो यही कामना !
बहुत मर्मस्पर्शी रचना..आशा है आपकी आँखें ज़ल्द ठीक हो जायेंगी..
गहन अनुभूतियों की सुन्दर रचना....
Gahn abhivyakti...
आँख का अच्छे डाक्टर से इलाज करा लीजिये,ठीक हो जायेगी.कविता इस पर अच्छी रच डाली आपने.
bahut sundar ....
सार्थक रचना
डाक्टर को बताना पड़ेगा कि आप कितने समय कम्प्युटर पर बैठती हैं।:)यदि डाक्टर सलाह न दे ब्लॉगिंग कम कर दीजिए।
.
आदरणीया संगीता जी,
सादर प्रणाम !
कविता हमेशा की तरह अच्छी है …
अब स्वास्थ्य कैसा है ?
मेरी दीदी की आंखों में भी आंसू बनना बंद हो जाने से पिछले दिनों तक़लीफ़ थी ।
आप योग्य डॉक्टर से इलाज़ कराएं … शीघ्र पूर्णतः स्वस्थ हों … तब तक ब्लॉगिंग कम करदें …
शुभकामनाओं सहित…
बहुत गहन!
कभी-२ अश्कों से भी चुभन होती है...
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ
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सूखी आँखों मं चुभन होती है
दर्द होता है जलन होती है !
प्यार बूंदों सि भरीं आँखों में
दर्द होता न जलन होती है
भुक्त भोगी
सूखी आँखों में चुभन होती है
पीर होती है जलन होती है !
डॉक्टर कहते हैं कि आँखों में " प्राक्रतिक अश्रु बूँदें डालें जलन चुभन छूमंतर"
कृष्ण प्रेम से तरल आँखों में कैसी पीड़ा , कैसी जलन ?
भुक्त-भोगी
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं..
प्रणाम!
जिस तरह आपने 'बिखरे मोती' पिरोये हैं, ज़ाहिर है भाव की नमी आँखों में बढ़ ही रही है.... जहां तक मेडिकल परेशानी है, कामना है जल्द ठीक हो जाएगी!
चरण स्पर्श!
आशीष
--
द टूरिस्ट!!!
बेहद खूबसूरत..ख़ास कर आखिर में लिखे शब्द..(आज डॉक्टर को दिखाईं तो उन्होने बताया कि नमी सूख गयी है इसीलिए इरिटेशन होता है )
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