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ख्वाबों के आँचल

>> Thursday, 5 July 2012





कुछ होते हैं
ख़्वाबों के आँचल 
ऐसे भी 
जिन्हें ना गुल 
और ना ही 
कांटे की 
दरकार होती है..
बस 
बढते हैं 
जंगली बेल की तरह 
इनसे भी 
जिंदगी खुशगवार 
होती है  . 









59 comments:

ANULATA RAJ NAIR Thu Jul 05, 10:31:00 am  

और खुशनसीब हैं वो जिन्हें मिलता है ऐसे आँचल का सहारा...

बहुत सुन्दर दी....
सादर

वाणी गीत Thu Jul 05, 10:50:00 am  

ख़्वाबों का आँचल ...
नींद हमारी , ख्वाब भी हमारे ...क्या करेंगे गुल या खार बेचारे !

रश्मि प्रभा... Thu Jul 05, 10:57:00 am  

शायद यूँ ही ज़िन्दगी खुशगवार होती है .... अपनी इच्छा से सीमाएं बना लेती है

प्रतुल वशिष्ठ Thu Jul 05, 11:03:00 am  

@ ख़्वाबों के आँचल

भटकते तो हैं गुलों में

लेकिन अटकते नहीं.

ख़्वाबों के आँचल

बचते जरूर हैं काँटों से

लेकिन उलझते नहीं.

ख़्वाबों के आँचल

पलकों के बंद होते ही

लहराते हैं.

तनाव भरी ज़िन्दगी को

कुछ खुशगवार बना जाते हैं.

मनोज कुमार Thu Jul 05, 11:10:00 am  

एक शायर के अनुसार ज़िन्दगी अगर ख़्वाब है, तो इस खाब में कांटे होने से ज़िन्दगी के बेहतर बनने का चान्स बना रहता है।

Sadhana Vaid Thu Jul 05, 11:44:00 am  

बहुत उत्कृष्ट प्रस्तुति है संगीता जी ! ख़्वाबों के जो आँचल जंगली बेल की तरह होते हैं वो अधिक स्थाई और टिकाऊ होते हैं क्योंकि उन्हें बढ़ने के लिए कृत्रिम उपादानों की ज़रूरत नहीं होती ! बहुत सुन्दर रचना !

Dr (Miss) Sharad Singh Thu Jul 05, 11:54:00 am  

ख़्वाबों के आँचल और जंगली बेल का तादात्म्य अद्भुत काव्यसौंदर्य समेटे हुए है.
बहुत ही सुन्दर रचना.....

सदा Thu Jul 05, 12:02:00 pm  

वाह ... बेहतरीन भाव संयो‍जन

Maheshwari kaneri Thu Jul 05, 12:22:00 pm  

ख़्वाबों का ये सुन्दर आँचल सब को मिले..सुन्दर भाव...

पी.सी.गोदियाल "परचेत" Thu Jul 05, 01:00:00 pm  

जिन्हें ना गुल
और ना ही
कांटे की
दरकार होती है..
बस
बढते हैं
जंगली बेल की तरह

बहुत sundar , kwaab भी kabhee kabhar टॉनिक का कम करते है !

अनुपमा पाठक Thu Jul 05, 01:08:00 pm  

'इनसे भी
जिंदगी खुशगवार
होती है'

सुन्दर!

महेन्द्र श्रीवास्तव Thu Jul 05, 01:17:00 pm  

आम जीवन की हकीकत के बहुत करीब है ये
बहुत सुंदर रचना

संजय भास्‍कर Thu Jul 05, 01:22:00 pm  

बेह्द उम्दा और गहन अभिव्यक्ति

vandana gupta Thu Jul 05, 01:22:00 pm  

कुछ होते हैं
ख़्वाबों के आँचल
ऐसे भी
जिन्हें ना गुल
और ना ही
कांटे की
दरकार होती है..
बस
बढते हैं
जंगली बेल की तरह
इनसे भी
जिंदगी खुशगवार
होती है .

ज़िन्दगी की हकीकत को बयाँ करती सशक्त अभिव्यक्ति दिल मे उतर गयी…………बडी गहरी बात कह गयीं।

Pallavi saxena Thu Jul 05, 01:41:00 pm  

शायद सपने भी इंसान की तरह अपना दायरा बना लेते हैं इसलिए इन्हे भी यूं ही ज़िंदगी खुशगवार लगती है। हमेशा की तरह बहतरीन प्रस्तुति...

प्रवीण पाण्डेय Thu Jul 05, 01:54:00 pm  

अपने में ही आनन्दित..

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया Thu Jul 05, 01:57:00 pm  

बहुत उम्दा गहन अभिव्यक्ति,,,सुंदर रचना,,,,

MY RECENT POST...:चाय....

shikha varshney Thu Jul 05, 02:06:00 pm  

काश कि ऐसा ही होता..
सोचने पर मजबूर कर दिया आपने.

ताऊ रामपुरिया Thu Jul 05, 02:34:00 pm  

अद्भुत और सटीक शब्द रचना.

रामराम.

Santosh Kumar Thu Jul 05, 03:12:00 pm  

सुन्दर अभिव्यक्ति...बेहद सटीक

....इनसे ही जिन्दगी खुशगवार होती है.

शुभकामनायें.

Amrita Tanmay Thu Jul 05, 03:20:00 pm  

काश! ऐसे ख्वाबों का आँचल आसमान तक फ़ैल जाए..

विभा रानी श्रीवास्तव Thu Jul 05, 04:04:00 pm  

इनसे भीही
जिंदगी खुशगवार
होती है .... :)

रेखा श्रीवास्तव Thu Jul 05, 05:13:00 pm  

बहुत सुंदर , ख़्वाबों के आँचल में छिप कर ही तो मंजिलों को पाया जाता है. और फिर ऐसा आँचल हो तो फिर और क्या चाहिए.

Arvind Jangid Thu Jul 05, 05:55:00 pm  

ज़िन्दगी यूँ भी खुशगवार होती है ! बहुत सुन्दर आभार

रंजू भाटिया Thu Jul 05, 06:00:00 pm  

बहुत सुन्दर ..ख्वाब यूँ भी होते हैं ..

M VERMA Thu Jul 05, 06:17:00 pm  

ख्वाब हैं अमरबेल, इन्हें कब ख़ार और गुल की परवाह होने लगी

Anupama Tripathi Thu Jul 05, 06:21:00 pm  

वाह ...समय पर जो खुशी दे सके ....ऐसा ख्वाबों का आंचल ...
बहुत सुंदर खयाल ...!!

रचना दीक्षित Thu Jul 05, 06:38:00 pm  

ख्वाबों के आँचल में जिंदगी गुजर पाए तो क्या बात हो पर हकीकत कुछ और ही नज़ारे की कोशिश करती है..

सुंदर मनोभावों को खूबसूरती से पेश किया है इस कविता में.

डॉ टी एस दराल Thu Jul 05, 07:05:00 pm  

खुशगवार --ख्वाबों के आँचल ! बहुत खूब .

सूबेदार Thu Jul 05, 08:36:00 pm  

जिन्हें न गुल न काटे-------- बहुत खूब सूरत कबिता , बहुत-बहुत धन्यवाद.

ashish Thu Jul 05, 09:33:00 pm  

पुष्प - कण्टक विहीन ही तो होती है अमरबेल . सुख -दुःख में एक समान, अनुभवजन्य रचना

मेरा मन पंछी सा Thu Jul 05, 09:36:00 pm  

बहुत सुन्दर गहरे भाव लिए अभिव्यक्ति...
अति उत्तम रचना...
:-)

प्रतिभा सक्सेना Thu Jul 05, 09:44:00 pm  

अनायास उगी जंगली बेल खाद-पानी माँगे बिना जो रिक्तियों की पूर्ति करती है उसका अपना महत्व है !

Surendra shukla" Bhramar"5 Thu Jul 05, 11:15:00 pm  

संगीता जी सच है न आस न चाह ..अपना कर्म ..जीवन का सन्देश पद्धति खुशियाँ बरसाती सुन्दर रचना ....
भ्रमर ५

ऋता शेखर 'मधु' Fri Jul 06, 05:58:00 am  

वाह !! न फूल न काँटे...निःसन्देह ख्वाबौं का यह आँचल अतुलनीय होगा...बहुत राहत और सुकून होगा यहाँ|

Asha Joglekar Fri Jul 06, 06:47:00 am  

ख्वाबों का यह आंचल जो छांव सा लंबा होगा कितना सुकून भरा होगा ।
सुंदर ।

Anupama Tripathi Fri Jul 06, 07:41:00 am  

एक बार फिर टिप्पणी देने का मन हुआ ...कितने कम शब्दों मे आपने कितना गहन लिख दिया है ...
सुकून देती ...सीख देती ...बहुत सुंदर रचना ...!!

अजित गुप्ता का कोना Fri Jul 06, 01:33:00 pm  

ख्‍वाब ऐसे ही होते है। अच्‍छा चिंतन।

शिवनाथ कुमार Fri Jul 06, 04:00:00 pm  

कम शब्दों में काफी कुछ कह गयी आप
सुंदर रचना !
साभार !!

दिनेश शर्मा Sat Jul 07, 07:16:00 am  

सही कहा।सुन्दर।

दिनेश शर्मा Sat Jul 07, 07:16:00 am  

सही कहा।सुन्दर।

विभूति" Sat Jul 07, 01:15:00 pm  

बेहतरीन भाव ... बहुत सुंदर रचना प्रभावशाली प्रस्तुति

Yogesh Sharma Sat Jul 07, 07:10:00 pm  

ज़िन्दगी, कभी गुल तो कभी खार होती है ...सच है

Kailash Sharma Sun Jul 08, 01:34:00 pm  

बहुत सुन्दर रचना...

दिगम्बर नासवा Sun Jul 08, 05:30:00 pm  

ख्वाब तो हमेशा ही अच्छे लगते हैं ... ख्वाब जो होते हैं ... कुछ पल आते हैं चले जाते हैं ... खुशी या दुःख देते हैं तो भी चले जाने के बाद राहत ही देते हैं ...

Sawai Singh Rajpurohit Mon Jul 09, 05:35:00 pm  

बहुत सुन्दर रचना... बहुत मनभावन प्रस्तुति. :-).
आज का आगरा

Dr.NISHA MAHARANA Mon Jul 09, 07:00:00 pm  

sari rachnayen acchi hain sangeeta jee ...

Anjani Kumar Mon Jul 09, 07:38:00 pm  

nakaar di jaane waali baaton ki khaas kahaani ....aakhir unkaa bhi to kuch wazood hai
bahut sundar

हरकीरत ' हीर' Tue Jul 10, 05:37:00 pm  

शायद आपके आँचल की तरह .....:))

S.N SHUKLA Tue Jul 10, 08:49:00 pm  

बहुत सुन्दर सृजन, सुन्दर भाव, बधाई.

कृपया मेरी नवीनतम पोस्ट पर पधारकर अपना शुभाशीष प्रदान करें , आभारी होऊंगा .

Rajesh Kumari Wed Jul 11, 02:01:00 pm  

जिनको परवाह नहीं होती किसी रुकावट की तो वो ख़्वाब भी जीने का सबब बन जाते हैं बहुत सुन्दर संगीता जी वाह

दिगम्बर नासवा Thu Jul 12, 03:08:00 pm  

कुछ ऐसे जंगली बेर भरे होते हैं जीवन की मिठास से ... सुन्दर रचना है आपकी ...

रोली पाठक Thu Jul 12, 04:27:00 pm  

संगीता जी.....अति सुन्दर |
ख्वाबों के आँचल ...जंगली बेल...की तरह....वाह | बहुत उम्दा...

कुमार राधारमण Mon Jul 16, 01:45:00 pm  

हर ख़्वाब हो पूरा
कांटे भी गुल लगें

बबीता शर्मा Wed Sept 28, 07:42:00 pm  

बहुत सुंदर बधाई हो इतनी सुंदर रचना के लिये💐👌💐👌

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