गमकती यादें ..../ हाइकु
>> Wednesday, 12 December 2012
यादों की झड़ी
खुशी - गम का साया
आँखों से झरी ।
सुकून मिला
तेरी यादों का टेसू
गमक गया ।
यादों के घेरे
तुम जैसे सम्मुख
बंद थीं आँखें ।
अमलतास सा
खिला तेरा चेहरा
यादों में बसा ।
कब भूली मैं
पल -पल बिताया
साथ सँजोया ।
49 comments:
अमलतास सा
खिला तेरा चेहरा
यादों में बसा ।
...
कब भूली मैं
पल -पल बिताया
साथ सँजोया ।
वाह ... बहुत खूब ...
अमलतास सा
खिला तेरा चेहरा
यादों में बसा ।......वाह बहुत सुन्दर हर हाइकु लाजवाब है ...
एहसास है
मेरे मन में तेरा
फिर क्या गम
:) ये हाइकू हुआ न दी ?!!
इतने सुन्दर भाव इतने कम शब्दों में अभिव्यक्त करना आपके ही वश का है बस.
शिखा ,
लिख तो तुमने भी लिया , इतने कम शब्दों में :):)
तेरा नेह ही
देता मुझे संबल
मेरी प्रेरणा ।
सुकून मिला
तेरी यादों का टेसू
गमक गया ।
कब भूली मैं
पल -पल बिताया
साथ सँजोया ।
लाजबाब हाइकू और अद्धभुत अभिव्यक्ति दी :))
सादर !!
अमलतास सा
खिला तेरा चेहरा
यादों में बसा ।
जबरदस्त हाइकू।
ये छुटकू तो है मगर अद्भुत भाव संप्रेषित करते है . बहुत सुन्दर . हम तो लिखिए नहीं पाते.
dekhan mein chhotan .... prabhaw ati gambheer
सुन्दर सुन्दर ...बहुत सुन्दर हायकू दी....
बहुत बढ़िया...
सादर
अनु
आपके हाइकुओं के साथ जुगलबंदी की कोशिश की हैः)
१.
यादों की झड़ी
खुशी - गम का साया
आँखों से झरी ।
आँखों से झरी
तेरी यादों के मोती
पिरोती गई|-ऋता
२.
सुकून मिला
तेरी यादों का टेसू
गमक गया ।
टेसू गमका
बिना याद किए ही
तू याद आया|- ऋता
३.
यादों के घेरे
तुम जैसे सम्मुख
बंद थीं आँखें ।
बंद आँखों में
चुपके से तू आया
तू हू समाया| - ऋता
४.
अमलतास सा
खिला तेरा चेहरा
यादों में बसा ।
यादों में दिखा
खिला अमलतास
तू ही था पास| - ऋता
५.
कब भूली मैं
पल -पल बिताया
साथ सँजोया ।
भूल न सकी
हर पल को मैंने
संजो के रखा | - ऋता
इस जुगलबंदी को हिन्दी हाइगा पर ले जाऊँगीः)
बहुत ख़ूब
bhaut hi khubsurat...
जब-जब तेरी याद आई
साथ यादों की बारात लाई...
शुभकामनायें!
बहुत सुन्दर हाइकु।
वाह: सभी हाइकु बहुत सुन्दर है ..
कब भूली मैं
पल -पल बिताया
साथ सँजोया । बहुत बढ़िया सगीता जी
अमलतास सा
खिला तेरा चेहरा
यादों में बसा ।
कब भूली मैं
पल -पल बिताया
साथ सँजोया ।
...बहुत खूब! सभी हाइकु बहुत सुन्दर...
कब भूली मैं
पल -पल बिताया
साथ सँजोया ।
बहुत सुंदर मीठी यादें ....!!
और जुगालबंदी तो लाजवाब ....
aap bhi shbdon mein nayi urja bhar deti hai..!
वाह आप ही कौन कम थीं, ऊपर से ऋता जी की जुगलबंदी -आनन्द आ गया १
बहुत ही सुन्दर
और बेहतरीन हाईकु
:-)
सादर निमंत्रण,
अपना बेहतरीन ब्लॉग हिंदी चिट्ठा संकलक में शामिल करें
सभी पाठकों का आभार ...
ऋता जी,
आपकी जुगलबंदी लाजवाब है ॥ हाइगा पर ले जाने के लिए शुक्रिया
सभी हाइकू लाजवाब हैं संगीता जी ! आज तो आपने मन की सोयी यादों को जगा दिया ! बहुत सुन्दर !
बहुत बढिया हाइकू , बधाई संगीता जी
recent post हमको रखवालो ने लूटा
सभी हाईकू बेहतरीन है लेकिन ऋता जी ने जुगलबंदी बहुत ही उम्दा निभाई है. मन भाबविभोर हो उठा.
बेहतरीन हाईकू..
नहीं है जरूरत
जाने की
कवि-सम्मेलन है यहीं
यादों के घेरे जैसे तुम सामने ...
सभी एक से बढ़ कर एक !
बढिया, बधाई।
सारे के सारे हाइकू ह्रदय में घर कर गए बधाई स्वीकारें
RECENT POST चाह है उसकी मुझे पागल बनाये
waah ek se badhkar ek
chhutku si hain hayiku..
magar hain dynamite
rah rah kar bhramit karain..
padhen to aanand aaye.
बेहतरीन हाइकु आंटी !
सादर
यादें भी खुशबू से महकने लगीं... लाजबाब हायकू... आभार
हर एक पंक्ति खूबसूरत है साथ ही हर पंक्ति के साथ चित्रों का जो समायोजन किया है...लाजबाब।।।
बहुत सुन्दर पक्तियां और बहुत सुन्दर प्रस्तुतिकरण
यादों के विभिन्न शेड्स इन हाइकुओं में खुल कर व्यक्त हुए हैं।
आपके हाइगा नीचे की लिंक पर...आभार !!
संगीता स्वरूप जी के हाइकुओं के साथ मेरी जुगलबंदी - हाइगा में
http://hindihaiga.blogspot.in/2012/12/blog-post_15.html
बहुत सुंदर भावभीने हाईकु दीदी !:) ऋता जी की जुगलबंदी से खूबसूरती और भी बढ़ गयी !:)
एक मेरी तरफ से भी~
यादों के मेले,
जब दिल में सजे..
खोया खुद को..! :)
क्षमा कीजिएगा, शहर से बाहर जाने और वापस लौट कर आने के बाद से तबीयत कुछ ठीक नहीं, इसी कारण लिखना-देखना-पढ़ना सब ज़रा रुक गया है..:(
अमलतास सा
खिला तेरा चेहरा
यादों में बसा ।
कब भूली मैं
पल -पल बिताया
साथ सँजोया ।
बहुत ही सुंदर हाईकु...
बहुत सुन्दर ....
नमस्ते दी ...आपका बहुत बहुत आभार हमारे ब्लॉग पर आ हमें प्रोत्साहित करने का आशा है यूँ ही उत्साहवर्धन करतें रहेगें ....
सभी हाइकू लाजवाब ...
अलग सी खुशबू लिए ... कमाल के ...
sabhi hayku bahut hi behatarin.
बहुत सुन्दर हाइकु..
यादों के हाइकू
सलोने मन भावन
कितने प्यारे ।
।
यादों के हाइकू
सलोने मन भावन
कितने प्यारे ।
।
यादों के घेरे
तुम जैसे सम्मुख
बंद थीं आँखें ।
bahut sunder haiku sare padhe ek se badh kar ek
badhai
rachana
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