सूखे फूल और बहार
>> Tuesday, 12 October 2010
यादों के सूखे फूल
आज भी
महका रहे हैं
मेरी ज़िंदगी की
किताब को
इस महक से
ज़िंदगी में
आज भी
बहार है |
खलिश होती है तो यूँ ही बयां होती है , हर शेर जैसे सीप से निकला हुआ मोती है
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81 comments:
sunder abhivyakti ,sarthak vichar
la rahe hain aapki jindgi main bahar
...महक से
ज़िंदगी में
आज भी
बहार है |
--
संगीता जी!
भावनाओं से सजी
बहुत ही खूबसूरत रचना रची है आपने!
--
बहुत-बहुत बधाई!
बहुत सुन्दर ...सच ही कहा है मधुर यादें सम्पूर्ण जीवन में ख़ुशी बिखराने के लिए काफी हैं...आभार..
वाह लोग तो बहार को तरसते हैं सूखे फूलों से ही सही बहार तो है
is bahaar se mann khush ho gaya
ओह! तो फूल अभी भी है। महक के साथ!!
मंज़िलें ख़्वाब और सफ़र अब तक
सूख गया फूल, है मगर अब तक
है कोई साथ हमसफ़र अब तक
बेख़बर को नहीं ख़बर अब तक
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ! हमें भी यह बहार महका गयी भले ही सूखे फूलों की हो ! खूबसूरत रचना !
आपकी जिंदगी सदा यूँ ही बहारों से महकती रहे.
यही दुआ है.
जिन्दगी ऐसी ही यादोँ के फूलोँ से सजी रहेँ...
sangeeta di
bahut hi sahi baatyaado ke jharokhe se jhankane par kabhi kabhi jindagibahut hi khusgawar lagti hai,poonam ke chaand ki tarah.
bahutkhoob surat lagi aapki post.
poonam
अब तो किताबों में छुपाये पुराने सूखे फूलों का ही सहारा है , खुशबू के लिए । वर्ना आजकल के फूलों में खुशबू कहाँ आती है ।
वैसे इस छोटी सी रचना में से खुशबू आ रही है ।
इसे कहते हैं सकारात्मक सृजन...
बहुत पसंद आई ये रचना...बधाई.
आपके विचार भी फूलोँ की मानिँद सकारात्मक महकते रहते हैँ। सकारात्मकता से सजी आपकी रचना के क्या कहने........बहुत-बहुत आभार दी ! -: VISIT MY BLOG :- मेरे ब्लोग पर पढ़िये इस बार........ जाने किस बात की सजा देती हो.........गजल।
aapki yeh rachna bahut pasand aayi.
संगीता जी...
बहुत ही सुन्दर और प्यारी सी रचना...
... bahut sundar !
bhn sngitaa ji thode se alfaazon men sukhe ful or khushbu fir bhar ka jo vivrn aapne pesh kiya he voh vastv men gagr men saagr bhrdene vaala he mubark ho bhnji. akhtar khan akela kota rajsthan
संगीता दी,
अबके हम बिछड़ें तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें,
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें..
सलिल
vaah bahut hee dil ko chhuney vali panktiyaa ...sach me bahut badiyaa.. aur aapka bhi shukriyaa - vaise shukriya aapki dee huvee pyaar bhari shubhkamnao ke aagey achha nahi lag raha fir bhi aapko shukriya kaha... :))
बस दी ! ये कुछ सूखे फूल ही हैं जो खुशबू भी बिखरा देते हैं और ताज़ी हवा भी .
सुकून देती हुई पंक्तियाँ हैं .बहुत सुन्दर.
ऐसे ही यादो के फूल महकते रहे
बाहर आती रहे , खग चहकते रहे .
अच्छा है जी , बहारो का मौसम आया दिख रहा है . सुन्दर नज्म .
सारगर्भित शब्द रचना।
kaamnaa kartee hun ki,ye bahaar sada rahe!
Behad sundar rachana!
इस महक से हमें भी यूँ ही महकाए रहिये ...
ye bahaar hamesha bani rahe. Sundar rachna
Aise hi phool to sachhe hain..jo sookh jane par bhi bahar ka ehsas kara jate hain...behad achhi nazm mumma..
वाह!
बहुत सुंदर कविता जी यादे रुपी फ़ुल हमेशा जिन्दगी को महकाते रहते हे, धन्यवाद
बहुत सुन्दर
यादें ही तो जिन्दगी को ऊर्जा प्रदान करती हैं
बहुत सुन्दर महकती सी रचना.
वाह वाह वाह ! बहुत बेहतरीन
महकती यादों की यह खुशबू सदा बरकरार रहनी चाहिए ....
बहुत सुंदर संगीता जी ... भगवान् इन फूलों की खुशबु और आपकी ज़िन्दगी की बहारें हमेशा कायम रखे ... शुभकामनाएं
awesome as ever
mehekte raho.......
यादों के सूखे फूल
आज भी
महका रहे हैं
मेरी ज़िंदगी की
किताब को
इस महक से
ज़िंदगी में
आज भी
बहार है ....
Beautiful expression ! This should be our spirit !
..
बहुत ही सुन्दर शब्द, भावमय प्रस्तुति ।
short and sweet!
sundar saarthak abhivyakti!
well panned Sangeeta di
awesome...........! :)
बस महक कायम रहनी चाहिये……………।बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
छोटी सी पर प्यारी सी कविता...
____________________
'पाखी की दुनिया' के 100 पोस्ट पूरे ..ये मारा शतक !!
कुछ अच्छी कविताओं को बार-बार पढना अच्छा लगता है
मनि बिनु फनि जिमि जल बिनु मीना ।
मम जीवन तिमि तुम्हहिं अधीना ।
आपने ठीक कहा पुरानी यादे तो हमेशा हमारे साथ रहती है सुखद एहसास बनकर
बस ये महक ना जाए और खुशनसीब हैं , जिनके पास सूखे फूलों की महक तो है..
यानि कि वे फूल कभी ताज़ा थे :)
बहुत ही खूबसूरत रचना रची है आपने!
bahut khoob!....kuchh yaaden itani hi khoobsurat hoti hai...jo hamaare jivan mein rang bhar rahi hoti hai!
bahut pasand vaayee.
खूबसूरत
वह कितना सुन्दर -------बहुत भावपूर्ण वर्णन करते नहीं शब्द------बहुत-बहुत धन्यवाद.
स्मृतियों का जादुई खजाना, हर दौर में हमारी जिंदगियों को गतिमान बनाए रखने के लिए उर्जा का अक्षय प्रेरणास्रोत बनकर हम सबको उम्मीदों और सपनों के पंख थमा देता है ताकि जीने का और उड़ान भरने का हौसला सदैव बना रहे.
बेहद खूबसूरत रचना.
आभार.
सादर डोरोथी.
बहुत सुंदर.
बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
नवरात्र के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
साहित्यकार-6
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
.
यादों के फूल कभी सूखे नहीं होते। सदा ही हरे भरे रहते हैं हमारे प्यार करने वाले मन-आगन में। वो उनका प्यार ही है जो महका रहा है आपके तन और मन को।
.
wo phool hamesha hi mehakte rahainge..yadon main ek sondhi si khushbu bankar.....
bahut acchi rachna..
सुखद स्मृतियों से ही जीवन में रस है।
...महक से
ज़िंदगी में
आज भी
बहार है |
*****************
बेहद जीवन्तता लिए कविता...बधाई.
________________
'शब्द-सृजन की ओर' पर आज निराला जी की पुण्यतिथि पर स्मरण.
Behad..Umda.
bahut sunder
विजयादशमी की अनन्त शुभकामनायें.
बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
बेटी .......प्यारी सी धुन
खूबसूरत !!
लेकिन यादों के फूल सूखे क्यूँ हैं ??
पुरानी सुन्दर यादो को ताज़ा करती रचना !
यादों के सूखे फूल
आज भी
महका रहे हैं
मेरी ज़िंदगी की
किताब को
इस महक से
ज़िंदगी में
आज भी
बहार है |
बहुत ही सारगर्भित रचना है आप कि, वाकई यादें सूखे फूलों कि तरह तो जरूर हैं, परन्तु उनकी खुसबू रुपी जो यादें होती हैं वो जीवन पर्यन्त होती हैं|
सार्थक रचना, बहुत - बहुत शुभकामना
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ उम्दा रचना लिखा है आपने! बधाई!
बहुत सुंदर है ये कविता...आपके ब्लॉग की ये पंक्तियाँ भी बहुत अच्छी हैं 'खलिश होती है तो यूँ ही बयां होती है , हर शेर जैसे सीप से निकला हुआ मोती है'....
मेरी डायरी में आज भी कई सूखे फूल उसी तरह महक रहे हैं जैसे वे आज भी ताजी हैं.....
बढ़िया भावपूर्ण रचना...बधाई
यादों के सूखे फूल
आज भी
महका रहे हैं
बढ़िया भावपूर्ण रचना...
yadonke kuch phool hi sahi bahar phir bhi bhar hai...........sunder rachna.........
तुम्हे मैंने देखा बहुत बार मुड़ के
खयालो में शायद चले आओ उड़ के
कुछ गुलाब जो थे हाथो में,
अब भी बंद है मुट्ठी में सिकुड़ के
क्या कहू ......................
सुन्दर रचना
बहार मुबारक
bhwpurn rachna...yade vastav me bujhe huye jeevan me bhee bahar la deti hai
बहुत अच्छी और सुन्दर रचना ......
धन्यवाद....
http://nithallekimazlis.blogspot.com/
खूबसूरत यादों के साथ बेहतरीन रचना। बधाई संगीता जी।
फूल अगर यादों के हों तो सूखकर भी महक देते हैं. सुन्दर रचना के लिए आभार.
अति सुंदर
मिसफ़िट:सीधी बात
yhi to yado ki asmita hai .
kya bat hai didi ! bhut hi mrmsprshi .
किताबों की इस महक से ज़िन्दगी में आज भी बहार है, बहुत ही सुन्दर रचना।
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