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सूखे फूल और बहार

>> Tuesday 12 October 2010



यादों के सूखे  फूल   

आज भी 

महका रहे हैं 

मेरी ज़िंदगी  की 

किताब को

इस महक से 

ज़िंदगी में 

आज भी 

बहार है |


81 comments:

केवल राम Tue Oct 12, 06:36:00 pm  

sunder abhivyakti ,sarthak vichar
la rahe hain aapki jindgi main bahar

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' Tue Oct 12, 07:01:00 pm  

...महक से

ज़िंदगी में

आज भी

बहार है |
--

संगीता जी!
भावनाओं से सजी
बहुत ही खूबसूरत रचना रची है आपने!
--
बहुत-बहुत बधाई!

Kailash Sharma Tue Oct 12, 07:02:00 pm  

बहुत सुन्दर ...सच ही कहा है मधुर यादें सम्पूर्ण जीवन में ख़ुशी बिखराने के लिए काफी हैं...आभार..

रचना दीक्षित Tue Oct 12, 07:02:00 pm  

वाह लोग तो बहार को तरसते हैं सूखे फूलों से ही सही बहार तो है

मनोज कुमार Tue Oct 12, 07:11:00 pm  
This comment has been removed by the author.
Sadhana Vaid Tue Oct 12, 07:15:00 pm  

बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ! हमें भी यह बहार महका गयी भले ही सूखे फूलों की हो ! खूबसूरत रचना !

अनामिका की सदायें ...... Tue Oct 12, 07:40:00 pm  

आपकी जिंदगी सदा यूँ ही बहारों से महकती रहे.
यही दुआ है.

उपेन्द्र नाथ Tue Oct 12, 08:10:00 pm  

जिन्दगी ऐसी ही यादोँ के फूलोँ से सजी रहेँ...

पूनम श्रीवास्तव Tue Oct 12, 08:22:00 pm  

sangeeta di
bahut hi sahi baatyaado ke jharokhe se jhankane par kabhi kabhi jindagibahut hi khusgawar lagti hai,poonam ke chaand ki tarah.
bahutkhoob surat lagi aapki post.
poonam

डॉ टी एस दराल Tue Oct 12, 08:32:00 pm  

अब तो किताबों में छुपाये पुराने सूखे फूलों का ही सहारा है , खुशबू के लिए । वर्ना आजकल के फूलों में खुशबू कहाँ आती है ।

वैसे इस छोटी सी रचना में से खुशबू आ रही है ।

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' Tue Oct 12, 08:45:00 pm  

इसे कहते हैं सकारात्मक सृजन...
बहुत पसंद आई ये रचना...बधाई.

DR.ASHOK KUMAR Tue Oct 12, 09:19:00 pm  

आपके विचार भी फूलोँ की मानिँद सकारात्मक महकते रहते हैँ। सकारात्मकता से सजी आपकी रचना के क्या कहने........बहुत-बहुत आभार दी ! -: VISIT MY BLOG :- मेरे ब्लोग पर पढ़िये इस बार........ जाने किस बात की सजा देती हो.........गजल।

sheetal Tue Oct 12, 09:19:00 pm  

aapki yeh rachna bahut pasand aayi.

Anonymous Tue Oct 12, 09:40:00 pm  

संगीता जी...
बहुत ही सुन्दर और प्यारी सी रचना...

आपका अख्तर खान अकेला Tue Oct 12, 10:11:00 pm  

bhn sngitaa ji thode se alfaazon men sukhe ful or khushbu fir bhar ka jo vivrn aapne pesh kiya he voh vastv men gagr men saagr bhrdene vaala he mubark ho bhnji. akhtar khan akela kota rajsthan

चला बिहारी ब्लॉगर बनने Tue Oct 12, 10:17:00 pm  

संगीता दी,
अबके हम बिछड़ें तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें,
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें..
सलिल

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति Tue Oct 12, 10:19:00 pm  

vaah bahut hee dil ko chhuney vali panktiyaa ...sach me bahut badiyaa.. aur aapka bhi shukriyaa - vaise shukriya aapki dee huvee pyaar bhari shubhkamnao ke aagey achha nahi lag raha fir bhi aapko shukriya kaha... :))

shikha varshney Tue Oct 12, 10:33:00 pm  

बस दी ! ये कुछ सूखे फूल ही हैं जो खुशबू भी बिखरा देते हैं और ताज़ी हवा भी .
सुकून देती हुई पंक्तियाँ हैं .बहुत सुन्दर.

ashish Tue Oct 12, 10:40:00 pm  

ऐसे ही यादो के फूल महकते रहे
बाहर आती रहे , खग चहकते रहे .

अच्छा है जी , बहारो का मौसम आया दिख रहा है . सुन्दर नज्म .

प्रवीण पाण्डेय Tue Oct 12, 10:48:00 pm  

सारगर्भित शब्द रचना।

kshama Tue Oct 12, 10:51:00 pm  

kaamnaa kartee hun ki,ye bahaar sada rahe!
Behad sundar rachana!

Renu goel Tue Oct 12, 11:25:00 pm  

इस महक से हमें भी यूँ ही महकाए रहिये ...

दिपाली "आब" Tue Oct 12, 11:28:00 pm  

ye bahaar hamesha bani rahe. Sundar rachna

स्वप्निल तिवारी Tue Oct 12, 11:46:00 pm  

Aise hi phool to sachhe hain..jo sookh jane par bhi bahar ka ehsas kara jate hain...behad achhi nazm mumma..

राज भाटिय़ा Wed Oct 13, 01:53:00 am  

बहुत सुंदर कविता जी यादे रुपी फ़ुल हमेशा जिन्दगी को महकाते रहते हे, धन्यवाद

M VERMA Wed Oct 13, 05:57:00 am  

बहुत सुन्दर
यादें ही तो जिन्दगी को ऊर्जा प्रदान करती हैं

Udan Tashtari Wed Oct 13, 06:20:00 am  

बहुत सुन्दर महकती सी रचना.

रानीविशाल Wed Oct 13, 06:38:00 am  

वाह वाह वाह ! बहुत बेहतरीन
महकती यादों की यह खुशबू सदा बरकरार रहनी चाहिए ....

Dr Xitija Singh Wed Oct 13, 07:58:00 am  

बहुत सुंदर संगीता जी ... भगवान् इन फूलों की खुशबु और आपकी ज़िन्दगी की बहारें हमेशा कायम रखे ... शुभकामनाएं

Anonymous Wed Oct 13, 10:16:00 am  

awesome as ever

mehekte raho.......

ZEAL Wed Oct 13, 11:09:00 am  

यादों के सूखे फूल

आज भी

महका रहे हैं

मेरी ज़िंदगी की

किताब को

इस महक से

ज़िंदगी में

आज भी

बहार है ....

Beautiful expression ! This should be our spirit !

..

सदा Wed Oct 13, 12:05:00 pm  

बहुत ही सुन्‍दर शब्‍द, भावमय प्रस्‍तुति ।

अनुपमा पाठक Wed Oct 13, 12:08:00 pm  

short and sweet!
sundar saarthak abhivyakti!

Khare A Wed Oct 13, 12:26:00 pm  

well panned Sangeeta di

vandana gupta Wed Oct 13, 12:35:00 pm  

बस महक कायम रहनी चाहिये……………।बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।

Akshitaa (Pakhi) Wed Oct 13, 12:56:00 pm  

छोटी सी पर प्यारी सी कविता...


____________________
'पाखी की दुनिया' के 100 पोस्ट पूरे ..ये मारा शतक !!

मनोज कुमार Wed Oct 13, 12:59:00 pm  

कुछ अच्छी कविताओं को बार-बार पढना अच्छा लगता है

मनि बिनु फनि जिमि जल बिनु मीना ।
मम जीवन तिमि तुम्‍हहिं अधीना ।

deepti sharma Wed Oct 13, 01:14:00 pm  

आपने ठीक कहा पुरानी यादे तो हमेशा हमारे साथ रहती है सुखद एहसास बनकर

rashmi ravija Wed Oct 13, 02:06:00 pm  

बस ये महक ना जाए और खुशनसीब हैं , जिनके पास सूखे फूलों की महक तो है..
यानि कि वे फूल कभी ताज़ा थे :)

अरुण चन्द्र रॉय Wed Oct 13, 03:16:00 pm  

बहुत ही खूबसूरत रचना रची है आपने!

Aruna Kapoor Wed Oct 13, 04:56:00 pm  

bahut khoob!....kuchh yaaden itani hi khoobsurat hoti hai...jo hamaare jivan mein rang bhar rahi hoti hai!

सूबेदार Wed Oct 13, 10:00:00 pm  

वह कितना सुन्दर -------बहुत भावपूर्ण वर्णन करते नहीं शब्द------बहुत-बहुत धन्यवाद.

Dorothy Thu Oct 14, 12:19:00 am  

स्मृतियों का जादुई खजाना, हर दौर में हमारी जिंदगियों को गतिमान बनाए रखने के लिए उर्जा का अक्षय प्रेरणास्रोत बनकर हम सबको उम्मीदों और सपनों के पंख थमा देता है ताकि जीने का और उड़ान भरने का हौसला सदैव बना रहे.
बेहद खूबसूरत रचना.
आभार.
सादर डोरोथी.

राजभाषा हिंदी Thu Oct 14, 06:59:00 am  

बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
नवरात्र के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!

साहित्यकार-6
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें

हास्यफुहार Thu Oct 14, 08:00:00 am  

बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!

ZEAL Thu Oct 14, 12:45:00 pm  

.

यादों के फूल कभी सूखे नहीं होते। सदा ही हरे भरे रहते हैं हमारे प्यार करने वाले मन-आगन में। वो उनका प्यार ही है जो महका रहा है आपके तन और मन को।

.

!!अक्षय-मन!! Thu Oct 14, 04:39:00 pm  

wo phool hamesha hi mehakte rahainge..yadon main ek sondhi si khushbu bankar.....
bahut acchi rachna..

शिक्षामित्र Thu Oct 14, 06:15:00 pm  

सुखद स्मृतियों से ही जीवन में रस है।

KK Yadav Fri Oct 15, 12:59:00 pm  

...महक से

ज़िंदगी में

आज भी

बहार है |
*****************
बेहद जीवन्तता लिए कविता...बधाई.



________________
'शब्द-सृजन की ओर' पर आज निराला जी की पुण्यतिथि पर स्मरण.

वन्दना अवस्थी दुबे Sun Oct 17, 04:00:00 pm  

विजयादशमी की अनन्त शुभकामनायें.

राजभाषा हिंदी Mon Oct 18, 07:55:00 am  

बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
बेटी .......प्यारी सी धुन

अमित Mon Oct 18, 04:20:00 pm  

खूबसूरत !!
लेकिन यादों के फूल सूखे क्यूँ हैं ??

Coral Tue Oct 19, 07:00:00 am  

पुरानी सुन्दर यादो को ताज़ा करती रचना !

लाल कलम Wed Oct 20, 04:01:00 pm  

यादों के सूखे फूल
आज भी
महका रहे हैं
मेरी ज़िंदगी की
किताब को
इस महक से
ज़िंदगी में
आज भी
बहार है |
बहुत ही सारगर्भित रचना है आप कि, वाकई यादें सूखे फूलों कि तरह तो जरूर हैं, परन्तु उनकी खुसबू रुपी जो यादें होती हैं वो जीवन पर्यन्त होती हैं|
सार्थक रचना, बहुत - बहुत शुभकामना

Shabad shabad Wed Oct 20, 04:49:00 pm  

बहुत अच्छी प्रस्तुति।

Urmi Wed Oct 20, 06:25:00 pm  

सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ उम्दा रचना लिखा है आपने! बधाई!

अर्चना तिवारी Thu Oct 21, 08:07:00 pm  

बहुत सुंदर है ये कविता...आपके ब्लॉग की ये पंक्तियाँ भी बहुत अच्छी हैं 'खलिश होती है तो यूँ ही बयां होती है , हर शेर जैसे सीप से निकला हुआ मोती है'....

लोकेन्द्र सिंह Fri Oct 22, 11:17:00 pm  

मेरी डायरी में आज भी कई सूखे फूल उसी तरह महक रहे हैं जैसे वे आज भी ताजी हैं.....

विनोद कुमार पांडेय Sat Oct 23, 08:52:00 am  

बढ़िया भावपूर्ण रचना...बधाई

VIJAY KUMAR VERMA Sat Oct 23, 06:37:00 pm  

यादों के सूखे फूल


आज भी


महका रहे हैं
बढ़िया भावपूर्ण रचना...

Suman Sun Oct 24, 06:13:00 pm  

yadonke kuch phool hi sahi bahar phir bhi bhar hai...........sunder rachna.........

PAWAN VIJAY Tue Oct 26, 10:10:00 am  

तुम्हे मैंने देखा बहुत बार मुड़ के
खयालो में शायद चले आओ उड़ के
कुछ गुलाब जो थे हाथो में,
अब भी बंद है मुट्ठी में सिकुड़ के
क्या कहू ......................
सुन्दर रचना

Dr.R.Ramkumar Tue Oct 26, 06:48:00 pm  

बहार मुबारक

VIJAY KUMAR VERMA Tue Oct 26, 11:57:00 pm  

bhwpurn rachna...yade vastav me bujhe huye jeevan me bhee bahar la deti hai

अशोक कुमार मिश्र Wed Oct 27, 11:00:00 pm  

बहुत अच्छी और सुन्दर रचना ......
धन्यवाद....
http://nithallekimazlis.blogspot.com/

NK Pandey Thu Oct 28, 08:00:00 am  

खूबसूरत यादों के साथ बेहतरीन रचना। बधाई संगीता जी।

Arvind Jangid Thu Oct 28, 11:51:00 pm  

फूल अगर यादों के हों तो सूखकर भी महक देते हैं. सुन्दर रचना के लिए आभार.

RAJWANT RAJ Sat Oct 30, 02:16:00 pm  

yhi to yado ki asmita hai .

RAJWANT RAJ Sat Oct 30, 02:56:00 pm  

kya bat hai didi ! bhut hi mrmsprshi .

ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηι Mon Nov 15, 10:35:00 pm  

किताबों की इस महक से ज़िन्दगी में आज भी बहार है, बहुत ही सुन्दर रचना।

रफ़्तार

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