कुछ विशेष नहीं है जो कुछ अपने बारे में बताऊँ...
मन के भावों को
कैसे सब तक पहुँचाऊँ
कुछ लिखूं या
फिर कुछ गाऊँ
।
चिंतन हो
जब किसी बात पर
और मन में
मंथन चलता हो
उन भावों को
लिख कर मैं
शब्दों में
तिरोहित कर जाऊं ।
सोच - विचारों की शक्ति
जब कुछ
उथल -पुथल सा
करती हो
उन भावों को
गढ़ कर मैं
अपनी बात
सुना जाऊँ
जो दिखता है
आस - पास
मन उससे
उद्वेलित होता है
उन भावों को
साक्ष्य रूप दे
मैं कविता सी
कह जाऊं.
कभी कभी ख़ामोशी वो सब कुछ बयां कर जाती है जो बोलते लब नहीं कर पाते... बहुत ही ख़ूबसूरत रचना... मेरे ब्लॉग पर इस बार चर्चा है जरूर आएँ.. लानत है ऐसे लोगों पर....
भावनाएँ शब्दों से परे होती हैं. भावनाओं को शब्द मिलते ही उसमें चातुर्य और अतिरेक का समावेश हो जाता है .. इसलिये भावनाएँ शब्दों से परे रहें तो ही अच्छा, सुन्दर भाव सम्प्रेषण.. सुन्दर रचना
भावनाएँ शब्दों से परे होती हैं. भावनाओं को शब्द मिलते ही उसमें चातुर्य और अतिरेक का समावेश हो जाता है .. इसलिये भावनाएँ शब्दों से परे रहें तो ही अच्छा, सुन्दर भाव सम्प्रेषण.. सुन्दर रचना
संगीता दी..इसके पूर्व भी आपने मौन पर कविताएँ लिखी हैं और सभी अलग अलग भावों और अभिव्यक्ति से भरपूर... यहाँ भी आपने शब्दों के द्वारा भवनाओं के दूषित होने की बात कही है जो सर्वथा नूतन है... एक अच्छी रचना के लिए हमारी बधाई!!
sahi kaha , har abhivyakti ke liye , shabd ka hona anivarye nhi, manun rehkar bhi aap bahut kuch aur prabhavi dhang se apne aapko vyakt kar sakte hain!
bahut hi uchh koti ke bhav aapk is kavita me nihit hain
खामोशी ही तो हमारी भावनाओं की सबसे खूबसूरत अभिव्यक्ति होती है. निशब्द संसार अर्थों का अथाह अतल सागर होता है जो हर बात में नए आयामों को रच देता है. बेहद गहन अर्थों को समेटती एक खूबसूरत और भाव प्रवण रचना. आभार. सादर, डोरोथी.
वो जो साधु ने कहा था कि आँखों ने देखा है पर वो बोल नहीं सकतीं और ज़ुबान जो बोल सकती है उसने देखा नहीं... ठीक वैसे ही जिन भावों को दिल ने महसूस किया हो उसे ज़ुबान से निकलने वाले शब्द कैसे बयान कर सकते हैं... तभी तो प्रायः भावनाओं का प्रकटन आँसुओं या मुस्कुराहट से होता है... जिनकी कोई भाषा नहीं होती... बहुत सुंदर भाव संगीता दी!!
दी ! कहा तो सही है आपने कभी कभी मौन बहुत कुछ कह जाता है जो शब्दों में भी कहने की ताकात नहीं होती. पर आजकल लगने लगा है कि मौन को कमजोरी मान लिया जाता है. पर मुझे आपकी कविता इतनी अच्छी लग रही है कि मैं अब मौन हो जाती हूँ और इसे पढ़ती हूँ बस.
संगीता स्वरुप जी, अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया देकर मेरी रचना को अपना स्नेहाशीष देने के लिए धन्यवाद. आपने मेरी रचना को चर्चामंच में शामिल कर के जो सम्मान दिया है उस के लिए बेहद आभारी हूं. सादर डोरोथी.
“नन्हें दीपों की माला से स्वर्ण रश्मियों का विस्तार - बिना भेद के स्वर्ण रश्मियां आया बांटन ये त्यौहार ! निश्छल निर्मल पावन मन ,में भाव जगाती दीपशिखाएं , बिना भेद अरु राग-द्वेष के सबके मन करती उजियार !! “
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ आपको, आपके परिवार और सभी पाठकों को दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएं .... ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
इसी तरह आप से बात करूंगा मुलाक़ात आप से जरूर करूंगा
आप मेरे परिवार के सदस्य लगते हैं अब लगता नहीं कभी मिले नहीं है आपने भरपूर स्नेह और सम्मान दिया हृदय को मेरे झकझोर दिया दीपावली को यादगार बना दिया लेखन वर्ष की पहली दीवाली को बिना दीयों के रोशन कर दिया बिना पटाखों के दिल में धमाका कर दिया ऐसी दीपावली सब की हो घर परिवार में अमन हो निरंतर दुआ यही करूंगा अब वर्ष दर वर्ष जरिये कलम मुलाक़ात करूंगा इसी तरह आप से बात करूंगा मुलाक़ात आप से जरूर करूंगा 01-11-2010
82 comments:
इस रचना की संवेदना और शिल्पगत सौंदर्य मन को भाव विह्वल कर गए हैं।
सुन्दर , भावपूर्ण रचना ......... ह्रदय को छू रहा है . बधाई ...........
कभी कभी ख़ामोशी वो सब कुछ बयां कर जाती है जो बोलते लब नहीं कर पाते... बहुत ही ख़ूबसूरत रचना...
मेरे ब्लॉग पर इस बार चर्चा है जरूर आएँ..
लानत है ऐसे लोगों पर....
बहुत बड़ी बात कह गयीं आप संगीता जी ! निश्चित रूप से अनर्गल प्रलाप से सार्थक मौन कहीं अधिक श्रेयस्कर है ! अति सुन्दर !
हमेशा की तरह..उम्दा...बेहतरीन
bahut sunder... jaise dil ki awaaz ho...
'भाषा हो
मौन की ,
एहसास हों
ज़िंदगी के '
- सही कहा है !
'भाषा हो
मौन की ,
एहसास हों
ज़िंदगी के '
- सही कहा है !
मौन रख के भी बोलना चाहिए, और बोलकर फिर मौन हो जाना चाहिए।
अच्छी कविता।
भावनाएँ शब्दों से परे होती हैं. भावनाओं को शब्द मिलते ही उसमें चातुर्य और अतिरेक का समावेश हो जाता है .. इसलिये भावनाएँ शब्दों से परे रहें तो ही अच्छा,
सुन्दर भाव सम्प्रेषण.. सुन्दर रचना
भावनाएँ शब्दों से परे होती हैं. भावनाओं को शब्द मिलते ही उसमें चातुर्य और अतिरेक का समावेश हो जाता है .. इसलिये भावनाएँ शब्दों से परे रहें तो ही अच्छा,
सुन्दर भाव सम्प्रेषण.. सुन्दर रचना
नि:शब्द होकर भी बात कही जा सकती है।
सुंदर कविता
आभार
बहुत भावपूर्ण ..
yun lagta hai bhawnaaon aur shabdon ne aapke aangan me ghar bana liya hai
भावनाएं हो जाएँ
न कहीं दूषित
इसलिए मुझे
शब्द नहीं चाहिए
चंद शब्दों में पूरी सचाई कह डाली आपने , भावनाओं की कदर कितनी है ......, जिन्दगी में शब्द नहीं भावनाएं महव रखती है
सुंदर ...सार्थक
भावनाएं हो जाएँ
न कहीं दूषित
इसलिए मुझे
शब्द नहीं चाहिए .
waah! sundar!!!
अच्छी लगी मौन की भाषा.
बहुत अच्छी कविता धन्यवाद
यही है मुखरित मौन ...शब्दहीन या निःशब्द !
संगीता दी..इसके पूर्व भी आपने मौन पर कविताएँ लिखी हैं और सभी अलग अलग भावों और अभिव्यक्ति से भरपूर... यहाँ भी आपने शब्दों के द्वारा भवनाओं के दूषित होने की बात कही है जो सर्वथा नूतन है... एक अच्छी रचना के लिए हमारी बधाई!!
मौन मे छुपी वेदना का स्वर बेहद गंभीर है……………बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
बहुत खूब ... शब्द मतलब बदल देते हैं भावनाओं के .... अच्छी रचना ....
....अति सुंदर भावोक्ति!
भावनाएं हो जाएँ
न कहीं दूषित
इसलिए मुझे
शब्द नहीं चाहिए .
बहुत खूब! कम शब्दों मे बहुत गहरी बात लिखती हैं आप।
शब्द कई बार भावों को धोखा दे जाते हैं।
मौन अभिव्यक्ति को मूक सलाम , हम क्यू चर्चा करे सरे आम .
मौनता में ही सबकुछ छिपा है बहुत सुन्दर-----
मौनता में ही सबकुछ छिपा है बहुत सुन्दर-----
बहुत खूब मौन मुखरित हुआ...
बहुत खूब । निशब्द भी बहुत कुछ कहा जा सकता है ।
बहुत ही अच्छी पंक्तियां...भावनाओं को व्यक्त करने में अक्सर शब्द पंगु हो जाते है, उसके बाद तो मौन का ही सहारा लेना पड़ता है।
sahi kaha , har abhivyakti ke liye , shabd ka hona anivarye nhi, manun rehkar bhi aap bahut kuch aur prabhavi dhang se apne aapko vyakt kar sakte hain!
bahut hi uchh koti ke bhav aapk is kavita me nihit hain
बहुत सुन्दर!
--
जब भी बोलता है मेरे भीतर का मौन!
मैं उससे पूछता हूँ "कौन"
बहुत सुंदर...निशब्द हो कर भी बहुत कुछ कह जाना यही तो आपकी पहचान है.
भावनाएं हो जाएँ
न कहीं दूषित
इसलिए मुझे
शब्द नहीं चाहिए .
अरे!!! कमाल है!!!
खामोशी ही तो हमारी भावनाओं की सबसे खूबसूरत अभिव्यक्ति होती है. निशब्द संसार अर्थों का अथाह अतल सागर होता है जो हर बात में नए आयामों को रच देता है. बेहद गहन अर्थों को समेटती एक खूबसूरत और भाव प्रवण रचना. आभार.
सादर,
डोरोथी.
वो जो साधु ने कहा था कि आँखों ने देखा है पर वो बोल नहीं सकतीं और ज़ुबान जो बोल सकती है उसने देखा नहीं... ठीक वैसे ही जिन भावों को दिल ने महसूस किया हो उसे ज़ुबान से निकलने वाले शब्द कैसे बयान कर सकते हैं... तभी तो प्रायः भावनाओं का प्रकटन आँसुओं या मुस्कुराहट से होता है... जिनकी कोई भाषा नहीं होती... बहुत सुंदर भाव संगीता दी!!
दी ! कहा तो सही है आपने कभी कभी मौन बहुत कुछ कह जाता है जो शब्दों में भी कहने की ताकात नहीं होती.
पर आजकल लगने लगा है कि मौन को कमजोरी मान लिया जाता है.
पर मुझे आपकी कविता इतनी अच्छी लग रही है कि मैं अब मौन हो जाती हूँ और इसे पढ़ती हूँ बस.
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति ... सच में शब्द नहीं चाहिए ... आभार
बहुत ख़ूबसूरत और शानदार रचना लिखा है आपने! बधाई!
Sachmuch maun ki bhasha sabse sunar bhasha hoti hai.
---------
मन की गति से चलें...
बूझो मेरे भाई, वृक्ष पहेली आई।
भावनाएं हो जाएँ
न कहीं दूषित
इसलिए मुझे
शब्द नहीं चाहिए
सच...कभी कभी शब्द....बहुत पीड़ा पहुंचाते हैं...मौन ही श्रेयस्कर है.
"
भावनाएं हो जाएँ
न कहीं दूषित
इसलिए मुझे
शब्द नहीं चाहिए ."... बहुत गंभीर रचना.. कम शब्दों में बहुत गहरी बात..
"
भावनाएं हो जाएँ
न कहीं दूषित
इसलिए मुझे
शब्द नहीं चाहिए ."... बहुत गंभीर रचना.. कम शब्दों में बहुत गहरी बात..
shbdon se pare ...bhawnayen kitni gehri hoti hain ..ye to malum nahi..par aapki rachna vahin kahin chod aayi hai mujhe..ultimate!
bahut sundar,
kabhi-kabhi dil ke ehsaas ko baya karne ke liye nisabdh hona bahut zaroori hota hain.
bahut khubsurat abhivyakti.
संगीता स्वरुप जी, अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया देकर मेरी रचना को अपना स्नेहाशीष देने के लिए धन्यवाद. आपने मेरी रचना को चर्चामंच में शामिल कर के जो सम्मान दिया है उस के लिए बेहद आभारी हूं.
सादर
डोरोथी.
सुन्दर भाव सम्प्रेषण.. सुन्दर रचना
achhi rachna hai.......badhaiiiiii
बहुत सुंदरता से आपने बात कह भी दी और मान भी रखा .. बात कहने का ये तरीका..कविता का सार्थकता को बताता है.. सुन्दर रचना..
दीवाली की शुभकामनाएं स्वीकार करें
वाह ! बहुत सही व सुन्दर विचार ....जवाहर लाल नेहरू जी ने इसीलिए कहा है कि -"ख़ामोशी हमारे पवित्र विचारों का देवालय है" .
बहुत अच्छी रचना लगी दी
कभी-कभी शब्दों की ज़रूरत महसूस नहीं होती...मुझे भी !
भावनाओं के बिना शब्दों का क्या मोल। सुन्दर अभिव्यक्ति। शुभकामनायें।
बहुत सुन्दर रचना, बहुत - बहुत शुभ कामना
भावनाएं हो जाएँ
न कहीं दूषित
इसलिए मुझे
शब्द नहीं चाहिए
..बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
दीवाली की शुभकामनाएं
भावनाएं हो जाएँ
न कहीं दूषित
इसलिए मुझे
शब्द नहीं चाहिए .
bilkul sahi kahaa aapne
Bhawnaye shabdo me bayaa nhi ho sakti
भावनाएं हो जाएँ
न कहीं दूषित
इसलिए मुझे
शब्द नहीं चाहिए
ati uttam .happy diwali aapke poore parivaar ko . .
दीपावली मंगलमय हो
Nice
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
शब्दों की नि:सारता को बखूबी प्रस्तुत किया आपने.शुभकामनायें.
Bahut sunder.. aur bhavpurn
subh diwaali.
Deepavali ki hardik subhkamnai.
“नन्हें दीपों की माला से स्वर्ण रश्मियों का विस्तार -
बिना भेद के स्वर्ण रश्मियां आया बांटन ये त्यौहार !
निश्छल निर्मल पावन मन ,में भाव जगाती दीपशिखाएं ,
बिना भेद अरु राग-द्वेष के सबके मन करती उजियार !! “
हैप्पी दीवाली-सुकुमार गीतकार राकेश खण्डेलवाल
आपको परिवार एवं इष्ट स्नेहीजनों सहित दीपावली की घणी रामराम.
रामर
क्या बात है ! बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति
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~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आपको, आपके परिवार और सभी पाठकों को दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएं ....
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
bhasha ho maun ki ehsaas hon zindagi ke...............kya baat hai ..badhaai.
इसी तरह आप से बात करूंगा
मुलाक़ात आप से जरूर करूंगा
आप
मेरे परिवार के सदस्य
लगते हैं
अब लगता नहीं कभी
मिले नहीं है
आपने भरपूर स्नेह और
सम्मान दिया
हृदय को मेरे झकझोर दिया
दीपावली को यादगार बना दिया
लेखन वर्ष की पहली दीवाली को
बिना दीयों के रोशन कर दिया
बिना पटाखों के दिल में
धमाका कर दिया
ऐसी दीपावली सब की हो
घर परिवार में अमन हो
निरंतर दुआ यही करूंगा
अब वर्ष दर वर्ष जरिये कलम
मुलाक़ात करूंगा
इसी तरह आप से
बात करूंगा
मुलाक़ात आप से
जरूर करूंगा
01-11-2010
सराहनीय लेखन........
+++++++++++++++++++
चिठ्ठाकारी के लिए, मुझे आप पर गर्व।
मंगलमय हो आपके, हेतु ज्योति का पर्व॥
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
सराहनीय लेखन........
+++++++++++++++++++
चिठ्ठाकारी के लिए, मुझे आप पर गर्व।
मंगलमय हो आपके, हेतु ज्योति का पर्व॥
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
ख़ूबसूरत पंक्तियाँ !दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनायें !
आप को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
मैं आपके -शारीरिक स्वास्थ्य तथा खुशहाली की कामना करता हूँ
दीपावली की ढेर सारी शुभकामनायें ।
आपको एवं आपके परिवार को दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत ही खूबसूरत...सुंदर अभिव्यक्ति...बधाई संगीता जी
Behatarin prastuti
बेहतरीन ... मौन शब्द से ज्यादा शक्तिशाली है
bahut achcha likhi hain.
अति सुंदर!
घुघूती बासूती
वाह! इतने कम शब्दों में इतनी गहन अभिव्यक्ति !
कमाल है!
मेरी बधाई स्वीकार करें !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
bahut badia ...der say pad pane ke liye khed hai....
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