विश्वास की ईंट
>> Thursday, 30 September 2010
झूठ की एक
नन्हीं सी फांस
उखाड़ देती है
विश्वास की
जमी हुई नींव को
फिर कितना ही
सच का गारा
लगाओ
जम नहीं पाती
एक भी ईंट
विश्वास की ...
खलिश होती है तो यूँ ही बयां होती है , हर शेर जैसे सीप से निकला हुआ मोती है
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101 comments:
Adaraneeya Sangita di,
apne bahut kam shabdon men badee bat kah dee hai.Vishvas--aur sach ka to bahut bada rishta hai.sundar kavita.
Poonam
बहुत बढ़िया लिखा है ....
सार्थक, सत्य और उम्दा.
बधाई .
सच कहा ... धागा टूटना आसान है जुड़ना बहुत मुश्किल ... बहुत खूब ...
एक दृष्टि से देखने पर कविता अच्छी लग रही है लेकिन गम्भीरता से पढें तो लगेगा कि क्या विश्वास इतना कमजोर है कि किसी ने झूठ का एक कतरा कहा और हमारी नींव ही धंस गयी?
विश्वास पर ही तो ज़िन्दगी टिकी होती है और यदि वो ही डोर टूट जाये तो सारी ज़िन्दगी के लिये गाँठ पड जाती है…………………बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
सत्यम ब्रूयात प्रियम ब्रूयात , असत्यं प्रियम न ब्रूयात
मुझे भी झूठ से सख्त नफ़रत है. मुझे लगता है कि संबंधों में झूठ का स्थान नहीं होना चाहिए, पर कुछ लोग इससे उल्टा सोचते हैं कि दुःख देने वाले सच से अच्छा है कि झूठ बोल दिया जाये. मैं अक्सर इस मामले पर कन्फ्यूज्ड हो जाती हूँ.
दी !!!!!!..क्या बोलूं मैं:) एक दोहा याद आ रहा है
रहिमन धागा प्रेम का मत तोडो चटकाए
टूटे से फिर न जुड़े ,जुड़े गाँठ पड़ जाये.
विश्वास का धागा भी बहुत नाजुक होता है जिससे बनने में बहुत वक्त लगता है और जिसे बहुत सहेज कर रखा जाये तो आसानी से नहीं टूटता ...परन्तु जहाँ जरा लापरवाही हुई एक फांस ही कमजोर कर देती है और वो झट से टूट जाता है
और अगर एक बार टूट जाये फिर कभी दुबारा वैसा नहीं बन सकता.
बहुत सही सौ टके की बात आपने रचना के माध्यम से कह दी....आभार
सच है, बस थोड़ा सा अविश्वास सम्बन्धों के बड़े भवन ढहा देता है।
बहुत अच्छी अभिव्यक्ति .. आज ऐसा ही देखने को मिल रहा है .. पर झूठ के कतरे से तबतक विश्वास नहीं डिगता .. जबतक संवादहीनता न बनें !!
सही बात है :
सादा रहिये रिश्तों को,
जर्दा कैसा ?
अपने है वो, कह दीजिये,
पर्दा कैसा ?
लिखते रहिये,
हर्जा कैसा ? !
सच्चाई दर्शाती कविता....ईंट जम भी जाए पर उसमे दरारें नज़र आएँगी.
विश्वास का धागा बहुत नाजुक होता है जिससे बनने में बहुत वक्त लगता है और जिसे बहुत सहेज कर रखा जाये तो आसानी से नहीं टूटता ...
वाह! कटु सत्य व्यक्त करती बहुत ही खूबसूरत पँक्तियाँ। शानदार गहरी अर्थपूर्ण अभिव्यक्ति। बहुत-बहुत आभार। -: VISIT MY BLOG :- तपा सके अगर सोना तो हृदय मेँ अगन होनी चाहिए।..............गजल को पढ़कर अपने अमूल्य विचार व्यक्त करने के लिए आप सादर आमंत्रित हैँ। आप उपरोक्त लिँक पर क्लिक कर सकती हैँ।
रिश्तों में सच झूठ के महत्त्व को उजागर करती रचना । उम्दा ।
कुछ रिश्तों में विश्वास के धागे मज़बूत होते हुए भी रेशमी नजाकत लिए होते है...जिन्हें सहेज कर रखने में ही समझदारी है.
विषय सटीक और विचारणीय है.
बधाई.
बहुत सुंदर बात कही आप ने, विश्वास बनाना बहुत कठिन है ओर उसे तोडना बहुत आसान, ओर अगर टूट जाये तो दोवारा कभी नही बनता, धन्यवाद
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरहु चटकाय।
टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ पड़ जाय।
ई पढके त सबका दिल कह रहा होगा कि ई का ई त हमरे दिल का बात लिख दिया भाई। अब ई मत पूछिएगा कि आपके दिल में क्या है.... मैं तो यही कहे जा रहा हूं
दुनिया में कुछ नहीं इन आंखों में दोष था
हर झूठ मुझको सच ही लगता रहा यहां।
kavita main vishwas or avishwas ki nahi walki ek sachai jo hum per prabhav dalti hai uski avhivyakti hui hai
Bahut khub
Dhanyavaad
उम्दा रचना...हमेशा की तरह से...
अब आपको भी बुलाना पडेगा क्या अपने ब्लाग पर...! वैसे ही मुझ निर्धन के यहाँ इक्का-दुक्का लोग आते है आप कुछ समर्थन कर देती है तो मनोबल बढ जाता है...
आभार सहित
डा.अजीत
झूठ की एक...नन्हीं सी फांस
उखाड़ देती है...विश्वास की...जमी हुई नींव को...
सच कहा है...
इसीलिए तो कहा है-
बुनियाद तो यक़ीन है रिश्ता कोई भी हो.
किसी भी रिश्ते की बुनियाद विश्वास ही है बहुत ही सही कहा आपने...
बच्चो के उत्साहवर्धन हेतु एक लघु प्रयास, कृपया आप अवश्य पधारे :
मिलिए ब्लॉग सितारों से
Jitne sunder chitra utne hi kavita ki sachchai ne man ko chhoo liya
bhut khoob
di namaste
aap ki choti choti bate dil me kitne gahare prabhau chod jati hai bayan nahin kar sakta
lajawab rachna
ye to sach hai
झूठ की एक...नन्हीं सी फांस
उखाड़ देती है...विश्वास की...जमी हुई नींव को..
संगीता दी,
सम्बंधों की सच्ची व्याख्या कर दी आपने... जहाँ बुनियाद ही झूठ की कच्ची ईंट पर रखी जाए , वहाँ संबंध भरभरा कर गिर जाते हैं. मनोज जी ने मेरी ज़ुबान में टिप्पणी कर दी इसलिए मैं उनकी ज़ुबान में टिप्पणी कर रहा हूँ.
सलिल
Mai hamesha dang rah jati hun,ye dekh ki,aap itni badi baat kitni sahajta se kah jaati hain! Hats off!
कबीर की साखी की तरह उत्तम सीख देती लगी कविता... बेहतरीन..
आपकी सूक्ष्म दृष्टि ने विश्वास और सच-झूठ को बखूबी रेखांकित किया है.
सच
सच है!!!
अत्यंत प्रभावशाली और एक शाश्वत सत्य को स्थापित करती सशक्त अभिव्यक्ति ! अति सुन्दर !
विश्वास ही तो इस जीवन का आधार है, बहुत कटु सत्य को सहज शब्दों में बाँध दिया.
बहुत सुन्दर रचाना. बधाई.
vishwaas me ek daraar aur sab ek bojh yaa khatm ...
ईमानदारी ही रिश्तों का आधार है-यह बिलकुल सच है.
फिर कितना ही
सच का गारा
लगाओ
जम नहीं पाती
एक भी ईंट
विश्वास की ...
Sach fir se Vishwas pana bahut kathin hota hai
....विश्वास एक शिशे की तरह है....मजबूत होते हुए भी टूट ने आशंका हंमेशा बनी रहती है!....अति सुंदर रचना!
ये सच का गारा कहां मिलता है? इधर तो बहुत दिनों से आउट ऑफ़ स्टॉक चल रहा है। आपको कहीं दिखे तो बताइएगा। बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
बदलते परिवेश में अनुवादकों की भूमिका, मनोज कुमार,की प्रस्तुति राजभाषा हिन्दी पर, पधारें
heheh raheem revisited ....
toote fir to na jude types..mast nazm hai chhoti wali
रहिमन धागा प्रेम का मत तोडो चटकाए
टूटे से फिर न जुड़े ,जुड़े गाँठ पड़ जाये.
ekdam sach kaha aapne
सच कहा आपने ....और आजकल इस ईंट को स्नेह , साथ , पारस्परिकता के आग पर ठीक से सेंका नहीं जा रहा है ..तभी स्थिति ऐसी है मानो विश्वास न हुआ कच्ची मिट्टी की लोई हो गया ...
जाने क्या सोच कर ये सब लिख गया ........आपकी रचना उत्प्रेरक की तरह लगी मुझे ..
bahut badi baat chand lafjon me
vastav me prashansniy hai
एक मनोविज्ञान पढाती रचना....
शुभकामनाएं...
बहुत बढ़िया !
इतने कम शब्दों में इतनी गहन अभिव्यक्ति ! कमाल है......आभार
kisi bhi rishte main vishvaas ki ek aham bhumika hoti hain jhuth ki inth se koi sambandho ki imarat thaharti nahi, fir chahe laakh sach ke gaara lagao darare nazar aati hain.
kam sabdo main gehri baat.
विश्वास की नीव कभी न हिले!
सुन्दर रचना!
यह विश्वास की नींव सदा यूं ही मजबूत रहे, बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
बिलकुल सही कहा आपने। बहुत सुन्दर कविता लिखी है धन्यवाद।
विश्वास की नींव हमेशा मजबूत रहे यही कामना है। शानदार प्रस्तुति
विश्वास सदा बना रहे यही कामना करते हैं। एक बात कहें। यदि उम्र पर न जायें तो आपका मेरी माँ मे पूरा चेहरा मिलता है जाने कैसे उनकी तो कोई छोटी बहन भी नही है न ही कोई बहन कुम्भ के मेले मे खोई थी...:) बुरा मत मानियेगा बस यूँ ही आपसे हँसी कर रही थी. हाँ चेहरा सच मे मिलता है।
यह विश्वास बना रहे हमेशा ... यही कामना करता हूँ....
समझदार को इशारा ही काफी होता है!
--
धर्म के ठेकेदारों को भगाकर
निर्धनों के लिए एक चिकित्सालय
बनवाइए ना!
देखा !!!!तभी तो मैंने झूठ नहीं बोला और सच लिख दिया की वाकई बहुत पते की बात की है
बहुत सुन्दर........
kabhi kabhi jhooth bolna padta hai...kya keeje. agar ye sach ke main yahan aapki nazm padh rahi hoon aur aapko apni padha rahi hoon..itni adnaa si baar unhe naagavaar guzre....to jhooth na bolun to aakhir kya karun..
kabhi kabhi jinhe pyaar karte hai, unse unhi ki khushi ke liye khooth bolna padta hai
:(
nazm magar bohot khoobsurat hai...
सच और विश्वास
रिश्तों को देता
हवा ....
लेने को हर सांस
संगीता जी बहुत ही सुनदर रचना ।
ऐसे ही कुछ रिश्तों की बात असीम आसमान(The sky is limitless) पर हो रही है....नन्ही सी बच्ची कुछ कहना चाह रही है आपसे...
http://limitlesky.blogspot.com
सच कहा झूठ की एक जरा सी भी फांस विश्वास की नींव को खोखला कर देती है ...
फिर से विश्वास का महल खड़ा हो भी जाए तो भी एक भय तो रहता ही है ...कब भरभरा कर गिर जाए ...ईश्वर कभी किसी का विश्वास ना तोड़े ...!
रहिमन बिगड़े दूध को मथे न माखन होय...........
बिल्कुल सही कहा है आपने! एक झूठ सौ झूठ के बराबर होता है और चाहे हम कितनी ही सच्चाई से उस झूठ को छुपाना चाहे लेकिन वो नामुमकिन होता है! बहुत सुन्दर रचना!
बिलकुल सही कहा आपने बहुत सुन्दर रचना है। बधाई संगीता जी।
sngeeta ji nirntr sneh v smvad bnaye rkhne ke liye aap ka hridy se aabhari hoon
yh aap ki shridyta hi hai jo anam vyktion ko bhi protsahit krtin hain
aap ka sundr blog dekh kr mn prsnn ho gya sundr rchna ke liye kripya bdhai swikar kren
mithk ka bhi is rchna me sundr pryog huaa hai
toote pichhi n jude jude ganth pd jay vastv me vishvash hi prem ka aadhar hai pun bahut 2 bdhai
... bahut sundar !!!
कम शब्दों में सुंदर बात................
बहुत ही सुंदर और सार्थक.........
संगीता जी,
मेरे ब्लॉग पर आने और हौसलाफजाई करने का मैं तहेदिल से आपका शुक्रगुज़ार हूँ ..............आपकी छोटी सी रचना वाकई शानदार है .......इसे पड़कर रहीम साहब का प्रसिद्ध दोहा याद आ गया ........
"रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाए
जो टूटे तो फिर न जुडे, जुड़े तो गांठ पड़ जाये"
wah kya baat hai!!! :)
thx for dropping by :)
वाह संगीता जी क्या बात कही है खूब खूब .....!!
ये जाहिद जी गलती से मेरे ब्लॉग पे छोड़ आये थे ....
लौटा रही हूँ .....
संगीता जी,
मेरे ब्लॉग पर आने और हौसलाफजाई करने का मैं तहेदिल से आपका शुक्रगुज़ार हूँ ..............धन्यवाद |
बहुत खूब संगीता जी .... सुंदर रचना ...
आप मेरे ब्लॉग पर आयीं और हौसला बढाया उसे लिए धन्यवाद ... आपके शब्द 'भीगी भीगी नज़्म' बहुत अच्छे लगे ... वो वाकई कई तरह से भीगी हुई नज़्म है ... शुभकामनाएं...
sahaj rachnatmak abivyakti ke liye sadhuwad swikaren......
विश्वास जल्दी नही हो ही नही पाता...ऐसा टाइम चल रहा है...सुंदर प्रस्तुति..बधाई
झूट और विश्वास का साथ हो सकता ही नही । सुंदर कविता ।
"अफ़सोस दिल की चोट कोई देखता नहीं
सब कह रहें हैं की तेरी सूरत बदल गयी "
didi
jhooth ki umr beshak lmbi ho skti hai lekin sach shashvt hai our isme itni takat hoti hai ki jab iski ek iit jhooth ke mahal pr pdti hai tb vo tash ke ptto ki trha bhrbhra ke jmeen pr bikhar jata hai .
mafi chahti hu didi, mai aapke is vichar se ittefak nhi rkh pa rhi hu. aasha krti hu aap ise anytha nhi lengi .
राजवंत जी ,
यहाँ झूठ और सच कि बात नहीं है..झूठ और विश्वास कि बात है ...
झूठ पता चलने पर उसके बाद विश्वास नहीं रहता चाहे बाद में कितना ही सच क्यों न बोल लिया जाए ..बस यही कहना चाह रही थी इसमें ...
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
Shabdo ko nayee Paribhasha de kar Jeevan ke Mol seekhana to koi aapse seekhe Sangeeta G ... Bahut Khoob
Shabdo ko nayee Paribhasha de kar Jeevan ke Mol seekhana to koi aapse seekhe Sangeeta G ... Bahut Khoob
बहुत खूब...दिल को छूने वाले भाव..बधाई.
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"शब्द-शिखर' पर जयंती पर दुर्गा भाभी का पुनीत स्मरण...
सत्य!!! बहुत ही सुंदर भाव, आभार
bahut hi sunder rachna hai....
एक सच को कितने खूबसूरती से कलम-बंद किया...बहुत खूब.
झूठ की एक फांस ही संबंधों को हिला कर रख देती है ...कम शब्दों में बड़ी अभिव्यक्ति ।
http://gunjanugunj.blogspot.com
पर पढ़िए लेखक और संवेदना !
नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएं, संगीताजी!
बेहतरीन कविता है ... विश्वास एक बार टूटे तो फिर नहीं जुड़ता !
छोटी सी पर कित्ती प्यारी सी कविता..अच्छी लगी.
बहुत सच्ची और बहुत सुन्दर पोस्ट... धन्यवाद ..आपको और एक गलती सुधरने के लिए कहा था आपने .. आपका धन्यवाद पुनः . . मुझे कलम से लिखना आता है किन्तु हिंदी टाइपिंग नहीं आती है .. और रोमन हिंदी में टाइप करते समय निगाह कीबोर्ड में होती है तो ऐसी गलतियाँ हो जाती है.. मुझे चिंता नहीं क्यूंकि आप सभी का प्रेम और सानिध्य मिलता रहा है शुरू से .. सो ये सुधार कर लुंगी| धन्यवाद ..शुभकामनाएं
अति सुन्दर सुनीता जी ....विश्वास के धागे रिश्तों को जितनी मजबूती से बांधते हैं ख़ुद उतने ही नाज़ुक होते हैं ........सार्थक कविता...... आज आप मेरे ब्लॉग पर आयीं तो आपसे परिचय का सौभाग्य प्राप्त हुआ.........शुभकामनाएं
अत्यधिक सुन्दर रचना!
अपकी यह पोस्ट अच्छी लगी।
तीन गो बुरबक! (थ्री इडियट्स!)-2 पर टिप्पणी के लिए आभार!
lajvab bahut bahut badhai
satya kehaa hai aapne behtareen andaaz main एक ऐसा विडियो जिसे सबको देखना चहिये है? अगर हां तो बताएं अवश्य..
कम अलफ़ाज़ पूरी बात .... बहुत बढ़िया ... .
aap mere blog par aaii ...mujhe bahut hi achha laga ..sneh banaaye rakhe ...
एकदम सच बात कही है आप ने........
एक बार गर आ जाये दरार
रिश्तों में झूठ की
फिर चाहे कितना भी सच का गारा हो..
या सच का मरहम,
वो पहले वाली बात नहीं आ पाती है,
बस निभाना ही रह जाता है उनमें
100 comment number 100
mera saubhagya hai ki mai comment number 100 par punah.. bahut acchi aur rochak rachna lagi . atah kal charcha manch par iska link de rahi hoon.....aapka abhaar
आदरणीय संगीता स्वरूप जी, सच-झूँठ, विश्वास-अविश्वास की सहज और सकारात्मक विवेचना करती आपकी इस कृति के सम्मान में मेरी दो पंक्तियाँ:-
आपसी विश्वास ना हो जब तलक|
सुलह के सब फ़ैसले बेकार हैं||
सच कहूँ, आपकी इस महज ३० शब्दों वाली कविता ने एक पूरा का पूरा खण्ड काव्य कह दिया है|
ऐसा लगता है शायद पहले भी पढ़ा है इसे कहीं, और शायद टिप्पणी भी दी है|
आपकी लघु कविताओं का कोई ज़वाब नहीं।
Bahut inspiring hai...thank you
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