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चवन्नियां ख्यालों की

>> Friday, 1 July 2011

    


पोटली में बंधी चवन्नियां 
खनखनाती  हैं ज्यों 
ख्याल भी मेरे मन में 
कुछ इसी तरह बजते हैं 
रही नहीं कीमत 
जैसे अब  उनकी 
मेरे ख्याल  भी 
धराशायी  हो गए हैं ..



57 comments:

रश्मि प्रभा... Fri Jul 01, 06:39:00 pm  

gajjjjjjjjjjab ... ise kahte hain lakshy sadjna bhawnaaon ka

अरुण चन्द्र रॉय Fri Jul 01, 06:45:00 pm  

सचमुच संवेदनाएं चवन्नी हो गई हैं... बहुत बढ़िया क्षणिका... मुकम्मल कविता...

shikha varshney Fri Jul 01, 06:56:00 pm  

लो जी चवन्नियों को भी जाते जाते तार दिया :).
भावनाएं वाकई चवन्नियां हो गई हैं.क्या तीर मारा है निशाने पर.

ashish Fri Jul 01, 07:01:00 pm  

खयालो को भी महगाई मार गई . स्वप्न स्फीति जैसा कुछ प्रतीत हुआ . हम तो अपने स्वप्नों को अब अठन्नी की तरह देखते है .

Sadhana Vaid Fri Jul 01, 07:12:00 pm  

आपके ख्यालों की कीमत चवन्नी के बराबर नहीं है संगीता जी ! वे तो अनमोल हैं ! तभी तो लगातार एक के बाद एक इतनी संवेदनशील रचनाएं हमारे लिए ब्लॉग पर प्रस्तुत कर रही हैं आप ! उनकी कीमत इतनी कम करके मत आँकिये ! यह तो सरासर अन्याय है ! मेरी बधाई स्वीकार करें !

Rajesh Kumari Fri Jul 01, 07:21:00 pm  

bahut achchi kshanika Sangeeta ji dheere dheere aapki purani post bhi padhoongi jo miss hui hain.

चला बिहारी ब्लॉगर बनने Fri Jul 01, 07:58:00 pm  

संभाल कर रखिये उन ख्यालों को,
सौंपिए आने वाली पीढ़ी को,
ये चवन्नियाँ कभी बेकार नहीं जातीं,
मलिका विक्टोरिया के रुपये की तरह
कौन जाने किसी समय
ये भी मोहरों के मोल मिलें
ख्याल बेशकीमत होते हैं
चाहे चवन्नी भर ही क्यों न हों.
.
संगीता दी!
वैसे भी मेरे शुरुआती दिनों में आपकी पहचान मेरे लिए आपके माथे पर चमकती ये चवन्नी भर की बिंदी ही होती थी!!
:)

Sunil Kumar Fri Jul 01, 08:22:00 pm  

इसे कहते है विचारों की अभिव्यक्ति और आगे कुछ नहीं .

kshama Fri Jul 01, 08:48:00 pm  

रही नहीं कीमत
जैसे अब उनकी
मेरे ख्याल भी
धराशायी हो गए हैं ..
Kya khoob likhtee hain aap!

डॉ. मोनिका शर्मा Fri Jul 01, 08:57:00 pm  

हूँ....कभी कभी नहीं रहती ख्यालों की कीमत ....चव्वनी की तरह ....

बहुत सुंदर पंक्तियाँ

Amit Chandra Fri Jul 01, 09:25:00 pm  

चवन्नीयों की कीमत बेशक कम हो गई हो पर हम सभी के लिए आप अनमोल है और ये सदा बरकरार रहेगी।

Bharat Bhushan Fri Jul 01, 10:00:00 pm  

बाज़ार से चवन्नी गई और दिलों से भावनाएँ. बिंब बहुत सी बातें कहता है.

प्रवीण पाण्डेय Fri Jul 01, 10:04:00 pm  

जिनकी कीमत नहीं रही, उन्हे विदा कर दिया।

Vaanbhatt Fri Jul 01, 10:28:00 pm  

दुर्लभ चीजों का दाम बढ़ जाता है...बस कुछ साल इंतज़ार कीजिये...और...इन्हें कुछ रुपयों में बेचिए...ये बात ख्यालों पर भी लागू है...

Taru Fri Jul 01, 10:58:00 pm  

मम्मा,
बहुत सटीक तुलना की है....:)

(आज बहुत जल्दी आ गयी मैं शायद.....अच्छा लग रहा है 17 वें नंबर पर होना...:D)

चलिए ,
चरण स्पर्श....
शुभ रात्रि ! :)

इस्मत ज़ैदी Fri Jul 01, 11:03:00 pm  

एक छोटे सिक्के के माध्यम से बडी बात कह दी आप ने
बहुत बढ़िया !!

केवल राम Fri Jul 01, 11:14:00 pm  

अब इतिहास हो गयी चवन्नियां ....!

Shalini kaushik Fri Jul 01, 11:33:00 pm  

chaaniyon ka prayog to kabse ham aur aap band kar chuke the par blog jagat me is ghatna par itna likha gaya hai ki chaani ke itihas banne par bahut dukh ho raha hai.sangeeta ji aapki chhoti see kaita bahut sundar lagi hai.

मनोज कुमार Fri Jul 01, 11:44:00 pm  

कहां से कहां की ख्याली पुलाव पका दी आपने।
अजी देखिए अब इसका महत्त्व कितना अधिक हो गया कि हम कहेंगे ... हम उस जमाने के हैं जब चवन्नियां होती थीं।

kavita verma Fri Jul 01, 11:49:00 pm  

gum hoti chavani ke dard ke bahne apne dard ko bakhoobi bayan kiya ai aapne...

Nidhi Sat Jul 02, 01:02:00 am  

आपके ख्याल जो इन कविताओं में बंधे हैं वो भी कुछ वक्त बाद इन चवन्निओं की तरह अनमोल हो जायेंगे ....सुन्दर...सामयिक रचना

Satish Saxena Sat Jul 02, 08:17:00 am  

उदासी के क्षण की खूबसूरत अभिव्यक्ति ....
शुभकामनायें !

अजित गुप्ता का कोना Sat Jul 02, 08:44:00 am  

मन के ख्‍यालों को 1000 का नोट बना लो, देखो कैसे धराशाही होते हैं? वैसे छोटे-छोटे ख्‍याल ही हमेशा जीवित रहते हैं, ये ही मान्‍यता भी पाते हैं।

प्रतिभा सक्सेना Sat Jul 02, 09:35:00 am  

चवन्नियाँ सँजोये रहिये .संग्रह की कीमत कभी बहुत बढ़ जाती है .

मुकेश कुमार सिन्हा Sat Jul 02, 10:19:00 am  

chawannai jaisee bhawna....:)kabhi kabhi anmol lagti hai...!!
di bahut dino se aap mere gine chune post padhne nahi aaye ho:D

Dr Varsha Singh Sat Jul 02, 10:34:00 am  

चवन्नी की विदाई एक युग की विदाई जैसी है...बखूबी आंका है आपने अपनी इस कविता में...

Dr (Miss) Sharad Singh Sat Jul 02, 10:44:00 am  

चवन्नियों के बहाने मानवीय संवेगों की गिरावट की सुन्दर मीमांसा...बधाई.

Anonymous Sat Jul 02, 10:57:00 am  

simply awesome....just too good....aap hi likh sakti ho aisa :)

vandana gupta Sat Jul 02, 11:58:00 am  

उफ़ ये क्या कह दिया? ऐसा ना करे ज़रा संभाल कर रखिये अपने ख्यालो को हमे भी उनकी बहुत जरूरत है। बहुत सुन्दर प्रस्तुति हमेशा की तरह्।

सदा Sat Jul 02, 12:35:00 pm  

रही नहीं कीमत
जैसे अब उनकी
मेरे ख्याल भी
धराशायी हो गए हैं ..

वाह ...हमेशा की तरह लाजवाब करती पंक्तियां ..

लोकेन्द्र सिंह Sat Jul 02, 02:19:00 pm  

अब अठन्नी का क्या होगा....

डॉ टी एस दराल Sat Jul 02, 02:57:00 pm  

ख्यालों की चवन्नियों को अठन्नी में बदलना ज़रूरी है ।
इसी का नाम विकास है ।

नश्तरे एहसास ......... Sat Jul 02, 03:03:00 pm  

वाह!क्या बात है......एक चवन्नी जो बंद हो गयी और कुछ सपने जो टूट गए.
behtareen!!

संध्या शर्मा Sat Jul 02, 03:32:00 pm  

चवन्नियां रहें न रहें आपके ख्याल बहुत अनमोल हैं धराशायी नहीं हो सकते........ बहुत सुन्दर अनमोल प्रस्तुति आपके ख्यालों की तरह.........

mridula pradhan Sat Jul 02, 07:09:00 pm  

chwanni par bahut sunder likhin.....

रेखा श्रीवास्तव Sun Jul 03, 09:05:00 am  

chavanni ho rahe khyal bikhar bhale rahe hon lekin dharashayi nahin hote kabhi rupaye bankar jab samane aayenge to itihas rach jaayega.

Urmi Sun Jul 03, 09:55:00 am  

संगीता जी बहुत सुन्दर क्षणिका ! विचारों की गहन अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब प्रस्तुती!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' Sun Jul 03, 11:23:00 am  

बहुत सुन्दर क्षणिका!
अब अठन्नी की बारी है!

प्रेम सरोवर Sun Jul 03, 04:19:00 pm  

आपकी छोटी सी कविता थोड़े में ही बहुत कुछ कह गयी। इसका सार-संक्षेप यह हुआ कि किसी के जाने के बाद ही उसका महत्व पता चलता है।धन्यवाद।

कुमार राधारमण Sun Jul 03, 11:36:00 pm  

बदलते समय के साथ यह सब होता है। ख़याल ही सही,पर पुराने से मोहभंग होगा,तभी कुछ नया हाथ लगेगा।

दिगम्बर नासवा Mon Jul 04, 12:43:00 pm  

गहरा तारतम्य स्थापित किया है दोनों बिम्ब के बीच में ... बहुत लाजवाब रचना ..

Kunwar Kusumesh Mon Jul 04, 01:12:00 pm  

गागर में सागर

Anonymous Mon Jul 04, 03:43:00 pm  

ख्याल.....विचार....यही तो अवरोध हैं आगे बढ़ने के लिए इनका हट जाना ही बेहतर है ........कम शब्दों में शानदार पोस्ट.......लाजवाब|

shama Mon Jul 04, 11:23:00 pm  

पोटली में बंधी चवन्नियां
खनखनाती हैं ज्यों
ख्याल भी मेरे मन में
कुछ इसी तरह बजते हैं
Aaphee likh saktee hain istarah se! Kamalkee lekhani hai!

Vivek Jain Tue Jul 05, 06:25:00 pm  

उफ, दर्द का बयान भी माहौल के हिसाब से,
आभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

Rachana Wed Jul 06, 02:45:00 am  

kya sunder tulna ki hai .bahut navin tulna hai
sunder kavita
rachana

شہروز Thu Jul 07, 06:40:00 pm  

पोटली में बंधी चवन्नियां
खनखनाती हैं ज्यों
ख्याल भी मेरे मन में
कुछ इसी तरह बजते हैं
रही नहीं कीमत
जैसे अब उनकी
मेरे ख्याल भी
धराशायी हो गए हैं ..

आपको पढना हमेशा अच्छा लगा है. समय हो तो युवतर कवयित्री संध्या की कवितायें. हमज़बान पर पढ़ें.अपनी राय देकर रचनाकार का उत्साह बढ़ाना हरगिज़ न भूलें.
http://hamzabaan.blogspot.com/2011/07/blog-post_06.html

सुनीता शानू Thu Jul 07, 08:11:00 pm  

मेरे खयाल भी धराशाई हो गये हैं।बहुत खूब! याद है आपको जब मैने कहा था आपका चेहरा मेरी माँ मे मिलता है आज तो लगता है विचार भी मिलते हैं। क्योकि माँ ने भी कहा था कुछ दिन पहले हमें कौन पूछता है मेरी सारी नसीहते तुम लोगों के दिमाग से चवन्नी की तरह गायब हो गई है...:)

पी.एस .भाकुनी Fri Jul 08, 03:39:00 pm  

chawnniyan bhale hi mulya hin ho chuke ho lekin khayalon main sadev bane rahengey, sankshipt kintu prabhavshali rachna hetu abhaar......

वन्दना महतो ! (Bandana Mahto) Sat Jul 09, 05:45:00 pm  

संगीता जी एकदम सटीक बात कही है आपने. कमाल के उदहारण आस पास से बटोर लाती है आप...

Surendra shukla" Bhramar"5 Thu Jul 14, 08:43:00 pm  

आदरणीया संगीता जी सम्भाल कर रखिये उन ख्यालों को मन को बहुत सुकून देंगे-उनका भी बहुत मूल्य है - बहुत जगह तो चवन्नियां भी बटोरी जा रही हैं ....
खूबसूरत रचना -बधाई
शुक्ल भ्रमर ५
भ्रमर का दर्द और दर्पण

मेरे ख्याल भी
धराशायी हो गए हैं ..

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" Tue Aug 02, 12:34:00 am  
This comment has been removed by the author.
Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" Tue Aug 02, 12:41:00 am  

kabhi chabnni chalti thi...ab pighalti bhai....aag pe galti hai...samay samay ki baat hai..chabanni bhi waqt ke paikar mein hi dhalti hai..mandir pe baithi budhiya jab sham dhalti hai..chabnniyon ko noton mein badalti hai...raat bhar soti hai chabnni phir subah hote hi chalti hai...aapke bhi khyal chup ho sakte hain..thodi der ke liye so sakte hain..kintu jab jagte hain ek sundar rachna bankar bikharte hain..chabnni chabnni ho sakti hai..aapke khyal kho nahi sakte ..chabbni ho nahi sakte..sadar pranam ke sath

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